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दांव पर प्रतिष्ठा
विधान सभा चुनाव में सबसे ज्यादा बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. इन पांच में से चार राज्यों - उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में भाजपा की सरकार है . इन चारों राज्यों में अपनी सरकारों को बचा कर फिर से जनादेश हासिल करना भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती है. पांचवें चुनावी राज्य, पंजाब में पार्टी के लिए अपना विस्तार करना और अपने जनाधार को बढ़ाना एक बड़ी चुनौती है. यदि उत्तर प्रदेश भाजपा के हाथ से खिसकता है तो केंद्र में संघ नेतृत्व परिवर्तन की बात भी सोच सकता है .
एक बार फिर कोरोना की जद में देश
कोरोना की तीसरी लहर सुनामी की तरह भयावह होती जा रही है, अभी देश कोरोना के नये वेरिएंट ओमिक्रॉन से निपटने की तैयारी कर ही रहा था कि कोराना और ओमिक्रॉन के मामलों में अचानक बढोतरी ने देश की चिंता बढ़ा दी है, पिछले तीन - चार महीनों के अंतराल में दिनांक 6 जनवरी को देश में 6 कोरोना के सार्वधिक तकरीबन एक लाख मामले दर्ज किए गए हैं, एक्टिव केसों की संख्या 2,85,401 हो गयी जबकि नये मामलों में करीब 56 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। तीसरी लहर के बाद कोरोना से तकरीबन 325 लोगों को अपनी जान भी गवानी पड़ी है, ओमिक्रॉन के मामले भी बढकर 2630 हो गए हैं, पिछले 10 दिनों में कोरोना का आंकड़ा तकरीबन 9 गुणा बढ़ गया है, वास्तव में ये आकड़े डराने वाले हैं.
सोशल मीडिया पर उठी सनी लियोनी को अरेस्ट करने की मांग
बॉलीवुड
एक अभेद किला
कोलकाता नगर निगम चुनाव परिणाम के साथ ही तृणमूल कांग्रेस न सिर्फ जीत की हैट्रिक लगाने में सफल हुई है अपितु तृणमूल कांग्रेस की सुनामी में भाजपा सहित तमाम विपक्षी दल चारों खाने चित हो गए हैं. कोलकाता नगर निगम के कुल 144 सीटों में से134 सीटों पर जीत दर्ज कर तृणमूल कांग्रेस ने न सिर्फ इतिहास रच दिया है अपितु तमाम राजनीतिक दलों को यह स्पष्ट संदेश देने में सफल हुई है कि आज भी राजनीतिक तौर पर बंगाल का किला अभेद है. आज भी बंगाल की राजनीति में ममता बनर्जी और तृणमूल कांग्रेस की कोई सानी नहीं है.
महाबोधि धमाके-दोषियों को उम्र कैद नहीं, फांसी दो
जरा सोच लें कि महाबोधि मंदिर में धमाका करने वाले लोग कितने जहरीले होंगे? इनकी हरकत से जहां बुद्ध के अनुयायियों को खासतौर गहरा सदमा लगा था, वहीं देश के पर्यटन उद्योग पर बेहद नकारात्मक असर हुआ था. जिन स्थानों पर आतंकी हमले की आशंका होती है या जहां आतंकी अपना काम कर चुके होते हैं, वहां जाने से पर्यटक तो बचते ही हैं.
हिंदू देह है और हिंदुत्व उसकी आत्मा
आज जकल हिंदू और हिंदुत्व में अंतर की चर्चा जोरों पर है. पिछले दिनों एक बड़ी राजनीतिक पार्टी के बड़े नेता ने राजस्थान की एक सभा में हिंदू और हिंदुत्व को लेकर जो ज्ञान दिया है उसे सुनकर बड़े-बड़े विद्वान और भाषाविद् भी आश्चर्यचकित हैं क्योंकि इससे पहले इन शब्दों की ऐसी ज्ञानगर्भित व्याख्या कभी पढ़ने-सुनने में नहीं आयी है. ऐसा लगता है कि हमारे विकासशील देश में राजनीति के साथ-साथ भाषा, साहित्य, इतिहास, दर्शन, विज्ञान, अर्थशास्त्र आदि सभी विषयों पर कुछ भी बोलने का एकाधिकार हमारे नेताओं ने अपने पक्ष में सुरक्षित कर लिया है. अब इन विषयों के विद्वानों की आवश्यकता नहीं रही. सारे विषय राजनीति के स्वार्थ सागर में समा गए हैं और अब जो राजनेता कहें वही अंतिम सत्य है.
