बीते कुछ वक्त से यह तो खुला रहस्य रहा है कि गुजरात नशीले पदार्थ लाने-ले जाने की जगह बन रहा है. यह भी सबको पता था कि कृत्रिम नशीले पदार्थ इस कारोबार का अहम हिस्सा हैं. जिस बात ने अलबत्ता राज्य में सुरक्षा एजेंसियों के लिए खतरे की घंटियां बजा दी हैं, वह यह कि ऐसे नशीले पदार्थ अब राज्य में ही - गुजरात के भूले-बिसरे गोदामों और बंद पड़ी फैक्ट्रियों में बनाए जा रहे हैं. इनमें पार्टी ड्रग्स यानी पार्टियों में इस्तेमाल की जाने वाली नशीली दवा एमडी भी है जिसे 'म्याऊ - म्याऊ', 'व्हाइट मैजिक', 'एमकैट' या 'बबल' सरीखे अलग-अलग नामों या इसके औपचारिक नाम मेफेड्रॉन के रूप में जाना जाता है.
गुजरात के आतंकवाद - रोधी दस्ते ने अगस्त और दिसंबर, 2022 के बीच अंकलेश्वर और वडोदरा के अंदरूनी इलाकों में दो मैन्यूफैक्चरिंग इकाइयों का पर्दाफाश करते बेकार पड़ी दवा फैक्टरियों से कई टन कच्चे माल और मशीनों के साथ 1,733 करोड़ रुपए की खपत के लिए तैयार 314 किग्रा एमडी जब्त की. मुंबई पुलिस ने भी अगस्त 2022 में अंकलेश्वर की एक मैन्यूफैक्चरिंग इकाई पर छापा मारकर 1,02 करोड़ रुपए की 513 किग्रा एमडी जब्त की. कृत्रिम नशीले पदार्थों की बरामदगी और साथ ही गिरफ्तार लोगों की संख्या - 148- पिछले साल सबसे ज्यादा थी. अहमदाबाद के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) ने अकेले 2022 में नशीले पदार्थों से जुड़े 37 मामले दर्ज किए, जिनमें से 54 फीसद एमडी के मामले थे. एसओजी अहमदाबाद सिटी के पुलिस उपायुक्त जयराजसिंह वाला के मुताबिक, जनवरी, 2022 से शहर में कुल मिलाकर एमडी के 22 मामले-यानी हर महीने कम से एक और अधिकतम तीन केस दर्ज किए गए, जबकि उससे पहले एक भी मामला नहीं था. विडंबना यह कि अहमदाबाद में 2017 और 2021 के बीच पांच सालों में ड्रग से जुड़े 37 मामले दर्ज से हुए थे.
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