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लेजर लैंड लैवलर से करें खेत को समतल पाएं ज्यादा पैदावार
भूमि समतलीकरण फसल, मिट्टी एवं जल के उचित प्रबंधन की पहली जरूरत है. अगर भूमि के समतलीकरण पर ध्यान दिया जाए, तो उन्नत कृषि तकनीकें और ज्यादा फायदेमंद साबित हो सकती हैं. इसलिए किसान अपने खेतों को समतल करने के लिए उपलब्ध साधनों का पर्याप्त रूप से उपयोग करते हैं.
ठंडे इलाकों की फसल सेब की खेती राजस्थान जैसे गरम प्रदेश में भी मुमकिन
राजस्थान का मौसम सेब की खेती के अनुकूल नहीं है. यह सभी को मालूम है कि यहां धूल भरी आंधियां, गरमी में 45 डिगरी के पार पारा और सर्दियों में हाड़ कंपा देने वाली ठंड होती है.इन चुनौतियों के बाद भी यहां सेब उगाने की कोशिश किसी चमत्कार से कम नहीं है, क्योंकि कृषि नवाचार एवं अनुसंधान सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही सभी को राजस्थान के मरुस्थल क्षेत्र के सेब खाने को मिलेंगे.
घर के पिछवाडे मुरगीपालन ऐक्सट्रा आमदनी का जरीया
पारंपरिक मुरगीपालन यानी बैकयार्ड मुरगीपालन या फिर घर के पिछवाड़े मुरगीपालन की यह पद्धति भारत में प्राचीन काल से ही प्रचलित है.
खेतों में करें चूहा प्रबंधन उचित समय मईजून माह
खाद्य पदार्थों को नुकसान पहुंचाने वाले जीवों में चूहों का पहला स्थान है.
आम में जैली सीड का बनना वजह और प्रबंधन
भारत में आम की विभिन्न किस्मों की खेती की जाती है, लेकिन पसंद के मामले में दशहरी पहले नंबर पर है, खासकर उत्तर प्रदेश में.
रजनीगंधा की खेती
महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर में पिछले दिनों आयोजित एक कार्यक्रम में कुलपति प्रो. नरेंद्र सिंह राठौड़ ने रजनीगंधा पुष्प की 2 किस्में प्रताप रजनी 7 और प्रताप रजनी -7 (1) का विमोचन किया. वर्तमान में रजनीगंधा फूलों की इन दोनों किस्मों का परीक्षण 14 अखिल भारतीय पुष्प अनुसंधान केंद्रों पर किया जा रहा है.
भूसा बनाने का यंत्र स्ट्रा रीपर
स्ट्रा रीपर एक ऐसा कृषि यंत्र है, जो खेतों में बचे धान, गेहूं जैसी फसलों के अवशेषों को भूसे में बदल देता है.
हलंदी खेती एक फायदे अनेक
हलदी का उपयोग प्राचीन काल से ही विभिन्न रूपों में किया जाता रहा है, क्योंकि इस में रंग, महक व औषधीय गुण पाए जाते हैं.
पितापुत्र की जोड़ी ने किए कमाल - पिता को मिला बैस्ट औगैनिक फार्मर का अवार्ड
सुंदरपुरा, राजस्थान के डाक्टर श्रवण कुमार यादव ने यह साबित किया है कि किसान चाहे तो सबकुछ कर सकता है.
फसल अवशेष प्रबंधन - खाद बनाएं इन्हें जलाएं नहीं
फसल अवशेष जलाने से निकलने वाले धुएं में मौजूद जहरीली गैसों से इनसान की सेहत पर विपरीत प्रभाव के साथसाथ वायु प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता है.
पावर टिलर के बारे में जरूरी जानकारी
पावर टिलर खेतीबारी की एक ऐसी मशीन है, जिस का इस्तेमाल खेत की जुताई, थ्रेशर, रीपर, कल्टीवेटर, बीज ड्रिल मशीन, पावर टिलर में पानी का पंप जोड़ कर किसान तालाब, पोखर, नदी आदि से पानी निकाल सकते हैं.
पशुओं में खनिज लवण की महत्ता
हमारे देश में कोरोना की दूसरी लहर से स्थिति बदतर बनती जा रही थी, लेकिन सरकार भी टीकाकरण व अन्य संसाधनों के माध्यम से इस पर लगाम लगाने के लिए दृढ़ संकल्प दिखी.
गरमी के मौसम में शहतूत खाने के अनेक फायदे
गरमी के मौसम में बाजार में शहतूत की आवक खूब होती है और इस के स्वाद के दीवानों की भी कमी नहीं है.
पशु आहार बनाने में गांव की महिलाएं कर रही हैं तरक्की
हमारे देश के गांवों में बसने वाली आबादी की आमदनी का एक बड़ा हिस्सा खेती और पशुपालन से आता है. इस वजह से देश की ज्यादातर गांवदेहात की आबादी पशुपालन से जुड़ी हुई है, लेकिन कभीकभी पशुपालकों द्वारा सही चारा प्रबंधन और पोषण प्रबंधन न हो पाने के चलते प्रति पशु पर्याप्त दूध नहीं मिल पाता है और न ही बीमारियों का सही तरीके से प्रबंधन हो पाता है.
