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पंजाब के किन्नू क्षेत्र में क्रांति लाने वाला फल : पी ए यू किन्नू 1
नींबू जाति के फलों का मूल स्थान दक्षिण-पूर्वी एशिया है। इस जाति में किन्नू, संतरा, नींबू और लेमन आदि शामिल हैं। यह पंजाब का मुख्य फल है।
धान का ब्राउन प्लांटहॉपर कैसे डालता है प्रभाव?
धान में खेत की परिस्थितियों में उगाया गया ब्रीडिंग स्टेशन, टीएनएयू। शोधकर्ताओं ने पर वर्णक्रमीय आकलन भी किया बीपीएच के संक्रमण के बाद पौधे।
बीज व पौधों में जैव विविधता बढ़ाने की आवश्यकता
जलवायु और भू-वैज्ञानिक इतिहास दोनों ही नव और पुरापाषाणवाद को प्रभावित करते हैं, लंबे समय में जलवायु स्थिरता पुरापाषाणवाद की गम्भीरता और समुद्री द्वीपों की अलग-अलग प्रकृति और उनके अनोखे भू-वैज्ञानिक इतिहास को नवस्थानीयवाद को बढ़ावा देने का समर्थन करती है।
आम होती महंगाई से कृषि कारोबार के उदारीकरण का सपना बिखरा
सरकार ने वर्ष 2020 में जब कृषि क्षेत्र के उत्पादों के कारोबार को आर्थिक सुधारों का जामा पहनाते हुए तीन कृषि कानूनों को लागू करने का फैसला लिया तो शायद उसे दूर-दूर तक इस बात की उम्मीद नहीं थी कि तीन वर्ष के भीतर ही देश में कृषि उत्पादों के कारोबार को नियंत्रित करने के लिए आवश्यक वस्तु अधिनियम (ईसीए) जैसे सख्त कानून के प्रावधानों को लागू करना पड़ेगा।
धान की वृद्धि और उपज पर जिंक के प्रयोग की भूमिका
सूक्ष्म पोषक तत्वों में जिंक की कमी को वैश्विक और क्षेत्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा माना जाता है। धान की खपत वाले क्षेत्रों में जिंक की कमी के कारण उपज में कमी और मनुष्य में जिंक कुपोषण एक मुख्य कारण बना।
कपास में पोषक तत्व प्रबंधन
कपास में अच्छी पैदावार लेने के लिए पोषण हेतु आवश्यक पोषक तत्वों का संतुलित मात्रा में मिट्टी में होना आवश्यक है। यदि मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी होती है तो इनके लक्षण पौधे पर दिखने लगते हैं।
बासमती धान का बकाने रोग व समेकित प्रबंधन
खरीफ फसलों में धान भारत की प्रमुख खाद्यान्न फसल है। बासमती धान के उत्पादन में एक महत्वपूर्ण बदलाव का कारण अधिक लाभ है।
पपीते की रोग व्याधियां एवं उनकी रोकथाम
पपीता कम समय में फल देने वाला पेड़ है इसलिए कोई भी इसे लगाना पसंद करता है। खाने में स्वादिष्ट लगने वाले इस फल में विटामिन ए सी एवं ई पाया जाता है और इसमें पपेन नामक पदार्थ पाया जाता है जो कि पाचन क्षमता को बढ़ाता है।
जलवायु परिवर्तन का पशुओं पर प्रभाव
सभी जीव जन्तु इस जलवायु परिवर्तन से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप में प्रभावित होते जा रहे हैं। पशुओं में गर्मी से तनाव मुख्य समस्या पाई जाती है। गर्मी का तनाव एक ऐसा समय होता है। जब पशु वातावरण की भीषण गर्मी में अपने शरीर के तापमान को सामान्य करने में असमर्थ होता है।
बाढ़ की आपदा को रोकने और उसे अवसर में बदलने की नीति बने
जल प्रबंधन इस तरह से हो कि समुद्र में गिरने से पहले उसे हम अपनी जरूरत, क्षमता और उपयोगिता के आधार पर रोकने की व्यवस्था कर लें, जल संरक्षण के उपायों को प्राथमिकता दें तथा बाढ़ नियंत्रण का स्थायी और नियमित प्रबंध करें।
प्रसिद्ध कीट विज्ञानी डॉ. सोनी रामास्वामी
डॉ. सोनी रामास्वामी एक भारतीय अमरीकन कृषि विज्ञानी हैं। डॉ. रामास्वामी ने बैंगलुरु की विश्वविद्यालय ऑफ एग्रीकल्चरल साइंसिज से 1973 में कृषि में बैचुलर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की और 1976 में रटगर्स विश्वविद्यालय से कृषि कीट विज्ञान के क्षेत्र में मास्टर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने रटगर्स विश्वविद्यालय से ही कीट विज्ञान में पीएच. डी. की।
