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![परवल अधिकतम आमदनी देने वाली सब्जी परवल अधिकतम आमदनी देने वाली सब्जी](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1785163/A3fdr_ASB1722584741059/1722584889067.jpg)
परवल अधिकतम आमदनी देने वाली सब्जी
हमारे देश में किसान भाईयों को अगर अपनी आमदनी दोगुनी करनी हो या इससे भी अधिक आमदनी प्राप्त करनी है तो गेहूं-धान के साथ सब्जियों की ओर भी विशेष ध्यान देना होगा, क्योंकि सब्जियों की काश्त ही किसानों की आय को अन्य फसलों की अपेक्षा उम्मीद से बहुत ज्यादा आमदनी का श्रोत बन सकती है। थोड़ी सी मेहनत व कुछ श्रम के साथ इन सब्जियों की ओर ध्यान देने की आवश्यकता है जो आमदनी को दोगुनी चौगुनी बड़े आसानी से कर सकती है।
![कांग्रेस घास पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा- इसका नियंत्रण कैसे करें कांग्रेस घास पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा- इसका नियंत्रण कैसे करें](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1785163/K1H8YwoDy1722584517360/1722584712608.jpg)
कांग्रेस घास पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा- इसका नियंत्रण कैसे करें
गाजर घास (Parthenium hysterophorus), जिसे कांग्रेस घास के नाम से भी जाना जाता है, गाजर जैसा दिखने वाला खरपतवार है। इसका तना रोयेंदार और गाजर जैसी दिखने वाली पत्तियों पर भी छोटे रोयें लगे होते है। इस पौधे की लंबाई 1 से 1.5 मीटर तक हो सकती है। इसका बीज बहुत छोटा होता है और एक पौधा लगभग 10000 से 25000 तक बीज पैदा कर सकता है जो जमीन पर गिरने के बाद नमी पाकर जल्दी अंकुरित होते हैं। यह पूरे साल फलता-फूलता रहता है। अत: 3 से 4 महीने में जीवन चक्र पूरी करने वाली यह घास एक साल में 3-4 पीढ़ी पूरी कर लेती है।
![पोषक तत्वों से भरपूर जैविक खाद वर्मीकम्पोस्ट पोषक तत्वों से भरपूर जैविक खाद वर्मीकम्पोस्ट](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1785163/4hSsZZsKp1722584367260/1722584508545.jpg)
पोषक तत्वों से भरपूर जैविक खाद वर्मीकम्पोस्ट
वर्मीकम्पोस्ट (vermicompost) एक ऐसी खाद है, जो विशेष प्रजाति के केंचुओं द्वारा बनाई जाती है। केंचुओं द्वारा गोबर एवं कचरे को खाकर, मल द्वारा जो चाय की पत्ती जैसा पदार्थ बनता है, यही वर्मीकम्पोस्ट है।
![उद्यमी किसान के लिए फूड प्रोसैस्सिंग में अपार अवसर उद्यमी किसान के लिए फूड प्रोसैस्सिंग में अपार अवसर](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1785163/towNj9U6O1722583501300/1722584359799.jpg)
उद्यमी किसान के लिए फूड प्रोसैस्सिंग में अपार अवसर
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा खाद्य उत्पादक देश है। यह चीन से पीछे है। परन्तु इसकी कृषि के क्षेत्र में इतनी क्षमता है कि यह दुनिया का नंबर एक देश बन सकता है। खाद्य एवं फूड प्रोसैस्सिंग के क्षेत्रों में बड़े निवेशों के बहुत अवसर आ रहे हैं।
![बीजोपचार का कृषि में महत्व बीजोपचार का कृषि में महत्व](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1785163/mttb6DR6C1722583154703/1722583497438.jpg)
बीजोपचार का कृषि में महत्व
