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फैरोमौन ट्रैप : जैविक तरीके से फसल सुरक्षा
फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए किसान उम्दा किस्म के खादबीज इस्तेमाल करता है और फ फसल की देखभाल करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ता, लेकिन कई बार फसल में कीटों का हमला हो जाता है, जिस से फसल को बहुत अधिक नुकसान होता है.
कीड़ेमकोडों और रोगों की रोकथाम के लिए छोटे स्प्रेयर यंत्र
समयसमय पर देखने में आया है कि फसलों में तरह के अनेक स खरपतवार उग आते हैं, जो फसल को पनपने नहीं देते. इस के अलावा अनेक तरह के कीट व रोगों का प्रकोप भी खेतों में होता है, जिन से उपज पर खासा बुरा असर होता है.
धान की फसल में कीट नियंत्रण
बरसात की प्रमुख फसल होने के नाते धान की फसल की सुरक्षा पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है, क्योंकि इस समय फसल में कीटपंतगों का प्रकोप कुछ ज्यादा ही होता है. धान की फसल में सिंचित व असिंचित दशा में अलगअलग तरह के कीटों का प्रकोप होता है, जो फसल की अलगअलग अवस्थाओं में नुकसान पहुंचाते हैं, जिस से धान की फसल पूरी तरह बरबाद हो जाती है और फसल उत्पादन घट जाता है.
हरी खाद के लिए रोटावेटर
रोटावेटर खेती में काम आने वाला एक ऐसा यंत्र है, जिस का उपयोग खेत में जुताई, बोआई और खेत को तैयार करने के लिए किया जाता है.
ढैंचा की खेती से बढाएं मिट्टी की उर्वरता
हमारे देश की बढ़ती आबादी की खाद्यान्न जरूरतों को पूरा करने के लिए किसानों द्वारा अपने खेत में बोई गई फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए अंधाधुंध कैमिकल खादों व उर्वरकों का प्रयोग किया जा रहा है. इस की वजह से मिट्टी में जीवाश्म की मात्रा में दिनोंदिन कमी होती जा रही है और मिट्टी ऊसर होने के कगार पर पहुंचती जा रही है.
सोयाबीन प्रोसैसिंग यूनिट लगा कर करें कमाई
महिलाओं के लिए उन्नत कृषि यंत्र
सोचसमझ कर ही खरीदें धान का बीज
खरीफ का सीजन मुख्यतौर पर धान की खेती का होता है, इसलिए किसानों को धान के अच्छे बीज व उस के चयन को ले कर विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. किसानों द्वारा धान के बीज की खरीदारी को ले कर बरती जाने वाली जरूरी सावधानियों को ले कर संयुक्त कृषि निदेशक ब्यूरो, उत्तर प्रदेश, आशुतोष कुमार मिश्र से लंबी बातचीत हुई. पेश हैं, उसी बातचीत के खास अंश :
हलदी की वैज्ञानिक खेती
हलदी का उपयोग हमारे देश में अनेक रूपों में किया जाता है. इस की बाजार में मांग भी अधिक है. इस वजह से किसानों को इस के अच्छे दाम मिलने की संभावना होती है.
जुलाई महीने में करें खेती से जुड़े जरुरी काम
यह महीना खेती के नजरिए से किसानों के लिए खास होता है, क्योंकि इस महीने तक देश के ज्यादातर हिस्सों में मानसून आ चुका होता है, जिस से इस दौरान खरीफ सीजन में ली जाने वाली फसलों की बोआई और धान की रोपाई का काम शुरू हो जाता हैं. खेती के नजरिए से खरीफ की सब से अहम खेती धान की होती है. इसलिए धान की खेती पर खास ध्यान देना जरूरी है.
अनेक फसलों की करे गहाई मल्टीक्रौप थ्रैशर
फसल तैयार होने खासकर दानों वाली फसल से अनाज को अलग करना मुश्किल भरा काम होता है. इस तरह की अनेक फसलें हैं, जिन में गेहूं, धान, मक्का, दलहनी फसल अरहर, मूंग, चना या तिलहनी फसल सरसों, राई आदि शामिल हैं. इन सभी फसलों की गहाई के आज अनेक कंपनियों के मल्टीक्रौप थ्रैशर मौजूद हैं, जो कम समय में गुणवत्ता से काम करते हैं.