टमाटर बेचकर एक महीने में करोड़पति बनने वाला तुकाराम भागोजी गायकर
तुकाराम ने कहा कि पिछले 6-7 साल से वो टमाटर की खेती कर रहे हैं। इस साल भी उन्होंने 12 एकड़ पर टमाटर की खेती की।
अमृत काल में कृषि रखेगी लोगों की सेहत व जलवायु का ध्यान
पचास सालों में यह भी देखने में आया है कि जिन खाद्य पदार्थों के उत्पादन के लिए सरकार सबसे अधिक सब्सिडी देती है और हर साल उनके न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी करती है, उनके उत्पादन की बढ़ोतरी दर खाद्य पदार्थों से कम है जिन्हें सरकार की तरफ से सब्सिडी नहीं या काफी कम मिलती है।
इक्रीसेट बीएआरआई ने मूंगफली की उन्नत किस्म लांच की
हैदराबाद स्थित अंतर्राष्ट्रीय अर्ध-शुष्क उष्णकटिबंधीय फसल अनुसंधान संस्थान इक्रीसेट और बांग्लादेश कृषि अनुसंधान संस्थान (बीएआरआई) ने बांग्लादेश में मूंगफली की एक उन्नत किस्म बीएआरआई चिनबादम-12 (ICGV 07219) जारी की है।
कृषि क्षेत्र में उभर रही आर्टीफिशीयल इंटैलीजैंस
इन प्रौद्योगिकियों में उत्पादकता और स्थिरता में सुधार करने में महत्वपूर्ण योगदान देने की क्षमता है, लेकिन इन्हें अक्सर खंडित तकनीकी बुनियादी ढांचे, संचालन की उच्च लागत, डेटा तक पहुंच की कमी और सीमित तकनीकी विशेषज्ञता द्वारा चिह्नित किया जाता है, जबकि उनके प्रभाव के पैमाने में बाधा उत्पन्न होती है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र द्वारा कीटनाशकों पर प्रतिबंध के लिए कई समितियां बनाने पर सवाल उठाए
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से पूछा कि उसे कीटनाशकों पर प्रतिबंध की समीक्षा के लिए कई समितियों का गठन क्यों करना पड़ा। पीठ ने इशारा किया कि यह सरकार द्वारा एक अनुकूल निर्णय पाने का प्रयास लगता है।
मौजूदा सीजन में पराली जलाने के मामलों को 'शून्य' करने का लक्ष्य
पराली को जलाने की घटना हर साल दिल्ली और उसके आस पास के इलाकों मे वायु प्रदूषण का एक बड़ा कारण बन जाती है। इस बार केन्द्र सरकार ने पराली जलाने की समस्या को शून्य स्तर पर लाने की दिशा में गंभीरता से काम कर रहा है।
पादप कार्यिकी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की आवश्यकता, कमी के लक्षण एवं निवारण
पौधों और मृदा में सूक्ष्म पोषक तत्व की मात्रा बहुत ही कम होती है, लेकिन इनका महत्व पौधे के विकास के लिए मुख्य पोषक तत्वों से कम नहीं होता है। यदि मृदा में को सूक्ष्म पोषक तत्व न मिले तो वह फसल बड़ी मात्रा में दिये जाने वाले नाइट्रोजन, फास्फोरस व पोटाश का पूरा सदोपयोग नहीं कर सकते हैं।
FPO निर्माण एवं प्रबंध
किसान उत्पादक संगठन एक ऐसा उत्पादक संगठन है जिसके सदस्य सिर्फ किसान ही हो सकते हैं। कृषि एवं सहायक व्यवसायों से जुड़े व्यक्ति प्राथमिक उत्पादक माने जाते हैं। कृषि, बागवानी, पशुपालन, मक्खी पालन, मछली पालन इत्यादि व्यवसायों से जुड़े व्यक्ति उचित उत्पादक संगठन के सदस्य बन सकते हैं। राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (NABARD) एवं स्मॉल फार्मर्ज एग्रीबिजनस कनसौरटियम (SFAC) के अलावा कई कृषि क्षेत्र से जुड़े अदारे किसान उत्पादक संगठनों को प्रोत्साहन दे रहे हैं।
बाजरा की फसल में कीटों की रोकथाम करके ले भरपूर पैदावार
बाजरा, जिसे पर्ल मिलेट भी कहा जाता है, हरियाणा राज्य की खरीफ मौसम में बोई जाने वाली मुख्य फसल है जो कि राज्य के बारानी क्षेत्र विशेषकर, हिसार, रोहतक, झज्जर, जींद, महेन्द्रगढ़, भिवानी व गुडगांव में बोई जाती है।
