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बढ़ता जल संकट चिंता का विषय...
साल 2020 के खरीफ सीजन से हरियाणा सरकार ने राज्य में गिरते भूजल स्तर को बचाने के लिए \"मेरा पानी मेरी विरासत योजना\" की शुरुआत की थी, जिसका मकसद धान की बजाये ऐसी फसलें लगाने के लिए प्रोत्साहित करना था, जिनको पानी की कम जरूरत होती है।
एचएयू ने विकसित की उच्च उपज देने वाली गेहूं की नई किस्म
हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के गेहूं और जौ अनुभाग ने गेहूं की एक नई किस्म WH 1402 विकसित की है।
जायद मौसम में करें मक्के की बुवाई और भरपूर उपज लें
उत्तर भारत में मक्का खरीफ ऋतु की फसल है परंतु जहां सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं। वहां पर यह जायद में अगेती फसल के रूप में इसकी खेती की जाती है।
सहजन: प्राकृतिक औषधि गुणों का भंडार
सहजन, शोभाजन, मरूगई, मरूनागाई या मुनगा आदि नामों से जाना जाने वाला सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है। इसके अलग-अलग हिस्सों में 300 से अधिक रोगों की रोकथाम के गुण हैं। सहजन पूरे भारत में सुगमता से पाया जाने वाला पेड़ है। सहजन के पत्ते, फूल, फलियां, बीज व छाल सभी का किसी न किसी रूप में प्रयोग होता है। सहजन के पत्ते एवं फलियां शरीर को ऊर्जा देने के साथ-साथ शरीर में उपस्थित एवं विषैले तत्वों को निकालने का काम करते हैं। सहजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, विटामिन सी और बी. काम्प्लेक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। सहजन की सब्जी के साथ-साथ इसकी पत्तियां भी बहुत गुणकारी होती हैं।
मेंथा की अंतरवर्ती खेती गेहूँ के साथ
मेंथा की बुवाई 30 से. मी. आकार की कूंड़ में की जाती है। मेंथा के लिए लगभग 500 किलो सकर्स एक हैक्टेयर के लिए आवश्यक हैं। 10-12 सैं.मी. लंबाई के सकर्स को कुंड में 60-75 की दूरी पर 5-1 सैंमी की गहराई पर बुवाई की जानी चाहिए। कुंड-मेढ़ बुवाई विधि से उपज की हानि के बिना 40 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है।
गर्म मैदानी क्षेत्रों में आड़ू, आलूबुखारा, नाशपाती एवं सेब में कटाई-छंटाई
गर्म मैदानी इलाकों में वर्तमान समय में आड़ू, आलूबुखारा, नाशपाती एवं सेब की खेती का प्रचलन बढ़ रहा है। वातावरण एवं तापमान के अनुरूप ये फसलें किसानों को अच्छा मुनाफा दे रहीं है। लेकिन सही समय पर और उचित तरीके से इनमें कटाई-छंटाई न की जाये तो उत्पादन सीधे तौर पर प्रभावित होता है।
स्वैः एवं सांझा-मंडीकरण फसली विभिन्नता का मार्ग