कृषि क्षेत्र की प्राथमिकता उत्पादकता को बनाये रखने तथा बढ़ाने में बीज का महत्वपूर्ण स्थान है। उत्पादकता बढ़ाने के लिए उत्तम बीज का होना अनिवार्य है।
![धान में पोषक तत्व प्रबन्धन धान में पोषक तत्व प्रबन्धन](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1785163/1aRqCJggJ1722582930539/1722583128945.jpg)
धान में पोषक तत्व प्रबन्धन
धान हरियाणा की एक महत्वपूर्ण फसल है। इसका मुख्य उत्पादन करनाल, कैथल, अम्बाला, कुरुक्षेत्र, पानीपत व यमुनानगर में किया जाता है। बढ़ती हुई जनसंख्या की खाद्य व अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति करना एक बहुत बड़ी चुनौती है।
![तिलहन उत्पादन में गंधक पोषक तत्व महत्व तिलहन उत्पादन में गंधक पोषक तत्व महत्व](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1785163/m_WWzUI_f1722582655932/1722582920516.jpg)
तिलहन उत्पादन में गंधक पोषक तत्व महत्व
गंधक का पौधों के लिए आवश्यक पोषक तत्वों में प्रमुख स्थान है। गंधक तिलहन फसलों में तेल निर्माण के लिए आवश्यक होने के कारण इन फसलों के लिए यह अद्वितीय तत्त्व माना गया है।
![जलवायु संकट के कारण उत्तर प्रदेश में 20 फीसदी तक घट सकती है धान की पैदावार जलवायु संकट के कारण उत्तर प्रदेश में 20 फीसदी तक घट सकती है धान की पैदावार](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1785163/ILrdxHdeG1722582407097/1722582638986.jpg)
जलवायु संकट के कारण उत्तर प्रदेश में 20 फीसदी तक घट सकती है धान की पैदावार
जलवायु परिवर्तन भारतीय किसानों के लिए एक कड़वी सच्चाई बन चुका है। न चाहते हुए भी देश में किसानों को इस अनजाने खतरे से जूझना पड़ रहा है। उत्तर प्रदेश के किसान भी इन बदलावों से सुरक्षित नहीं हैं।
![कृषि विकास के लिए वैज्ञानिकों को खेतों तक पहुंचना होगा ... कृषि विकास के लिए वैज्ञानिकों को खेतों तक पहुंचना होगा ...](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1785163/l23vspGae1722582226150/1722582397625.jpg)
कृषि विकास के लिए वैज्ञानिकों को खेतों तक पहुंचना होगा ...
केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कृषि वैज्ञानिकों और किसानों के जुड़ाव पर जोर देते हुए कहा कि सारे वैज्ञानिक साल में एक महीना खेत में जाकर किसानों को सिखाएं।
![बड़े हो रहे खेत, खेती-बाड़ी को किस दिशा ले जाएंगे? बड़े हो रहे खेत, खेती-बाड़ी को किस दिशा ले जाएंगे?](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1785163/vI_rPMghJ1722580652413/1722580765674.jpg)
बड़े हो रहे खेत, खेती-बाड़ी को किस दिशा ले जाएंगे?
खेती का पेशा सभ्यतागत बदलाव के दौर में है। भोजन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए टिककर खेती करने की यह मानवीय पहल 12,000 वर्ष से ज्यादा पुरानी है। जब मानव इस पेशे में उतरे थे, तब खेती केवल आवश्यकता आधारित थी। अब यह कई ट्रिलियन डॉलर का व्यवसाय बन चुकी है और वर्तमान में 60 करोड़ खेत दुनियाभर की 800 करोड़ की आबादी का पेट भर रहे हैं। कृषि क्षेत्र में 1980 के दशक से जो परिवर्तन शुरू हुआ वो अगले 30 वर्षों में चरम पर पहुंच जाएगा। अब सवाल उठता है कि आखिर यह परिवर्तन है क्या?
