कोरियाई प्रायद्वीप में युद्ध की समाप्ति
1952-54
भारत ने कोरियाई संघर्ष को समाप्त करने में शांति दूत या मध्यस्थ की भूमिका निभाई. यह शीत युद्ध का प्रमुख छद्म संघर्ष था. शुरुआत में अमेरिका और सोवियत संघ ने संयुक्त राष्ट्र संघ में इसे खारिज कर दिया, लेकिन प्रधानमंत्री नेहरू ने हार नहीं मानी. जुलाई 1953 में हुए अंतिम शांति समझौते में भारत के ज्यादातर सुझाव शामिल थे. समझौते की निगरानी में भी भारत ने प्रमुख भूमिका निभाई. शीत युद्ध की राजनीति के चरम पर, हाल ही में स्वतंत्र हुए भारत के लिए यह एक दुस्साहसी कदम था और आने वाले दशकों में भारत को इस अनुभव का काफी लाभ मिला.
एफ्रो-एशियाई बांडुंग बैठक
इंडोनेशिया, 1955
बांडुंग सम्मेलन ने भारत को एक ऐसा मंच दिया जहां से वह नेतृत्व की स्थिति में आ सका. आज इसे 'ग्लोबल साउथ' (कम औद्योगिकृत विकासशील देशों का समूह) कहा जाता है. हालांकि, न तो 'बांडुंग' और न ही उसके बाद का गुटनिरपेक्ष आंदोलन पूरी तरह से भारत के प्रयासों से शुरू हुआ, लेकिन इनकी शुरुआत में भारतीय राजनयिकों का बड़ा योगदान था, जिसके चलते 1950 और 1960 के दशक में दो ध्रुवों में बंटी दुनिया में पूर्व उपनिवेशों ने एक स्वतंत्र समूह के रूप में कार्य करने वाले मोर्चे का रूप लिया.
एक नए प्रतिमान की नींव
इंडोनेशिया, 1955
दिसंबर 1971 में बांग्लादेश की मुक्ति और जुलाई 1972 में शिमला में भारत-पाकिस्तान शिखर सम्मेलन और समझौते की बड़ी घटनाओं के बीच जून 1972 में स्वीडन में पर्यावरण पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन में भारत के योगदान की ज्यादा चर्चा नहीं हुई. जलवायु परिवर्तन पर भारत ने उस समय जो रुख लिया वह कम औद्योगिकीकृत देशों के लिए आदर्श था. 'गरीबी सबसे बड़ा प्रदूषक है' मुहावरा गढ़कर, प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने एक विकासशील देश के दृष्टिकोण को स्पष्ट किया कि ग्लोबल साउथ के आर्थिक विकास और पर्यावरण की सुरक्षा, दोनों पर एकसाथ ध्यान दिया जाना जरूरी है.
चीन के साथ रिश्तों में गर्माहट
هذه القصة مأخوذة من طبعة January 04, 2023 من India Today Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة January 04, 2023 من India Today Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
मजबूत हाथों में भविष्य
भविष्य के बिजनेस लीडर्स को गढ़ने में बिजनेस स्कूलों की बेहद निर्णायक भूमिका है, ऐसा भविष्य जिसकी अगुआई टेक्नोलॉजी करेगी
कॉर्पोरेट के पारखी
आइआइएम कलकत्ता के छात्रों को महज बिजनेस दिग्गज बनने के लिए ही प्रशिक्षित नहीं किया जा रहा, वे पार्टनरशिप्स के जरिए राज्य की नौकरशाही को ऊर्जावान बनाने में भी मदद कर रहे
विरासत की बड़ी लड़ाई
बड़े दांव वाले शक्ति प्रदर्शन के लिए मैदान सज गया है, राजनैतिक दिग्गज और ताकतवर परिवार आदिवासी बहुल क्षेत्र पर कब्जे के लिए आ गए हैं आमने-सामने
कौन दमदार शिवसेना
महाराष्ट्र में किसका राज चलेगा, यह लोगों के वोट से तय होगा लेकिन साथ ही यह भी तय होगा कि कौन-सी शिवसेना असली है-ठाकरे की या शिंदे की
सीखने का सुखद माहौल
स्वास्थ्य प्रबंधन में एक नए पाठ्यक्रम से लेकर ब्लॉकचेन तकनीक पर केंद्रित कार्यक्रम तक, आइआइएम लखनऊ अपने नए ईकोसिस्टम के साथ अग्रणी भूमिका निभा रहा
ट्रंप की नजर में दुनिया
अमेरिका के लोगों ने दूसरी बार डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अपनी आस्था जताई है. ऐसे में भारत और बाकी दुनिया इस बात के लिए अपने को तैयार कर रही कि व्यापार और भू-राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में 47वें राष्ट्रपति के अमेरिका-प्रथम के एजेंडे का आखिर क्या मायने होगा?
नवाचार की शानदार चमक
इस संस्थान में शिक्षा का मतलब ऐसे समाधान तैयार करना है जिनके केंद्र में देश की सामाजिक वास्तविकता मजबूती से जुड़ी हो
योगी बनाम अखिलेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 26 अगस्त को आगरा में ताज महल पश्चिमी द्वार स्थित पुरानी मंडी चौराहे पर दुर्गादास राठौर मु की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचे थे.
लैब कॉर्पोरेट लीडरशिप की
सख्त एकेडमिक अनुशासन, रिसर्च पर फोकस और विश्वस्तरीय गुणवत्ता के जरिए आइआइएम-के बिजनेस एजुकेशन की नई परिभाषा गढ़ रहा
सत्ता पर दबदबे की नई होड़
इन दिनों धुंध की मोटी चादर में लिपटी कश्मीर घाटी में छह साल के इंतजार के बाद नई उम्मीद जगी है. केंद्र शासित प्रदेश की नवनिर्वाचित नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की सरकार ने आते ही अपने इरादे साफ कर दिए - जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलाना उनका पहला संकल्प है.