अन्वेषण भूवैज्ञानिक
भारत में शुरुआती तेल खोज की कसरत
यह बात सब लोग नहीं जानते कि भारतीय अन्वेषण भूवैज्ञानिकों ने ही देश के तेल भंडार में प्रत्येक हाइड्रोकार्बन अणु की खोज की. उत्तरी सागर तेल और अपतटीय बॉम्बे हाइ में तेल और गैस लगभग एक साथ खोजे गए. लेकिन उत्पादन को पहले चरम पर लाने में भारत ने ब्रिटेन को पछाड़ दिया. यह उपलब्धि तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के प्रौद्योगिकीविदों ने अपने दूरदर्शी अध्यक्ष भानु प्रसाद के नेतृत्व में हासिल की थी. मुंबई हाइ और बसीन आज भारत के शीर्ष तेल और गैस उत्पादक क्षेत्र हैं, जो देश के उत्पादन में लगभग दो-तिहाई हिस्से का योगदान करते हैं.
प्रोसेस केमिस्ट्री
भारत को 'दुनिया की फार्मेसी' बनाना
भारत को अब 'दुनिया की फार्मेसी' के रूप में जाना जाता है, जो दवा उत्पादन में तीसरे स्थान पर है. भारत 200 से अधिक देशों और क्षेत्रों में फार्मास्यूटिकल्स का निर्यात करता है, जो टीकों की वैश्विक मांग का 50 फीसद और अमेरिका में 40 फीसद जेनरिक दवा की मांग को पूरा करता है. यह 1970 के दशक की शुरुआत में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) की प्रयोगशालाओं के रासायनिक समूह जैसे एनसीएल, आइआइसीटी और सीडीआरआइ की प्रोसेस केमिस्ट्री और इंजीनियरिंग की शक्ति से प्रेरित था. इसी की बदौलत एचआइवी-एड्स के लिए ऐंटीरेट्रोवायरल उपचार की कीमत, जो वर्ष 2000 में प्रति व्यक्ति 10,000 डॉलर प्रति वर्ष थी, को घटाकर 120 डॉलर कर दिया गया. इसकी शुरुआत आइआइसीटी में किए गए रसायन विज्ञान नवाचार से हुई थी और सिप्ला ने इसका व्यवसायीकरण किया था. इसने न केवल लाखों लोगों की जान बचाई बल्कि 2011 के ऐतिहासिक दोहा घोषणापत्र भी इसी की वजह से आया.
कनेक्टिविटी क्रांति
डिजिटल विभाजन को पाटना
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