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देशी गाय के घी के उपयोग
• गाय का घी नाक में डालने से एलर्जी खत्म हो जाती है।
डिप्रेशन व्यर्थ की निराशाओं से बचे, परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढालना सीखें
विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सर्वे के अनुसार वर्तमान में दुनिया में करीब 27 करोड़ लोग अवसाद से ग्रसित हैं जो एक खतरनाक हेल्थ प्रॉब्लम का इंडिकेटर है। मनोविश्लेषकों का मानना है कि डिप्रेशन चिंता से शुरू होता है जो तनाव को जन्म देता है। इसके सबसे बदतर परिणाम के रूप में आत्महत्या की घटनाएं भी बड़ी तेजी से बढ़ रही हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार 15-29 वर्ष के लोगों में डिप्रेशन मृत्यु का दूसरा सबसे बड़ा कारण है।
कोरोना और हम
कोरोना-संक्रमण से उत्पन्न रोग वर्तमान दशक की सबसे बड़ी चुनौती के रूप में उभरा हैं जिसके सामने वर्तमान विकसित वैज्ञानिक युग ने घुटने टेक दिये हैं। कोरोना-संक्रमण मानवता को विश्राम भी नहीं लेने दे रहा है कि कोरोना का नये रूप में विषाणु प्रकट हो जाता है जो पूर्ववत् रूप से अधिक खतरनाक होता है।
कोविड वैक्सीन और विरोध की राजनीति
एक प्रगतिशील लोकतंत्र में विपक्ष की मौलिक भूमिका रचनात्मक आलोचना के साथ-साथ राष्ट्रीय हितो का संवर्धन है ना कि तुच्छ स्वार्थों की पूर्ति के लिए सरकार के सकारात्मक प्रयासों की नकारात्मक आलोचना कर लोगों को गुमराह करना है। ज्यादातर विपक्षी दलों ने कोविड वैक्सीन का पहले विरोध किया, नकारात्मकता फैलाकर लोगों को गुमराह किया फिर खुद वैक्सीन लगवाई।
इजराइल और फिलिस्तीन विवाद की जड़ें
इजराइल और फिलीस्तीन में एक बार फिर से संघर्ष छिड़ गया है और दोनों दिन-रात एक दूसरे पर रॉकेट दाग रहे हैं। पिछले दिनों शुरू हुए इस संघर्ष में अब तक 43 फिलिस्तीनियों और छह इजराइली नागरिकों की मौत हो चुकी है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों पक्षों से हमले रोकने की अपील कर रहा है।
हमास-इजराइल संघर्ष विराम कब तक?
इजराइल-हमास युद्ध में भारत का बौद्धिक और राजनीतिक समाज भी बंटा नजर आया। वामपंथी और समाजवादी विचारधारा के लोग जहां फिलीस्तीन पर हो रहे हमले को लेकर इजराइल को दोषी ठहराते रहे, वहीं राष्ट्रवादी विचारधारा का तर्क रहा कि इजराइल को अपनी रक्षा करने और अपने खिलाफ होने वाले हर हमले का जवाब देने का हक है। दिलचस्प यह है कि चूकि हमास के हमले में सौम्या संतोष मारी गई थीं, इसलिए केरल की वामपंथी सरकार ने ना तो उनके परिवार के लिए संवेदना के दो शब्द इस्तेमाल किये, ना ही उनके निधन के लिए हमास को जिम्मेदार ठहराया।
धर्म-निरपेक्षता बनाम धर्म-सापेक्षता
धर्म क्या है? यह प्रश्न सदैव महत्वपूर्ण रहा है। आज एक बार फिर इस पर चर्चा आवशक हो गयी है क्यूंकि हर कोई इसकी व्याख्या अपने-अपने ढंग से, अपनी सुविधा और स्वहित के अनुसार कर रहा है।
बंगाल में राजनीतिक हिंसा का तांडव
भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्वीट कर ममता बनर्जी पर हमला बोला। कहाकितने शर्म की बात है। आपमें इतना साहस आ गया कि पश्चिमी मेदिनीपुर में आप अपने लोगों को केंद्रीय मंत्री पर हमला करने के लिए उकसाती हैं। क्या यह फर्जी वीडियो है? संबित पात्रा ने आगे पूछा कि क्या आपने बंगाल को किलिंग फील्ड (हत्या का मैदान) में नहीं तब्दील कर दिया? आपके कार्यकाल में शासन प्रायोजित हिंसा का दौर पूरी दुनिया देख रही है। यहां यह जिक्र करना आवश्यक है कि शपथ लेने के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दावा किया था कि राज्य में हिंसा बर्दाश्त नहीं की जायेगी। जो भी हिंसा करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई होगी। अगले ही दिन जब प्रदेश भाजपा के पूर्व अध्यक्ष राहुल सिन्हा के साथ वी.मुरलीधरण पश्चिमी मेदिनीपुर पहुंचे, तब एक इलाके में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने उन पर हमला कर दिया।
मनोचिकित्सा बेशुमार संभावनाओं का कॅरियर
मनोचिकित्सक के रूप में करियर का कार्य आसान नहीं होता है। मानसिक रूप से परेशान, व्यथित, अवसाद और तनाव से ग्रस्त लोगों के मन को समझना और उनकी परेशानियों को सच्चे दिल से महसूस करना एक कठिन कार्य है। धैर्य और साहस इस करियर के मूलमंत्र हैं। इच्छुक उम्मीदवार में सेवाभाव के साथ आत्मविश्वास भी आवश्यक है। दूसरों के दुःख के साथ सच्ची सहानुभूति, उनके दर्द को सुनने के लिए धैर्य और संवेदनशीलता और भी आवश्यक है।
बदलते जम्मू-कश्मीर में सिमटता आतंक!
जम्मू-कश्मीर में चारों तरफ खुशियां उत्साह, बधाइयां, खाना-पीना, विकास, जीने की संभावनाओं के पंख लगना-जैसी मनोरम नई सुबह देखी जा सकती है। सुरम्य और मनमोहक कश्मीर में पूरी तरह शांति की बयार बहने लगी है, ट्यूलिप गार्डन में खिले फूल यही संकेत दे रहे हैं। केन्द्र सरकार के संकल्प एवं सुरक्षाबलों की मुस्तैदी के कारण सीमा पार से आतंकियों की घुसपैठ मुश्किल हो गई है। पाकिस्तान ने सीमा के आर-पार सुरंग खोदकर आतकियों की घुसपैठ की चाल चली, वह भी नाकाम की गई। सुरक्षाबलों ने एक के बाद एक चार सुरंगों का पता लगाकर उन्हें बंद कर दिया। आतंकवादियों के गिरते मनोबल का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि 2019 में जहां कुल 555 आतंकी घटनाएं हुई थीं, वहीं पिछले वर्ष केवल 142 घटनाएं ही दर्ज की गई।
बीते विधानसभा चुनावों के निहितार्थ
अप्रैल में हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में सिर्फ पश्चिम बंगाल की चर्चा होना स्वाभाविक है।
एक मुकम्मल कोरोना मुक्ति का ख्वाब
कोरोना महामारी ने भारत को अपने सबसे खराब और चुनौतीपूर्ण दौर में पहुंचा दिया है। अभी हम दूसरी लहर से निपटने में भी सक्षम नहीं हो पाये हैं कि तीसरी लहर की चुनौती की आशंका अधिक परेशान करने लगी है।
खेला होये गाछे (खेला हो गया)
चुनाव नतीजे अर्थात जनता का फैसला आ चुका है, ममता बनर्जी फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुकी हैं। अब अगले पांच साल तक वो फिर सूबे की सर्वेसर्वा हैं। लेकिन भाजपा ने जिस पैमाने पर इन चुनावों में अपने संसाधन झोंके थे, उसके पीछे बंगाल विजय की महत्वाकांक्षा सक्रिय थी। वह भले पूरी न हुई हो, लेकिन बंगाल से उसने अस्तित्व के संकट से जूझ रहे और आफत के दिनों में एकजुट हो चुके दो पुराने प्रतिद्वंद्वियों यानी वामपथियों और कांग्रेस को नेस्तनाबूद करने में कामयाबी जरूर हासिल की है। इस बार कांग्रेस और वामपंथ दोनों अपने पारम्परिक गढ़ में अगर जमीन खो चुके हैं तो इसलिए कि उसे भाजपा ने हथिया लिया है।
