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गन्ना शीत ऋतु में
गन्ना एक प्रमुख व्यावसायिक फसल है. विषम परिस्थितियां भी गन्ना की फसल को बहुत अधिक प्रभावित नहीं कर पाती हैं. इन्हीं विशेष कारणों से गन्ना की खेती अपनेआप में सुरक्षित व लाभ देने वाली है.
काले गेहूं और चने की खेती
आज कोरोना वायरस की वजह से लोगों की जीवनशैली में काफी बदलाव आया है. हालात ये हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण के डर से लोग सुबह और शाम की सैर के लिए भी घर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं. ऐसे में मध्यम वर्ग के साथ अफसर, डाक्टर भी परंपरागत लोकमन, शरबती गेहूं की जगह काले गेहूं की रोटियां खाना पसंद कर रहे हैं.
वैज्ञानिक विधि से कैसे करें स्ट्राबैरी की खेती
स्ट्राबैरी (फ्रेगेरिया अनानासा) यूरोपियन देश का फल है. इस का पौधा छोटी बूटी के समान होता है. इस के छोटे तने से कई पत्तियां निकलती हैं. पत्तियों के निचले हिस्से से कोमल शाखाएं निकलती हैं, जिन्हें रनर्ज कहते हैं. इन रनर्ज द्वारा स्ट्राबैरी का प्रवर्धन किया जाता है.
छोटे किसानों के लिए कारगर तिपहिया ट्रैक्टर
भारत में छोटे और मझोले किसानों में कृषि यंत्रों की कमी आज भी बड़ी समस्या है. इस कमी का एक बड़ा कारण है ट्रैक्टर और खेती में काम आने वाले यंत्रों के ऊंचे दाम. ऐसे में छोटे और मझोले किसान महंगे दामों पर किराए पर ट्रैक्टर और यंत्रों का उपयोग करने के लिए मजबूर होते हैं.
समृद्धि के अवसरों का प्रदेश उत्तर प्रदेश
उत्तर प्रदेश में जिस तरह औद्योगीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है, वह राज्य में विकास का सुनहरा दौर लेकर आएगा। नये उद्योग लगाने के लिए जो सुविधाएं प्रदान करायी जा रही हैं, उनके परिणामस्वरूप बहुत से देशी-विदेशी निवेशक उत्तर प्रदेश में आने के इच्छुक हैं। बुनियादी डाँचे में भी जबरदस्त सुधार किया जा रहा है, जो उद्योगों के विकास के लिए बहुत आवश्यक है। सभी महत्वाकांक्षी परियोजनाओं पर तेजी से काम हो रहा है, जिससे वे सही समय पर पूर्ण हो सकें। लाखों नवयुवकों को रोजगार के अवसर प्रदान कराये गये है। मुझे पूरा यकीन है कि उत्तर प्रदेश अपने औद्योगीकरण और विकास के लक्ष्यों को पाने में अवश्य सफल होगा। - नरेन्द्र मोदी,प्रधानमंत्री
फसल अवशेष प्रबंधन यंत्र मोबाइल श्रेडर
फसल कटाई के बाद फसलों की जड़ें खेत में रह जाती हैं, जिन्हें खेत में मिलाना या उखाड़ना मुश्किल काम होता है. इस काम में काफी मेहनत और खर्चा भी होता है. इस फसल अवशेषों का प्रबंधन कृषि यंत्रों से किया जाए, तो किसान के लिए यह काम आसान हो जाता है.
अपनी दुधारू गाय खुद तैयार कीजिए
इस से पहले अंक में आप ने पढ़ा था : आप की गाय बच्चा दे चुकी है. प्रसव के तनाव से गुजरने के बाद उसे हलकी चीजें खाने को देनी चाहिए. अगर 36 घंटों के बाद भी जेर न गिरे, तो उसे डाक्टर को दिखाना चाहिए. उसे पोषक तत्त्वों का सेवन कराना चाहिए और साफसफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए.
