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लूट का जरीया फसल व पशु बीमा योजना
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में मोदी सरकार ने साल 2016 में 7,000 करोड़ रुपए, साल 2017 में 9,000 करोड़ रुपए व साल 2018 में 13,000 करोड़ रुपए बजट दिया था. इतना ही राज्य सरकारों ने दिया था. मतलब, सरकार की तरफ से 3 साल में कुल 58,000 करोड़ रुपए दिए गए.
कोंडागांव में ड्रैगन फ्रूट की खेती
ड्रैगन फ्रूट मूल रूप से मैक्सिको का पौधा माना जाता है. इस का वैज्ञानिक नाम ह्वाइट फ्लेशेड पतिहाया और वानस्पतिक नाम 'हाइलोसेरेसुंडाटस' है. वियतनाम, चीन और थाईलैंड में इस की खेती बड़े पैमाने पर होती है. भारत में इसे वहीं से आयात किया जाता रहा है. अब तक इसे अमीरों और रईसों का ही फल माना जाता था, पर जल्द ही यह आम लोगों तक भी पहुंचने वाला है.
आलू से बने करोड़पति किसान भंवरपाल सिंह
वकालत छोड़ आलू की खेती करने वाले भंवरपाल सिंह को एक किसान के साथसाथ सफल बिजनैसमैन बना दिया है. भारत के कई राज्यों में उन के द्वारा उगाया गया आलू बीज के लिए जाता है. मौजूदा समय में वे आलू से तकरीबन डेढ़ करोड़ रुपए से ऊपर का टर्नओवर करते हैं. जानें कहानी, उन्हीं की जबानी
हैप्पी सीडर बिना जुताई करे सीधी बोआई
पराली व फसल अवशेष बिना निकाले हैप्पी सीडर मशीन खेत में गेहूं की सीधी बोआई कर सकता है खासकर धान की खेती के बाद उस के फसल अवशेष फसल में खड़े रह जाते हैं, उस खेत में हैप्पी सीडर मशीन बहुत कारगर है.
गाजर की खेती में कृषि यंत्रों का प्रयोग
गाजर बीज की बोआई बिजाई यंत्र से करें गाजर की बिजाई मजदूरों के अलावा मशीन से भी कर सकते हैं. इस के लिए तमाम कृषि यंत्र बाजार में मौजूद हैं. हरियाणा के अमन विश्वकर्मा इंजीनियरिंग वर्क्स के मालिक महावीर प्रसाद जांगड़ा ने खेती में इस्तेमाल की जाने वाली तमाम मशीनें बनाई हैं, जिन में गाजर बोने के लिए गाजर बिजाई की मशीन भी शामिल है.
गाजर की उन्नत खेती
गाजर एक अत्यंत ही पौष्टिक एवं महत्त्वपूर्ण सलाद वाली सब्जी है. इस का उपयोग सलाद, सब्जी, हलवा, मुरब्बा, जूस और रायता के रूप में किया जाता है.
कांटे वाला कटहल
कांटेदार छिलके वाला कटहल भी प्रकृति की अनोखी देन है. अगर पहली बार देखो तो भरोसा नहीं होता कि यह रसोई में पका कर खाने की चीज है. यह बेल या पौधे में नहीं पेड़ में लगता है. आमतौर पर कटहल की सब्जी बनाने के अलावा लोग इस का इस्तेमाल अचार बनाने में भी करते हैं.
वैज्ञानिक तरीके से करें मूली की खेती
हमारे भोजन की शान समझी जाने वाली सलादें अकसर कई तरह की सब्जियों को मिला कर बनाई जाती हैं, जिस में मूली, गाजर, चुकंदर, टमाटर, प्याज आदि चीजें महत्त्वपूर्ण रूप से प्रयोग की जाती हैं. इन्हीं सलादों को बनाने में प्रयोग लाई जाने वाली मूली न केवल हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायी है, बल्कि यह खाने को और भी लजीज बनाती है.