नए भारत का नया लेबर कोड
सरकार ने 29 केंद्रीय लेबर कानूनों को मिलाकर 4 नए कोड बनाए हैं, जिनमें वेज और सोशल सिक्योरिटी के कोड भी शामिल हैं. इन चार लेबर कोड में वेतन/मजदूरी संहिता, औद्योगिक संबंधों पर संहिता, काम विशेष से जुड़ी सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यस्थल की दशाओं पर संहिता, और सामाजिक व व्यावसायिक सुरक्षा संहिता शामिल हैं.
महिलाओं पर अभद्र टिप्पणी का दौर आखिर कब थमेगा?
हर वर्ष 16 दिसंबर को निर्भया बलात्कार की घटना की बरसी होती है और उसके एक दिन बाद ही यानी 17 दिसंबर को कर्नाटक विधानसभा में वाक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर एक फूहड़ संवाद हुआ. संवाद भी ऐसा जिससे मानव जाति अपमानित हो जाएं, लेकिन सियासतदां कहाँ आते मानव जाति में?
छत्तीसगढ़ के छत्तीस माह विकास की नई राह
समय का पहिया, कब और कैसे आगे बढ़ जाता है, पता ही नहीं चलता. तीन साल हो गए. हमारी छत्तीसगढ़ सरकार के कार्यकाल को. पता ही नहीं चला. कोरोना की वजह से दहशत और लॉकडाउन में अनेक चुनौतियां आई. जिस तरह से समय का पहिया आगे बढ़ता गया, ठीक वैसे ही छत्तीसगढ़ में विकास का पहिया चुनौतियों के बीच कभी थमा नहीं. प्रत्येक मुश्किलों और बाधाओं में भी छत्तीसगढ़ की सरकार जनता के लिये, जनता के साथ खड़ी रही. अपनी योजनाओं और योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन से सम्मान हासिल करने के साथ छत्तीसगढ़ देश में अपनी एक अलग पहचान भी बनाता जा रहा है.
कांग्रेस में बगावती वेव
राहुल गांधी कांग्रेस को 2024 के आम चुनाव के हिसाब से खड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं. जयपुर से अमेठी तक हिंदुत्व पर उनके भाषण में तेवर तो ऐसा ही नजर आ रहा है - लेकिन हालत ये हो रही है कि मोदी-शाह, संघ और बीजेपी को टारगेट करने के चक्कर में वो भूल जा रहे हैं कि कांग्रेस राज्यों में धीरे-धीरे खत्म होने की राह पर बढ़ती जा रही है. ले देकर उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी वाड्रा की तूफानी सक्रियता कांग्रेस के लिए उम्मीद की किरण हो सकती है. राज्यों में कांग्रेस की स्थिति के लिए अपवाद भी हो सकती है.
भारतः प्रति 25 मिनट में एक शादीशुदा महिला कर रही है आत्महत्या
आत्महत्या
कहां चूक गयी भाजपा
कोलकाता नगर निगम चुनाव
जीता कौन?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा पर आंदोलनरत किसान नेता इसे अपनी जीत मान रहे हैं. कुछ कह रहे हैं कि इससे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सरकार की छवि खराब हुई है. भाजपाई खुश हैं कि इससे उन्हें किसानों का विरोध नहीं झेलना होगा. इस राजनैतिक शतरंज की बाजी में लाख टके का सवाल यह है कि जीता कौन?
