Panchjanya - October 16, 2022
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Bu konuda
16 October 2022
'अंतर अनेक पर हम एक'
प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी गत 5 अक्तूबर को नागपुर के रेशिम बाग में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का विजयादशमी उत्सव संपन्न हुआ। इस अवसर पर सरसंघचालक श्री मोहनराव भागवत ने शस्त्र पूजन किया और उपस्थित स्वयंसेवकों और आमंत्रित अतिथियों के समक्ष विशेष उद्बोधन दिया। इस बार कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के नाते भारत की विश्व विख्यात पर्वतारोही पद्मश्री संतोष यादव उपस्थित रहीं।
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बड़ा लक्ष्य, बड़ी छलांग
5जी तकनीक के आने के बाद भारत में डिजिटल क्रांति आएगी। इससे न सिर्फ बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर सृजित होंगे, बल्कि राजस्व भी बढ़ेगा और देश को 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा
7 mins
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एम्स बिलासपुर देश को किया समर्पित
हिमाचल को मिले 3653 करोड़ के उपहार
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हजारों बालिकाओं को लाभान्वित कर 'बेटी है अनमोल' को किया सार्थक
प्रदेश की महिलाओं और बेटियों को मिला लगभग 279 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता का लाभ
4 mins
सुरक्षित नहीं बहन - बेटियां
राजस्थान में कांग्रेस सरकार के शासन में बहन-बेटियां सुरक्षित नहीं रह गई हैं। हाल ही में अलवर में एक स्कूली छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म और जयपुर में छात्राओं पर एसिड हमले की घटनाओं ने राज्य में कानून-व्यवस्था की लचर स्थिति की पोल खोली
3 mins
द्वारका के द्वार से हटा अवैध कब्जा
श्रीकृष्ण की नगरी बेट द्वारका में अवैध रूप से बने घर, मजार और दरगाह ध्वस्त। गुजरात सरकार की इस कार्रवाई का कई संगठनों ने किया स्वागत
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गांधी और डॉक्टर जी की मुलाकात
संघ के संस्थापक डॉ. हेडगेवार के साथ गांधी जी की मुलाकात और दोनों के बीच वार्ता विशाल सामाजिक-राजनीतिक मिशन की कल्पना करने वाले दो राष्ट्रवादी दिग्गजों के बीच हुई एक दुर्लभ, विशिष्ट और रचनात्मक बातचीत है। लेकिन इसे भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विमर्श से दूर रखा गया
7 mins
हिन्दू समाज की एकात्मता के पक्षधर
डॉ. आंबेडकर मानते थे कि हिंदू धर्म का तत्वज्ञान समानता की दृष्टि से श्रेष्ठतम है और वे सामाजिक विषमता मिटाकर, समाज में समता-ममता और समरसता के आधार पर हिन्दू समाज को शक्तिशाली बनाना चाहते थे। विषमताएं दूर न हो पाने पर उन्होंने चेतावनीस्वरूप बौद्ध धर्म अंगीकार किया
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लंबे संघर्ष की शुरुआत!
ईरान के जेहदान में हिरासत में एक नाबालिग बलूच लड़की से बलात्कार के बाद सिस्तान और बलूचिस्तान प्रांत उबल रहे हैं। अगर इसे सूझ-बूझ के साथ नहीं संभाला गया तो एक और लंबे संघर्ष के पनपने का डर
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सबसे पहले देश का हित
भारत ने बीते माह कूटनीतिक मोर्चे पर अपने रुख से विश्व को स्पष्ट कर दिया कि वह अपनी विदेश नीति न सिर्फ अपने राष्ट्रहित के आधार पर संचालित करने के लिए स्वतंत्र है बल्कि विश्व का नेतृत्व करने के लिए भी तैयार है
4 mins
Panchjanya Magazine Description:
Yayıncı: Bharat Prakashan (Delhi) Limited
kategori: Politics
Dil: Hindi
Sıklık: Weekly
स्वतंत्रता प्राप्ति के तुरन्त बाद 14 जनवरी, 1948 को मकर संक्राति के पावन पर्व पर अपने आवरण पृष्ठ पर भगवान श्रीकृष्ण के मुख से शंखनाद के साथ श्री अटल बिहारी वाजपेयी के संपादकत्व में 'पाञ्चजन्य' साप्ताहिक का अवतरण स्वाधीन भारत में स्वाधीनता आन्दोलन के प्रेरक आदशोंर् एवं राष्ट्रीय लक्ष्यों का स्मरण दिलाते रहने के संकल्प का उद्घोष ही था।
अटल जी के बाद 'पाञ्चजन्य' के सम्पादक पद को सुशोभित करने वालों की सूची में सर्वश्री राजीवलोचन अग्निहोत्री, ज्ञानेन्द्र सक्सेना, गिरीश चन्द्र मिश्र, महेन्द्र कुलश्रेष्ठ, तिलक सिंह परमार, यादव राव देशमुख, वचनेश त्रिपाठी, केवल रतन मलकानी, देवेन्द्र स्वरूप, दीनानाथ मिश्र, भानुप्रताप शुक्ल, रामशंकर अग्निहोत्री, प्रबाल मैत्र, तरुण विजय, बल्देव भाई शर्मा और हितेश शंकर जैसे नाम आते हैं। नाम बदले होंगे पर 'पाञ्चजन्य' की निष्ठा और स्वर में कभी कोई परिवर्तन नहीं आया, वे अविचल रहे।
किन्तु एक ऐसा नाम है जो इस सूची में कहीं नहीं है, परन्तु वह इस सूची के प्रत्येक नाम का प्रेरणा-स्रोत कहा जा सकता है जिसने सम्पादक के रूप में अपना नाम कभी नहीं छपवाया, किन्तु जिसकी कल्पना में से 'पाञ्चजन्य' का जन्म हुआ, वह नाम है पं. दीनदयाल उपाध्याय।
- İstediğin Zaman İptal Et [ Taahhüt yok ]
- Sadece Dijital