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महामारी ने दे दिए बड़े सबक
समस्या के हल को लेकर भारत के नजरिए ने कोविङ-19 की जंग में मदद की. अब आगे उसे स्वास्थ्य पर प्रति व्यक्ति खर्च बढ़ाने, नई बीमारियों और उससे जुड़ी चिंताओं को प्राथमिकता के आधार पर पहचानने, उससे निबटने को एक अलग कार्यबल बनाने, प्राथमिक स्वास्थ्य के स्तर पर डिलिवरी सिस्टम मजबूत करने और बीमारियों से लड़ने को तकनीक का इस्तेमाल अपनी ताकत बढ़ाने के संदर्भ में करने की जरूरत
महामारी के बाद की दुनिया के लिए पांच सबक
महामारी के बाद थोड़ी कम एकध्रुवीय, ज्यादा डिजिटल और पहले से अधिक तेज गति से चलती दुनिया हमारा इंतजार कर रही है. लेकिन इस परिवर्तन के कारण पैदा हुआ तनाव और बढ़ी हुई असमानता, अंतरराष्ट्रीय सहयोग की ओर लौटने की मांग भी करेगी
कैसे बचाई जाए जान
कोविड वैक्सीन
आर या पार का साल
साल 2021 में नरेंद्र मोदी के कामकाज से यह तय होगा कि वे राजनीतिज्ञ की तरह उभरेंगे या फिर उनके लिए 2024 की राह मुश्किल हो जाएगी. विपक्ष के लिए भी शायद यह आखिरी मौका होगा कि वे एकजुट होकर मोदी का विजय रथ रोक लें
क्रांति तो डिजिटल से ही होगी
जब सामान्य मीडिया सक्रियता थम गई थी, उद्यमियों और सृजनशील लोगों की एक नई पीढ़ी ने आगे बढ़कर कमान संभाल ली लेकिन डिजिटल ग्रोथ के अवसरों को विचारहीन नियम-कायदे बर्बाद कर सकते हैं
अब परिदों की शामत
संहार बर्ड फ्लू की वजह से केरल में 5 जनवरी को बत्तखों को मारने के लिए पकड़ते स्वास्थ्य कर्मचारी
श्मशान में भी भ्रष्टाचार
उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर मुरादनगर के श्मशान घाट पर 3 जनवरी की सुबह बंबा रोड, संगम विहार निवासी एक बुजुर्ग की अंतिम यात्रा करीब साढ़े 11 बजे पहुंची थी.
महामारी में बने मसीहा
सोनू सूद, 47 वर्ष अभिनय में भले वे उतने कामयाब न हो पाए हों लेकिन कोरोना महामारी के दौरान परेशान प्रवासियों की जिस तरह से उन्होंने मदद की, उसने उन्हें जनता के बीच एक आदर्श बना दिया
पढ़ाई का दुर्गम मोर्चा
कोविड की वजह से लगाए गए लॉकडाउन में बंद स्कूलों और ऑनलाइन पढ़ाई के बेअसर होने से शिक्षा व्यवस्था तबाही के कगार पर
जिंदगी-मौत का संघर्ष
2020 ऐसे साल के तौर पर याद किया जाएगा जब भारत की स्वास्थ्य सेवा को कड़े इम्तिहान से गुजरना पड़ा और किस तरह उसने इस अभूतपूर्व चुनौती का बेहतरीन मुकाबला किया
नए अंदाज में काम-काज
महामारी की चुनौती को देखते हुए संस्थानों को अपनी कार्यशैली को लेकर पुनर्विचार करना पड़ा और रणनीतियों में बदलाव करते हुए काम-काज की एक नई परिपाटी शुरू करनी पड़ी
दृढ़ और अटल
नरेंद्र मोदी, 70 वर्ष भारत के प्रधानमंत्री ने, एलएसी पर चीनी अतिक्रमण से जूझते हुए, कोविड महामारी की अभूतपूर्व स्वास्थ्य और आर्थिक चुनौती के बीच कुशलता से देश की अगुआई की
कोविड पार संसार
देश दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे बुरे हाल में, आपदा बेशक अवसर में बदल सकती है, बशर्ते कारोबारी तौर-तरीकों में बुनियादी बदलाव लाया जाए
विराट विध्वंसक
एक अदना-से वायरस ने दुनिया को एकाएक पूरी तरह से पंगु बनाकर रख दिया, जिंदगी उलट-पुलट कर डाली. कोविड-19 ने अकेले अपने दम पर 2020 को एक ऐसे साल में तब्दील कर दिया, जिसके बारे में कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था
"मेरे जैसी शुरुआत का कोई सपना ही देखता है..