राहुल गांधी 'राष्ट्रवाद' पर मार्गदर्शन कब देंगे?
हिंदुत्व के बाद कांग्रेस में राष्ट्रवाद विमर्श भी शुरू हो ही गया. हालांकि ये दोनों परस्पर विरोधी छोर से उठाये गये हैं. हिंदुत्व का मुद्दा उठाया है प्रियंका गांधी वाड्रा की टीम के एक्टिव मेंबर सलमान खुर्शीद ने, लेकिन राष्ट्रवाद का मसला सामने लाया है मनीष तिवारी ने जिनकी हाल फिलहाल G-23 के सदस्य के रूप में पहचान बनी है. ये दोनों ही बातें दोनों नेताओं की किताबों के जरिये सामने आयी हैं.
ममता बनर्जी ने तय कर लिया है कि कांग्रेस का क्या करना है
ममता बनर्जी तो कांग्रेस के पीछे ही पड़ गयी हैं . ममता बनर्जी के ऑपरेशन मेघालय को उनके महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय राजनीति के हिसाब से पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर देखा जा सकता है. ममता बनर्जी को अब अच्छी तरह समझ में आ चुका है कि बीजेपी के खिलाफ लड़ाई में राष्ट्रीय स्तर पर भी वो पश्चिम बंगाल की तरह ही सफल हो पाएंगी.
बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने का निर्णय
केन्द्र सरकार ने 11 अक्टूबर को बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र से जुड़ा एक गजट नोटिफिकेशन जारी किया है, इस नोटिफिकेशन में केन्द्र सरकार ने 2014 के नोटिफिकेशन को संशोधित करते हुए 12 राज्यों में बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को परिवर्तित किया है या यूँ कहें कि उसे एकरूपता देने की कोशिश की है.
भारत में प्रजनन दर घटकर 2 रह गई
न्यूजमेकर
अभिनेत्री निकिता शर्मा ने शेयर की हॉट फोटोज
तस्वीरों में धमाल मचाती अभिनेत्री
कब तक सलमान खुर्शीद उगलेंगे हिन्दुत्व पर जहर
सलमान खुर्शीद को वैसे तो खबरों में बने रहना आता है. पिछले काफी दिनों से वे खबरों की दुनिया से बाहर थे. उन्हें कोई पूछ भी नहीं रहा था. वे और उनकी पत्नी लुईस खुर्शीद चुनावों में तो बार-बार शिकस्त खाते ही रहते हैं. इसलिए उन्हें लगा कि क्यों न हिन्दुत्व की तुलना आतंकवादी संगठन 'आईएसआईएस' व 'बोको हरम' से ही कर दी जाए. इससे वे खबरों में जगह बना लेंगे. सलमान खुर्शीद अपनी नई किताब 'सनराइज ओवर अयोध्याः नेशनहुड इन अवर टाइम' में यही तो प्लान करते हैं. इस किताब के विमोचन के बाद से वे मीडिया में छाए हुए हैं. उनके मन की मुराद पूरी हो ही गई.
अदिति सिंह के कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्वाइन करने पर अचरज क्यों?
हाल ही में अदिति ने किसान आंदोलन को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की आलोचना की थी. अदिति का कहना था कि 'जब कृषि बिल आए थे तब प्रियंका गांधी को परेशानी थी और जब कृषि कानून वापस ले लिए गए हैं, तब भी उन्हें परेशानी है. वे आखिर चाहती क्या हैं? वे सिर्फ मामले पर राजनीति कर रही हैं.
