हरियाणा के मानेसर प्रकरण के 33 महीने बाद राजस्थान में कांग्रेस पार्टी की सियासत एक बार फिर सड़क पर आ पहुंची है. विधानसभा चुनाव से ठीक 7 महीने पहले पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने अपनी ही सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. पायलट ने 11 अप्रैल को जयपुर के शहीद स्मारक पर अपने समर्थकों के साथ एक दिन का अनशन और धरना दिया धरना स्थल पर जो पोस्टर लगाया गया उसमें से भी कांग्रेस पूरी तरह से गायब थी. यह पोस्टर बिल्कुल वैसा ही था जैसा 5 अप्रैल 2011 को दिल्ली के रामलीला मैदान में अन्ना हजारे के नेतृत्व में हुए अनशन के दौरान नजर आया था.
पोस्टर पर कांग्रेस पार्टी के चिह्न या किसी नेता की जगह महात्मा गांधी की फोटो और बस इतना लिखा था, 'वसुंधरा सरकार में हुए भ्रष्टाचार के विरूद्ध अनशन.' अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान लगाए गए पोस्टर पर भी 'भ्रष्टाचार के खिलाफ, जन लोकपाल कानून के लिए अनशन' लिखा गया था.
यहां अन्ना आंदोलन का जिक्र इसलिए किया जा रहा है क्योंकि सचिन पायलट इन दिनों कुछ वैसी ही भाषा बोल रहे हैं जैसी पिछले दिनों आम आदमी पार्टी के मुखिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल राजस्थान में 13 मार्च 2023 को निकाली गई तिरंगा यात्रा के दौरान बोल रहे थे. यात्रा के दौरान केजरीवाल का कहना था, "राजस्थान में वसुंधरा राजे और अशोक गहलोत की बड़ी अच्छी बनती है तथा दोनों में अच्छी दोस्ती है... ये दोनों एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप तो लगाते हैं, लेकिन जब सत्ता में आते हैं तो भ्रष्टाचारियों को जेल भेजने की जगह एक दूसरे की मदद करते हैं."
अनशन से पहले 9 अप्रैल, 2023 को सचिन पायलट ने अपने आवास पर पत्रकारों से बातचीत में कुछ इसी तरह की बातें दोहराई थीं. उनके निशाने पर भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे रहीं. प्रेस कॉन्फ्रेंस में अशोक गहलोत के पुराने वीडियो और बयान चलाए गए. इस दौरान पायलट का कहना था, "मैंने वसुंधरा सरकार के कार्यकाल में हुए 45 हजार करोड़ रुपए के घोटालों की जांच कराने के लिए अशोक गहलोत को दो बार चिट्ठियां लिखीं, लेकिन उनका कोई जवाब नहीं आया."
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