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ट्रैक्टर खेती के काम बनाए आसान
कई ऐसे कृषि यंत्र हैं, जिन्हें इस्तेमाल करने के लिए ट्रैक्टर की जरूरत होती है, इसीलिए किसानों के लिए ट्रैक्टर एक खास जरूरत बन गया है.
पेठा कट्टू की उन्नत खेती
अगर आप मिठाइयों के शौकीन हैं, तो निश्चित ही आगरा के पेठे का नाम सुन रखा होगा. अगर आप को आगरा जाने का मौका मिला है, तो इसे चखने का मौका भी मिला होगा.
‘पौधों वाले माडसाब' का मिशन हरियालो रेगिस्तान
आज भी शिक्षक समाज का आईना होते हैं. शिक्षक सिर्फ स्कूलों में ही नहीं, बल्कि समाज के बीच भी शिक्षक ही होता है, इसलिए शिक्षक की निजी जिंदगी व दैनिक गतिविधियां भी समाज का मार्गदर्शन करती हैं.
फालसा की खेती
फालसा उत्तराखंड के हिमालय की पहाड़ियों पर झाड़ीनुमा रूप में पाया जाता है और पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, मुंबई, बिहार, पश्चिम बंगाल में एक बहुत ही सीमित पैमाने पर इस की खेती की जाती है. उत्तर प्रदेश में इस की खेती तकरीबन 300 हेक्टेयर जमीन में की जाती है.
कृषि यंत्रों में ईंधन की बचत
मशीनों का इस्तेमाल जिस तरह से खेती में दिनोंदिन बढ़ रहा है, उस की वजह से खेती के काम भी बेहद आसान हो गए हैं.
महिलाओं की छोटी बचत ने दिखाया तिरक्की का रास्ता
समस्तीपुर जिले के कई गांव ऐसे हैं, जिन में सरकार की तमाम योजनाएं संचालित होने के बावजूद भी किसान परिवारों को बीमारी, शादीब्याह और उलट हालात में सेठसाहूकारों से मोटे ब्याज पर लिए गए कर्ज के ऊपर निर्भर रहना पड़ता था.
खरीफ में मक्का की खेती
खरीफ में धान के बाद मक्का पूर्वांचल की मुख्य फसल है. इस की खेती दाने, भुट्टे और हरे चारे के लिए की जाती है.
खर्सू के पेड़ पर रेशम
रेशम प्राकृतिक प्रोटीन से बना रेशा है. रेशम का इस्तेमाल कपड़ा बनाने के लिए किया जाता है.
खरीफ में करें नकदी फसल अरबी की उन्नत खेती
किसान कम समय में उगाई जाने वाली नकदी फसलों की अगर खेती करें, तो वह पारंपरिक फसलों की अपेक्षा अधिक आमदनी प्राप्त कर सकते हैं. अगर यह नकदी फसल कम लागत और कम जोखिम वाली हो, तो मुनाफा कई गुना अधिक बढ़ जाता है.
धान की नर्सरी और विकसित किस्में
धान खरीफ की मुख्य फसल है. अगर कुछ बातों का शुरू से ही ध्यान रखा जाए, तो धान की फसल ज्यादा मुनाफा देगी. धान की खेती की शुरुआत नर्सरी से होती है, इसलिए बीजों का अच्छा होना जरूरी है.
लाभकारी नींबू
नीबू खासतौर पर अपने खट्टे रस के लिए उपयोग में लाया जाता है.
जून के महीने में खेती के काम गरमी का रखें ध्यान
जून के महीने में वैसे भी चिलचिलाती धूप होती है. इस के बावजूद भी किसान अपने काम में जुटे रहते हैं. इन दिनों किसानों को मानसून के आने का बेसब्री से इंतजार रहता है.
सेहतमंद आवला
उत्तर प्रदेश का आंवला उत्पादन में विश्व मानचित्र पर प्रमुख स्थान है, जहां पर आंवला उत्पादन का 21,150 हेक्टेयर क्षेत्र में किया जाता है, जिस का 8 फीसदी भाग पूर्वी जनपदों सुलतानपुर, फैजाबाद, प्रयागराज, प्रतापगढ़, मिर्जापुर, वाराणसी, आजमगढ़, जौनपुर में किया जाता है, परंतु कुल उत्पादन का 70 फीसदी भाग खाद्य प्रसंस्करण व आयुर्वेदिक उद्योग में उपयोग किया जाता है. आंवला फल उत्पाद का समय से विपणन व उपयोग न होने पर 30-37 फीसदी फलों की बरबादी हो जाती है.
पैडी ट्रांसप्लांटर द्वारा धान की रोपाई
भारत में धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है. इसे देश के लगभग सभी राज्यों में उगाया जाता है. चीन के बाद चावल का सब से ज्यादा उत्पादन करने में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर आता है.
गन्ने की फसल में कीटों से रहें सावधान
वसंतकालीन व शरदकालीन पेड़ी गन्ने की फसल खेतों में लगी हुई है. गन्ने की फसल में कई तरह के कीटों के लगने का खतरा रहता है, जो पूरी फसल को बरबाद कर सकते हैं.
स्ट्राबेरी की खेती युवा किसानों को मिली नई राह
खेती में परंपरागत तरीकों से हट कर नएनए प्रयोग करना किसानों के लिए मददगार साबित हो रहा है और खेती मुनाफे का धंधा भी बन रही है. मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के 2 युवाओं ने अपनी पढ़ाई के साथसाथ खेतों में नवाचार कर दूसरे किसानों के लिए भी नई राह बनाई है.