पौधों में सूक्ष्म पोषक तत्त्वों की कमी और प्रबंधन
फसलों की अच्छी पैदावार के लिए 17 सूक्ष्म पोषक तत्त्व चाहिए. इन में से एक भी पोषक तत्त्व की कमी होने से फसल पर बुरा असर पड़ता है. पौधों की जरूरत के आधार पर इन पोषक तत्त्वों को 2 समूहों में बांटा गया है:
शीत ऋतु में गन्ने की वैज्ञानिक खेती
गन्ने का प्रयोग बहुद्देशीय फसल के रूप में चीनी उत्पादन के साथसाथ अन्य उत्पाद जैसे पेपर, इथेनाल एल्कोहल, सैनेटाइजर, बिजली उत्पादन और जैव उर्वरक के लिए कच्चे पदार्थों के रूप में किया जाता है. इस की शरदकालीन बोआई अक्तूबरनवंबर माह में करते हैं और फसल 10-14 माह में तैयार होती है. गन्ना बीज का चुनाव करते समय कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए, जिस से भरपूर उत्पादन हो सके.
फसल अवशेष प्रबंधन जमीन और जीवन दोनों की जरूरत
फसल अवशेष प्रबंधन आज की जरूरत बन चुका है, क्योंकि फसलों के अवशेष को जलाने से वायु प्रदूषण में लगातार इजाफा हो रहा है. फसल अवशेष जलाने की समस्या अब एक राज्य की नहीं रही है. ऐसा कई राज्यों के किसान कर रहे हैं.
अक्तूबर माह में फसल संबंधित सलाह
धान की फसल में यूरिया की दूसरी व अंतिम टौप ड्रैसिंग रोपाई के 55 से 60 दिन बाद 60-65 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से करें.
पशुओं की लंपी स्किन डिजीज कारण और निवारण
आजकल स्किन फैली लंपी डिजीज के कारण पशुओं और पशुपालकों को बहुत ही परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. इस रोग के कारण पशुओं की उत्पादकता कम हो जाने के साथसाथ पशु हानि का भी सामना करना पड़ रहा है.
तोरिया की बोआई का सही समय
इस समय वर्षा सामान्य से बहुत कम हुई है, जिस के कारण या अन्य किसी कारण से किसान खरीफ में कोई फसल नहीं ले पाए हैं, वे खाली पड़े खेत में तोरिया/लाही की फसल ले सकते हैं. इस की खेती कर के अतिरिक्त लाभ लिया जा सकता है. तोरिया खरीफ एवं रबी सीजन के मध्य में बोई जाने वाली तिलहनी फसल है.
ग्राफ्टिंग विधि से आम की करें पौध तैयार
अच्छी किस्मों के आम के पौधों की उपलब्धता आज भी एक चैलेंज है. बागबानी के जरीए आमदनी बढ़ाने के लिए प्रयासरत लोगों को अकसर पौधों की रोपाई के सीजन में उन्नत किस्मों के आम के पौध नहीं मिल पाते हैं. ऐसे में अगर बेरोजगार नौजवान, किसान और महिलाएं खुद ही आम के उन्नत पौधों की नर्सरी का व्यवसाय शुरू करें, तो उन्हें अच्छी आमदनी होगी. साथ ही, अपने बागबानी का शौक भी आसानी से पूरा कर पाएंगे.
पौधों को बीमारी से बचाएं
हरित क्रांति के बाद से पैदावार बढ़ी है. आबादी के लिए न सिर्फ अनाज मयस्सर हुआ, बल्कि भंडार भी भरे. इस के अलावा कैमिकल खाद व जहरीली दवा के साइड इफैक्ट से फसलों में लगने वाली बीमारियां भी तेजी से पनपीं. इन सब की वजह से हर साल पैदावार का एक बड़ा हिस्सा किसानों के हाथ से निकल जाता है.
आलू की उन्नत खेती
आलू किसानों की खास नकदी फसल है. अन्य फसलों की तुलना में आलू की खेती कर के कम समय में ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है. अगर किसान आलू की परंपरागत तरीके से खेती को छोड़ कर वैज्ञानिक तरीके से खेती करें, तो पैदावार और मुनाफे को बढ़ाया जा सकता है.
पोटैटो प्लांटर आलू बोआई यंत्र
पोटैटो प्लांटर मशीन आलू बोने का एक ऐसा कृषि यंत्र है, जिस के इस्तेमाल से आलू की बोआई बड़ी आसानी से की जाती है.