नींबू वर्गीय फसलों के रोग एवं उनकी रोकथाम
नींबू वर्गीय फल उष्ण उपोष्णकटिबंधीय देशों की महत्वपूर्ण फल फसल है। ये फल विटामिन सी, शर्करा, अमीनों अम्ल एवं अन्य पोषक तत्वों के सर्वोत्तम श्रोत होते हैं।
बेलगिरी फल-तथ्य व जानकारी
व बेलगिरी को बंगाली क्विंस/गोल्डन एप्पल/स्टोन एप्पल/वुड एप्पल के नाम से भी जाना जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम एजिल मारमिलोस है।
शहद की मक्खियों पर ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव
मधुमक्खी के लार्वा के बेहतर जीवित रहने और प्रभावी परागण के लिए श्रमिकों की पर्याप्त आबादी में परिपक्व होने के लिए गर्म तापमान आवश्यक है। समशीतोष्ण देशों में, जलवायु परिवर्तन के कारण शुरुआती बसंत में ठंडे झटके आते हैं जो कई विकासशील श्रमिक मधुमक्खियों को मारते हैं और उनकी आबादी के निर्माण में देरी का कारण बनते हैं।
महिला सशक्तिकरण से सुधरेगी फसली व्यवस्था
महिलाओं के अधिकारों के लिए महत्वपूर्ण कामयाबी के मुद्दों का समर्थन करने, एक स्वस्थ ग्रह से स्वस्थ आहार के प्रावधान के लिए कृषि उत्पादन और खाद्य प्रणाली के लचीलेपन के संदर्भ में महिला सशक्तिकरण पर विचार करने के प्रयासों को प्रोत्साहित करने की उम्मीद करते हैं।
फसलों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम कैसे किया जाए?
एक अध्ययन के मुताबिक, दुनिया भर के कई इलाकों में फसल पैदावार के कम होने के खतरों को कम करके आंका गया है। अध्ययन में चेतावनी देते हुए कहा गया है कि, जलवायु परिवर्तन हमारे खाद्य प्रणालियों पर भारी प्रभाव डाल रहा है।
ज्वार जलवायु चुनौतियों पर नियंत्रण करने के लिए गेहूं का विकल्प...
बढ़ती जलवायु चुनौतियों के सामने एक नए अध्ययन ने ज्वार को भारत में गेहूं के लचीले विकल्प के रूप में उजागर किया है। देश के दूसरे सबसे बड़े गेहूं उत्पादक के रूप में, भारत ने 2000 के दशक की शुरुआत से गेहूं उत्पादन में 40% की आश्चर्यजनक वृद्धि देखी है। हालाँकि, जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ते तापमान ने गेहूं की गर्मी के प्रति संवेदनशीलता के बारे में चिंताएँ बढ़ा दी हैं, जिसके परिणामस्वरूप पानी की आवश्यकताएँ बढ़ गई हैं और पानी का पदचिह्न भी बढ़ गया है।
शूगर रोग पर नियंत्रण करेंगे चावल
वैज्ञानिकों ने पाया है कि भारत के सुदूर पूर्वोत्तर में उगाई जाने वाली सुगंधित चावल की किस्म, जिसे जोहा चावल के नाम से जाना जाता है, न केवल टाइप 2 मधुमेह को रोकती है, बल्कि अनसैचुरेटेड या असंतृप्त फैटी एसिड से भी भरपूर होती है, जो हृदय रोग के खिलाफ काम करती है।
कीटनाशकों का अधिक प्रयोग कर रहा है पानी के स्रोतों को दूषित
दुनिया भर में हर साल खेतों में करीब 30 लाख टन कीटनाशकों का उपयोग किया जाता है। इसमें से करीब 70,000 टन कीटनाशक जमीन के अंदर रिसकर भूजल में मिल रहा है जो जमीन के अंदर मौजूद पानी को भी जहरीला बना रहा है।
सरकार ने उत्तरी राज्यों के लिए फसल अवशेष प्रबंधन दिशा-निर्देशों में किया संशोधन
केंद्र ने कहा कि उसने पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के लिए फसल अवशेष प्रबंधन दिशा-निर्देशों को संशोधित किया है, ताकि इन राज्यों में पराली जलाने की चुनौती से निपटने और वायु गुणवत्ता में सुधार करने में मदद मिल सके।
अच्छे उत्पादन हेतु समन्वित पादप पोषक तत्व प्रबंधन
धान व गेहूं के फसल चक्र में ढेंचे की हरी खाद का प्रयोग करें। फसल चक्र में परिवर्तन करें। उपलब्धता के आधार पर गोबर तथा कूड़ा करकट का कम्पोस्ट बनाकर प्रयोग किया जाये। खेत में फसल के अवशिष्ट जैविक पदार्थों को मिट्टी में मिला दिया जाये।