विनोद दुआ जिन्होंने दिया हिन्दी टीवी पत्रकारिता को नया आयाम
हिन्दी पत्रकारिता का जाना-पहचाना चेहरा रहे विख्यात पत्रकार विनोद दुआ का 4 दिसम्बर को लंबी बीमारी के बाद 67 साल की उम्र में दिल्ली के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया. वे काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे. कोरोना की दूसरी लहर में इसी साल अप्रैल माह में उन्हें तथा उनकी 56 वर्षीया रेडियोलॉजिस्ट पत्नी डा. पद्मावती चिन्ना को कोरोना होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था. जून माह में कोरोना से पत्नी का निधन होने के बाद उनकी हालत में भी कोई खास सुधार नहीं आया और उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया. विनोद दुआ के निधन पर भारत के पूरे पत्रकारिता जगत में शोक की लहर दौड़ने के पीछे अहम कारण यही है कि आधुनिक पत्रकारिता के मौजूदा दौर में भी अपनी बेहद शालीन और शिष्ट पत्रकारिता के लिए जाने जाते रहे दुआ को अपने युग के पत्रकारों में सर्वश्रेष्ठ माना जाता रहा. निर्भीक, निडर और असाधारण पत्रकारिता के लिए मशहूर विनोद दुआ हिन्दी टीवी पत्रकारिता में अग्रणी थे. उन्होंने टीवी पत्रकारिता में ब्लैक एंड व्हाइट टेलीविजन के उस दौर में कदम रखा था, जब टीवी की दुनिया केवल दूरदर्शन तक ही सिमटी थी और धूमकेतु की भांति टीवी पत्रकारिता में उभरने के बाद वे जीवन पर्यन्त टीवी पत्रकारिता में जगमगाते रहे.
सपा गठबंधन सियासत में बड़ी चुनौती होगा सीटों का बंटवारा
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव का समय नजदीक आने के साथ ही चुनाव की तस्वीर भी करीब-करीब साफ होने लगी है. यह लगभग तय हो गया है कि कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी 'एकला चलो' की राह पर आगे बढ़ेंगी,वहीं भारतीय जनता पार्टी नये दोस्त बनाने की बजाए अपने पुराने सहयोगियों के सहारे चुनाव में दम आजमायेगी. संजय निषाद की 'निषाद पार्टीह्य भाजपा के साथ आई है तो ओमप्रकाश राजभर की सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी बीजेपी से छिटक कर सपा में चली गई है.2017 में बीजेपी ने अपना दल (एस) और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था लेकिन 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले यह गठबंधन टूट गया था. हालांकि, इस बार बीजेपी ने सपा-बसपा गठबंधन से निषाद पार्टी को निकालने में सफलता हासिल कर ली है.निषाद पार्टी में निषाद जाति के अलावा उससे जुड़ी मल्लाह, केवट, धीवर, बिंद, कश्यप और दूसरी जातियों को अच्छा खासा गैरयादव वोट बैंक समझा जाता है. साल 2017 में विधानसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक परिदृश्य में आई निषाद पार्टी ने खुद को नदियों से जुड़ी हुई पिछड़ी जातियों की आवाज कहा था. उनकी मांग थी कि उनकी जाति को अनुसूचित जाति की सूची में दर्ज कराया जाए.2017 में इसने पूर्वी उत्तर प्रदेश की 72 सीटों पर 5.40 लाख वोट हासिल किए थे लेकिन कोई भी सीट जीतने में सफल नहीं हो पाई थी. 2018 में निषाद पार्टी ने सपा-बसपा को समर्थन दिया और इसने लोकसभा उप-चुनाव में गोरखपुर और फूलपुर सीटों को जीतने में मदद की. इस दौरान प्रवीण निषाद ने सपा के टिकट पर गोरखपुर सीट को जीत लिया था जिस पर योगी आदित्यनाथ चुनकर आते रहे थे.
भारत-रूस करें चीन को अलग-थलग
पुतिन की नई दिल्ली यात्रा के दौरान दोनों देशों के दरम्यान अनेक अहम मसलों पर समझौते हुए.लेकिन, अगर साफ तौर पर या संकेतों में ही चीन को यह बता दिया जाता कि भारत-रूस हरेक संकट में एक-दूसरे के साथ खड़े रहेंगे, तो बेहतर होता. देखिए कि जब से दुनिया कोविड के शिकंजे में आई है तब से पुतिन सिर्फ दो ही देशों में गए हैं. पहले वे अमेरिका के राष्ट्रपति जोसेफ रॉबिनेट बाइडेन से मिलने जेनेवा गए थे. उसके बाद वे भारत आए. इसी उदाहरण से समझा जा सकता है कि वे और उनका देश भारत को कितना महत्व देता है. इसलिए पुतिन की इस यात्रा को सामान्य या सांकेतिक यात्रा की श्रेणी में रखना तो भूल ही होगी.