ज्यादा आमदनी के लिए ब्रोकली की खेती
ब्रोकली गोभी कुल की सदस्य है. इस के शीर्ष भी गोभी की तरह, लेकिन आमतौर पर हरे रंग के होते हैं. ब्रोकली की खेती हमारे देश में सीमित क्षेत्र में की जाती है. इस का बहुत अधिक पोषण और औषधीय महत्त्व है.
मसूर की उन्नत खेती
दलहनी वर्ग में मसूर सब से पुरानी और खास फसल है. मसूर का दुनियाभर में भारत की श्रेणी क्षेत्रफल के अनुसार पहला व उत्पादन के अनुसार दूसरा नंबर है और भारत में क्षेत्रफल के अनुसार मध्य प्रदेश की प्रथम श्रेणी है. प्रचलित दालों में सर्वाधिक पौष्टिक होने के साथसाथ इस दाल को खाने से पेट के विकार समाप्त हो जाते हैं.
लसोड़ा ताकत बढ़ाने में लाभकारी
हमारे देश में कोरोना महामारी से बचाव के लिए सब से अच्छा उपाय शरीर की इम्यूनिटी को बढ़ाना है. अगर शरीर की इम्यूनिटी अच्छी होगी तो आसानी से कोरोना के वायरस से लड़ा जा सकता है. इस के लिए विभिन्न प्रकार की आयुर्वेदिक औषधियां उपयोगी हैं, वहीं लसोड़ा पेड़ के फल, पत्ती व छाल भी उपयोगी है.
बिहारी किसानों के लिए सोलर सिंचाई पंप बड़े काम का
किसी भी फसल का उत्पादन उस को समय से दी जाने वाली सिंचाई पर निर्भर करता है. किसान भले ही खेती में उन्नत बीज और तकनीकी का प्रयोग कर लें, लेकिन फसल की सिंचाई समय पर न की जाए, तो फसल के पूरी तरह से नष्ट होने का खतरा बना रहता है.
तोरिया (लाही) की उन्नत उत्पादन तकनीक
तोरिया 'कैच क्रौप' के रूप में खरीफ व रबी के मध्य में बोई जाने वाली तिलहनी फसल है. इस की खेती कर के अतिरिक्त लाभ हासिल किया जा सकता है. यह 90-95 दिन के अंदर पक कर तैयार हो जाती है. इस की उत्पादन क्षमता 12-18 क्विटल प्रति हेक्टेयर है.
12वीं के बाद एग्रीकल्चर में कैरियर को दें उडान
हर नौजवान अपने कैरियर को ले कर हर नौजवान असमंजस में रहता है. 12वीं का रिजल्ट आते ही छात्रों को कैरियर चुनने में कन्फ्यूजन रहता है कि क्या करना सही होगा, क्या नहीं. पहले के समय में ज्यादातर छात्र डाक्टरी,इंजीनियरिंग करने की सोचते थे. इस के अलावा एमबीए करने की सोच सकते थे, लेकिन बदलते समय के साथसाथ कैरियर को ले कर भी हजारों मौके खुल चुके हैं. कमी है तो सिर्फ सही और सटीक जानकारी की.
अपनी दुधारू गाय खुद तैयार कीजिए
इस से पहले अंक में आप ने पढ़ा था : आप की गाय के गर्भकाल के 8 महीने पूरे हो चुके हैं. 9वां महीना बड़े ध्यान से निकालना पड़ता है. आप को अब गाय को दुहना बंद कर देना होता है और गाय के खानपान पर खास ध्यान देना होता है. गाय को किसी भी तरह का तनाव नहीं होना चाहिए और उसे दूसरे पशुओं से अलग कर देना चाहिए. अब पढ़िए आगे....
पपीता उत्पादन में नई तकनीक
सरदार वल्लभभाई पटेल कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, मेरठ के जैव प्रोद्यौगिकी विभाग में पपीते के पौधों को ले कर शोध किया जा रहा है, जिस से पपीते के पौधे के पनपते अथवा पहली अवस्था में ही पता चल जाएगा कि पौधा नर है या मादा.
