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खास रहें पर पास नहीं!
पश्चिमी देशों से खरीद में बढ़ोतरी और स्वदेशी साजो-सामान पर जोर के चलते रूस के साथ सैन्य व्यापार में आई कमी. लेकिन देश के ज्यादातर हथियारों के रूसी होने की वजह से भारत को मॉस्को के साथ भी रणनीतिक प्रतिरक्षा रिश्ते बनाए रखने पड़ेंगे
पुराने गौरव को हासिल कर पाएगा नालंदा!
नालंदा विश्वविद्यालय के नए परिसर के उद्घाटन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी ने इसे फिर से प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय जैसा बनाने का सपना देखा. मगर लगातार राजनैतिक विवादों से जूझता यह संस्थान फिलहाल न छात्रों को आकर्षित कर पा रहा है, न ही यहां विश्व स्तर के शिक्षक हैं. भव्य इमारतें फिलहाल शो-पीस बनीं
नींद क्यों रात भर नहीं आती-
देश में लोगों को रात में उस तरह का आराम नहीं मिल पा रहा जैसा कि उन्हें चाहिए. लेकिन नींद के इलाज की दिशा में हुई नई तरक्की अब इस मुश्किल में साबित होने लगी मददगार
धरौ पइसा, वर्दी वाले हैं
यूपी-बिहार बॉर्डर पर अवैध वसूली का रैकेट चला रहे पुलिसवालों ने वर्दी को लगाया गहरा बट्टा. अपराधी पुलिसवालों के खिलाफ पिछले दो दशक का सबसे बड़ा ऐक्शन
बेटा शहीद, मां-बाप का तो निवाला छिना
देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों का बलिदान देने वाले शेखावाटी के सैनिकों के इन बूढ़े माता-पिता के मुंह में एक निवाला डालने वाला तक कोई नहीं. ऐसे में शहीदों के 'नेक्स्ट ऑफ किन' को मिलने वाले लाभ को लेकर बने नियमों पर छिड़ी बहस
देरी का सब भुगत रहे खामियाजा
सीईटी-यूजी के नतीजे आने में हुए विलंब की वजह से हर पक्ष प्रभावित छात्रों, अध्यापकों और सरकारी संस्थानों सबकी बढ़ी परेशानी
जम्मू में पाकिस्तान की नई खुराफात
पहाड़ी क्षेत्र में एक के बाद एक आतंकवादी हमलों का माकूल जवाब देने के लिए मशक्कत कर रहा है सुरक्षा प्रतिष्ठान
वायनाड में भारी पड़ी भूल
पर्यावरण संबंधी समितियों की कई चेतावनियों के बावजूद, बेहिसाब खनन और पेड़-पौधों की कटाई तथा जंगल साफ करने की गतिविधियां अंधाधुंध जारी रहीं और केरल को उसका भारी खामियाजा चुकाना पड़ा
प्रयास खाई पाटने का
मोअज्जम मोहम्मद
यानी अब सौ टोलों की एक दवा?
दरअसल, मोदी सरकार ने फास्टटैग के जरिए भारत के हाइवे-टोल संग्रह में काफी सुधार किया था. उसके पांच साल बाद सरकार अब अपने अगले महत्वाकांक्षी कदम ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (जीएनएसएस)-आधारित टोल वसूली प्रणाली की तैयारी कर रही है.
अलगाव बढ़ाता अधिनियम
असल में 1986 में जब गुजरात का अशांत क्षेत्र अधिनियम लाया गया, तो उसका मकसद सांप्रदायिक हिंसा से प्रभावित क्षेत्रों में घबराहट में होने वाली संपत्तियों की बिक्री को रोकना था. इसके पूरे नाम 'गुजरात अचल संपत्ति के हस्तांतरण पर प्रतिबंध और अशांत क्षेत्रों में परिसर से बेदखली से किरायेदारों के संरक्षण के प्रावधान अधिनियम' के अनुरूप ही वादा किया गया था. मगर जानकारों का कहना है कि गुजरात को धार्मिक आधार पर बांटने की कोशिश करने वाले लोग वर्षों से एक औजार के तौर पर इस अधिनियम का इस्तेमाल कर रहे हैं.
राजभवन को राहत नहीं
आप मौजूदा वक्त के असल पहलुओं को तभी समझ सकते हैं जब उन्हें अतीत के आईने में रखकर आंकें. पश्चिम बंगाल विधानसभा के स्पीकर बिमान बनर्जी पिछले राज्यपाल के कार्यकाल को लगभग निराशा भाव से देखते हैं.
समझदारी से कैसे चुनें विश्वविद्यालय
पहले माता-पिता से एक बात अपने को शांत रखें. इस मामले में न पड़ें. छात्र को अगुआई करने दें. प्री-स्कूल और स्कूल के 15 साल के दौरान आपने कमान संभाली. उनकी जड़ें रोपीं. वह पूरी जिंदगी उनकी बुनियाद रहेगी. अब उनके उड़ान भरने का समय है. कॉलेज जाना अहम दस्तूर है. उन्हें यह अपने दम पर करने की स्वायत्तता दें.
"रोजगार योग्य बनने के लिए छात्रों के पास अब अतिरिक्त कोर्स के विकल्प हैं"
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप उच्च शिक्षा संस्थानों (एचईआइ) में सुधारों का सिलसिला शुरू किया. ये छात्र-केंद्रित सुधार पाठ्यक्रम के नए ढांचे, बहु-विषयक नजरिए, आधुनिक शिक्षाशास्त्र और पारदर्शी नियम-कायदों पर बल देते हैं.
