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रामकृष्ण मिशन विवेकानन्द विश्वविद्यालय, हावड़ा (स्वामी तन्निष्ठानन्द) २९६
(बच्चों का आंगन) विजय या वीरगति का प्रण (स्वामी गुणदानन्द) ३०४
स्वाधीनता आन्दोलन की क्रान्ति ज्वालाएँ (अरुण चूड़ीवाल) ३०८
(युवा प्रांगण) करुणा का विस्तार कर सार्थक मनुष्य बनें (सीताराम गुप्ता) ३११
पात्र की अनुकूलता (उत्कर्ष चौबे) ३१४
रहीम की रक्षा (गुरुप्रसाद) ३२१
श्रद्धा : भौतिक और आध्यात्मिक विकास की कुंजी (पी. परमेश्वरन् ) ३२५
गुरु द्वारा प्रदत्त मन्त्र..(स्वामी सत्यरूपानन्द) ३३०
शृंखलाएँ
मंगलाचरण (स्तोत्र) २९३ , पुरखों की थाती २९३
सम्पादकीय २९४, आध्यात्मिक जिज्ञासा ३०५
श्रीरामकृष्ण-गीता ३१३, प्रश्नोपनिषद् ३१६
रामराज्य का स्वरूप ३१८, सारगाछी की स्मृतियाँ ३२२
गीतातत्त्व-चिन्तन ३२८, साधुओं के पावन प्रसंग ३३१
समाचार और सूचनाएँ ३३४
(कविता) गुरु-वंदना (डॉ.ओमप्रकाश वर्मा) ३१७
(कविता) प्रभु आइये (विजय श्रीवास्तव) ३१७
Vivek Jyoti Magazine Description:
Editor: Ramakrishna Mission, Raipur
Categoría: Religious & Spiritual
Idioma: Hindi
Frecuencia: Monthly
भारत की सनातन वैदिक परम्परा, मध्यकालीन हिन्दू संस्कृति तथा श्रीरामकृष्ण-विवेकानन्द के सार्वजनीन उदार सन्देश का प्रचार-प्रसार करने के लिए स्वामी विवेकानन्द के जन्म-शताब्दी वर्ष १९६३ ई. से ‘विवेक-ज्योति’ पत्रिका को त्रैमासिक रूप में आरम्भ किया गया था, जो १९९९ से मासिक होकर गत 60 वर्षों से निरन्तर प्रज्वलित रहकर यह ‘ज्योति’ भारत के कोने-कोने में बिखरे अपने सहस्रों प्रेमियों का हृदय आलोकित करती रही है । विवेक-ज्योति में रामकृष्ण-विवेकानन्द-माँ सारदा के जीवन और उपदेश तथा अन्य धर्म और सम्प्रदाय के महापुरुषों के लेखों के अलावा बालवर्ग, युवावर्ग, शिक्षा, वेदान्त, धर्म, पुराण इत्यादि पर लेख प्रकाशित होते हैं ।
आज के संक्रमण-काल में, जब भोगवाद तथा कट्टरतावाद की आसुरी शक्तियाँ सुरसा के समान अपने मुख फैलाएँ पूरी विश्व-सभ्यता को निगल जाने के लिए आतुर हैं, इस ‘युगधर्म’ के प्रचार रूपी पुण्यकार्य में सहयोगी होकर इसे घर-घर पहुँचाने में क्या आप भी हमारा हाथ नहीं बँटायेंगे? आपसे हमारा हार्दिक अनुरोध है कि कम-से-कम पाँच नये सदस्यों को ‘विवेक-ज्योति’ परिवार में सम्मिलित कराने का संकल्प आप अवश्य लें ।
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