लखनऊ के हजरतगंज इलाके में सिकंदरनगर फेज टू नई बस्ती के रहने वाले संतोष सोनकर की पत्नी पार्वती अपने नौ वर्षीय बेटे राज को याद करके रोने लगती हैं. बारबार अपने को कोसती हैं कि वे बच्चों को लेकर गोमती रिवर फ्रंट क्यों गई थीं? 4 अप्रैल की दोपहर दो बजे पार्वती बेटे राज, युगराज और बेटी राशि को लेकर कपड़े धोने गोमती रिवर फ्रंट गई थीं. पार्वती कपड़े धोने में लग गईं और बच्चे बगल में ही खेलने लगे. खेलते-खेलते राज नदी के एकदम किनारे आ पहुंचा. वहीं अचानक उसका पैर फिसला और वह टूटी पड़ी रेलिंग को पकड़ने की कोशिश करते हुए नदी में गिर गया. पार्वती बचाने दौड़ीं लेकिन उनके सामने राज नदी की गहराई में समा गया. बदहवास पार्वती ने आसपास के लोगों को आवाज लगाई. पुलिस को सूचना मिली लेकिन राज का कोई अता-पता न लगा. स्टेट डिजास्टर रिस्पांस फोर्स (एसडीआरएफ) भी नाकाम रही. करीब 22 घंटे बाद दो गोताखोरों ने राज का शव नदी से निकाला. पार्वती कहती हैं, "अगर रिवर फ्रंट की रेलिंग टूटी न होती तो मेरा बेटा जिंदा होता."
गोमती रिवर फ्रंट की बदहाली ने पार्वती को कभी न भूलने वाला गम दे दिया. इसी तरह पिछले वर्ष 20 दिसंबर की रात गोमती रिवर फ्रंट पर खुले पड़े नाले के पानी से होकर गुजरते वक्त एक कार अनियंत्रित हो गई थी. यहां रेलिंग न होने की वजह से कार नदी में समा गई. इस घटना में एक युवक और एक महिला की मौत हो गई थी. साफ है कि बदहाल और अधूरा पड़ा गोमती रिवर फ्रंट इस तरह से जानलेवा हादसों का सबब बनता जा रहा है.
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