CATEGORIES
فئات
हाथ से फिसलते हालात
विपक्ष के दिलेरगठबंधन ने पहली बार, इमरान खान की सरकार पर हमला किया है और अना-की र्भातही धारणा गया आखिर यह सब कहाँ जाकर खत्म होगा?
मोदी का जादू बरकरार
भाजपा की जीत उसकी अपने सहयोगी दलों के बीच सौदेबाजी की क्षमता बढ़ाएगी और साल 2021 के महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं को एक नई ऊर्जा देगी
जीते पर बेचैन
छह बार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शायद अपनी उम्मीद के मुताबिक विजयी धूम-धड़ाके के साथ सत्ता में नहीं लौट पाए. उनकी गद्दी के पीछे भाजपा बड़े भाई के तौर पर हो सकती है असल ताकत
तीन साल और सरकार
मध्य प्रदेश के 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनावों में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जोरदार जीत ने राज्य में अगले तीन साल तक भगवा पार्टी के राज को निष्कंटक कर दिया है.
पंजाब ने बढ़ाया दबाव
पंजाब विधानसभा ने 20 अक्तूबर को चार विधेयक पारित किए, जिनमें तीन राज्य के किसानों को केंद्र के नए कृषि कानूनों फारमर्स प्रोड्यूस ट्रेड ऐंड कॉमर्स (प्रमोशन ऐंड फैसिलिटेशन) ऐक्ट, 2020, फारमर्स (एंपावरमेंट ऐंड प्रोटेक्शन) एग्रीमेंट ऑन प्राइस एश्युरेंस ऐंड फार्म सर्विसेज ऐक्ट,2020, और एसेंशियल कमोडिटीज एमेंडमेंट बिल, 2020-के प्रतिकूल प्रभाव से बचाने के लिए पेश किया गया. चौथा विधेयक कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर (सीपीसी) में संशोधन के लिए है ताकि अपनी शिकायतों के लिए किसान सिविल अदालतों का दरवाजा खटखटा सकें. इन कानूनी कदमों ने अमरिंदर सिंह सरकार और भाजपा शासित केंद्र सरकार को टकराव के रास्ते पर खड़ा कर दिया है.
क्या हमें मिल पाएगी?
नवंबर की 10 तारीख को जब दुनिया फाइजर और बायोएनटेक के एमआरएनए आधारित टीके को तीसरे चरण के ट्रायल में 90 फीसद प्रभावी पाए जाने का जश्न मना रही थी, भारत के चुनौतीपूर्ण स्वास्थ्य ईकोसिस्टम के कई छोटे खिलाड़ी सोच में थे कि क्या वे कभी इस टीके की उपलब्धता का हिस्सा बन पाएंगे.
सौदों में अटकी सांस
सरहद पर चीन के साथ जारी संकट के बीच रक्षा मंत्रालय चार बेहद अहम हथियार प्रणालियों की खरीद को आगे बढ़ाने के लिए हरकत में आया. मगर कई सारी वजहों से जल्दी हासिल कर पाना मुश्किल
सड़कों का बादशाह रेडिऑन
हम नोएडा से हरियाणा के सुदूर हिसार के एक गांव तक के लंबे सफर के लिए टीवीएस रेडिऑन को चुना.शानदार फ्यूल इंजेक्शन से लैस नया बीएस 6 रेडिऑन ने साबित किया कि वह खासतौर से ऐसे सफर के लिए बना है.
सफलता की सीढ़ी पर
वे आसानी से हार मानने वाली नहीं हैं, फातिमा सना शेख धीरे-धीरे लेकिन मजबूती से इस गलाकाट उद्योग में अपनी जगह बना रही हैं
हर औजार आजमाया
तेजस्वी के नेतृत्व में राजद ने वापसी का दम दिखाया तो प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी
रफ्तार का इंतजार
बस स्टॉप पर जमा भीड़ मुंबई और इसके उपनगरों में दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. भरी बसें आजा रही हैं और बहुत कम लोग ही इसमें चढ़ पाते हैं. लोगों में हताशा बढ़ती जा रही है, लेकिन मुसाफिरों के पास विकल्प कम ही हैं.
नई शुरुआत की वेला
अमेरिका में जो बाइडन-कमला हैरिस प्रशासन के आखिर भारत और पूरी दुनिया के लिए क्या हैं मायने
मेहनत से संतुष्ट कमलनाथ
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ (73 वर्ष) 3 नवंबर को उपचुनावों से पहले दिनचर्या के तहत अपने हेलिकॉप्टर में सवार होकर हर रोज 2-3 निर्वाचन क्षेत्रों में जनसभा को संबोधित करने निकल जाते थे.
दिवाली पर लगा दांव
नवरात्र से शुरू हुए त्योहारों के मौसम में बिक्री उछली तो जरूर लेकिन उम्मीद के मुताबिक नहीं, इसलिए कारोबार अभी आस लगाए बैठा
ठीक नहीं इतनी नजदीकी!
नवंबर की पहली तारीख को जब केरल ने महीनों बाद अपने समुद्र तटों को आम लोगों के लिए खोला, तब राज्य में 89,675 सक्रिय कोविड केस थे और यह संख्या महाराष्ट्र के बाद देश में सर्वाधिक थी.
