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मार्च महीने के खेती के खास काम
मार्च के महीने में गेहूं की बालियों में दाने बनने लगते हैं और उन में दूध बनना शुरू हो जाता है. गेहूं के दाने बनने के दौरान पौधों को पानी की दरकार रहती है, इसलिए खेत में नमी बनाए रखना जरूरी होता है. गेहूं के खेत की सिंचाई का पूरा खयाल रखें.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान का 60वां दीक्षांत समारोह संस्थान ने दिया उपलब्धियों का ब्योरा
पिछले दिनों 11 फरवरी, 2022 को आईएआरआई, नई दिल्ली के 60वें दीक्षांत समारोह का आयोजन किया गया.
घरआंगन में लगाएं सब्जियां
घर के बगीचे में सब्जियों की खेती करने को हम किचन गार्डन कह सकते हैं. किचन गार्डन यानी गृहवाटिका में सब्जी उत्पादन का प्रचलन पुराने समय से ही चला आ रहा है. इस में सब्जी उत्पादन का खास मकसद यह होता है कि पूरे परिवार को सालभर ताजा सब्जी मिलती रहे.
गरमियों में मूंग की खेती से मुनाफा कमाएं
गरमियों में विभिन्न दलहनी फसलों में मूंग की खेती का विशेष स्थान है. जहां पानी की अच्छी व्यवस्था हो, वहां मूंग की खेती इस समय की जा सकती है. इस की खेती करने से अतिरिक्त आय, खेतों का खाली समय में सदुपयोग, भूमि की उपजाऊ शक्ति में सुधार, पानी का सदुपयोग आदि के कई फायदे बताए गए हैं. साथ ही, यह भी बताया है कि रबी की दलहनी फसलों में हुए नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो जाएगी.
केले की खेती
हमारे यहां केला एक प्रमुख लोकप्रिय पौष्टिक खाद्य फल है. पके केलों का प्रयोग फसलों के रूप में और कच्चे केले का प्रयोग सब्जी व आटा बनाने में होता है. भारत लगभग 16.8 मिलियन टन के वार्षिक उत्पाद के साथ केले के उत्पादन में दुनिया का नेतृत्व करता है.
आय और स्वरोजगार के लिए अपनाएं बकरीपालन - प्रो. एसएन सिंह, अध्यक्ष, कृषि विज्ञान केंद्र, बस्ती, उत्तर प्रदेश
बकरीपालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसे कम लागत व कम स्थान में छोटा, बड़ा व भूमिहीन किसान आसानी से कर सकता है, इसीलिए इसे गरीबों की गाय व एटीएम भी कहा जाता है.
आम के बागों का प्रबंधन
आम के बागों में बौर आना शुरू हो गया है, इसलिए बागबानों को आम का ज्यादा से ज्यादा उत्पादन देखभाल करनी होगी। की , क्योंकि जहां चूके तो रोग व कीट पूरी बगिया को बरबाद कर सकते हैं.
अरहर की फसल में फली छेदक कीट पर रखें नजर
अरहर की फसल को फली छेदक कीट सब से ज्यादा नुकसान पहुंचाता है. किसान इस का प्रकोप उस समय अच्छी तरह समझ पाते हैं, जब सूंड़ी बड़ी हो कर अरहर की फसल को 5 से 7 फीसदी तक नुकसान पहुंचा चुकी होती है.
बड़े काम के छोटे ट्रैक्टर
आज के समय में मिनी ट्रैक्टर कम जोत वाले तमाम किसानों के बीच खासा लोकप्रिय हैं. इन का रखरखाव आसान है, कीमत भी कम है और कम जगह में ये अपना काम पूरा करते हैं. छोटे ट्रैक्टर खासकर बागबानी करने वाले किसानों के लिए अच्छे हैं, क्योंकि इन का आकार कम होता है, इसलिए ये उन तमाम जगहों से निकल जाते हैं, जहां बड़े ट्रैक्टर नहीं पहुंच पाते.
प्याज व लहसुन फसल : रोग और कीटों से रहें सावधान
लगातार मौसम में बदलाव होने से इस समय प्याज और लहसुन की फसल में कई तरह के रोग लगने की संभावना बनी रहती है. अगर समय रहते इन का प्रबंधन नहीं किया गया, तो प्याज व लहसुन की खेती करने वाले किसानों को नुकसान उठाना पड़ सकता है.