टर्कीपालन से बढ़ेगी किसानों की आय
हमारे देश में टर्कीपालन तेजी से बढ़ रहा है. महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर के अंतर्गत पशु उत्पादन विभाग द्वारा टर्की की केरी विराट नस्ल का पालन किया जा रहा है.
आईआईटियन नीरज ठाकुर की मखाने की खेती
हम लोग बिहटा से तकरीबन 250 किलोमीटर की दूरी तय कर के मधुबनी पहुंचे नीरज ठाकुर के गांव अकौर में अकौर मखाना उत्पादन के लिए मशहूर है.
बरसात में खिल उठे मशरूम के पौधे
अकसर देखने में आता है कि बरसात में जगहजगह कुकुरमुत्ते (मशरूम) उग आते हैं. मशरूम को टरमिटोमायसेज माइक्रोकार्पस के नाम से वैज्ञानिक रूप से जाना जाता है, जो मुख्य रूप से दीमक की बांबी पर रुकता है और अपने लिए भोजन दीमक से प्राप्त करता है.
तोरिया की खेती से लें अधिक उत्पादन
कम बारिश या पानी का सही इंतजाम न होने पर भी तोरिया की खेती काफी फायदेमंद है. इस की समय से बोआई कर के अगली फसल आसानी से ली जा सकती है. इस के तेल का खास रूप से खाने में इस्तेमाल किया जाता है.
मछलीपालन: खुद का बिजनैस योजना में 60 फीसदी सदिसडी
भारत जैसे देश में खेतीकिसानी के साथ अनेक काम ऐसे हैं, जिन्हें खेती के साथ ही गिना जाता है. इस तरह के कामों को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार समयसमय पर कई योजनाएं चलाती है, ताकि किसानों को फायदा मिल सके. मछलीपालन भी एक ऐसा ही कारोबार है, जिस में सरकारी मदद भी मिलती है.
कीट व रोगों की करें रोकथाम मिलेगी अच्छी पैदावार
अपनी फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए उस में समयसमय पर कीट व रोगों की रोकथाम भी जरूरी है. यदि फसलों पर कोई रोग और कीट मिले, तो तत्काल ही उस की रोकथाम करें. ऐसी ही कुछ जानकारी अनेक फसलों के लिए दी गई है. कीटनाशकों और कवकनाशी का छिड़काव आसमान के साफ होने पर ही करें.
धान के हानिकारक कीटों की पहचान और प्रबंधन
धान का विश्व की समस्त खाद्यान्न फसलों में एक विशिष्ट स्थान है. धान विश्व की लगभग आधी आबादी का भरणपोषण करता है. धान के उत्पादन में उत्तर प्रदेश अग्रणी भूमिका निभाता है.
कपास की खेती पर हुई संगोष्ठी - कपास की खेती को नई दिशा की आवश्यकता
'कपास की खेती में बदलते प्रतिमान' विषय पर उदयपुर में 8-10 अगस्त, 2022 के दौरान 3 दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ 8 अगस्त को राजस्थान कृषि महाविद्यालय के सभागार में हुआ.
भूजल में नाइट्रेट का बढ़ना सेहत के लिए खतरा
देश में 400 से अधिक जिलों के भूजल में घातक रसायन मिलने से पीने के स्वच्छ व शुद्ध जल का गंभीर संकट धीरेधीरे पैदा होने लगा है.
सितंबर महीने में खेतीकिसानी के खास काम
बरसात के मौसम के बाद सितंबर महीने का आगाज होता है.
आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर 'आदर्श ग्राम योजना' की कहानी
साल 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस नई योजना 'आदर्श ग्राम' की घोषणा की, तो तमाम गाजेबाजे और विज्ञापनों के जरीए भले ही यह स्थापित करने का प्रयास किया गया, पर दरअसल ऐसा नहीं है. यह कोई नई विलक्षण सोच या नई योजना नहीं है.
मिर्च की फसल में लगने वाले प्रमुख कीट व रोग
लाल हो या हरी मिर्च, ये खाने में तीखापन ही नहीं लाती है, बल्कि गुणों से भी भरपूर होती है.