'बंगाल हिंसा, हिंसा न भवति'
बंगाल में ममता बनर्जी की जीत के बाद हिंसा का खतरनाक दौर चल रहा है। 20 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं। इनमें अधिकतर विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता बताए जा रहे हैं। केंद्रीय मत्रियों के काफिलों तक पर हमले हो रहे हैं। पर मुरव्यधारा का देशी और विदेशी मीडिया ऐसा लगता है कि चार तान कर सो रहा है। कल्पना कीजिये कि यदि ऐसा योगी के राज में उतर प्रदेश में हुआ होता तो अब तक सारे अखबारों के पहले पन्ने और टीवी चैनलों के बुलेटिन इन्हीं खबरों से भरे होते। वहां लोकतंत्र की मौत के कशीदे पढ़े जा रहे होते । पर बंगाल को लेकर ऐसा क्यों नहीं हो रहा? ये चितित करने और चिंतन करने की बात है।
राजस्थान उपचुनाव : उम्मीदवारों को सहानुभूति वोटों का मिला सहारा
देश के चार राज्यों और एक केन्द्र शासित प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव परिणाम तथा देश में कोरोना महामारी के कारण मचे हाहाकार के मध्य राजस्थान की तीन विधानसभाओं सीटों राजसमंद, सहाड़ा और सुजानगढ़ के लिए भी रविवार को मतगणना हुई।
कोरोना के प्रति सरकार अत्यंत संवेदनशील
कोरोना के खिलाफ देश आज फिर बहुत बड़ी लड़ाई लड़ रहा है। कुछ सप्ताह पहले तक स्थितियां संभली हुई थीं और फिर ये कोरोना की दूसरी वेव तूफान बनकर आ गई। जो पीड़ा आपने सही है, जो पीड़ा आप सह रहे हैं, उसका मुझे पूरा एहसास है। जिन लोगों ने बीते दिनो में अपनो को खोया है, मैं सभी देशवासियों की तरफ से उनके प्रति संवेदनाएं व्यक्त करता हूं। परिवार के एक सदस्य के रूप में, मैं आपके दुःख में शामिल हूं। चुनौती बड़ी है लेकिन हमें मिलकर अपने संकल्प, अपने हौसले और तैयारी के साथ इसको पार करना हैं।
कोरोना को परास्त करने हेतु कठोर होना होगा
बिगड़े हालात एवं अनियंत्रित होती परिस्थितियों में सबसे बड़ी जरूरत राजनीति करने की बजाय कोरोना महामारी पर काबू पाने के मिशान में एकजुट होने की है, एक सकारात्मक एवं सर्वमान्य सोच को विकसित करने की है। भले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जन-संबोधन में लॉकडाउन को अन्तिम हथियार के रूप में काम में लेने की बात कही, लेकिन त्रासदी बनते एवं मौत का तांडव रचते कोरोना को काबू में करने के लिये कुछ तो कठोर निर्णय लेने ही होंगे, भले ही उससे कुछ समय के लिये अर्थव्यवस्था बाधित हो। मुंबई में रात्रि कप! लगाते वक्त उद्धव ठाकरे ने कहा था कि हमें इससे भी कड़े कदम उठाने पड़ सकते हैं। वह जैसे लोगों को चेता रहे थे, भविष्य के गर्भ में क्या छिपा है, कौन जाने? फिलहाल दिल्ली, गुजरात, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तर प्रदेश सहित तमाम राज्यों के शहरों में रात्रि कप! एवं साप्ताहिक बंदी का एलान किया गया है, जो कोरोना की त्रासदी से लड़ने के लिए नितांत आवश्यक है।