धान में कंडुआ रोग से बचने पर दें ध्यान
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, सोहांव, बलिया के अध्यक्ष, प्रोफैसर रवि प्रकाश मौर्य ने धान की खेती करने वाले किसानों को अभी से कंडुआ रोग से सावधान रहने की सलाह दी है.
सही खानपान से बढ़ाएं शरीर की इम्यूनिटी
भागमभाग भरी जिंदगी और हमारे खानपान की गलत आदतों के चलते ज्यादातर लोग आज भी किसी न किसी बीमारी से जूझ रहे हैं. इस की वजह है शरीर में बीमारियों से लड़ने की कमी होना. इसे इंगलिश भाषा में इम्यूनिटी कहा जाता है, जो किसी भी तरह के सूक्ष्मजीवों (बीमारी पैदा करने वाले बैक्टीरिया, वायरस आदि) से शरीर को लड़ने की ताकत देती है.
खेतीबारी में कृषि शिक्षा की महत्ता समझने की जरूरत
विश्व में खाद्यान्न संकट पैदा होने की आहट के बीच और वायरसरूपी हमले के मद्देनजर कृषि प्रधान देश भारत की खेतीबारी पर भी असर पड़ना तय है. अब तो ऐसी अटकलें भी लगाई जा रही हैं कि क्या हम कृषि प्रधान देश नहीं रहे.
खेती को बनाएं फायदेमंद
वर्तमान समय में पूरी दुनिया कोरोना वायरस की चपेट में है. इस वजह से देश में सभी कारोबार ठप हैं. सभी के कामधंधों पर भी खासा असर पड़ रहा है, परंतु खेतीबारी का काम ऐसा है, जो समय से नहीं हुआ तो फायदे की जगह नुकसान उठाना पड़ेगा. साथ ही, देश की माली हालत भी खराब हो जाएगी.
अपनी दुधारू गाय खुद तैयार कीजिए
छठे अंक में आप ने पढ़ा था : गाय जब पहली बार हीट में आती है, तो इंतजार करना चाहिए. इस के तीसरे महीने के बाद दोबारा हीट में आने के बाद किसी अच्छे सांड़ से गाभिन करवा देना है. इस में पहले से के अनुपात में गाय को उस के महीनों के हिसाब से पोषण वाला चारा देना चाहिए. जब 8 महीने पूरे हो जाएं तब...
युवाओ ने की पहल तो खेती में मिली सफलता
देश में युवाओं के सामने रोजगार एक बड़ी समस्या है. उन का रोजगार की तलाश में घर से दूर पलायन करने का कारण स्थानीय लैवल पर रोजगार न मिलना भी है. ऐसे में युवाओं के पलायन की रोकथाम के लिए ऐसी पहल की जरूरत है, जिस से उन्हें स्थानीय लैवल पर ही रोजगार मुहैया हो पाए. इस के लिए जरूरत है स्थानीय लैवल पर रोजगार के अवसरों की तलाश. ऐसे ही बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में काम करने वाली सामाजिक संस्था आगा खान ग्राम समर्थन कार्यक्रम भारत ने जौन डियर इंडिया के सहयोग से कई गांवों में स्थानीय लैवल पर खेती में रोजगार के अवसरों की तलाश की और गांव से पलायन कर चुके युवाओं को फिर से गांव में वापस लाने में मदद भी की है. इस से इन युवाओं की दिशा ही बदल गई है. आज बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के गांवों के ये युवा खेती के जरीए लाखों रुपए की आमदनी प्राप्त कर रहे हैं.
पौधशाला में एकीकृत जीवनाशी प्रबंधन
पौधशाला किसी पौधे की अच्छी सेहत के लिए बहुत जरूरी होती है, जिस में वह खूब पनपता और किसान का उत्पादन बढ़ाता है.