![मवेशियों में लम्पी त्वचा रोग के लिए कई वायरस जिम्मेदार मवेशियों में लम्पी त्वचा रोग के लिए कई वायरस जिम्मेदार](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1785163/2xN9V9Udo1722580554435/1722580653234.jpg)
मवेशियों में लम्पी त्वचा रोग के लिए कई वायरस जिम्मेदार
मई 2022 में भारत भर में मवेशी एक रहस्यमय बीमारी से मरने लगे थे। तब से लगभग 1,00,000 गायें इसके विनाशकारी प्रकोप से अपनी जान गंवा चुकी हैं, वैज्ञानिकों ने इसकी पहचान लम्पी या गांठदार त्वचा रोग के रूप में की। इस प्रकोप ने भारत के कृषि क्षेत्र को बुरी तरह प्रभावित किया, जिससे भारी आर्थिक नुकसान हुआ।
![स्वास्थ्य एवं स्वाद की पहचान बने जैविक कृषि उत्पाद स्वास्थ्य एवं स्वाद की पहचान बने जैविक कृषि उत्पाद](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1768722/84ROr0up21722430504258/1722430718812.jpg)
स्वास्थ्य एवं स्वाद की पहचान बने जैविक कृषि उत्पाद
वर्तमान परिवेश में विश्व उपभोक्ता की जैविक कृषि उत्पादों में रूचि एवं मांग बढ़ रही है। लेकिन इसके विपरीत सर्वाधिक जैविक खेती का रकबा रखने वाला भारत उत्पादन एवं विश्व बाजार में अपने जैविक कृषि उत्पाद के विक्रय प्रदर्शन में कमतर साबित हो रहा है।
![बाजरे की खेती और पैदावार बाजरे की खेती और पैदावार](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1768722/4S4GPEfzG1722429924487/1722430493820.jpg)
बाजरे की खेती और पैदावार
अधिक बाजरे का उत्पादन और लाभ हेतु उन्नत प्रौद्योगिकियां अपना आवश्यक है। भारत दुनिया का अग्रणी बाजरा उत्पादक देश है। भारतवर्ष में लगभग 85 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में बाजरे की खेती की जाती है, जिसमें से 87 प्रतिशत क्षेत्र राजस्थान, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश एवं हरियाणा राज्यों में है।
![मृदा परीक्षण फसल उत्पादकता एवं गुणवत्ता वृद्धि हेतु वरदान मृदा परीक्षण फसल उत्पादकता एवं गुणवत्ता वृद्धि हेतु वरदान](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1768722/K9xIgi-wC1722429513821/1722429874419.jpg)
मृदा परीक्षण फसल उत्पादकता एवं गुणवत्ता वृद्धि हेतु वरदान
पूरी दुनिया में बढ़ती हुई जनसंख्या का भरण पोषण कृषि पर ही निर्भर है, 1950 के बाद भारत समेत सम्पूर्ण विश्व में जनसंख्या में कुछ ज्यादा ही वृद्धि हुई है। इस बढ़ती हुई जनसंख्या ने हमें कृषि उत्पादन बढ़ाने के तौर तरीकों के बारे में सोचने पर मजबूर कर दिया जिसके फलस्वरूप हरित क्रांति का जन्म हुआ। हरित क्रांति में अधिक खाद्यान्न उत्पादन के लिये किसानों ने रासायनिक उर्वरकों, कृषि रसायनों और सिंचाई साधनों का अंधाधुंध प्रयोग किया जिससे मृदा स्वास्थ्य में भारी कमी आई है।
![कृषि विकास में सोशल मीडिया की भूमिका कृषि विकास में सोशल मीडिया की भूमिका](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1768722/etp6gnVB61722428664552/1722429496021.jpg)
कृषि विकास में सोशल मीडिया की भूमिका
