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साध्वी रेखा बहन द्वारा बताये गये पूज्य बापूजी के संस्मरण
(गतांक के 'कृपासिंधु गुरुवर सिखाते व्यवहार में वेदांत' से आगे)
वास्तविक विजय प्राप्त कर लो
१२ अक्टूबर : विजयादशमी पर विशेष
ॐकार-उच्चारण का हैरतअंगेज करिश्मा!
एक ए. सी. पी. का निजी अनुभव
सच्चे संत स्वयं कष्ट सहकर भी सत्य की रक्षा करते हैं
आज हम देखते हैं कि धर्म-विरोधी तत्त्वों द्वारा साजिश के तहत हमारे निर्दोष हिन्दू साधु-संतों की छवि धूमिल करके उनको फँसाया जा रहा है, उन्हें कारागार में रखा जा रहा है। ऐसी ही एक घटना का उल्लेख स्वामी अखंडानंदजी के सत्संग में आता है, जिसमें एक संत की रिहाई के लिए एक अन्य संत के कष्ट सहन की पावन गाथा प्रेरणा-दीप बनकर उभर आती है :
विषनाशक एवं स्वास्थ्यवर्धक चौलाई के अनूठे लाभ
बारह महीनों उपलब्ध होनेवाली तथा हरी सब्जियों में उच्च स्थान प्राप्त करनेवाली चौलाई एक श्रेष्ठ पथ्यकर सब्जी है। यह दो प्रकार की होती है : लाल पत्तेवाली और हरे पत्तेवाली।
पातकनाशक तथा सद्गुण चिरस्थायी यश प्रदायक व्रत
२९ अगस्त को अजा एकादशी है । यह व्रत आयु, आरोग्य, पुष्टि और सुख-सम्पदा देनेवाला है। इसकी कथा, माहात्म्य और विधि के बारे में पूज्य बापूजी के सत्संग में आता है :
आभूषण धारण क्यों करें?
(अंक ३७८ से आगे) आभूषणों की महत्ता व उपयोगिता के बारे में पूज्य बापूजी के सत्संग में आता है :
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर पूज्य बापूजी का पावन संदेश
आनंदित रहने की कला सिखाता श्रीकृष्णावतार
रे मनुज! श्रद्धा करो
मनुष्य-जीवन में श्रद्धा का होना अत्यंत जरूरी है। ‘श्रीमद्भगवद्गीता' में भी कहा गया है : श्रद्धावाँल्लभते ज्ञानं... (४.३९)
पूज्य बापूजी के साथ आध्यात्मिक प्रश्नोत्तरी
गणेश रेड्डी (कक्षा ९) : बापूजी ! हम अपनी और संस्कृति की रक्षा के लिए क्या करें?
पूज्य बापूजी द्वारा बताये गये नियमों का प्रभाव पूरे राज्य में मिला प्रथम स्थान
बापू के बच्चे, नहीं रहते कच्चे!
मेरी सफलता का राज 'ऋषि प्रसाद बाल सेवा मंडल' की सेवा
बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए पूज्य बापूजी की प्रेरणा से 'ऋषि प्रसाद बाल सेवा मंडल' की स्थापना हुई, जिसका मुझे खूब लाभ मिल रहा है।
भाई-बहन की भक्ति-ज्ञानवर्धक एक अनूठी कथा
कथा प्रसंग - (पूज्य बापूजी के सत्संग से)
इधर हाथी झुका, उधर राजा चरणों में गिरा
एक बार संत दादू दयालजी राजस्थान के ईड़वा ग्राम पधारे। संयोग से बीकानेर नरेश रायसिंह भी पास के खाटू ग्राम में आये थे। उन्होंने सुना कि मेरे चाचा भीमसिंहजी के गुरुदेव संत दादूजी आजकल ईड़वा में विराज रहे हैं। नरेश की दादूजी के दर्शन-सत्संग की इच्छा हुई तो उन्होंने दादूजी को भावभरा निमंत्रण भेजा।
व्यासपूर्णिमा पर्व का उद्देश्य
जीवन का फल यही है कि अपने मन को संसार के राग-द्वेष से हटायें, अहंकार से हटायें और भगवान के गुण-लीला और सुमिरन में लगाकर हृदय को भगवन्मय बना दें।
एकमात्र सुरक्षित नौका
सद्गुरु के ये लक्षण हैं। यदि आप किसी व्यक्ति में इन लक्षणों को पाते हैं तो आप उसे तत्काल अपना गुरु स्वीकार कर लें। सच्चे गुरु वे हैं जो ब्रह्मनिष्ठ तथा श्रोत्रिय होते हैं।
जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि
महात्मा बुद्ध कहा करते थे : ‘“आनंद ! सत्संग सुनने इतने लोग आते हैं न, ये लोग मेरे को नहीं सुनते, अपने को ही सुन के चले जाते हैं।”
मनोमय कोष साक्षी विवेक
(पिछले अंक में आपने 'पंचकोष-साक्षी विवेक' के अंतर्गत 'प्राणमय कोष साक्षी विवेक' के बारे में जाना। उसी क्रम में अब आगे...)
