वर्ष 2022 हमें एक लड़खड़ाती हुई विश्व अर्थव्यवस्था, यूक्रेन में एक अंतहीन युद्ध, चीन में कोविड संक्रमणों की सूनामी, हर जगह बड़े पैमाने पर राष्ट्रवाद, अनेक स्थानों पर उभरते भू-राजनीतिक संकटों और दूसरी तरफ सकारात्मक परिवर्तन के गिने-चुने दृश्यों के साथ छोड़कर गया है. चीन-अमेरिका का सामरिक विवाद भी हमारे आसपास के क्षेत्र में बढ़ रहा है. इस स्थिति में भारत के सामने चुनौतियों का अंबार है बड़ी शक्तियों की बढ़ती प्रतिद्वंद्विता के साये में जो वैश्विक वातावरण बना है आवश्यक रूप से भारत के कायापलट के लिए अनुकूल नहीं है, क्योंकि इसमें बाहरी वचनबद्धताओं की आवश्यकता होगी. फिर भी महान शक्तियों के बीच प्रतिद्वंद्विता की इस दुनिया में भारत के लिए अवसर बन सकते हैं, यदि हम तीन मूलभूत चुनौतियों को सफलतापूर्वक संभाल सकें.
तीन चुनौतियां
बाहरी चुनौतियों में सबसे प्रमुख है चीन और वह भारत की क्षेत्रीय अखंडता के लिए खतरा है. वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर 2020 में हमने जो देखा, वह चीन द्वारा एलएसी का एक पूर्व निर्धारित अतिक्रमण था और समझौतों और प्रचलित व्यवस्था के इस पूर्ण उल्लंघन ने यथास्थिति को बदल दिया. एलएसी अब गर्म है, और पूरे एलएसी पर तैनात दोनों पक्षों के 1,00,000 से अधिक सैनिक टकराव की स्थिति में हैं. आगे की घुसपैठ और अतिक्रमण को रोकने के लिए, पहला काम उपायों और कार्यों के संयोजन से एलएसी पर प्रभावी प्रतिरोध बनाना होगा. साथ ही, भारत और चीन आर्थिक रूप से जुड़े हुए हैं. सीमा पर तनातनी की घटनाओं के वर्ष में भी चीन भारत के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार के रूप में उभर रहा है. चीन कई अन्य वजहों से भी भारत के लिए बहुत अहमियत रखता है. इसलिए रिश्तों को सुधारने के प्रयास गंभीरता से किए जाने चाहिए लेकिन यह एक ऐसा कार्य है जिसे दोनों पक्षों के बीच उच्च-स्तरीय राजनीतिक जुड़ाव के बिना नहीं किया जा सकता और तीन साल से अधिक समय से यह हुआ नहीं है.
هذه القصة مأخوذة من طبعة January 25, 2023 من India Today Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة January 25, 2023 من India Today Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"