मौजूदा युग में सूचना एवं टैक्नॉलोजी द्वारा अनेक ऐसी सूचनाओं का प्रसार हो रहा है जिस कारण घर बैठे किसानों को कृषि विषय की सलाह प्राप्त हो रही है। सूचना एवं संचार के उपलब्ध साधनों का प्रयोग कृषि की प्रगति को बढ़ाने में सहायक होता है और इस मेल का प्रत्येक व्यक्ति को लाभ होता है। इन साधनों का प्रयोग परामर्श सेवाएं देने एवं किसान, कृषि विशेषज्ञ एवं अन्य हिस्सेदारों के बीच संचार आसान बनाने के लिए किया गया है।
![कृषि में कार्बनिक खादों का महत्व कृषि में कार्बनिक खादों का महत्व](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1768722/UuGg2wm7V1722428329987/1722428654434.jpg)
कृषि में कार्बनिक खादों का महत्व
मिट्टी की उत्पादन क्षमता जिससे पौधों को सन्तुलित मात्रा में पोषक तत्व उपलब्ध होते रहें। कार्बनिक खादें जैसे, गोबर की खाद, कम्पोस्ट परम्परागत रूप से मृदा उर्वरा शक्ति में वृद्धि कर फसलों की अच्छी पैदावार लेने के लिए अच्छी मानी गई है।
![बैंगन की खेती बैंगन की खेती](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1768722/DrLQP0oPa1722427601302/1722428315209.jpg)
बैंगन की खेती
बैंगन सोलेनैसी जाति की फसल है जो कि मूल रूप से भारत की फसल है। आमतौर पर इसकी खेती सब्जी के लिए की जाती है। हमारे देश के अलावा भी यह अन्य कई देशों की प्रमुख सब्जी की फसल है। बैंगन की फसल बाकी फसलों से ज्यादा सख्त होती है। इसके सख्त होने के कारण इसे शुष्क या कम वर्षा वाले क्षेत्रों में भी उगाया जा सकता है। यह विटामिन तथा खनिजों का अच्छा स्त्रोत है।
![कीटनाशकों के सुरक्षित भंडारण एवं विवेकपूर्ण उपयोग का तरीका कीटनाशकों के सुरक्षित भंडारण एवं विवेकपूर्ण उपयोग का तरीका](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1768722/TqM4Gq0d_1722427256433/1722427588312.jpg)
कीटनाशकों के सुरक्षित भंडारण एवं विवेकपूर्ण उपयोग का तरीका
आधुनिक कृषि में कीटनाशकों का बहुत महत्व है। कीटनाशक उन रासायनिक या जैविक पदार्थों के मिश्रण को कहते हैं जो कि कीटों, बीमारियों व खरपतवारों आदि से फसलों को नुकसान से बचाने के लिए उपयोग किए जाते हैं।
![फसलों के अनुसार खुद को ढाल रही हैं टिड्डिया फसलों के अनुसार खुद को ढाल रही हैं टिड्डिया](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1768722/169ht0J2F1722426886446/1722427252462.jpg)
फसलों के अनुसार खुद को ढाल रही हैं टिड्डिया
टिड्डियां गंध की मदद से फसलों को पहले से बेहतर तरीके से पहचान रही हैं तथा उनके अनुसार अपने आपको ढाल रही हैं। इस काम को वे अरबों से ज्यादा जीवों के झुंड में आसानी से कर सकती हैं। इस चिंताजनक बात का खुलासा यूनिवर्सिटी ऑफ कोंस्टांज के क्लस्टर ऑफ एक्सीलेंस कलेक्टिव बिहेवियर के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया है।
![सीमांत किसानों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव सीमांत किसानों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1768722/syA4KAeoy1722426758464/1722426878469.jpg)
सीमांत किसानों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
विकास खुफिया इकाई (डीआईयू) के सहयोग से समतामूलक विकास के लिए उद्यम मंच (एफईईडी) की ओर से सीमांत किसानों पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर तैयार की गई रिपोर्ट से पता चला है कि सर्वेक्षण में शामिल 60 प्रतिशत से अधिक सीमांत किसानों को पिछले पांच वर्षों में चरम मौसम की घटनाओं के कारण फसल का काफी नुकसान उठाना पड़ा है, जिनमें से आधे से अधिक ने गंभीर प्रभाव की बात कही है।