मथुरा चुनावी ब्रह्मास्त्र!
मथुरा को लेकर हाल ही में बीजेपी नेता व उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का ट्वीट बीजेपी के पुराने राम मंदिर स्लोगन का ही नया वर्जन है. नये अपडेट में भी 'अयोध्या तो बस झांकी है, काशी मथुरा बाकी है' जैसी ध्वनि सुनी जा सकती है. दरअसल, सूबे में विधान सभा चुनाव के ठीक पहले सियासी मैदान के शूरमाओं की ओर से जब कोई बयान आएं तो उनके राजनीतिक अर्थ निकाले ही जाएंगे. अगर बयान आबादी के लिहाज से सबसे बड़े और राजनीति के हिसाब से सबसे अहम राज्य उत्तर प्रदेश से जुड़ा हो तो उसका विश्लेषण कुछ ज्यादा ही होगा. यहां प्रसंग उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के उस ट्वीट का है, जिसमें उन्होंने कहा था, 'अयोध्या और काशी में भव्य मंदिर निर्माण का काम जारी है, मथुरा की तैयारी है.'
मसीहाई अंदाज में किसान बिल की वापसी
पिछले सात सालों में ऐसे मौके बहुत कम आये हैं जब नागरिक समूहों के दबाव के चलते मोदी सरकार ने अपना कोई फैसला वापस लिया हो इसलिये जब बीते 19 नवम्बर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विवादित कृषि कानूनों को वापस लेने का एलान किया तो यह सभी के लिए चौंकाने वाला था जिसमें उनके धुर विरोधी और समर्थक दोनों शामिल थे. कानून वापसी की यह घोषणा 'अचानक' के साथ 'एकतरफा' भी थी जिसके साथ प्रधानमंत्री यह कहना भी नहीं भूले कि 'ये कानून किसानों के हित में बनाए गए थे, लेकिन शासन की तरफ से किसानों को समझाया नहीं जा सका'.शायद यही वजह है कि प्रधानमंत्री के 'मसीहाई' अंदाज में बिल वापसी के ऐलान और संसद के दोनों सदनों से इसकी वापसी की मुहर के बाद भी के बाद भी आन्दोलनकारी सरकार पर पूरा भरोसा नहीं कर पा रहे हैं. कानून को लाने की प्रक्रिया की तरह इसके वापसी की प्रक्रिया भी एकतरफा थी, ना तो इस कानूनों को लाने से पहले किसानों से बातचीत की गयी और ना ही इनके वापसी से पहले आन्दोलनकारियों से इस सम्बन्ध में बात करने की कोशिश की गयी. ऊपर से कृषि कानून वापसी बिल दोनों सदनों राज्यसभा और लोकसभा में भी बिना चर्चा के पास कर दिया गया.ऊपर से मोदी सरकार और उनके समर्थक यह मानने को तैयार नहीं हैं कि कानूनों में कोई गलती थी बल्कि उनका यह कहना है कि कानून तो किसानों के हित में था लेकिन किसान ही इसकी अच्छाइयों को समझ नहीं पाए क्योंकि उन्हें बरगला दिया गया इसलिये प्रधानमंत्री को 'देशहित' में कानून वापस लेना पड़ा.
राहुल गांधी ने यूपी से भी बना ली है दूरी
राहुल गांधी ने प्रयागराज में एक शादी समारोह में शामिल होने के बाद वाराणसी में रात्रि विश्राम का कार्यक्रम बना चुके हैं - और ये भी संयोग ही है कि 5 दिसंबर को ही केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का भी अमेठी का कार्यक्रम बना हुआ है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 दिसंबर को काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के उद्घाटन के लिए वाराणसी जाने वाले हैं.