सूरन की खेती
सूरन न केवल सब्जी, बल्कि अचार के लिए भी जाना जाता है.
फसल कटाई और बंडल भी बांधे रीपर बाइंडर
यह गेहूं काटने की एक ऐसी मशीन है, जो फसल की कटाई के साथसाथ उस के बंडल भी बांधती है. इस मशीन को रीपर बाइंडर कहा जाता है. यह गेहूं के अलावा जौ, जई या इसी तरह की फसल काटने के काम आता है.
स्प्रेयर फसल सुरक्षा उपकरण
समयसमय पर देखने में आया है कि फसलों में अनेक तरह के खरपतवार उग जाते हैं, जो फसल को पनपने नहीं देते. इस के अलावा अनेक तरह के कीट व रोगों का प्रकोप भी खेतों में होता है, जिन से उपज पर खासा असर होता है.
सब्जी उत्पादन तकनीक
प्रशिक्षण का आयोजन
मल्टीक्रौप थ्रेशर
अनेक खूबियों वाला कृषि यंत्र
मधुमक्खी मेहनती तो हैं पर सोती नहीं
रोचक जानकारी
बिना मिटटी के आलू की खेती
हाईंटैक तकनीक से अब बिहार के किसान खेती करने लगे हैं. खेती में तकनीक का प्रयोग करने से कम लागत में वे ज्यादा उत्पादन कर रहे हैं.
ग्रीष्मकाल में मूंग की वैज्ञानिक खेती
दलहन की एक प्रमुख फसल मूंग है. इस का वानस्पतिक नाम विगना रेडिएटा है. यह लेग्यूमिनेसी द कुल का पौधा है. इस का जन्मस्थान भारत है. मूंग के दानों में 25 फीसदी प्रोटीन, 60 फीसदी कार्बोहाइड्रेट, 13 फीसदी वसा और अल्प मात्रा में विटामिन सी पाया जाता है.
खुदाई यंत्र : लहसुन हार्वेस्टर
भारत के कई हिस्सों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश में लहसुन की बड़े पैमाने पर खेती होती है. लहसुन की फसल अप्रैलमई महीने तक तैयार हो जाती है. उस के बाद खेत से लहसुन की खुदाई करना जरूरी है.
खेती के लिए ड्रोन खरीदने पर सब्सिडी
खेती में काम आने वाले अनेक कृषि यंत्रों पर सरकार की ओर से किसानों को इन यंत्रों की खरीद पर सब्सिडी का लाभ दिया जाता है. इन यंत्रों की सूची में अब ड्रोन भी शामिल हो गया है.
खारे पानी में झींगापालन
समस्याएं और उन का निराकरण
किसानों ने बनाई अपनी सब्जी मंडी
बिहार के समस्तीपुर जिले के पूसा प्रखंड में एक छोटा सा बाजार है, जिस का नाम है मोरसंड. यहां सड़क के किनारे सुबहसवेरे 7 बजे से ही सब्जियों की मंडी सजने लगती है. इस स्थानीय मंडी में आने वाली सब्जियां इतनी ताजी, खूबसूरत और अच्छी होती हैं कि अगर आप का मन न भी हो, तब भी आप सब्जी खरीदने को मजबूर हो जाएंगे.
किसान एफपीओ बना कर आमदनी में कर सकते हैं इजाफा - सीए अजीत चौधरी
अम किसानों की आय आ बढ़ाने, कृषि उपज की ब्रांडिंग और मार्केटिंग से ले कर खेतीबारी, बागबानी, पशुपालन, मछलीपालन, फूड प्रोसैसिंग जैसे तमाम कामों में फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन यानी एफपीओ की भूमिका बढ़ती जा रही है. किसान एक कंपनी के रूप में एफपीओ का गठन कर अधिक आय अर्जित कर सकते हैं.
कंबाइन हार्वेस्टर कम समय में ज्यादा काम
यह एक बड़ा कृषि यंत्र है, जो किसानों के बड़े ही काम आता है. कंबाइन हार्वेस्टर मशीन का इस्तेमाल करने से मजदूरों की समस्या तो दूर होती ही है, साथ ही कम समय में ज्यादा काम किया जा सकता है. कम लागत और कम समय में जल्दी काम पूरे हो जाते हैं.
आम के बाग का वैज्ञानिक ढंग से प्रबंधन
आम की उत्पादकता को के लिए बढ़ाने आवश्यक है कि मंजर में टिकोरा (फल) लगने के बाद बाग का वैज्ञानिक ढंग से प्रबंधन कैसे किया जाए.
मिर्च की खेती बनी आमदनी का जरीया
कोई भी काम लगन और मेहनत से किया जाए, तो उस से फायदा ही होता है. खेतीकिसानी में भी खेती का रकबा भले ही कम हो, पर खेती के नए तौरतरीकों के जरीए भी ज्यादा आमदनी जुटाई जा सकती है.