चिरंजीवी भवः मुख्यमंत्री अशोक गहलोत
कोरोना के विकट समय में गहलोत सरकार की नई पहल चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना के लिए कुछ प्रतिपक्ष के नेताओं ने भी वक्तव्य जारी कर योजना की प्रशंसा की हैं। साथ ही प्रदेश की जनता मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लव-लरव बधाई देते हुए आशीर्वाद दे रहीं है कि गहलोत जी आप चिरंजीवी भवः
ओडिशा का जलियांवाला बाग कांड जरा याद करो कुर्बानी
पंजाब के जलियांवाला बाग जैसे नरसंहार की घटनाएं और भी कई जगहों पर हुई पर देश उनसे अपरिचित बना रहा। ऐसी अपरिचित नरसंहार की एक घटना ओडिशा के आदिवासी बहुल जिले सुंदरगढ़ में भी घटी थी। जलियांवाला बाग गोलीकांड के बीस साल बाद 25 अप्रैल, 1939 को ब्रिटिश पुलिस द्वारा किये गए नरसंहार में 49 से अधिक निरीह आदिवासी मारे गये थे। सैकड़ों घायल हुए। घटना के पचास वर्ष बाद तक भी स्थानीय लोगों के अलावा अन्य लोग इस त्रासदीपूर्ण घटना से अनभिज्ञ थे। किन्तु कुछ आदिवासी कार्यकर्ताओं, स्वर्गीय विधायक धनंजय महाति, स्वर्गीय प्रोफेसर डी एन सिंह, स्वर्गीय किशुन साहू, महावीर अग्रवाल जैसे लोगों ने इस घटना की स्मृति को जीवित बनाये रखा।
कोरोना 2.0 हाल बेहाल
कोरोना की दूसरी लहर तेजी से लोगों को अपना शिकार बना रही है। इससे लोग हैरान-परेशान हैं। इस साल फरवरी की शुरुआत में कोरोना की महामारी कमजोर पड़ती दिख रही थी। लोग राहत की सांस ले रहे थे। रोजाना नए मामलों की संख्या काफी घट गई थी। एक्टिव मामलों की संख्या बहुत कम रह गई थी। फिर, अचानक कोरोना की दूसरी लहर ने पांव पसारना शुरू कर दिया। आखिर इस दूसरी लहर की वजह क्या है?
कोरोना काल में स्वास्थ्य ढांचा चरमराया
कोरोना की वैक्सीन की खोज ने भारत की जो साख दुनिया में बनाई थी; वैक्सीन डिप्लोमेसी के जरिए कनाडा, ब्राजील, भूटान, नेपाल, मालदीव, श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान तक को वैक्सीन भेजकर भारत ने अपना जो लोहा मनवाया था, कोरोना की दूसरी लहर के चलते वह ध्वस्त हो गया। बहरहाल भारत को अब ऑक्सीजन देने के लिए जर्मनी, सिंगापुर जैसे देश सामने आए हैं। इससे उम्मीद की जानी चाहिए कि आने वाले दिनों में हम संकट पर काबू पा लेंगे।
आईपीएल में करियर कामयाबी राहे आसान नहीं
यदि आप भारत के लिए क्रिकेट खेलने के अपने सपने को पूरा नहीं कर पाते हैं तो ऐसी स्थिति में भी यह आपके सपनों की दुनिया का अंत नहीं है। वर्तमान में क्रिकेट के लेटेस्ट एडिशन के रूप में आईपीएल (इंडियन प्रीमियर लीग) सबसे चर्चित है। आठ टीमों वाली आईपीएल टूर्नामेंट में टी-20-लिमिटेड एडिशन मैच खेले जाते हैं, जिसकी शुरुआत बीसीसीआई के द्वारा 2007 में की गयी थी। इसमें खिलाड़ियों का चयन टीम के फ्रेंचाइजी के द्वारा मुख्य रूप से रणजी ट्राफी की टीमों से ऑक्शन के आधार पर किया जाता है।
भगवान रामचंद्र के जीवन में पशु-पक्षियों की भूमिका
भगवान रामचंद्र जी के व्यक्तित्व का वर्णन मानवीय अनुभौतियों, आदर्शो और सर्वगुण संपन्न व्यक्ति के रूप में किया गया है।