अदाकारा को ओम शांति ओम (2007) में अभिनय के साथ उच्चारण के लिए भी आलोचना झेलनी पड़ी पर इससे उनमें कामयाब होने का जज्बा पैदा हुआ
कौन जीता, किसकी हार
वर्ष 2019 में 19 अगस्त को अनुच्छेद 370 के हटाए जाने और जम्मू और कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन के बाद, जिला विकास परिषद (डीडीसी) चुनाव यहां पहला बड़ा चुनावी अभ्यास था. 280 डीडीसी निर्वाचन क्षेत्रों में आठ चरणों में हुए मतदान में कड़ाके की सर्दी के बीच लोगों की अच्छी भागीदारी देखी गई.
"लॉस एंजेलिस में सब कुछ था मेरे पास...
ऑस्कर और ग्रैमी अवार्ड विजेता इस संगीतकार ने लॉस एंजेलिस में पांच साल बिताने के बाद लौटकर 99 एकड़ में अत्याधुनिक सुविधाओं वाली वाइएम स्टुडियोज नाम की फिल्म सिटी खोली. अपने वाइएम मूवीज बैनर पर फिल्में भी बनानी शुरू की
...हालात का रुख मोड़ दिया
कोई वाकया या कोई हादसा, किसी मोड़ पर मिली नाकामी या वंचना... हमारी जिंदगी के ढर्रे को इनमें से कोई भी गढ़ या फिर बदल सकता है. इस विशेषांक में हमने 45 ऐसी शख्सियतों से यह जानने की कोशिश की कि उनके जीवन के सफर का सबसे निर्णायक मोड़ आखिर कौनसा था और उन्होंने सफलता के लिए क्या तरीके अपनाए
"हम इत्तेफाकन उद्यमी बने...
जब रामदेव 2000 में पहली बार टीवी पर आए और धार्मिक चैनल पर बड़ी संख्या में उनके अनुयायी बने; उन्होंने और आचार्य बालकृष्ण ने 2006 में पतंजलि आयुर्वेद की स्थापना की
"मेरी और रिलायंस की जिंदगी में निर्णायक मोड़ उस वक्त आया जब भारत ने आर्थिक सुधार अपनाए...
1991 के सुधारों की बदौलत मुकेश अपने पिता धीरूभाई अंबानी का वह सपना साकार कर पाए जिसमें वे भारतीयों को विश्वस्तरीय और वैश्विक पैमाने के कारोबार खड़ा करते देखते थे. आगे चलकर मुकेश ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड को भारत की सबसे मूल्यवान, 172 अरब डॉलर की कंपनी बना दिया और कई प्रमुख क्षेत्रों में इसे बाजार की अगुआ कंपनी के तौर पर खड़ा कर किया
"गोली टखने में लगी और छरों ने हाथ बींधा...
1993 में पाकिस्तानी गोलाबारी में घायल होने के बावजूद न तो सेना में अपने करियर को प्रभावित होने दिया और नही अपने जीवन को
"मेरे पास सिर्फ 30 रु.ही बचे थे...
