CATEGORIES
Kategorien
गन्ने की नई प्रजातियों से ले अधिक उत्पादन
डा. ऋषिपाल, डा. जयप्रकाश कन्नौजिया, अजय यादव, डा. रघुवीर सिंह, डा. हिमांशु शर्मा
सेहतमंद बथुआ
सागों का सरदार बथुआ है. इसे सेहत के लिहाज से सब से अच्छा आहार माना जाता है. बथुआ को अंगरेजी में लैंब्स क्वार्टर्स कहते हैं. इस का वैज्ञानिक नाम चैनोपोडियम एल्बम है.
बांस की खेती - दे रोटी, कपड़ा और मकान
बांस एक बहुपयोगी घास है, जो हमारे जीवन में अहम जगह रखता है. इस को 'गरीब आदमी का काष्ठ', 'लोगों का साथी' और 'हरा सोना' आदि नामों से जाना जाता है. बांस के कोमल प्ररोह सब्जी व अचार बनाने और इस के लंबे तंतु रेऔन पल्प बनाने में प्रयोग किए जाते हैं, जिस से कपड़ा बनता है.
कृषि कानूनों की वापसी : किसानों ने भविष्य तो बचाया पर खाली हाथ है उन का वर्तमान
वर्ष 2022 की विदाई और 2023 का आगमन...
जनवरी महीने में खेती के खास काम
जौ की फसल का भी मुआयना करें. सिंचाई के अलावा जौ के खेतों की निराईगुड़ाई करना भी जरूरी है, ताकि तमाम खरपतवारों से नजात मिल जाए.
पिपली की खेती में कोंडागांव की नई सौगात : भरपूर उत्पादन देती है एमडीपी-16
मुख्य रूप से पिपली अब तक केरल और उत्तरपूर्वी राज्यों के कुछ क्षेत्रों में ही उगाई जाती रही है.
अंगूर की खेती और खास किस्में
भारत में अंगूर की ज्यादातर व्यावसायिक खेती उष्ण कटिबंधीय जलवायु वाले क्षेत्रों में महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु वाले उत्तरी राज्यों में विशेष रूप से की जा रही है.
गन्ना फसल को रोगों से बचाए
गन्ना लंबी अवधि वाली फसल है, जिस के कारण इस फसल में रोगों की संभावनाएं बनी रहती हैं.
गेहूं फसल की सुरक्षा
गेहूं में कीटों, सूत्रकृमियों एवं रोग के कारण 5-10 फीसदी उपज की हानि होती है और दानों व बीजों की गुणवत्ता भी खराब होती है. इन्हीं सब बातों को ध्यान में रखते हुए यहां रोगों की पहचान के लक्षण, उन का प्रबंधन एवं अंत में गेहूं में लगने वाले कीटों एवं रोगों के समेकित रोग प्रबंधन की जानकारी दी जा रही है.
गृह वाटिका में लगे पौधों को रखें हराभरा
आज हमारे चारों ओर बड़ेबड़े भवनों का निर्माण होता जा रहा है, तो उन्हीं बिल्डिंगों के आसपास छोटेबड़े लौन, फुलवारी, बालकौनियों, यहां तक कि छतों पर भी कुछ न कुछ उपाय कर के कुछ फूलों, फलों, सब्जियों, सजावटी लताओं के पौधों को भी लगाया जा रहा है.
पुष्पीय वृक्ष लगाएं सुंदरता बढ़ाएं
आजकल बढ़ते प्रदूषण को रोकने में वृक्षों की बहुत ही असाधारण भूमिका रहती है, इसलिए विभिन्न स्थानों पर शहरों में वृक्षों के रोपण पर अधिक बल दिया जा रहा है. शहरों में वृक्षों का रोपण मुख्य रूप से सड़कों के किनारे, पार्कों में एवं खाली स्थानों पर किया जा रहा है, जिस से प्रदूषण नियंत्रण में कुछ मदद मिल सके.
भूमिहीन महिलाओ को कर रही सशक्त
मोरिंगा की खेती
फसलों को शीत लहर और पाले से बचाएं
सर्दी के मौसम में शीत लहर और पाले से मानव, पशु, पक्षी, फसल आदि सभी प्रभावित होते हैं. सावधान न रहने पर बहुत नुकसान हो सकता है. ये सभी इस से बचने के लिए उपाय कर लेते हैं, लेकिन फसलों को बचाने लिए किसानों को सावधानी रखनी होगी.
गोबर के गमले और ईंटें
पशुपालन से देश में काफी लोग जुड़े हैं और यह आमदनी का अच्छा जरीया भी बन रहा है.
औद्यानिकी फसलों में प्लास्टिक पलवार
आज के समय में सब्जी उत्पादक किसानों के सामने खरपतवार का उगना ही काफी लागत में वृद्धि कर देता है और उत्पादकता भी कम हो जाती है.