पंजाब में हारत क्रांति की कामयाबी का मुख्य कारण मोटे तौर पर पंजाब कृषि विश्वविद्यालय की ओर से तैयार बीजों, सिफारिश किये रसायनों, खेती मशीनों एवं यंत्रों और सिंचाई को ही बताया जाता है, जबकि मंडीकरण इसकी कामयाबी का एक बहुत अहम एवं बड़ा कारण बना है। मंडी बोर्ड की ओर से हर 5-10 गाँवों के पीछे निश्चित मंडियों एवं इन मंडियों को गाँवों से जोड़ने के लिए ग्रामीण एवं लिंक सड़कें बना कर फसलों की खरीद को आसान किया गया।
गेहूं में पीला/धारीदार रतुआ रोग के लक्षण एवं रोकथाम
एक भी संक्रमण के परिणामस्वरूप पत्ती की लंबाई तक धारियाँ बन सकती हैं। गंभीर प्रारंभिक संक्रमण के साथ पौधों का बौना होना आम बात है।
बहार ऋतु की मक्का की काश्त में पानी की बचत के नुक्ते
गेहूँ और धान के अलावा मक्का की फसल की काश्त बहुत महत्वपूर्ण है। मक्का भिन्न-भिन्न जलवायु में होने वाली महत्वपूर्ण फसल है।
सफेद बटन मशरूम की मुख्य-मुख्य जैविक और अजैविक समस्याएँ तथा उनका निदान
सफेद बटन खुम्ब का ज्यादातर उत्पादन शरद ऋतु में किया जाता हैं बल्कि कुछ खुम्ब उत्पादक वातानुकूलित नियंत्रित कक्षों में सारा वर्ष इस मशरूम का उत्पादन कर रहे हैं। यह एक नकदी फसल है और दूसरी नकदी फसलों की तरह इसमें भी कुछ जैविक तथा अजैविक समस्याएँ देखी जाती हैं जिनका मशरूम उत्पादकों को ज्ञान नहीं होता। कई बार मशरूम उत्पादक को सही ज्ञान न होने से आर्थिक हानि की आशंका बनी रहती है।
खाद्य संरक्षण का महत्व एवं हमारे दैनिक जीवन में जरूरत
खाद्य पदार्थों के मौलिक आकार एवं रूप को परिवर्तित कर या अपरिवर्तित रखकर इनके पोषक तत्व एवं विटामिन को यथा संभव बनाये रखते हुए बिना विकृति के दीर्घकाल तक सुरक्षित रखने की विधियों एवं तकनीकों को परिरक्षण कहा जाता है। खाद्य-पदार्थों के मौलिक आकार एवं रूप को परिवर्तित करके ही हम अधिकांश परिरक्षित फलों एवं सब्जियों को लम्बे समय तक सुरक्षित उत्पादन करते हैं जैसे-जैम, जेली, कैचप, विभिन्न फल पेय, अचार, सॉस, चटनी आदि।
पौध उत्तक संवर्धन उद्यानिकी फसल प्रवर्धन का नया आयाम
आधुनिक युग में विभिन्न प्रकार की उपयोगी एवं उच्च कोटि के गुणों वाले उद्यानिक पौध प्रजातियों तेजी से विलुप्त होते जा रहे हैं। ऐसी परिस्थिति में पौधों के जनन द्रव्य को उत्तक संवर्धन सहायता से विलुप्त होने से बचाया जा सकता है। इस तकनीक द्वारा विभिन्न उपयोगी पौधों के जनन द्रव्य को द्रव नत्रजन में - 196 डिग्री सेल्सियस पर लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं।
औषधीय मशरूम और मानव स्वास्थ्य पर उनका प्रभाव
मशरूम प्रकृति की ओर से मनुष्टय को दिया गया एक अद्भुत जादुई उपहार है। मशरूम सदियों से विभिन्न संस्कृतियों में पारंपरिक चिकित्सा का एक अभिन्न अंग रहा है। भारत में औषधीय मशरूम का उपयोग प्राचीन काल से होता आ रहा है, जहां उन्हें उनके चिकित्सीय गुणों के लिए महत्व दिया जाता था।
कृषि संकट को अलग संदर्भ से समझने की आवश्यकता...