सबसोयलर सख्त मिट्टी को बनाए नरम
इस मशीन का खास काम मिट्टी में बनी सख्त परतें तोड़ना है. जब ये परतें टूट जाती हैं, तो उस के कई फायदे होते हैं. खेत की सख्त मिट्टी मुलायम व हवादार बनती है
विलुप्त होने की कगार पर धान की देशी किस्में शुरु की संरक्षण की कवायद
वैज्ञानिकों का कहना है कि किसान अब देशी प्रजातियों की धान की खेती तकरीबन छोड़ चुके हैं और किसान बाजार में उपलब्ध बीज पर निर्भर हैं. धान की पुरानी प्रजातियां तेज सुगंध, स्वाद व पोषण से भरपूर हुआ करती थीं, जिस में आयरन व जिंक प्रचुर मात्रा में होता था.
मई महीने में खेती के खास काम
यह महीना गरमियों में कड़ी धूप का होता है. साथ ही, खरीफ की फसलों के लिए लाभकारी है. इस महीने रबी फसलों की कटाई करें और मड़ाई के साथसाथ जायद फसलों की देखभाल करें.
बड़े काम का सहजन
भारत के विभिन्न भागों में सहजन के पेड़ आसानी से देखे जा सकते हैं. ये गरमी के मौसम के शुरुआती समय में फली के रूप में फल देना शुरू कर देते हैं. इस के फल पेड़ पर कई दिनों तक रहते हैं और जल्दी खराब भी नहीं होते हैं.
निराई गुड़ाई यंत्र पावर वीडर
खेतीबारी में अब किसानों को अपने समय का सदुपयोग करना जरूरी होता है. इस काम में खेती से जुड़े यंत्र उन की काफी मदद करते हैं. पावर वीडर एक ऐसा ही यंत्र है, जो किसानों के समय की बचत के साथसाथ उन की उपज का उत्पादन बढ़ाने में बहुत ही मददगार साबित होता है
कोविड 19 से लड़ने के लिए शहतूत का सेवन करें
शहतूत के स्वास्थ्य लाभ
आम से अच्छी फलत के लिए कीटों और रोगों का नियंत्रण जरुरी
इस समय आम की फसल को नुकसान पहुंचाने वाले प्रमुख कीट जैसे भुनगा, गुजिया व पुष्पगुच्छ (गाल मिज) कीट हैं.
मृदा परीक्षण: कब, क्यों और कैसे
कृषि उत्पादन के निवेशों में उर्वरकों का महत्त्वपूर्ण स्थान है, क्योंकि रासायनिक उर्वरकों की कीमत में वृद्धि हो रही है, इसलिए किसानों को से जरूरत अधिक रासायनिक उर्वरक नहीं डालना चाहिए, जिस से खेती की लागत भी न बढ़े और साथ ही साथ तत्त्वों का आपसी असंतुलन भी न हो.
मक्का की फसल में बीजोपचार कीट, रोग और उन की रोकथाम
मक्का एक प्रमुख खाद्य फसल है, जो मोटे अनाजों की श्रेणी में आता है.
बकरीपालन के उन्नत तरीकों से आमदनी बढ़ाने में कामयाब हो रहीं महिलाएं
बिहार के पूसा प्रखंड की तमाम महिलाएं घरेलू कामकाज के अलावा आमदनी बढ़ाने वाले दूसरे काम करती हैं, जिस में खेती और पशुपालन प्रमुख हैं.
ज्यादा मुनाफे के लिए बौना काला नमक धान की खेती
कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती के अध्यक्ष व प्रोफैसर एसएन सिंह ने बताया कि केंद्र पर बौना काला नमक धान की विभिन्न लाइनों के ट्रायल भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली के सहयोग से किया गया था, जिस में से 2 लाइनों का उत्पादन बहुत ही अच्छा प्राप्त हुआ था.
लेजर लैंड लैवलर से करें खेत को समतल पाएं ज्यादा पैदावार
भूमि समतलीकरण फसल, मिट्टी एवं जल के उचित प्रबंधन की पहली जरूरत है. अगर भूमि के समतलीकरण पर ध्यान दिया जाए, तो उन्नत कृषि तकनीकें और ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकती हैं. इसलिए किसान अपने खेतों को समतल करने के लिए उपलब्ध साधनों का पर्याप्त रूप से उपयोग करते हैं.
ठंडे इलाकों की फसल सेब की खेती राजस्थान जैसे गरम प्रदेश में भी मुमकिन
राजस्थान का मौसम सेब की खेती के अनुकूल नहीं है. यह सभी को मालूम है कि यहां धूल भरी आंधियां, गरमी में 45 डिगरी के पार पारा और सर्दियों में हाड़ कंपा देने वाली ठंड होती है.इन चुनौतियों के बाद भी यहां सेब उगाने की कोशिश किसी चमत्कार से कम नहीं है, क्योंकि कृषि नवाचार एवं अनुसंधान सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही सभी को राजस्थान के मरुस्थल क्षेत्र के सेब खाने को मिलेंगे.
घर के पिछवाडे मुरगीपालन ऐक्सट्रा आमदनी का जरीया
पारंपरिक मुरगीपालन यानी बैकयार्ड मुरगीपालन या फिर घर के पिछवाड़े मुरगीपालन की यह पद्धति भारत में प्राचीन काल से ही प्रचलित है.