वर्ष 2017 में राजधानी लखनऊ में सत्ता का केंद्र विधान भवन के पीछे से हटकर सामने आ गया था. यह वह समय था जब लाल बहादुर शास्त्री एनेक्सी भवन के पांचवें तल से मुख्यमंत्री कार्यालय लोकभवन के पांचवें तल पर पहुंचा था. हालांकि मुख्यमंत्री योगी ने एनेक्सी में भी अपना कार्यालय बरकरार रखा लेकिन नियमित न बैठने की वजह से इसकी रौनक गायब हो गई थी. पिछले छह साल के दौरान यहां सन्नाटा ही पसरा रहा. मुख्यमंत्री के सलाहकारों को एनेक्सी के पांचवें तल पर ऑफिस मिला लेकिन वे भी पुराने मुख्यमंत्री कार्यालय का सन्नाटा न तोड़ सके. अब मुख्यमंत्री का यह कार्यालय अपने नए कलेवर के साथ सामने आया है. लाल बहादुर शास्त्री की प्रतिमा के सामने मुख्य गेट से भीतर प्रवेश करते ही दाहिनी ओर लगी वीआइपी लिफ्ट सीधे पांचवें तल पर रुकती है. लिफ्ट खुलते ही सामने लगा सीएम कमांड सेंटर का बोर्ड पुराने मुख्यमंत्री कार्यालय की नई पहचान बताता है. लिफ्ट से बाईं ओर सटे कक्ष में टेलीऑपरेटर कान में हेडफोन लगाए सामने कंप्यूटर की स्क्रीन पर आंख गड़ाए हुए हैं. यह सीएम कमांड सेंटर का हाइटेक कॉल सेंटर है. "क्या दस मिनट में आपके पास एंबुलेंस पहुंच गई थी जैसा कि कंप्यूटर में दर्ज डेटा बता रहा है?" एक ऑपरेटर ने फोन पर मौजूद लाभार्थी से पूछा. लाभार्थी के उत्तर को कंप्यूटर में दर्ज किया और आगे बढ़ा दिया. इस तर दस सीटों वाले इस कॉल सेंटर के सभी ऑपरेटर पूरी तन्मयता के साथ 'ह्यूमन इंटेलिजेंस' के जरिए सरकारी कार्यप्रणाली पर फीडबैक लेने में व्यस्त हैं.
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परदेस में परचम
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निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
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अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
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ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.