अड़तालीस महीनों से ज्यादा समय तक तनावपूर्ण रहने के बाद पूर्वी लद्दाख के विवादित इलाकों में सैन्य बलों की वापसी पर भारत और चीन के बीच बातचीत का सफल समापन उस प्रक्रिया की शुरुआत है, जो उम्मीद है कि सीमा विवाद को संभालने के लिए नई व्यवस्था को जन्म देगी. पूर्वी लद्दाख में व्यापक तनाव कम करने के लिए बातचीत करने में आने वाली व्यावहारिक कठिनाइयों के अलावा शांति और सौहार्द के लिए एक नए ढांचे, जो समान और आपसी सुरक्षा की गारंटी देता है, पर आपसी सहमति की दिशा में काम करना भी आने वाले साल में प्राथमिकता होगी. यह काम वास्तविक विश्वास के अभाव में मुश्किल लग सकता है, लेकिन इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए दोनों पक्षों में परिपक्व नेतृत्व मौजूद है.
सीमा पर इस तनाव की वजह से वाणिज्य और संपर्क सहित अन्य क्षेत्रों में संबंधों को सामान्य बनाना भी संभव हुआ है. लेकिन गलवान की घटना से जो घाव लगे हैं, उन्हें भरना तब तक मुश्किल हो सकता है, जब तक भारत यह नहीं देख लेता कि चीन सभी क्षेत्रों में एलएसी की पवित्रता का सम्मान करता है. और, तब तक, विदेश मंत्री एस. जयशंकर के शब्दों में, पूर्वी लद्दाख संकट भारत को आर्थिक निर्णय लेने में राष्ट्रीय सुरक्षा फिल्टर लागू करने की अधिक संभावना देता है. हालांकि इस विचार को परिभाषित करना और विशिष्ट नीति में लागू करना चुनौती हो सकती है. कागज पर 80 अरब डॉलर से ज्यादा का व्यापार घाटा राजनैतिक चिंता है, लेकिन निर्भरता को कम करने के मौजूदा विकल्प सीमित हैं. इसके अलावा, भारत के फार्मास्यूटिकल्स और टेक्सटाइल कुछ स्टार निर्यातकों चीनी मशीनरी, कच्चे माल या मध्यस्थ उत्पादों पर निर्भर हैं. ऐसे क्षेत्रों में व्यापार घाटे को खत्म करना अपने पैरों पर कुल्हाड़ी चलाने के बराबर हो सकता है. व्यापार असंतुलन और चीन से एफडीआइ पर प्रतिबंधों से निबटने के लिए उद्योग की चिंताओं को ध्यान में रखने वाली एक सूक्ष्म नीति अर्थव्यवस्था की जरूरत है. चीन के साथ व्यापार करने में आसानी, जिसकी बाजार को उम्मीद है, का मतलब है कि सीधी कनेक्टिविटी की जल्द बहाली और साथ ही यात्रा व्यवस्थाओं का उदारीकरण.
هذه القصة مأخوذة من طبعة January 15, 2025 من India Today Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك ? تسجيل الدخول
هذه القصة مأخوذة من طبعة January 15, 2025 من India Today Hindi.
ابدأ النسخة التجريبية المجانية من Magzter GOLD لمدة 7 أيام للوصول إلى آلاف القصص المتميزة المنسقة وأكثر من 9,000 مجلة وصحيفة.
بالفعل مشترك? تسجيل الدخول
सबसे अहम शांति
देवदत्त पटनायक अपनी नई किताब अहिंसाः 100 रिफ्लेक्शन्स ऑन द सिविलाइजेशन में हड़प्पा सभ्यता का वैकल्पिक नजरिया पेश कर रहे हैं
एक गुलदस्ता 2025 का
अ ब्रीफ हिस्ट्री ऑफ ह्यूमनकाइंड जैसी चर्चित किताब के लेखक युवाल नोआ हरारी की यह नई किताब बताती है कि सूचना प्रौद्योगिकी ने हमारी दुनिया को कैसे बनाया और कैसे बिगाड़ा है.
मौन सुधारक
आर्थिक उदारीकरण के देश में सूत्रधार, 2004 से 2014 तक प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह का 26 दिसंबर को 92 वर्ष की आयु में निधन हो गया.
हिंदुस्तानी किस्सागोई का यह सुनहरा दौर
भारतीय मनोरंजन उद्योग जैसे-जैसे विकसित हो रहा है उसमें अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी आने, वैश्विक स्तर पर साझेदारियां बनने और एकदम स्थानीय स्तर के कंटेंट के कारण नए अवसर पैदा हो रहे. साथ ही दुनियाभर के दर्शकों को विविधतापूर्ण कहानियां मिल रहीं
स्वस्थ और सेहतमंद मुल्क के लिए एक रोडमैप
स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में हमारी चुनौतियों का पैमाना विशाल है. 'स्वस्थ और विकसित भारत' के लिए मुल्क को टेक्नोलॉजी के रचनात्मक उपयोग, प्रिडिक्टिव प्रिसीजन मेडिसिन, बिग डेटा और पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर कहीं ज्यादा ध्यान केंद्रित करना होगा
ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था की ओर
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2025 में भारत की शिक्षा प्रणाली में बदलाव लाने, नवाचार, उद्यमिता और सामाजिक प्रगति को बढ़ावा देने के लिए उत्प्रेरक का काम कर रही
ईवी में ऊंची छलांग के लिए भारत क्या करे
स्थानीयकरण से नवाचार तक... चार्जिंग की दुश्वारियां दूर करना, बैटरी तकनीक बेहतर करना और बिक्री के बाद की सेवाएं बेहतर करना ही इलेक्ट्रिक वाहन क्रांति को मजबूत करने का मूल मंत्र है
अब ग्रीन भारत अभियान की बारी
देशों को वैश्विक सफलता का इंतजार करने के बजाए जलवायु को बर्दाश्त बनने के लिए खुद पर भरोसा करना चाहिए
टकराव की नई राहें
हिंदू-मुस्लिम दोफाड़ अब भी जबरदस्त राजनैतिक संदर्भ बिंदु है. अपने दम पर बहुमत पाने में भाजपा की नाकामी से भी सांप्रदायिक लफ्फाजी शांत नहीं हुई, मगर हिंदुत्व के कट्टरपंथी तत्वों के खिलाफ आरएसएस की प्रतिक्रिया अच्छा संकेत
महिलाओं को मुहैया कराएं काम के लिए उचित माहौल
यह पहल अगर इस साल शुरु कर दें तो हम देख पाएंगे कि एक महिला किस तरह से देश की आर्थिक किस्मत बदल सकती है