धान की फसल: रोगों और कीटों से बचाव
हमारे देश में खरीफ की प्रमुख खाद्यान्न फसल धान है. इस की खेती असिंचित व सिंचित दोनों परिस्थितियों में की जाती है. धान की फसल में विभिन्न रोगों व कीटों का प्रकोप होता है. कीट व रोग प्रबंधन का कोई एक तरीका समस्या का समाधान नहीं बन सकता. इस लिए रोग व कीट प्रबंधन के उपलब्ध सभी उपायों को समेकित ढंग से अपनाया जाना चाहिए.
कैसे हो मशरूम का अच्छा उत्पादन
मशरूम एक उच्चवर्गीय कवक है, जो औषधि और भोजन दोनों के रूप में प्रयोग किया जाता है.
अदरक की वैज्ञानिक विधि से खेती
महामारी कोरोना के चलते इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए अदरक की बहुत अधिक उपयोगिता है, इसलिए लगातार इम्यूनिटी बूस्टर के रूप में जिन सब्जियों का अधिक से अधिक उपयोग हो सकता है, उन की बाजार में लगातार मांग बढ़ती जा रही है. इन्हीं में से एक अदरक है, जिस की बाजार में अच्छी कीमत मिलती है और लोग इस को काफी अधिक उपयोग में ला रहे हैं.
'तीलू रौतेली पुरस्कार विजेता बबीता रावत बंजर धरती में उगाया सोना
24 साल की बबीता रावत से जब मैं फोन पर बात कर रहा था, तब उन का आत्मविश्वास देखने लायक था. आज एक तरफ जब पहाड़ों की मुश्किल जिंदगी से तंग आ कर वहां की ज्यादातर नौजवान पीढ़ी मैदानी शहरों में छोटीमोटी नौकरी कर के जैसेतैसे गुजारा कर रही है, वहीं दूसरी तरफ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद के गांव सौड़ उमरेला की रहने वाली इस लड़की ने अपनी मेहनत और लगन से बंजर धरती को भी उपजाऊ बना दिया है और यह साबित कर दिया है कि सीमित साधनों का अगर दिमाग लगा कर इस्तेमाल किया जाए, तो कमाई तो कहीं भी की जा सकती है.
धान में भूरी खाद की उपयोगिता
फसलों की उपज बढ़ाने में रासायनिक उर्वरकों का योगदान किसी से छिपा नहीं है. रासायनिक उर्वरकों के ही इस्तेमाल से भारत में हरित क्रांति आई, लेकिन असंतुलित रासायनिक उर्वरकों के इस्तेमाल से मिट्टी की सेहत का स्तर काफी गिर गया है और रासायनिक उर्वरकों की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. कंपोस्ट व गोबर की खाद भरपूर मात्रा में उपलब्ध नहीं हो पा रही है.
देशी बैगन वासुकी
यह बैगन की एक परंपरागत, बहुवर्षीय देशी प्रजाति है, जो अपने बेहतरीन उत्पादन, ज्यादा मजबूत पौधे, सर्पाकार बैगन की लंबाई और बैगनीसफेद मिश्रित धारियों के फलों के रंग के चलते जानी जाती है.
जानें अलसी के फायदे
अलसी के बीज ब्लड प्रैशर और ब्लड शुगर कंट्रोल करने में बहुत ज्यादा फायदेमंद होते हैं. इस के अलावा अलसी में विटामिन बी कौंप्लैक्स, मैग्नीशियम, मैगनीज जैसे तत्त्वों की भरपूरता होती है,
पुराने बागों को नया बनाएं मुनाफा बढ़ाएं
फलों के उत्पादन में भारत चीन के बाद दूसरे नंबर पर आता है. फलों के उत्पादन में अग्रणी होने के लिए हम सभी को नए व पुराने बागों में नई तकनीकों और उचित देखभाल की जरूरत पर जोर देना पड़ेगा. जैसे कि बागों को लगाने की सघन पद्धति व पुराने बागों में उत्पादकता में बढ़ोतरी की जा सकती है.