पशुओं के नवजातों में खीस का महत्त्व
खीस में जरूरी पोषक तत्त्व, विटामिन, खनिज और जैविक यौगिक होते हैं, जो नवजात के उत्तम विकास और वृद्धि के लिए जरूरी हैं.
मूंगफली : थ्रैशर से करें गहाई
मूंगफली की फसल पकने के बाद उस की खुदाई कर ली जाती है. बाद में मूंगफली को पौधों की जड़ों से अलग करने के लिए उन्हें हाथ से तोड़ा जाता है या मूंगफली थ्रैशर के द्वारा अलग की जाती है. हाथ से तोड़ने के अलावा मूंगफली को अलग करने के लिए कुछ दूसरे तरीके भी अपनाए जाते हैं.
खरपतवारों की रोकथाम के लिए स्प्रे तकनीक प्रबंधन
हमारे देश में फसलों के उत्पादन में खरपतवारनाशियों का खासा महत्त्व है, क्योंकि खरपतवार फसलों की पैदावार को 15 से ले कर 90 फीसदी तक कम कर सकते हैं, वहीं खरपतवारनाशक कृषि रसायनों की मात्रा फसल की अवस्था, क्षेत्रफल एवं खरपतवार की अवस्था पर निर्भर करती है और मात्रा की संस्तुति करते समय यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि खरपतवारनाशी अवशेषों का अगली फसल पर कोई बुरा असर न पड़े और खरपतवारों का पूरी तरह से सफाया हो जाए.
घर में तैयार करें जीवनरक्षक घोल (ओआरएस)
ओआरएस का पूरा नाम ओरल रिहाइड्रेशन सौल्यूशन होता है. शरीर में पानी की कमी होने पर इलैक्ट्रोलाइट का लैवल बिगड़ जाता है.
लतावर्गीय सब्जियों में प्रमुख रोग एवं उन का निदान
लतावर्गीय सब्जियां साल में लगभग 3-4 महीने रहती हैं. इन का उपयोग सलाद, पका कर सब्जी के रूप में, मीठे फल के रूप में, मिठाई और अचार बनाने में किया जाता है. इन लतावर्गीय सब्जियों में कई प्रकार के रोग लग जाने से इन की उपज पर बुरा असर पड़ता है. इन फसलों में लगने वाले रोगों के लक्षण और उन के निदान के उपाय इस प्रकार है :
अरहर की फसल में कीट नियंत्रण
ढालों को प्रोटीन के सब से अच्छे स्रोत के रूप में प्रमुख स्थान दिया गया है. ऐसे में दालों का उपयोग दैनिक भोजन में सब से अधिक किया जाता है. भारत दलहनी फसलों के उत्पादन के मामले में दुनिया में पहले स्थान पर होने के बावजूद भी प्रति हेक्टेयर उत्पादन की दृष्टि से पिछड़ा हुआ है. इस के चलते दलहन का उत्पादन देश में लगातार घट रहा है.
भांग की खेती
भारत में भांग के अपनेआप पैदा हुए पौधे तो हर तरह में सभी तरह की जलवायु की मिट्टी में सब जगह पाए जाते हैं. वैसे, भांग विशेषकर कुमाऊं, गढ़वाल, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार एवं पश्चिम बंगाल में प्रचुरता से पाया जाता है.
स्वरोजगार के लिए अपनाएं बकरीपालन
बकरीपालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिसे कम लागत कम स्थान में छोटा, बड़ा व भूमिहीन किसान आसानी से कर सकता है, इसीलिए इसे गरीबों की गाय व एटीएम भी कहा जाता है.
मक्का फसल : हानिकारक रोग और उन का प्रबंधन
बीज और पौध अंगमारी : यह रोग पीथियम, फ्यूजेरियम, एक्रीमोनियम, पैनिसिलियम व स्क्लैरोसियम प्रजाति के कारण होता है. इस रोग से बीज या उगता हुआ पौधा गल जाता है, जिस से जमाव कम होता है और पौधों की संख्या कम हो जाती है.