फार्म एन फूड एग्री अवार्ड से नवाजे गए किसान और कृषिकार
हमारे देश के गांवों से हो रहे नौजवानों के पलायन और सूने होते गांव इस बात की गवाही दे रहे हैं कि लोगों का खेतीबारी से लगातार मोह भंग होता जा रहा है. इस की काफी हद तक जिम्मेदार सरकार की नीतियां और खेती की पुरानी पद्धतियां हैं.
छात्रों में आत्मविश्वास जगाते हैं विज्ञान प्रोजैक्ट्स
भारत में हर साल 28 फरवरी को 'राष्ट्रीय विज्ञान दिवस' मनाया जाता है, क्योंकि साल 1928 में इसी दिन महान वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकट रमन ने अपनी खोज 'रमन इफैक्ट' की घोषणा की थी. वे पहले भारतीय थे, जिन्हें विज्ञान के क्षेत्र में 'नोबल पुरस्कार' मिला था. उन्हें साल 1954 में 'भारत रत्न' से भी सम्मानित किया गया था.
किसान की आय चपरासी से भी कम
वर्ष 2022 भी चला गया, पर नहीं हुई किसानों की आय दोगुनी
शिमला मिर्च की वैज्ञानिक विधि से खेती
पहले इस की खेती ठंडे जगहों पर ही होती थी, लेकिन अब इस की खेती मैदानी क्षेत्रों में भी की जाने लगी है.
पोटाश गेहूं को बनाए दमदार दिलाए अधिक पैदावार
भारत में गेहूं की खेती तकरीबन 3 करोड़ हेक्टेयर भूमि पर होती है. विश्व के गेहूं के कुल क्षेत्रफल और उत्पादन का तकरीबन 12 फीसदी भारत में ही है.
जीएम फसल और तकनीक
भारत में ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में खाद्यान्न फसलों का उत्पादन एवं उत्पादकता एक गंभीर चुनौती बनी हुई है.
किसान कैसे करें फसलों की पाले से सुरक्षा
सर्दी का मौसम शुरू होते ही हर किसी के सामने ठंडक एक समस्या बन कर खड़ी हो जाती है.
कम जोत वाले किसानों के लिए मिनी रोटावेटर
इस मशीन से किसान खेत की जुताई से ले कर कटाई तक का काम आसानी से कर सकते हैं. इन्हें इस्तेमाल करने के लिए छोटे ट्रैक्टर से काम लिया जा सकता है.
आर्गेनिक खेती और देशी बीज का प्रशिक्षण संपन्न
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रकाश सिंह रघुवंशी ने किसानों को जैविक खेती और उन्नत बीज उत्पादन का प्रशिक्षण दिया.
दिसंबर महीने में खेती के काम
जिन किसानों ने गेहूं की समय से बोआई की है, वह गेहूं में नाइट्रोजन की बाकी बची मात्रा दें और 15-20 दिन के अंतराल से सिंचाई करते रहें.
गेहूं की नई किस्मों से लें अधिक उत्पादन
गेहूं की खेती हमारे देश में 31.88 मिलियन हेक्टेयर पर की जाती है. देश में गेहूं उत्पादन में लगातार बढ़ोत्तरी हुई है.
बढ़िया औक्सीजन देंगे ये पौधे
आज के समय में यह सूझबूझ बहुत काम आ सकती है कि घर के भीतर कुछ ऐसे पौधे हों, जो फेफड़ों को औक्सीजन देने में सहायता करें. बहुत ही कम खर्च पर यह काम हर कोई कर सकता है.
कैसे करें धान का भंडारण
धान की खेती करने वाले किसानों के लिए उस के भंडारण के लिए भी उचित प्रक्रिया अपनानी चाहिए जिस से लंबे समय तक धान को सुरक्षित रखा जा सके.
फसल अवशेष से कंपोस्ट
भारत में विभिन्न फसल प्रणालियों से लगभग 501.7 मिलियन टन फसल अवशेष उत्पादन होता है. फसल अवशेष उत्पादन में उत्तर प्रदेश, पंजाब व हरियाणा प्रमुख राज्य हैं. इन राज्यों में मुख्य रूप से धान व गेहूं आधारित फसल प्रणाली होती है.
पशुओं को संक्रामक रोगों से बचाएं ये टीके
भारत में पशुधन का अत्यधिक महत्त्व है. ग्रामीण क्षेत्रों में तो पशुधन ही कृषि अर्थव्यवस्था की रीढ़ है. पशुधन को हम रोजगार का जरीया भी बना सकते हैं. पशुओं की सही देखभाल और बीमारियों से बचाना भी बहुत जरूरी है.