प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले कुछ महीनों के दौरान गुजरात में अपनी हर चुनावी रैली में यह भविष्यवाणी करते रहे हैं, "भूपेंद्र नरेंद्र के रिकॉर्ड को तोड़ देंगे. "अंततः उनकी बात सच साबित हुई. अपने सरल स्वभाव के लिए जाने जाते रहे राजनीतिज्ञ मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल इस कुर्सी पर ऐसे समय में आसीन थे जब एक कीर्तिमान इतिहास के पन्नों में दर्ज होने की तैयारी कर रहा था. 8 दिसंबर का दिन चढ़ने से पहले तक यह भविष्यवाणी सच होती दिखने लगी थी जब भाजपा ने रुझानों में 130 सीटों के आंकड़े को पार कर लिया. (इससे पहले मोदी के नेतृत्व में पार्टी ने 2002 के विधानसभा चुनाव में 127 सीटें हासिल की थीं और यह पार्टी का अब तक का सर्वोच्च स्कोर था) लेकिन जल्द ही यह रिकॉर्ड भी स्पष्ट रूप से पीछे छूटता दिखने लगा और दिन खत्म होते-होते भाजपा ने गुजरात के गठन के बाद के सारे के रिकॉर्ड धराशाई करते हुए एक नए स्तर को छू लिया. 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में 156 सीटों पर कमल खिल गया. इससे पहले माधवसिंह सोलंकी ने 1985 में अपने खाम फॉर्मूले से कांग्रेस के लिए 149 सीटों का रिकॉर्ड बनाया था. कोई आश्चर्य नहीं कि ऐसी अभूतपूर्व जीत के बाद अहमदाबाद में भाजपा कार्यालय में हुआ गरबा, शादियों के मौसम में शहर की सड़कों पर होने वाली मस्ती का मुकाबला कर रहा था.
दूसरी तरफ कांग्रेस कार्यालय में सन्नाटा पसरा रहा. उधर जैसे-जैसे पार्टी के प्रत्याशियों की बढ़त की खबरें आने लगीं, आप कार्यकर्ता काफी उत्साहित दिख रहे थे. आप प्रवक्ता योगेश जादवानी ने कहा, "यह 2027 के लिए हमारा पूर्वाभ्यास है. विधानसभा में हमारी संख्या जो भी हो, हम मुख्य विपक्षी पार्टी बनने की कोशिश करेंगे." करीब एक दशक पुरानी पार्टी सिर्फ पांच सीटें जीत सकी, लेकिन 36 में दूसरे स्थान पर रही और कांग्रेस को तीसरे स्थान पर धकेल दिया. गुजरात के हालिया वोटिंग पैटर्न में एक खास बात यह रही कि शहरी क्षेत्रों में जहां भाजपा का वर्चस्व रहा है तो ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस मजबूत रही है. चूंकि लगभग 45 प्रतिशत आबादी अब शहरी है तो भाजपा ने उस आधार को मजबूत करने के साथ-साथ ग्रामीण क्षेत्रों पर नजर जमाई.
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होशियार! गठरी में लगे महा डिजिटल ढंग
अमूमन दूसरे देशों के ठिकानों से साइबर अपराधी नेटवर्क अब टेक्नोलॉजी और फंसाने के मनोवैज्ञानिक तरीकों से जाल बिछाकर और फर्जी पुलिस और प्रवर्तन अफसरों का वेश धरकर सीधे सरल लोगों की जीवन भर की जमा-पूंजी उड़ा ले जा रहे
कुछ न कर पाने की कसक
कंग्रेस ने 16 दिसंबर, 2023 को जितेंद्र 'जीतू' पटवारी को मध्य प्रदेश का अपना नया अध्यक्ष बनाने का ऐलान किया था.
पुलिस तक पर्याप्त नहीं
गुजरात के तटीय इलाके में मादक पदार्थों की तस्करी और शहरी इलाकों में लगातार बढ़ती प्रवासी आबादी की वजह से राज्य पुलिस पर दबाव खासा बढ़ गया है. ऐसे में उसे अधिक क्षमता की दरकार है. मगर बल में खासकर सीनियर अफसरों की भारी कमी है. इसका असर उसके मनोबल पर पड़ रहा है.
आग से निबटने के इंतजाम धुआं
झांसी मेडिकल कॉलेज में आग की चपेट में आने से 12 नवजात शिशुओं की मौत ने अस्पतालों के सुरक्षा प्रबंधों पर गंभीर सवाल खड़े किए
तकनीक के नए क्रांतिदूत
भारत धीरे-धीरे ही सही लेकिन दुनिया के लिए डिजिटल फैक्टरी की अपनी भूमिका से बाहर निकल रहा है.
ऐसे तो न चल पाएगा
भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल ने हाल ही एक ऑनलाइन बैठक के दौरान पार्टी की बंगाल इकाई के नेताओं को आगाह किया कि वे उनकी (बंसल की) कुख्यात छवि को ध्यान में रखें.
बादल के संकट
खिरकार, शिरोमणि अकाली दल (शिअद) आ के प्रमुख सुखबीर बादल को इस्तीफा देना ही पड़ा. करीब 16 साल तक बतौर अध्यक्ष पार्टी की कमान संभाले रहे पंजाब के पूर्व उप-मुख्यमंत्री को पार्टी के भीतर गुटबाजी और सिख धर्मगुरुओं के बढ़ते दबाव के कारण पद छोड़ना पड़ा.
शादी का म्यूजिकल
फ़ाज़ा जलाली पृथ्वी थिएटर फेस्टिवल में इस बार भारतीय शादियों पर मजेदार म्यूजिकल कॉमेडी रनअवे ब्राइड्स लेकर हाजिर हुईं
शातिर शटल स्टार
हाल में एक नए फॉर्मेट में इंडोनेशिया में शुरू नई अंतरराष्ट्रीय लीग बैडमिंटन -एक्सएल के पहले संस्करण में शामिल अश्विनी पोनप्पा उसमें खेलने वाली इकलौती भारतीय थीं
पुराने नगीनों का नया नजराना
पुराने दिनों की गुदगुदाने वाली वे सिनेमाई यादें आज के परदे पर कैसी लगेंगी भला ! इसी जिज्ञासा का नतीजा है कि कई पुरानी फिल्में फिर से सिनेमाघरों में रिलीज हो रहीं और दर्शकों को खींचकर ला रहीं