संस्थापक और सीईओ, ओयो रूम्स 10 अरब डॉलर का अनुमानित कारोबार, दुनिया के 80 देशों में फैले 43,000 होटलों और 1,50,000 वैकेशन होम्स का नेटवर्क तैयार किया
"प्रोफेसर ने मुझे एमआइटी जाने की सलाह दी...
एमआइटी जाने के उनके फैसले ने उन्हें अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी का अध्ययन करने के लिए प्रेरित किया. बाद में वे इसरो से जुड़ गए और वहां उन्होंने प्रक्षेपक वाहन प्रणालियों के निर्माण में शानदार मुकाम बनाया तथा संस्थान के अध्यक्ष भी बने
मैंने कालीघाट में गरीबों के बीच काम किया...
सोशल वॉलंटियर के अपने काम से उनकी सोच बनी और उन्हें सरकार में अंधाधुंध भ्रष्टाचार से लड़ने तक ले गई. उन्होंने आइआरएस छोड़कर एनजीओ बनाया ताकि लोगों की शिकायतों का हल निकल सके. इसी से आम आदमी पार्टी की बुनियाद पड़ी
विंध्य पार का विजय अभियान
मजबूती से अपने पांव जमाकर बैठे राजनैतिक दलों के किले ध्वस्त करने के इरादे के साथ भाजपा एक सधी कार्ययोजना लेकर चल रही
विधानसभा की कार्यवाही की न्यूनतम समयसीमा तय हो
दिल्ली की देहरी पर किसानों ने डेरा डाला हुआ है. संसद में कथित रूप से हड़बड़ी में पारित किए गए कृषि कानूनों को लेकर किसान आंदोलित हैं. इतनी गरमागर्मी के बावजूद संसद का शीतकालीन सत्र बुलाया ही नहीं गया. मिनी संसद मानी जाने वाली संसदीय समितियों में भी राजनैतिक विभाजन बढ़ता दिख रहा है. इस बीच विधानसभाओं के पीठासीन अधिकारियों की तटस्थतानिष्पक्षता पर भी बार-बार सवाल उठे हैं, खासकर दलबदल कानून से जुड़े फैसलों को लेकर. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत की संसद के निचले सदन लोकसभा के अध्यक्ष होने के नाते ओम बिरला का इन मुद्दों से गहरा वास्ता है. राजस्थान के कोटा संसदीय क्षेत्र से दूसरी बार सांसद और संसदीय समितियों से जुड़े रहे बिरला सदनों की कार्यवाही सुचारु रूप से चलाए जाने को लेकर भी फिक्रमंद हैं. इंडिया टुडे के संपादक अंशुमान तिवारी और असिस्टेंट एडिटर सुजीत ठाकुर के साथ ऐसे कई मसलों पर उन्होंने सुचिंतित ढंग से बातचीत की. सदनों की कार्यवाही लगातार बाधित होने के संदर्भ में उनका सुझाव था कि कार्यवाही चलने की न्यूनतम समयसीमा तय होनी चाहिए. प्रस्तुत हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंशः
मोहब्बत और नफरत
बलपूर्वक या छलपूर्वक, विवाह के लिए हुए धर्म परिवर्तन को उत्तर प्रदेश ने एक कानून बनाकर प्रतिबंधित कर दिया है. विशेषज्ञों के मुताबिक, यह किसी युगल को संविधान से मिले अधिकारों का अतिक्रमण करता है
दम है तो लगाओ 356
पश्चिम बंगाल राष्ट्रपति शासन की बहस
पहिए हो गए जाम
लॉकडाउन के बाद सड़क परिवहन उद्योग को भी भारी चोट पहुंची और ट्रकों-बसों के मालिक गहरे वित्तीय संकट में डूब गए. तो आखिर कब तक सुधर सकेंगे हालात?
तीनों सेनाओं में बढ़ा तालमेल
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ और डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स ने बेहद चुनौतीपूर्ण समय में अपना एक साल पूरा किया है. सवल उठता है कि क्या भारत को जरूरत के मुताबिक एकीकृत सैन्य ढांचा मिल सका है?