मक्का फसल के हानिकारक कीट, रोग और उन का प्रबंधन
खरीफ मक्का फसल में कीटों का ज्यादा प्रकोप होता है. मक्का फसल में महत्त्वपूर्ण कीटों की पहचान, नुकसान पहुंचाने के तरीके व लक्षणों की पहचान करना इन के प्रबंधन के लिए बहुत जरूरी है.
फसलों में पोटैशियम की जरूरत
अच्छी पैदावार के लिए खेतीबारी में अनेक पौष्टिक तत्त्वों की जरूरत होती है. उन में से पोटाश एक प्रमुख पोषक तत्त्व है. खेती में पोषक तत्त्वों का एक निश्चित अनुपात में संतुलित उपयोग होना चाहिए, वरना उपज में तो कमी आएगी ही, साथ ही उर्वराशक्ति का नुकसान भी होगा.
स्वाद का खजाना आम कलाकंद
आम को यों ही फलों का राजा नहीं कहा जाता है, बल्कि इस की खूबियां और अलगअलग तरह के रंग, रूप और लाजवाब जायका इसे फलों के राजा का खिताब दिलाता है.
राजस्थान की रेत में बागबानी से लखपति बनी महिला किसान संतोष देवी
हमारे देश में महिला किसानों और खेत में काम करने वाली महिलाओं की संख्या पर अगर गौर करें, तो इन की कुल संख्या 84 फीसदी है. लेकिन मुख्य धारा की मीडिया में इन महिला किसानों की चर्चा बहुत कम होती है या कह लिया जाए कि न के बराबर होती है, जबकि देश में मुट्ठीभर बिजनैस वुमन की खबरें अकसर मीडिया के जरीए हम लोगों के सामने आती रहती हैं.
जून महीने में खेतीकिसानी के काम
जून का महीना खेती के लिहाज से खासा अहम है. खरीफ फसलों को बोने के साथसाथ जानवरों का खास खयाल रखना जरूरी हो जाता है.
ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई खेती के लिए लाभकारी
ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई से खेतों की उर्वराशक्ति, जल संवर्धन में वृद्धि एवं कीटों व रोगों के आक्रमण में भी कमी आती है.
'नवोन्मेषी किसान सम्मेलन' का आयोजन
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली
धान की खेती में महिलाओं के लिए सस्ते सुलभ कृषि यंत्र
जिन किसानों के पास खेती की कम जमीन है और वे उस पर धान की खेती करना चाहते हैं, उन के लिए धान की बोआई व रोपाई के ये दोनों यंत्र खासा मददगार हो सकते हैं, खासकर महिलाओं को ध्यान में रख कर इन यंत्रों को संस्थान ने बनाया है.
खेती के विकास में स्मार्ट तकनीक
स्मार्ट खेती, वैज्ञानिक भाषा में परिशुद्ध या सटीक कृषि या प्रिसिजन फार्मिंग कहलाती है, जिस में उत्पादन क्षमता और कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए मौजूद कृषि पद्धतियों में उन्नत प्रौद्योगिकियों का एकीकरण किया जाता है. अतिरिक्त लाभ के रूप में किसानों के भारी श्रम और ज्यादा मेहनत वाले कामों को कम कर के उन के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है.
बांस एक फायदे अनेक
बांस की बांसुरी से तो हम सब ही परिचित हैं. बांस को लोग आमतौर पर लकड़ी मान लेते हैं. बांस एक तरह की विशेष घास है. आज यह मनुष्य के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध हो रही है.
मूंगफली की खेती
भारत में मूंगफली के उत्पादन का तकरीबन 75 से 85 फीसदी हिस्सा तेल के रूप में इस्तेमाल होता है. खरीफ और जायद दोनों मौसमों में इस की खेती की जाती है. जायद के समय जहां पर ज्यादा बारिश होती है, वहां पर भी मूंगफली की खेती की जा सकती है. इस के लिए शुष्क जलवायु की जरूरत होती है.