![आलू में अकाल के लिए जिम्मेदार रोगाणु पेरु में हुआ था उत्पन्न आलू में अकाल के लिए जिम्मेदार रोगाणु पेरु में हुआ था उत्पन्न](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1768722/OAb29DiZ91722426577995/1722426748470.jpg)
आलू में अकाल के लिए जिम्मेदार रोगाणु पेरु में हुआ था उत्पन्न
19वीं शताब्दी के महान आयरिश आलू अकाल के लिए जिम्मेदार रोगाणु की उत्पत्ति पेरू में हुई थी, जिसने ब्रिटिश शासित आयरलैंड में लाखों लोगों की जान ले ली थी और जिसके कारण विश्वभर में आयरिश लोगों का प्रवास हुआ था।
![कृषि में बढ़ रहा है इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन कृषि में बढ़ रहा है इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1768722/5c8eG4SD41722426435298/1722426575000.jpg)
कृषि में बढ़ रहा है इलेक्ट्रिक वाहनों का चलन
एक संधारणीय भविष्य बनाने के लिए विभिन्न क्षेत्रों के विभिन्न हितधारकों के सामूहिक प्रयास और सहयोग की आवश्यकता है। जबकि वाणिज्यिक कम्प्यूटर और यात्री वाहन हमेशा पर्यावरणविदों की आलोचना का सामना करते हैं जो लगातार स्वच्छ ऊर्जा की मांग करते हैं।
![भूमि सुधार आवश्यक नहीं तो 90 प्रतिशत भूमि होगी खराब भूमि सुधार आवश्यक नहीं तो 90 प्रतिशत भूमि होगी खराब](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1768722/dMzWg8ie31722426184781/1722426429596.jpg)
भूमि सुधार आवश्यक नहीं तो 90 प्रतिशत भूमि होगी खराब
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने एक सख्त चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि 2050 तक पृथ्वी की 90 प्रतिशत भूमि क्षरित हो सकती है। यह चिंताजनक भविष्यवाणी वैश्विक जैव विविधता और मानव जीवन के लिए एक बड़े खतरे को उजागर करती है।
![बदलते परिवेश में लाभदायक धान की सीधी बिजाई बदलते परिवेश में लाभदायक धान की सीधी बिजाई](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1736102/YmRpwzSIb1718693879094/1718694013020.jpg)
बदलते परिवेश में लाभदायक धान की सीधी बिजाई
धान भारत की एक प्रमुख फसल है। हमारे देश में लगभग 360 लाख हैक्टेयेर क्षेत्र में धान की खेती की जाती है जिसमें से लगभग 20 लाख हैक्टेयर क्षेत्र वर्षा आधारित है। असिंचित क्षेत्रों में समय पर वर्षा का पानी न मिलने से किसान लोग समय से कद्दू नहीं कर पाते हैं जिससे धान की रोपाई में विलम्ब हो जाती है।
![वर्ल्ड फूड प्राईज प्राप्त करने वाले संजय राजाराम वर्ल्ड फूड प्राईज प्राप्त करने वाले संजय राजाराम](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1736102/zP7nSR0Lm1718693735818/1718693855111.jpg)
वर्ल्ड फूड प्राईज प्राप्त करने वाले संजय राजाराम
संजय राजाराम एक भारतीय कृषि विज्ञानी हैं जिन्होंने गेहूं की अधिक उत्पादन देने वाली किस्में विकसित की हैं। गेहूं की इन किस्मों से 'कौज' एवं 'अटीला' प्रमुख हैं।
![अजोला से अच्छी आमदनी प्राप्त करने वाले प्रगतिशील किसान गजानंद अग्रवाल अजोला से अच्छी आमदनी प्राप्त करने वाले प्रगतिशील किसान गजानंद अग्रवाल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1736102/RO0J4l4P01718693619101/1718693733923.jpg)