जैव उर्वरक उपयोग करने से पहले जानें कुछ बातें
हमारे यहां खेती में जैव उर्वरकों में राइजोबियम बैक्टीरिया, एजोटोबैक्टर, फास्फोरस घोलक जीवाणु, पोटाश मोबिलाइजिंग बैक्टीरिया, एजोस्पिरिलम के साथ ही माइक्रोराइजा का इस्तेमाल किया जाता है.
गेहूं के प्रमुख कीट व रोग और नियंत्रण
जब भी गेहूं की फसल में कीट व रोगों का प्रकोप होता है, इस की वजह से बढ़वार कम होने के साथ ही कल्ले भी कम निकलते हैं, इसलिए सही वक्त पर इन की पहचान कर समुचित फसल प्रबंधन करना बेहद जरूरी होता है, जिस से उपज पर कोई बुरा असर न पड़े.
गरमी में भिंडी की खेती
भिंडी की खेती
किसानों के लिए ड्रोन युवाओं को कृषि में देगा रोजगार
बजट 2022-23
आंवला एक गुण अनेक
सर्दी का मौसम है और हम आसानी से आंवले के पेड़ों को आंवले से लदा देख सकते हैं. इस में प्रचुर मात्रा में विटामिन सी, कैल्शियम, फास्फोरस, लोह तत्त्व व विटामिन बी कौंप्लैक्स होता है.
हरियाणा में कस्टम हायरिंग सैंटर 50 फीसदी ससिडी पर कृषि यंत्र
स्ट्रा बेलर यूनिट, सुपर एसएमएस, हैप्पी सीडर, पेडी स्ट्रा चौपर, रोटरी स्लेशर, रिवर्सिबल एमबी प्लाऊ, सुपर सीडर, जीरो टिल सीड ड्रिल, क्राप रीपर आदि पर ससिडी
फरवरी महीने के खेती के खास काम
इस समय रबी की फसल का समय चल रहा है. इस की प्रमुख फसल गेहूं है. समय से बोई गई गेहूं की फसल में फरवरी में फूल लगने लगते हैं. इस दौरान खेत की सिंचाई हर हाल में कर देना जरूरी है. सिंचाई करते वक्त इस बात का खयाल रखें कि ज्यादा तेज हवाएं न चल रही हों, अगर हवा चल रही हो तो उस के थमने का इंतजार करें और मौसम ठीक होने पर ही खेत की सिंचाई करें. हवा के फर्राटे के बीच सिंचाई करने से पौधों के उखड़ने का पूरा खतरा रहता है.
पूर्वांचल में ड्रैगनफ्रूट की खेती
9 वीं जमात तक की तालीम हासिल करने वाले गया प्रसाद ढाई एकड़ खेत में गेहूं, धान और सब्जियों के साथसाथ देशी गुलाब के फूल की खेती करते हैं, जो देवाशरीफ में नियमित रूप में देशी गुलाब सालभर 50 रुपए प्रति किलोग्राम की दर में घर से ही बिकता है. वे गुलाब जल भी बनाते हैं. सुगंधित गुलाब जल के लिए रानीसाहिबा और नूरजहां प्रजाति उपयुक्त हैं.
खेती में लाभकारी कृषि यंत्र
आज भी देश में कई जगहें ऐसी हैं, जहां पर खेती पारंपरिक तरीके से की जा रही है. इस वजह से ज्यादा मेहनत के साथसाथ समय भी ज्यादा ही लगता है और पैदावार उतनी नहीं मिलती जितनी मिलनी चाहिए. सरकार द्वारा भी कृषि यंत्रों की खरीद को आसान बनाने के लिए किसानों को अनुदान दिया जाता है.
खेती में फायदेमंद जैविक उर्वरक
हमारे यहां खेती में रासायनिक खादों के लगातार व अंधाधुंध इस्तेमाल से जमीन व वातावरण पर बुरा असर पड़ रहा है. मिट्टी की उपजाऊ ताकत घटती जा रही है. साथ ही, पोषक तत्त्वों की कमी को पूरा करने के लिए व रासायनिक खादों के बुरे असर को कम करने के लिए जैविक उर्वरकों के प्रयोग से इस प्रदूषण को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
खीरे की करें उन्नत खेती
खीरे का वानस्पतिक नाम 'कुकुमिस स्टीव्स' है. खीरे का मूल स्थान भारत है. यह एक बेल की तरह लटकने वाला पौधा है, जिस का प्रयोग सारे भारत में गरमियों में सब्जी के रूप में किया जाता है. खीरे को कच्चा, सलाद या सब्जियों के रूप में प्रयोग किया जाता है.