समावेशी उत्कृष्टता की मिसाल
जेएनयू के छात्रों को बखूबी पता है कि उन्हें आला बौद्धिकों की संगत में सीखनेसमझने को मिलेगा. इस साल वहां ई-लर्निंग सेगमेंट में भी हो रहा है विस्तार
प्रतिभाओं के निखरने का पूरा माहौल
हरे-भरे वातावरण वाले सिम्बायोसिस में अत्याधुनिक शैक्षणिक विकल्पों की भरमार. इसके साथ ही यहां पारदर्शी संस्कृति और सर्वांगीण ज्ञान पर जोर
हेल्थकेयर का दायरा फैलाने का बड़ा दायित्व
अपनी अग्रणी चिकित्सा पद्धतियों, अत्याधुनिक तकनीक और असाधारण मेडिकल शिक्षा के लिए मशहूर एम्स डॉक्टर बनने की इच्छुक प्रतिभाओं का सबसे पसंदीदा ठिकाना बना हुआ
तकनीकी बदलाव के दौर में चिकित्सा
तकनीकी प्रगति, जनसांख्यिकी में बदलाव, डिजिटल दुनिया में सूचनाओं की सहज उपलब्धता और बेहतर देखभाल की जरूरत के बीच स्वास्थ्य क्षेत्र तेजी से बदल रहा है. वैसे तो, मरीजों की देखभाल का मुख्य आधार डॉक्टर होते हैं लेकिन अब यह माना जाने लगा है कि भविष्य में बेहतर स्वास्थ्य सेवा प्रणाली बनाने के लिए सिर्फ डॉक्टरों पर ही निर्भर नहीं रहा जा सकता.
नवाचार का उत्सव
अपना दायरा बढ़ाकर और अंतरराष्ट्रीय साझेदारियां कायम करके आइआइटी दिल्ली शोधकर्ताओं और नवाचारियों की नई पीढ़ी को बढ़ावा दे रहा
वकालत का पैमाना ऊंचा उठाने की जिद
शीर्ष लॉ यूनिवर्सिटी के रुप में एनएलएसआइयू छात्रों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ पोस्ट ग्रेजुएट प्रोग्राम का विस्तार कर रहा. उसका फोकस कानून के उभरते क्षेत्रों पर भी
आर-पार की ऊंची छलांग
धीरे-धीरे बदलाव की बजाय शिक्षा क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाने के लिए भारत को आखिर क्या करना होगा
बनाने होंगे भविष्य के राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय
इसे खेद की बात ही कहा जाएगा कि भारत में उच्च शिक्षा के नीति निर्माताओं के लिए कानून की शिक्षा कभी सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं रही.
संतुलन साधने की कठिन कवायद
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के सामने अनेक चुनौतियां थीं. नौकरी का इंतजाम, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में जान फूंकना, और राजकोषीय संतुलन का कड़ाई से पालन करते हुए पूंजीगत खर्च में भारी इजाफे को जारी रखना. इन मोर्चों पर वे कितनी खरी उतर पाईं? अपने बोर्ड ऑफ इंडिया टुडे एक्सपर्ट्स (बाइट) सर्वे के तहत हमने छह आला अर्थशास्त्रियों से पूछा कि केंद्रीय बजट 2024-25 पर उनकी राय क्या है? बजट में किन मुख्य क्षेत्रों पर जोर है? और किन बड़े उपायों से वित्त मंत्री चूक गई?
निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन
अनुसंधान पर जोर देने और इस क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने से भारत के भविष्य में उनकी अहम भूमिका की झलक मिलती है
ठीक निशाने पर
हालांकि कोई बहुत बड़ा बदलाव तो नहीं हुआ लेकिन समुचित आवंटन के साथ बॉर्डर इन्फ्रास्ट्रक्चर, हाइ-टेक उपकरणों की खरीद आदि के लिए पर्याप्त धन मिला
कितने किरदारों का अक्स
अभिनेत्री मीता वसिष्ट चेखव के नाटक थ्री सिस्टर्स, कश्मीरी कवयित्री लल देद, उपन्यासकार कृष्णा सोबती और अपने दोस्त अभिनेता इरफान के बारे में
बीमारी बनी रही जस की तस
स्वास्थ्य देखभाल और परिवार कल्याण के लिए आवंटन न केवल उम्मीद से कम है, बल्कि जरूरत वाले महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर भी ध्यान देने से यह बजट चूक गया
फसल पकने का इंतजार
बजट में इस पर खास ध्यान दिया गया कि किसानों की आय बढ़े और ग्रामीण रोजगार बाजार के दायरे को भी विस्तार मिले
गाड़ी की रफ्तार बनाए रखने पर जोर
हालांकि इस साल बुनियादी ढांचे को लेकर कोई धमाकेदार घोषणा नहीं की गई, फिर भी रेलवे, राजमार्ग, आवास, उद्योग और शहरी नियोजन सरीखे इसके हर क्षेत्र को पर्याप्त रकम
साथियों की खातिर सौगात
उनके राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा भले न मिला हो लेकिन भाजपा के सहयोगी दलों पर बजट में मेहरबानी की तगड़ी बारिश हुई. अब विपक्ष इसे पक्षपातपूर्ण बर्ताव कहकर शोर मचा रहा