अड़ंगों की अमरबेल
धन की व्यवस्था के लिए केंद्र सरकार की ऐसी छटपटाहट पहले कभी नहीं दिखी थी. अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए राजकोषीय प्रोत्साहन का कोलाहल लगातार बढ़ रहा है और सरकार को कोविड-19 महामारी के प्रबंधन पर हो रहे खर्च से इतर लेकिन अपरिहार्य व्ययों के लिए संसाधन भी तलाश करने होंगे.
चुनावी इलाज!
अक्सर वादे मुफ्त होते हैं, खासकर चुनावी अभियानों के, जिनमें जनता की जेब पर कोई भार न डालने से जुड़ा ऐलान हो. निर्मला सीतारमण की ओर से 22 अक्तूबर को बिहार के सभी नागरिकों के लिए कोविड का टीका निःशुल्क देने का वादा एक ऐसी ही घोषणा थी. मुफ्त टीका का जुमला भाजपा के घोषणापत्र में भी शामिल है और किसी भी सूरत में इसका भार केंद्र के खजाने पर नहीं पड़ेगा. स्वास्थ्य राज्य का विषय है और केंद्र उसके खर्च का एक हिस्सा मात्र वहन करता है.
कविता की तरक्की
कठिन का अखाड़ेबाज भिन्न-भिन्न समयों पर साहित्य-संस्कृतियों के विषयों पर लिखी गई व्योमेश शुक्ल की टिप्पणियों का संग्रह है. इनमें यूं तो बिस्मिल्ला खां, किशन महाराज से लेकर बनारस की रामलीला तक कई तरह के विषय शामिल हैं, पर पुस्तक का ज्यादातर हिस्सा समकालीन आधुनिक कविता पर एकाग्र है, जिनमें निराला, शमशेर से लेकर कुंवर नारायण, अशोक वाजपेयी, असद जैदी तक शामिल हैं.
त्योहारों में महंगाई बम
सत्तर रुपए किलो प्याज और 52 रुपए किलो आलू खरीदकर लौट रहे गाजियाबाद निवासी अजय कुमार इसी गुणा गणित में लगे हैं कि त्योहारों के बीचोबीच फल, सब्जियों की महंगाई कहीं बजट न बिगाड़ दे.
कृषि क्रांति
मोदी सरकार की ओर से कृषि सुधार के लिए लाए गए उपायों को आखिर किस तरह से कारगर बनाया जाए
ऐन वक्त पर क्यों बदली रणनीति
महत्वपूर्ण विधानसभा उपचुनाव से कुछ दिन पहले भाजपा ने अपने अभियान की रणनीति बदल दी है. सत्तारूढ़ पार्टी के रूप में उसके पास बढ़त है लेकिन क्या टीम शिवराज-सिंधिया ने हर मोर्चे को चाक-चौबंद कर लिया है?
दूसरी लहर का डर?
सर्दी की दस्तक और कोविड नियमों को लागू करने में कोताही के फलस्वरूप कोविड की दूसरी लहर शुरू हो सकती है. भारत को समय रहते सतर्क हो जाना चाहिए
सत्ता-विरोधी लहर पर सवार!
एनडीए को टक्कर देने के लिए तेजस्वी के सामने राजद के पारंपरिक मुस्लिम-यादव समीकरण से बाहर निकलने की चुनौती
सबको नंगा करती एक चादर
सर्दियां हर साल अपने साथ कई जाने-पहचाने त्योहार और उत्सव लेकर आती है. पूरे भारत में यह त्योहारों के मौसम की शुरुआत होता है.
एड-टेक का जमाना
जब कोविड-19 की वजह से देशभर में लॉकडाउन लगा तो यह कहर की तरह टूटा और अर्थव्यवस्था के हर क्षेत्र में पर इसका असर हुआ. नतीजतन, मौजूदा वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि दर में 23.9 फीसद की सिकुड़न देखने को मिली.
कैसे मंडराए ड्रोन के झुंड
हथियारबंद ड्रोन के मामले में पीछे सशस्त्र बलों ने आयात के जरिए इसकी भरपाई के लिए तेज कदम बढ़ाया, मगर कठिन सवाल यही है कि इस बेहद जरूरी प्लेटफॉर्म के स्वदेशी निर्माण का इंतजाम करना अनिवार्य
जीत की जोड़ी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करिश्मे की ताकत के साथ सत्ता विरोधी लहर से निबटकर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री के रूप में एक और मौका पा सकते हैं. लोकनीति-सीएसडीएस का जनमत सर्वेक्षण तो यही कहता है
जगन बनाम जज
जगन रेड्डी ने शीर्ष न्यायपालिका पर पक्षपाती और भ्रष्टाचारी होने का आरोप लगाते हुए उसके खिलाफ सीधा मोर्चा खोल दिया
दूसरी लहर के लिए तैयारी
इधर जाकर कुछ दिनों से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अफसर थोड़ी राहत की सांस ले रहे हैं. महीनों तक अस्पतालों में बिस्तरों की कमी, कोविड के दुरूह लक्षणों और एक अरब से ज्यादा आबादी वाले देश में इस बीमारी के संपर्क में आने वाले लोगों का पता लगाने की कठिनाइयों से जूझने के बाद आखिरकार कोविड के मामलों में गिरावट आनी शुरू हो गई है.
उनके पास ताकत है
महामारी में यह संभावना होती है कि वह राजनैतिक सत्ता को सर्वव्यापी बना दे या एक नई व्यवस्था की ओर बढ़ने का संकेत दे दे. पर मजे की बात है कि कोविङ-19 ने सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्ष दोनों की सियासी पूंजी में इजाफा किया है.