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कृषि आंकड़ों को बेहतर करेगी डिजिटल फसल सर्वेक्षण
वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा कि भारत सटीक रकबे का आकलन करने के लिए पूरे देश में उन्नत विश्लेषण और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) द्वारा समर्थित नियमित डिजिटल फसल सर्वेक्षण करके अपनी कृषि सांख्यिकी प्रणाली को मजबूत करने की योजना बना रहा है।
परागण कीटों पर कीटनाशक डाल रहे प्रभाव
यार्क विश्वविद्यालय के एक शोध में पाया गया है कि परागण करने वाली मधुमक्खियां कई तरह के तनावों से गुजर रही हैं।
कृषि अनुसंधान में निवेश के साथ फसलों में बढ़ेगी विविधता
भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने में कृषि की महत्वपूर्ण भूमिका रहने वाली है। भारतीय कृषि को अपनी मौजूदा 4 प्रतिशत की वृद्धि दर से बाहर निकलना होगा। विकसित भारत के लक्ष्य को पूरा करने के लिए अनुसंधान एवं विकास पर अधिक निवेश करना होगा।
मिट्टी के पीएच में सुधार और फसल पैदावार बढ़ाने के लिए वैज्ञानिकों ने विकसित किए नए उत्पाद
भारत में लगभग 67.3 लाख हैक्टेयर भूमि लवणीयता से प्रभावित है। लवणीय मिट्टी कृषि उत्पादकता पर प्रतिकूल प्रभाव डालती है, जिससे अक्सर फसल उत्पादन गतिविधियां आर्थिक रूप से फायदेमंद नहीं हो पाती हैं।
जीएम कपास की पूरी क्षमता का दोहन करने के लिए बायोटेक, हस्तक्षेप जारी रखने का आह्वान
कपास विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों ने आनुवंशिक रूप से संशोधित (जीएम) कपास पर ठोस जोर देने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए कहा है कि एक मजबूत कपड़ा मूल्य श्रृंखला सुनिश्चित करने और राज्यों की आकांक्षाओं को प्राप्त करने के लिए यह महत्वपूर्ण होगा।
पूर्वीजर हरियाणा में धान की सीधी बिजाई एक प्रयत्न तो बनता है
हरियाणा प्रदेश के उत्तर पूर्वी भाग (अंबाला, कुरुक्षेत्र, यमुनानगर, करनाल, पानीपत और सोनीपत आदि जिले) में धान की फसल का अपना ही एक महत्व है। यहां के धान की उच्च गुणवत्ता और विक्रय के लिए बाजार के स्थायी तंत्र की उपस्थिति के कारण धान का स्थान ग्रहण करने के लिए वर्तमान में कोई दूसरी फसल विद्यमान नहीं है। किन्तु जिस परम्परागत विधि से धान की खेती यहां पर की जा रही है वह बहुत ही दीर्घकालिक नहीं प्रतीत हो रही है।
बढ़ती अर्थव्यवस्था के शोर में कृषि को उपेक्षित न छोड़ा जाए...
जय जवान जय किसान का नारा देने वाले देश का किसान देश की राजधानी दिल्ली को मांगों के समथर्न में घेरने की तैयारी से मोर्चा लेकर सीमा क्षेत्र में बैठा हुआ है। सरकार एवं किसान आंदोलनकारियों के बीच दौर की वार्ता अभी तक बेनतीजा ही रही है।
ग्रीन हाउस में फूलों की खेती
हमारे देश की जलवायु ऐसी है जहां सभी प्रकार के फूल उगाये जाते हैं। किन्तु वर्तमान समय की विशेष आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नियंत्रित वातावरण में फूल उपजाए जाते हैं, जो सामान्यतः खुले वातावरण में ठीक से नहीं उपजाए जा सकते हैं।
स्वैः मंडीकरण में पैकिंग एवं लेबलिंग का महत्व
\"मंडीकरण कृषि व्यापार का एक अहम पहलु है। उचित मंडीकरण द्वारा मंडी में उपभोक्ताओं की जरुरतों का पता लगाकर आवश्यक वस्तु/सेवा उपलब्ध करवाई जा सकती है। मंडीकरण गतिविधियों के कारण कृषि उद्यमी वस्तु की बेच संभावना में इजाफा कर सकते हैं और वस्तुओं के अच्छे मूल्य भी प्राप्त कर सकते हैं। मंडीकरण गतिविधियों में वस्तु की गुणवत्ता, पेशकारी, कीमत, बेच स्थान एवं प्रचार को शामिल किया जाता है।\"
सी. एस. टी. एल. से बीज सैंपल पुन: परिक्षण
बीज खेती किसानों की जरूरत है, बीज उत्तम ही नहीं, सर्वोत्तम होना चाहिए। बीज की पावनता, पवित्रता, शुद्धता बनी रहे। इसके लिए भारत सरकार ने बीज अधिनियम-1966, बीज नियम-1968 तथा बीज नियंत्रण आदेश-1983 लागू किए हैं।
मधुमक्खी पालन पर मौसम का असर और उसका निवारण
मधुमक्खी पालकों को बदलते हुए मौसम में मधुमक्खियों का पालन करने में काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। बदलते मौसम के कारण मधुमक्खियों की आबादी और उत्पादन शक्ति पर गहरा असर पड़ता है जिसके परिणामस्वरूप मधुमक्खी पालकों को आर्थिक रुप से भी नुकसान होता है।
लम्पी त्वचा रोग के पीछे अनेक वेरिएंट
मई 2022 में, भारत भर में मवेशी एक रहस्यमय बीमारी से मरने लगे थे। तब से लगभग 1,00,000 गायें इसके विनाशकारी प्रकोप से अपनी जान गंवा चुकी हैं, वैज्ञानिकों ने इसकी पहचान लम्पी या गांठदार त्वचा रोग के रूप में की।
फास्फोरस का अधिक उपयोग नुकसानदायक...