पंजाब के कृषि संकट को समझने के लिए इसको केवल कृषि संकट नहीं कहा जा सकता और इसको सिर्फ गाँव या पंजाब तक सीमित करके नहीं समझा जा सकता। यह संकट सिर्फ कृषि का संकट भी नहीं है। यह विश्वी पूंजी की गिरफ्त में आई कम विकसित आर्थिकताओं के संकट का एक दिखावा है। यह भी समझना गलत है कि यह सिर्फ पंजाब की किसानी से जुड़े लोगों का संकट है और बाकी की श्रेणियों के लोग इससे अछूते रह जाएंगे।
फसलों में फर्टिगेशन (टपक सिंचाई) एवं उससे होने वाले लाभ
आज भारत में फसलों की सिंचाई, उद्योग, आवास और बढ़ती जनसंख्या के कारण जल, जंगल और जमीन भारी दबाव में है। विश्व की बढ़ती हुई जनसंख्या के साथ-साथ हमें खाद्यान्न पूर्ति के लिए नई-नई तकनीक अपनाने की आवश्यकता पर ध्यान देना होगा, जिसमें सिंचाई की नयी पद्वतियाँ, उन्नतशील प्रजातियाँ, मृदा को बिना हानि पहुंचाने वाले उर्वरक, ऊर्जा का समुचित उपयोग व खाद्यान्न गुणवत्ता को बनाये रखने आदि की ओर ध्यान देना होगा।
बागानों में मिट्टी परख का महत्व
बढ़िया बागबानी के लिए मिट्टी परख प्रोग्राम का पहला कदम है, मिट्टी के नमूनों का वैज्ञानिक ढंग से इकट्ठा करना। फिर मिट्टी के नमूनों का प्रयोगशाला में विश्लेषण करके इनके नतीजों के आधार पर बागबानी फसलों के लिए आवश्यक सिफारिशें की जाती हैं।
बैंगन की खेती किस्में, बुवाई, सिंचाई, प्रबंधन, देखभाल और पैदावार
पहली जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए, उसके बाद 3 से 4 बार हैरो या देशी हल चलाकर पाटा लगायें भूमि की प्रथम जुताई से पूर्व गोबर की खाद सामान रूप से बिखेरनी चाहिए। यदि गोबर की खाद उपलब्ध न हो तो खेत में पहले हरी खाद का उपयोग करना चाहिए। रोपाई करने से पूर्व सिंचाई सुविधा के अनुसार क्यारियों तथा सिचाई नालियों में विभाजित कर लेते हैं।
किसान भाई कैसे करें, अच्छे बीज का चुनाव
किसान भाईयों को बीज क्रय करते समय बीजक (रसीद) अवश्य लेना चाहियें एवं बुवाई करने वाले बीज की कुछ मात्रा नमूने के तौर पर अपने पास रख लेनी चाहिये। साथ ही साथ पैकिंग बैग एवं टैग भी तब तक सुरक्षित रखें जब तक फसल का उत्पादन पूर्ण न हो जायें।
पौधा विज्ञानी डॉ. डेविड चार्ल्स बाऊलकोंबे
एंड्रयू हैमिस्टन के साथ मिलकर उन्होंने एक छोटे आर एन ए की खोज की जो निश्चित तौर पर जीन नीरवता के लिए जिम्मेदार था। उनके ग्रुप ने दिखाया कि जहां वायरस जीन नीरवता को बढ़ाते हैं, वहां कुछ वायरस प्रोटीन की मौलिकता बदल कर नीरवता पैदा करते हैं।
खेती में तकनीक की मदद से कमाल करने वाले किसान चंद्र प्रकाश मिश्रा
दस साल में एक करोड़ तक की कमाई करनी है क्योंकि अमरूद के पेड़ की लाइफ़ दस साल तक होती है। इसके बाद अन्य फलों की खेती की जाएगी। चंद्र प्रकाश मिश्रा खेती में सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन सहित पम्पसेट चालू करने के लिए रिमोट का प्रयोग करते हैं।
अब रोबोट तोड़ेंगे चाय की पत्तियां!