बड़ा रोचक, प्रेरक है शबरी के पूर्वजन्म का वृत्तांत
एक बार एक राजा रानी के साथ यात्रा करके लौट रहा था। एक गाँव में संत चबूतरे पर बैठ सत्संग सुना रहे थे और ५-२५ व्यक्ति धरती पर बैठकर सुन रहे थे।
शिष्य गुरु-पद का अधिकारी कब बनता है?
गुरुपूर्णिमा निकट आ रही है। इस अवसर पर ब्रह्मानुभवी महापुरुषों द्वारा अपने शिष्यों की गढ़ाई और सत्शिष्यों द्वारा ऐसी कसौटियों में भी निर्विरोधता, अडिग श्रद्धा-निष्ठा और समर्पण युक्त आचरण का वृत्तांत सभी गुरुभक्तों के लिए पूर्ण गुरुकृपा की प्राप्ति का राजमार्ग प्रशस्त करनेवाला एवं प्रसंगोचित सिद्ध होगा।
एक राजपुत्र की आत्मबोध की यात्रा
पराशरजी अपने शिष्य मैत्रेय को आत्मज्ञानबोधक उपदेश देते हुए एक राजपुत्र की कथा सुनाते हैं :
गुरुद्वार की उन कसौटियों में छुपा था कैसा अमृत!
लौकिक जीवन में उन्नत होना हो चाहे आध्यात्मिक जीवन में, निष्काम भाव से किया गया सेवाकार्य मूलमंत्र है।
सर्वपापनाशक तथा आरोग्य, पुण्यपुंज व परम गति प्रदायक व्रत
१७ जुलाई को देवशयनी एकादशी है। चतुर्मास साधना का सुवर्णकाल माना गया है और यह एकादशी इस सुवर्णकाल का प्रारम्भ दिवस है। ऐसी महिमावान एकादशी का माहात्म्य पूज्य बापूजी के सत्संग-वचनामृत से:
गुरुमूर्ति के ध्यान से मिली सम्पूर्ण सुरक्षा
अनंत-अनंत ब्रह्मांडों में व्याप्त उस परमात्म-चेतना के साथ एकता साधे हुए ब्रह्मवेत्ता महापुरुष सशरीर ब्रह्म होते हैं। ध्यानमूलं गुरोर्मूर्तिः पूजामूलं गुरोः पदम्... ऐसे चिन्मयस्वरूप गुरु के पूजन से, उनकी मूर्ति के ध्यान से शिष्य के अंतः स्थल में उनकी शक्ति प्रविष्ट होती है, जिससे उसके पूर्व के मलिन संस्कार नष्ट होने लगते हैं और जीवन सहज में ही ऊँचा उठने लगता है।
गुरुभक्ति की इतनी भारी महिमा क्यों है?
धन्या माता पिता धन्यो गोत्रं धन्यं कुलोद्भवः । धन्या च वसुधा देवि यत्र स्याद् गुरुभक्तता ॥
आयुर्वेदिक चिकित्सा का अद्भुत प्रभाव 3 बड़े ब्लॉकेज फिर भी बिना बायपास सर्जरी के तंदुरुस्त
मई २०२२ की बात है। मुझे अचानक सीने में बहुत तेज दर्द हुआ। डॉक्टर ने जाँचें कीं और बोला: \"आपको सीवियर हार्ट-अटैक आया है, हृदय में ब्लॉकेज है।\"
महापातकनाशक तथा अगाध पुण्यराशि प्रदायक व्रत
अपरा एकादशी पर विशेष
बड़ा दानी कौन?
...तो व्यक्ति निरहंकार हो के भगवान के स्वरूप में एकाकार हो जायेगा।
प्राणमय कोष साक्षी विवेक
(अंक ३७५ में आपने 'पंचकोष-साक्षी विवेक' के अंतर्गत 'अन्नमय कोष साक्षी विवेक' के बारे में जाना। उसी क्रम में अब आगे...)
हृदय की पवित्रता दिलाती सफलता
जिसने अपने जीवन का मूल्य समझा वह चाहे व्यापारी की गद्दी पर हो, चाहे न्यायाधीश की कुर्सी पर हो वह अपने बाहर के सुख और ऐश से ज्यादा अपने हृदय की पवित्रता पर ध्यान देता है।