नवंबर 29, 2018 को सुबह के करीब 10 बजे का वक्त था. कांग्रेस प्रदेश कार्यालय में तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट और मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कांग्रेस का जन घोषणा पत्र जारी करते हुए यह वादा किया कि राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनी तो राइट टू हेल्थ (स्वास्थ्य का अधिकार) दिया जाएगा. 29 दिसंबर, 2018 को अशोक गहलोत सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में जन घोषणा पत्र को मुख्य सचिव को सौंपकर इसे नीतिगत दस्तावेज घोषित किया गया. इस घोषणा के चार साल और चार महीने बाद 21 मार्च, 2023 को राजस्थान की जनता को 'राइट टू हेल्थ बिल 2022' (आरटीएच) मिला. किसी भी राज्य में सरकारी और निजी अस्पतालों में राइट टू हेल्थ प्रदान करने वाला यह देश का पहला विधेयक है. यह एक ऐसा कानून है जो न सिर्फ स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में पारदर्शिता और जवाबदेही तय करता है, बल्कि लोगों के लिए मुफ्त इलाज की सुविधा भी सुनिश्चित करता है. हालांकि, प्रदेशभर के निजी अस्पताल इस सरकारी विधेयक के कुछ प्रावधानों को अपने खिलाफ बताते हुए विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं.
राइट टू हेल्थ बिल के प्रावधान
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नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
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