इस्लामाबाद हाइकोर्ट ने इमरान खान के खिलाफ जारी गिरफ्तारी वारंट को 13 मार्च को जैसे ही बहाल किया, जिस पर पहले उनकी अपील पर रोक लगा दी गई थी, इस्लामाबाद की पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए फौरन लाहौर की तरफ हेलीकॉप्टर से रवाना हो गई. लेकिन वह उन्हें गिरफ्तार कर नहीं पाई. पूर्व प्रधानमंत्री बुलेटप्रूफ कार में बैठकर लाहौर में एक 'चुनावी रैली' की अगुआई कर रहे थे और उनके आसपास जुटी भीड़ ने पुलिस को उनके पास फटकने तक नहीं दिया. रैली के बाद, इमरान खान आराम से मुड़े और लाहौर में अपने घर लौट गए.
अगले दिन का घटनाक्रम तो और भी अजीब था. पुलिस इमरान खान को जमान पार्क स्थित उनके घर से गिरफ्तार करने पहुंची, तो उनके सैकड़ों समर्थक और पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआइ) के कार्यकर्ता पुलिस और अर्द्धसैनिक बलों के जवानों पर लाठी-डंडों, पत्थरों और पेट्रोल बम आदि से हमला कर उन्हें उल्टे पांव भागने पर मजबूर कर दिया. इन उग्र समर्थकों ने न केवल लाहौर और अन्य जगहों पर सड़कों को अवरुद्ध किया, बल्कि पानी की बौछार करने वाली गाड़ियां और जो कुछ भी सामने नजर आया, उसे आग के हवाले कर दिया. इस झड़प में दर्जनों पुलिसवाले जख्मी हुए.
बताया यह भी जा रहा है कि इमरान खान की सुरक्षा का जिम्मा गिलगित बल्तिस्तान की पुलिस ने संभाल रखा था, जहां पीटीआइ की सरकार है. उसने घर के अंदर घुसने की कोशिश कर रहे इस्लामाबाद पुलिस के अफसरों पर अपनी बंदूकें तक तान दी थीं. यही नहीं, इमरान उस दौरान अपने घर में ही जमे रहे और वहीं बैठे-बैठे सोशल मीडिया पर भड़काऊ वीडियो जारी करते रहे. यह शक्ति प्रदर्शन देश को बर्बादी के कगार पर पहुंचा देने वाली सियासी उथल-पुथल का ही प्रतीक है, जिसकी वजह से अर्थव्यवस्था बेपटरी हो चुकी है और आम लोग बेहिसाब कठिनाइयां झेल रहे हैं. (साथ की स्टोरी देखें: तेजी से खाली हो रहा खजाना).
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