अजोला से अच्छी आमदनी प्राप्त करने वाले प्रगतिशील किसान गजानंद अग्रवाल
देश में बहुत से किसान अपने ज्ञान और अनुभव के सहारे सूखी धरती पर तरक्की की फसल उगा रहे हैं। ऐसे किसान न केवल खुद खेती से कमाई कर रहे हैं, बल्कि अपनी मेहनत और नई तकनीकों का उपयोग करके दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन रहे हैं।
![ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करना आवश्यक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करना आवश्यक](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1736102/LyGmXK_-k1718691968793/1718692059199.jpg)
ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को कम करना आवश्यक
ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन को सीमित करने में अभी तक कृषि खाद्य प्रणाली को लक्ष्य नहीं बनाया गया है, जबकि नेट जीरो उत्सर्जन हासिल करने और ग्लोबल वार्मिंग को सीमित करने के लिए ऐसा करना जरूरी है। वैश्विक स्तर पर कृषि खाद्य प्रणाली 31 प्रतिशत उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। भारत के कुल उत्सर्जन में कृषि खाद्य प्रणाली का योगदान 34.1 प्रतिशत, ब्राजील में 84.9 प्रतिशत, चीन में 17 प्रतिशत, बांग्लादेश में 55.1 प्रतिशत और रूस में 21.4 प्रतिशत है।
![ग्लोबल डेयरी. मार्केट की मांग पूरी कर सकता है भारत ग्लोबल डेयरी. मार्केट की मांग पूरी कर सकता है भारत](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1736102/zxJWCbEhi1718691892034/1718691969668.jpg)
ग्लोबल डेयरी. मार्केट की मांग पूरी कर सकता है भारत
विश्व के डेयरी मार्केट में बेहतर ग्रोथ की संभावनाएं हैं क्योंकि आने वाले समय में पशु प्रोटीन के साथ दूध की मांग दुनिया भर में तेजी से बढ़ने का अनुमान है। इसकी वजह यूरोपियन यूनियन द्वारा लागू की जा रही ग्रीन डील है।
![कृषि-खाद्य प्रणाली में बदलाव के लिए इनोवेशन की जरुरत कृषि-खाद्य प्रणाली में बदलाव के लिए इनोवेशन की जरुरत](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1736102/D6dJjWV371718691779285/1718691889986.jpg)
कृषि-खाद्य प्रणाली में बदलाव के लिए इनोवेशन की जरुरत
वैश्विक कृषि-खाद्य प्रणाली इस समय कई चुनौतियों का सामना कर रही है। दुनिया की आबादी वर्ष 2050 तक 980 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है। इसे खिलाने के लिए खाद्य उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि की आवश्यकता है।
![कृषि में जलवायु परिवर्तन चुनौती से निपटने की जरूरत कृषि में जलवायु परिवर्तन चुनौती से निपटने की जरूरत](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/1183/1736102/jUMjNcdgD1718691688175/1718691777697.jpg)
कृषि में जलवायु परिवर्तन चुनौती से निपटने की जरूरत
भारतीय कृषि को किसानों के लिए फायदे का सौदा बनाने और जलवायु परिवर्तन के संकट से निपटने के लिए पुराने तौर-तरीकों से अलग हटकर सोचने की जरूरत है। अभी तक की नीतियों और योजनाओं से मिश्रित सफलता मिली है, जिनमें सुधार की आवश्यकता है। साथ ही जलवायु परिवर्तन, घटते भूजल स्तर और एग्रीकल्चर रिसर्च के लिए फंडिंग की कमी जैसी चुनौतियों से निपटने की आवशयकता है।