जनरल रावत से कांपते थे चीन-पाक
जनरल रावत चीन के मामलों के गहन विशेषज्ञ थे और चीन और पाकिस्तान के साथ सरहद पर चल रही तनातनी पर सरकार को लगातार सलाह देते थे. उनका मानना था कि देश किसी भी परिस्थिति में दबेगा नहीं. वह शत्रुओं को ईंट का जवाब पत्थर से देगा. चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद पर जनरल रावत ने कहा था कि 'लद्दाख में चीनी सेना के अतिक्रमण से निपटने के लिए सैन्य विकल्प भी है.
प्रवासी पक्षी कुरंजा पर छाया बर्ड फ्लू का संकट
जोधपुर जिले के कापरड़ा सेज के लवणीय क्षेत्र में दीपावली के दिन से कुरंजा की मौत का शुरू हुआ सिलसिला फिलहाल थमने का नाम नहीं ले रहा है. जबकि यह सिलसिला देवली नाडा, रामासनी तालाब, चांदीलाव, ओलवी, मामा नाडा बासनी आदि जलाशयों तक जा पहुंचा है. ऐसे में यक्ष प्रश्न खड़ा हो गया कि आखिर कुरंजा पक्षी की मौत का कारण क्या है?
देश में समान पाठ्यक्रम की आवश्यकता
हाल में सीबीएसई, आईसीएससी और राज्य शिक्षा बोर्डों में बंटी स्कूली शिक्षा को एक जैसा स्वरूप देने के लिए संसद की स्थायी समिति ने देशभर के स्कूलों के लिए समान पाठ्यक्रम विकसित करने का सुझाव दिया है. साथ ही शिक्षा मंत्रालय से कहा है कि वह इससे जुड़ी संभावना पर काम करें. स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले सभी विषयों को इसमें शामिल किया जाना चाहिए. समिति का कहना है कि इससे स्कूली शिक्षा में एकरूपता आएगी और देशभर के सभी स्कूली छात्रों का एक ही शैक्षणिक स्टैंडर्ड होगा. निश्चित रूप से यह कहा जा सकता है कि यदि समिति की इस सिफारिश पर गौर किया जाए तो भारत जैसे लोकतांत्रिक और विकासशील राष्ट्र के लिए यह कदम मील का पत्थर साबित होगा.
अमेरिकी नेतृत्व मलाला से तो मिला लेकिन इमरान को नहीं दे रहा टाइम
साल 2021 के अगस्त का मध्य. विश्व एक बड़े सत्ता परिवर्तन का साक्षी बना और ये परिवर्तन हुआ अफगानिस्तान में जहां राष्ट्रपति अशरफ गनी की सत्ता को न केवल कुख्यात आतंकी संगठन तालिबान ने चुनौती दी बल्कि उसे उखाड़ फेंका और काबुल पर कब्जा कर लिया. घटना का सबसे विचलित करने वाला पहलू अमेरिका था जिसने घटना पर वैसी प्रतिक्रिया नहीं दी जैसी उम्मीद आमतौर पर उससे की जाती है.अफगानिस्तान पर तालिबान को कब्जे करे ठीक ठाक वक़्त गुजर चुका है. जैसे हालात हैं अफगानिस्तान की स्थिति अच्छी नहीं है और मुल्क दशकों पीछे चला गया है. बात सबसे ज्यादा प्रभावित लोगों की हो तो महिलाएं और लड़कियां हैं. तालिबान पर लगातार यही आरोप लग रहा है कि वो लड़कियों और महिलाओं को शिक्षा तक से वंचित कर उनके मानवाधिकारों का हनन कर रहा है. इन्हीं गफलतों के बीच नोबेल पीस प्राइज विनर और पाकिस्तानी एक्टिविस्ट मलाला यूसुफजई द्वारा एक बड़ी पहल को अंजाम दिया गया है.