२८ सितम्बर को इंदिरा एकादशी है। इसका माहात्म्य, विधि व कथा पूज्य बापूजी के सत्संग से :
युधिष्ठिर महाराज ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा : "प्रभु ! आश्विन मास (अमावस्यांत भाद्रपद) कृष्ण पक्ष की एकादशी का नाम क्या है और इसका फल क्या है? इसकी महिमा मुझे बतायें।"
भगवान श्रीकृष्ण ने कहा : ‘“राजन् ! उस एकादशी का नाम है 'इंदिरा'। इसके व्रत के प्रभाव से बड़े-बड़े पापों का नाश हो जाता है। यह व्रत नीच योनि में दुःख भोगनेवाले पूर्वजों के पुण्य-लाभ के लिए करें तो उनकी सद्गति होती है।
सतयुग में माहिष्मतीपुरी में इन्द्रसेन बड़े धर्मात्मा, प्रजापालक, सत्यनिष्ठ, न्यायप्रिय राजा थे। उनकी पुरी में धन-धान्य, सुख-सम्पदा की कमी नहीं थी। वे प्रजा के उत्तम हितैषी, शत्रुओं के लिए कालरूप और मित्रों के लिए इन्द्रस्वरूप थे। विद्वानों में उनकी प्रसिद्धि थी और दानवीरों में भी उनका नाम था। वे भगवान की भक्ति में तत्पर हो भगवन्नाम का जप करते हुए समय व्यतीत करते थे और विधिपूर्वक अध्यात्म-तत्त्व के चिंतन में संलग्न रहते थे।
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रूहानी सौदागर संत-फकीर
१५ नवम्बर को गुरु नानकजी की जयंती है। इस अवसर पर पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से हम जानेंगे कि नानकजी जैसे सच्चे सौदागर (ब्रहाज्ञानी महापुरुष) समाज से क्या लेकर समाज को क्या देना चाहते हैं:
पितरों को सद्गति देनेवाला तथा आयु, आरोग्य व मोक्ष प्रदायक व्रत
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कर्म करने से सिद्धि अवश्य मिलती है
गतासूनगतासुंश्च नानुशोचन्ति पण्डिताः ॥
अपने ज्ञानदाता गुरुदेव के प्रति कैसा अद्भुत प्रेम!
(गतांक के 'साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण' का शेष)
समर्थ साँईं लीलाशाहजी की अद्भुत लीला
साँईं श्री लीलाशाहजी महाराज के महानिर्वाण दिवस पर विशेष
धर्मांतरणग्रस्त क्षेत्रों में की गयी स्वधर्म के प्रति जागृति
ऋषि प्रसाद प्रतिनिधि।