बंगाल में कोरोना का कहर जारी
बंगाल सरकार लोगों को सतर्क रहने की नसीहत दे रही हैं, मगर फिर भी कुछ लोग लापरवाही बरत रहे हैं। इसलिए पुलिस ने ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाना शुरू कर दिया है। जगह-जगह अभियान चलाकर बिना मास्क पहन घूमने वाले लोगों को गिरफ्तार किया जा रहा है। जुर्माना लगाया जा रहा है। जिले के विभिन्न इलाकों में पुलिस कार्रवाई की जा रही है। कालचीनी थाना की पुलिस ने क्षेत्र की सड़कों व बाजारों में अभियान चलाया और बिना मास्क पहन घूमने वाले आठ लोगों को गिरफ्तार किया। थाना प्रभारी अनिर्बान मजूमदार ने बताया कि जागरूकता कार्यक्रम के माध्यम से हम बार-बार लोगों को जागरूक कर रहे हैं, मगर कुछ लोग ऐसे हैं जिन्हें अपनी कोई परवाह नहीं है।
स्वास्थ्य मंत्रालय की सटीक प्लानिंग
स्वास्थ्य मंत्रालय की सटीक प्लानिंग
नागरिकता संशोधन का तर्कहीन विरोध
नागरिकता संशोधन का तर्कहीन विरोध
केजरीवाल की नयी राजनीतिक ताकत का सबब
केजरीवाल को मिला स्पष्ट बहुमत किसी नये ध्रुवीकरण का संकेत दे रहा है। जो-जो मुद्दे सभी राजनैतिक दलों ने उठाये, वे मोटे रूप में चुनावी थे। अब सभी दलों को पूर्वाग्रह छोड़ देना चाहिए। अन्यथा देश की राजनीति को बहुत दूर तक नहीं ले जा सकेंगे। हमारा राष्ट्रीय जीवन विविधता की एक चुनरी है। उसके इस रूप को खूब ठण्डे दिमाग से समझना होगा व सुरक्षित रखना होगा। अब तक का इतिहास बताता है कि देश की जनता ने एकदम बायां या एकदम दायां कभी स्वीकार नहीं किया। न नेता के रूप में न ही नीति के रूप में।
घरेलू महिलाओं के श्रम का आर्थिक मूल्यांकन
अभी हाल ही में दावोस में हुए वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम में ऑक्सफैम ने अपनी एक रिपोर्ट 'टाइम टू केयर' प्रस्तुत की, जिसमें उसने घरेलू औरतों की आर्थिक स्थितियों का खुलासा करते हुए दुनिया को चौंका दिया है।
कोरोना से चीन को समाजिक और आर्थिक झटका दुनिया को संदेश भी ...
जिस तरह जर्मनी में 1892 में फैली हैजे की बीमारी को पहले दबाया गया, कुछ इसी तरह चीन ने भी कोरोना संक्रमण को मानने से इनकार कर दिया। कोई भी महामारी काफी महंगी पड़ती है क्योंकि इससे व्यापार रुक जाता है, और अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचता है। माना जा रहा है कि कोरोना वायरस की चेतावनी देने वाले आंखों के डॉक्टर ली वेनलियांग की चेतावनी को चीन सरकार ने अनसुना कर दिया था। यहां तक कहा जा रहा है कि उन्हें प्रताड़ित भी किया गया। यह बात और है कि बाद में चीन को स्वीकार करना पड़ा कि वहां कोरोना वायरस का हमला हो गया है।
आखिर किया सीएए का समर्थन
सीएए पर राह भटकी कांग्रेस पार्टी आखिर सही रास्ते पर आ गयी। गांधी, नेहरू, मनमोहन सिंह द्वारा विगत में पाकिस्तान, अफगानिस्तान में रह रहे अल्पसंख्यकों (हिन्दु, सिक्ख, पारसी, ईसाई, बौद्ध, जैन) को प्रताड़ित किये जाने पर भारत में बसाये जाने की बात जब खुल कर सामनें आ गयी तो कांग्रेस बैकफुट पर आ गयी और नागरिकता कानून संशोधन का समर्थन करने लगी। राज्यसभा में पार्टी के नेता गुलाम नवी आजाद ने कहा कि:-