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सूर्य का पूजन और अर्घ्य क्यों ?
अग्ने कविर्वेधा असि। ‘हे ज्ञानस्वरूप प्रभो ! तू क्रांतदर्शी (सर्वज्ञ) और कर्मफल-प्रदाता है।' (ऋग्वेद)
महामुर्ख में से कैसे बने महाविद्वान ?
तुम्हारे भीतर इतना सामर्थ्य छुपा हुआ है कि जिसके आगे इन्द्र भी रंक जैसा है।
पूज्य बापूजी का स्वास्थ्य-प्रसाद
ईश्वर की प्राप्ति में जो सहायक है वह करते हो तो वह सेवा है ।
उत्तरायण ध्यानयोग शिविर पर आया पूज्य बापूजी का पावन संदेश
जो शिविरार्थी हैं उन सभीको मेरी तरफ से धन्यवाद दे देना, ध्यान रखना उनके खाने-पीने, रहने का। यह उनको बता देना कि भगवान शिवजी पार्वतीजी को कहते हैं:
इसका नाम है आत्मसाक्षात्कार
जिज्ञासु साधकों को अपने परम लक्ष्य आत्मसाक्षात्कार' का सुस्पष्ट तात्पर्य-अर्थ जानने की बड़ी जिज्ञासा रहती है, जिसकी पूर्ति कर रहे हैं करुणासिंधु ब्रह्मवेत्ता पूज्य बापूजी :
इनके ऋण से हम कैसे उऋण हो पायेंगे ?
'हे विद्वानो ! आपकी उपदेश-वाणियों से प्रेरित होकर हम कानों से सदा कल्याणकारक एवं सुखकर वचनों को सुनें।'
सुख-दुःख ईश्वर ने बनाया कि जीव ने ?
अभि श्रव ऋज्योनतो वहेयुः। (ऋग्वेद)
बड़प्पन किसका ?
संकट में घबराओ नहीं संसार तो तुम्हारी परीक्षा है।
पूरी दुनिया में एक अजूबा है यह कार्यक्रम
रायपुर से हम जगन्नाथपुरी गये । जिस होटल में रुके थे वहाँ से पता चला कि यहाँ आशाराम बापू का आश्रम भी है । जगन्नाथजी के दर्शन कर हम आश्रम पहुँच गये ।
पुण्य कब परम कल्याणकारी होता है ?
पुण्य और पाप प्रकृति में हैं, जीवात्मा के शुद्ध स्वरुप में नहीं।