कोलकता स्थित सी.डैक के प्रमुख आदित्य कुमार सिन्हा ने कहा कि मुझे लगता है कि चाय की चुनिंदा पत्तियों को तोड़ने के लिए एक बेहतरीन रोबोटिक प्लकर विकसित किया जा रहा है, जो पूरी दुनिया भर में एक पहला प्रयास है। इसके लिए लगातार परीक्षण किए जा रहे हैं।
चूना-आधारित ट्राइकोडर्मा होगा लाभदायक
ट्राइकोडर्मा कई मिट्टी-जनित पौधों के रोगजनकों को दबाने में प्रभावी साबित हुआ है और फसल उत्पादन में एक सफल जैव-कीटनाशक और जैव-उर्वरक के रूप में कार्य करता है।
मशरूम में है कोविड से लड़ने की क्षमता
रिसर्च में वैज्ञानिकों ने मशरूम से प्राप्त 13 जैव सक्रिय यौगिकों का अध्ययन यह जानने के लिए किया है कि क्या वो उस वायरस को रोकने में मददगार हो सकते हैं, जो कोविड-19 का कारण बनता है। साथ ही क्या वो शरीर में इसके कारण होने वाली समस्याओं जैसे फेफड़ों के संक्रमण, साइटोकिन स्टॉर्म, थ्रोम्बोटिक और कार्डियोवैस्कुलर प्रभावों और सूजन को रोकने में मदद कर सकते हैं।
चावल के लिए पहला स्पीड ब्रीडिंग प्रोटोकॉल विकसित किया
अंतर्राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआरआरआई) के वैज्ञानिकों ने चावल के लिए एक मजबूत, पहला त्वरित प्रजनन प्रोटोकॉल विकसित किया है, जो एक वर्ष में चावल की 4 से 5 फसलें प्राप्त करेगा। अब तक प्रजनन कार्यक्रमों में जो संभव हुआ है उससे लगभग दोगुना। जलवायु परिवर्तन और बढ़ती विश्व आबादी की जरूरतों से निपटने के लिए चावल की नई उन्नत किस्मों के प्रजनन में तेजी लाने के लिए यह प्रोटोकॉल महत्त्वपूर्ण होगा।
क्या नैनो यूरिया कर सकता है कृषि उत्पादन बरकरार?
अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय कृषि वैज्ञानिकों ने नैनो यूरिया को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा के लिए खतरा और किसानों का खुला शोषण बताया।
भारत सरकार मक्के पर दे रही है ध्यान
भारत गेहूं और चावल के बाद मकई को अगली बड़ी व्यावसायिक फसल के रूप में देख रहा है, ताकि बंपर पैदावार के माध्यम से अपनी ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाया जा सके, जिसका उपयोग देश के ईंधन-मिश्रण कार्यक्रम के लिए इथेनॉल बनाने के लिए किया जा सकता है।
बिना लाइसैंस बीज बिक्री
कृषक को अबीज आपूर्ति करना उसे आत्म हत्या के लिए मजबूर करने के समान है और भारतीय दण्ड संहिता के तहत दण्डनीय अपराध है। बीज की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए भारत सरकार के कई कानून लागू हैं जैसे बीज अधिनियम-1966, बीज नियम-1968, बीज नियन्त्रण आदेश-1983 तथा बीज प्रमाणीकरण के लिए भारतीय न्यूनतम बीज प्रमाणीकरण मानक-2013 तथा भारतीय बीज प्रमाणिकरण वर्किंग मैन्युअल2021 आदि।
सब्जियों में कीट एवं रोग प्रबंधन
वर्तमान समय में किसानों के लिए सब्जी ही एक मात्र खेती की जाने वाली फसल है। सब्जी की खेती से किसान को अधिक मुनाफा भी होता है लेकिन सब्जी में रोग तथा कीट का भी अधिक प्रकोप रहता है जिससे फसल को काफी नुकसान पहुँचता है। सब्जी की खेती में होने वाले रोग तथा कीट के नियंत्रण के लिए पूरी जानकारी इस तरह है।
सरसों फसल में समेकित नाशीजीव प्रबंधन (आई पी एम) कैसे करें
प्रौढ़ दोनों सरसों फसल में पौधों के विभिन्न भागों से रस चूसते हैं। यह प्रायः दिसम्बर के अन्त से लेकर फरवरी के अन्त तक सक्रिय रहता है। इस कीट की आर्थिक हानि की सीमा 10 से 20 माहू मध्य तना के 10 सैंटीमीटर भाग में है। इससे उपज में लगभग 25 से 40 प्रतिशत तक की हानि हो सकती है।
चाइनीज पत्ता गोभी की उन्नत खेती
यह भी एक विदेशी सब्जी है जिसको विलायती या चाइनीज-कैबेज कहते हैं। इस प्रकार के पत्ता गोभी को आजकल धीरे-धीरे शहरी क्षेत्रों में उगाने लगे हैं। इस सब्जी को भी माडर्न-सब्जी बाजारों एवं दुकानों पर अधिक बिक्री के लिये रखा जाता है।