फास्फोरस के अधिक कुशल उपयोग से इस महत्वपूर्ण उर्वरक का सीमित भंडार 500 से अधिक वर्षों तक चल सकता है। बढ़ती आबादी की भोजन की मांग को पूरा करने के लिए दुनिया भर में फॉस्फोरस समेत कई उर्वरकों की मदद से फसलों के उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।
भारतीय वैज्ञानिकों ने खोजी केंचुओं की दो नई प्रजातियां
ओडिशा केंद्रीय विश्वविद्यालय (सीयूओ) और केरल के महात्मा गांधी विश्वविद्यालय से जुड़े शोधकर्ताओं ने भारत में केंचुओं की दो नई प्रजातियों की पहचान की है। केंचुओं की यह नई प्रजातियां ओडिशा के कोरापुट में खोजी गई हैं।
ड्रैगन फ्रूट का जुम तैयार करने के लिए विकसित की नई तकनीक
बढ़ती मांग को पूरा करने और टिकाऊ बागवानी प्रथाओं को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आईसीएआर-भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान (आईआईएचआर) के शोधकर्ताओं ने रेडी-टू-सर्व ड्रैगन फ्रूट जूस तैयार करने के लिए अभिनव तकनीक विकसित की है।
खेत में उपज से लेकर थाली में पहुंचने तक बर्बाद हो रहा 13 प्रतिशत अनाज
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की फूड वेस्ट इंडेक्स 2024 रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2022 में पूरी दुनिया में 1.05 अरब टन भोजन बर्बाद हो गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार करीब 20 प्रतिशत भोजन कूड़े में फैंक दिया जाता है।
15.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है मधुमक्खी पालन बाजार
मधुमक्खियां फसलों को परागित करके कृषि और खाद्य आपूर्ति श्रृंखला में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, फिर भी दुनिया के कई हिस्सों में मधुमक्खियों की आबादी घट रही है। इससे मधुमक्खी पालन-मधुमक्खी पालन और शहद उत्पादन में गहरी रुचि पैदा हो रही है। वास्तव में, वैश्विक मधुमक्खी पालन बाजार का आकार 2022 में 10.3 बिलियन डॉलर से बढ़कर 2032 तक 15.3 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो इस अवधि के दौरान 4% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर से बढ़ रहा है।
मक्का फसल प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर खोज
बदलती जलवायु में मक्का उत्पादकों को किसी भी समस्या के लिए तैयार रहना चाहिए, जिसमें नई और तेजी से बदलती बीमारियां भी शामिल हैं। यह अनुमान लगाना असंभव है कि कौन से साल में कौन सी हानिकारक बीमारी सामने आएगी। हालांकि, कई बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता वाली मक्के की फसल, उत्पादकों के लिए एक बड़ी जीत हो सकती है।
वायु प्रदूषण से घटती है परागण क्रिया
परागण की प्रक्रिया से आशय परागकणों का नर से मादा के अंगों में पहुंचना है। यह पौधों के लिए प्रजनन का एक जरूरी हिस्सा है। इस प्रक्रिया में पौधों को कीट-पतंगों के माध्यम से भोजन मिलता है, जिसे कीट परागण के रूप में जाना जाता है। लेकिन अब एक अध्ययन में सामने आया है कि कीट परागण की प्रक्रिया बाधित हो रही है और इसके लिए वायु प्रदूषण भी जिम्मेवार है।
मौजूदा खाद्य प्रणाली में बदलाव लाना आवश्यक
हमारी खाद्य प्रणाली, यानी जिस तरह से हम खाद्य पदार्थ उपजाते हैं, उनकी मार्केटिंग करते हैं तथा उन्हें खाते हैं, ने एक तरफ हमारी खाद्य जरूरतें पूरी की हैं तो दूसरी तरफ निरंतर अल्प पोषण, मोटापा, जैव विविधता और पर्यावरण को नुकसान तथा जलवायु परिवर्तन जैसी समस्याएं भी पैदा की हैं।
कीटनाशकों के बिना फसल सुरक्षा के लिए नई खोजें
अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कृमि (वर्म) की एक नई प्रजाति खोजी है। उनका दावा है कि यह नन्हा जीव कीटनाशकों के बिना भी फसलों को कीटों से सुरक्षित रखने में मददगार साबित हो सकता है। प्राप्त जानकारी के मुताबिक यह सूक्ष्म कृमि पहले कीटों को संक्रमित करते हैं, फिर उन्हें खत्म कर देते हैं। वैज्ञानिकों ने अमेरिकी जीव विज्ञानी बायरन एडम्स के सम्मान में इस नई प्रजाति को \"स्टीनरनेमा एडम्सी\" नाम दिया है।
हरित क्रांति ने भारत को खाद्य सुरक्षा हासिल करने में तो मदद की, लेकिन पोषण सुरक्षा कमजोर
जैसा आप खाते हैं, वैसे ही आप बनते हैं या यूं कहें, जो उगाते हैं, वही खाते हैं। कल्पना कीजिए, पूरी आबादी ऐसी चीज खा रही हो जिसमें कम पोषण हो, जिसमें विटामिन और वे जरूरी तत्व नहीं हों जो विकास, बीमारियों से बचाने और स्वस्थ रहने के लिए जरूरी हैं।
पर्यावरण दिवस और प्रकृति के महत्व एवं इसके संरक्षण की पहल
पर्यावरण दिवस द्वारा हमें पर्यावरण और प्रकृति के महत्व को समझाया जाता है और देश के प्रयासों को दर्शाया जाता है। हम सभी जानते हैं कि प्रकृति और पर्यावरण हमारे दैनिक जीवन में कितना महत्वपूर्ण है।
गन्ने और फलों से प्राकृतिक सिरका उत्पादन एक सहायक व्यवसाय
प्रमुख बिंदु - सिरका एक साधारण घरेलू नाम है, जो अपने पोषण गुणों के कारण स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा के बारे में बढ़ती जागरूकता के कारण बहुत अधिक महत्व प्राप्त कर रहा है। अधिकतर व्यवसायिक इकाईयां और उद्यमी प्राकृतिक सिरके की उत्पादन तकनीक में निवेश कर रहे हैं और उससे लाभ प्राप्त कर रहे हैं।
बैंगन की फसल पर बहुआयामी कीट प्रबंध
यदि किसान को कीटों के बारे जानकारी हो तो इन स्प्रेयों के खर्च और नुक्सान से बचा जा सकता है। हर फसल में यदि फसल को नुक्सान पहुँचाने वाले कीट आते हैं तो इन कीटों को प्राकृतिक तौर पर नियंत्रण में रखने के लिए अनेकों मांसाहारी कीट भी फसल पर आते हैं। जरूरत है इन कीटों की जानकारी और इनके सर्वेक्षण की विधि के ज्ञान के बारे में।
मधुमक्खियों पर कीटनाशकों के दुष्प्रभाव की जानकारी एवं बचाव के जरूरी उपाय
मधुमक्खियाँ सर्वोत्तम परागणकर्ता होती हैं और अन्य कीटों की तुलना में इनको सबसे अधिक प्रभावी परागणकर्ता माना जाता है। फसल उत्पादन की दृष्टि से परागण तथा कीट नियंत्रण दोनों ही महत्वपूर्ण कार्य हैं और भरपूर उपज लेने के लिए दोनों में पर्याप्त सामंजस्य होना अनिवार्य है।
जीएम सरसों मुद्दे पर निर्णय लंबित
2010 में आनुवंशिक रूप से संशोधित बीटी बैंगन के बाद, अब एक और आनुवंशिक रूप से संशोधित फसल, जीएम सरसों बढ़ रही है। भारत के पर्यावरणविद, स्वास्थ्य और प्राकृतिक खेती के समर्थक, किसान, वैज्ञानिक और कार्यकर्ता शाकनाशी सहिष्णु सरसों को मंजूरी देने के मुद्दे पर भारत सरकार के साथ आमने-सामने हैं।
चूजों में गम्बोरो बीमारी की रोकथाम के लिए नई वैक्सीन
किसी भी पोल्ट्री फार्म में अंडे के लिए पाले जाने वाले चूजों की संख्या पांच हजार से कम नहीं होती है। यदि चिकन वाले ब्रॉयलर चूजों की बात करें तो इनकी संख्या कम से कम 10 से 20 हजार होती है।
किसानों को जलवायु परिवर्तन से निपटने में मददगार करेगा मौसम पूर्वानुमान
तेलंगाना में हुए एक नए अध्ययन में सामने आया है कि मानसून के सटीक पूर्वानुमान किसानों को बेहतर निर्णय लेने में मददगार साबित होते हैं और इससे उन्हें जलवायु परिवर्तन के अनुकूल ढलने में मदद मिलती है।
मूंगफली फसल सुरक्षा में एफ्लाटॉक्सिन प्रतिरोधक सिस्टम की खोज
मूंगफली किसानों को फंगल संक्रमण से भारी नुकसान झेलना पड़ता है। यह फंगल संक्रमण एस्परगिलस फ्लेवस के कारण होता है और इसे एफ्लेटॉक्सिन कहते हैं। यह फसल को प्रदूषित और संक्रमित करने के साथ ही मानव स्वास्थ्य के लिए भी खतरा है।