ऐसे पहचानें विदेशी व संकर नस्ल की गायों को
अपने देश में अलगअलग नस्ल की गाय पाली जाती हैं. इन गायों के दूध देने की क्षमता भी काफी अधिक है, परंतु पशुपालकों को विदेशी व संकर नस्ल की गायों की पहचान करना काफी टेढ़ी खीर साबित होता है, इसलिए यह जानना जरूरी है कि पशुपालक इन की पहचान कैसे करें.
इलैक्ट्रिक बैटरी वाला पावर टिलर
कृषि यंत्र बनाने की दिशा में सुकून सोल्यूशन कंपनी कृषि के ऐसे अनेक इलैक्ट्रिक यंत्र बना रही है, जो प्रदूषणरहित हैं. इन का इलैक्ट्रिक ट्रैक्टर भी है, जो सुकून कंपनी की पहचान बन चुका है.
'जीरो बजार' संरक्षण का पाठ पठा रही एक महिला शिक्षक
देशी बीजों, फलोंफूलों और पौधों के संरक्षण की लगातार बातें की जा रही हैं. इस के लिए पैसा भी खर्च किया जा रहा है. इस का नतीजा क्या होगा, यह तो भविष्य में पता चलेगा, लेकिन मध्य प्रदेश के एक जिले की एक ऐसी महिला शिक्षक हैं, जो किताबी जानकारी के साथसाथ फलों के बीजों के संरक्षण का पाठ पढ़ा रही हैं. उन की इस मुहिम में किसी भी तरह का पैसा खर्च नहीं हो रहा है. अब तक 2 फलों के बीजों के संरक्षण का बेजोड़ काम किया है, जिस पर 2 सरकारी विभाग मदद भी कर रहे हैं.
सरकारी नौकरी छोड़ किसानी से कमाए लाखो
जैविक खेती की दौड़ में नौकरीपेशा भी कूद पड़े हैं. नए तौरतरीकों से इन किसानों ने न केवल खेती शुरू की, बल्कि आमदनी भी अच्छीखासी कर रहे हैं. यह एक ऐसे नौकरीपेशा किसान की कहानी है, जिस ने हिस्से में आए जमीन के छोटे से टुकड़े को ही अपनी आजीविका का साधन बना लिया.
रबी फसलों को पाले से बचाएं
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, बेलीपार, गोरखपुर के पादप सुरक्षा वैज्ञानिक डा. शैलेंद्र सिंह ने किसानों को सलाह देते हुए बताया कि दिसंबर से जनवरी माह में पाला पड़ने की संभावना अधिक होती है, जिस से फसलों को काफी नुकसान होता है.
ड्रिप सिस्टम लगाएं सरकारी अनुदान पाएं
ड्रिप से सिंचाई करने से प जहां उपज में बढ़ोतरी होती है, वहीं लागत में भी कमी आती है. केंद्र सरकार व राज्य सरकार द्वारा अनेक ऐसी योजनाएं आती रहती हैं, जो किसानों के लिए बड़ी ही फायदेमंद होती हैं.
सरसों की फसल में माहू कीट के प्रकोप को ऐसे करें काबू
अगर सरसों की फसल में माहू कीट में का प्रकोप हो जाता है, तो ऐसी स्थिति में सरसों के उत्पादन में तकरीबन 25 से 30 फीसदी तक की कमी हो सकती है.
नेटाफिम : सिंचाई की उन्नत तकनीक
अच्छी उपज लेने के लिए खेत में अच्छे खादबीज के साथसाथ सही समय पर सही सिंचाई का होना भी बहुत जरूरी है. कई फसलों को ज्यादा पानी की दरकार होती है, तो कई फसलें ऐसी हैं, जो कम पानी में भरपूर उपज देती हैं.
पशुपालकों के लिए पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड योजना
यह योजना पशुपालकों की आमदनी को ध्यान में रख कर बनाई गई है. योजना के तहत पशुपालक को ऋण यानी कर्ज का केवल 4 फीसदी के हिसाब से भुगतान करना होगा, वहीं ऋण का समय पर भगुतान करने पर 3 फीसदी ब्याज दर का अनुदान भी मिलेगा. पशुधन किसान क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ उठाने के लिए पशुपालकों को बढ़ावा भी दिया जा रहा है.