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आलू की खेती में मददगार कृषि यंत्र
आलू जड़ वाली फसल है. इस की बेहतर उपज किसानों के लिए कमाई का अच्छा जरीया है. आलू को लंबे समय तक कोल्ड स्टोर में रखा जा सकता है और जब बाजार में आलू की आवक कम हो, उस समय उस आलू को कोल्ड स्टोर से निकाल कर मंडी में बेचना कहीं अधिक मुनाफा देता है.
अगस्त महीने के खेती के काम
अगस्त के महीने में बरसाती मौसम का आखिरी दौर चल रहा होता है और देश के अनेक हिस्सों में धान की खेती बरसात के भरोसे ही की जाती है. बरसात के दिनों में फसल में कीट, रोगों व खरपतवारों का भी अधिक प्रकोप होता है, इसलिए समय रहते उन की रोकथाम भी जरूरी है.
बागबानी के लिए आम की विदेशी रंगीन किस्में
आम उत्पादन के मामले में भारत दुनियाभर में पहले स्थान पर है. इस की एक खास वजह यह है कि भारतीय आम अपने आ स्वाद, रंग, बनावट और गुणवत्ता के मामले में किसी को भी अपना मुरीद बना लेता है.
हेलदी की उन्नत खेती बढाए आमदनी
हलदी का प्रयोग न केवल मसाले के रूप में खाने के लिए होता है, बल्कि सौंदर्य प्रसाधनों और औषधियों के लिए भी होता है. हलदी को एक बेहतर एंटीबायोटिक माना गया है, जो शरीर में रोग से लड़ने की कूवत को बढ़ाने में मदद करता है.
पोपलर उगाएं ज्यादा कमाएं
पोपलर कम समय में तेजी से चढ़ने वाला पेड़ है. इस की अच्छी नस्लें तकरीबन 5 से पा 8 साल में तैयार हो जाती हैं. पोपलर की पौध एक साल में तकरीबन 3 से 5 मीटर तक ऊंची हो जाती है. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश के मैदानी इलाकों में इन को देखा जा सकता है.
टिंगरी मशरूम से बनाएं स्वादिष्ठ अचार
हमारे यहां की रसोई में अचार अपना एक अलग ही स्थान रखता है. यह हमारे भोजन को और भी लजीज व स्वादिष्ठ बनाता है. भारतीय रसोई में ह मशरूम भी अहम स्थान रखते हैं. मशरूम का अचार इसे और भी अधिक लजीज और रुचिकर बना देता है. इस का स्वाद और खुशबू हर किसी को मोहित कर देती है.
तालाबों में जल संरक्षण के साथ हों मखाने की खेती
दुनिया का 90 फीसदी मखाना भारत में होता है और अकेले बिहार में इस का उत्पादन 85 फीसदी से अधिक होता है. इस के अलावा देश के उत्तरपूर्वी इलाकों में भी इस की खेती आसानी से की जा सकती है. यहां पर जो तालाब हैं, उन में पानी भर कर मखाने की खेती को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिस से किसानों को फायदा होगा. साथ ही, जल संरक्षण को भी बढ़ावा मिल सकेगा.
पालक की उन्नत खेती
पत्तेदार सब्जियों में सर्वाधिक खेती पालक की होती है. यह एक ऐसी फसल है, जो कम समय और कम लागत में अच्छा मुनाफा देती है. पालक की बोआई एक बार करने के बाद उस की 5-6 बार कटाई संभव है. इस की फसल में कीट व बीमारियों का प्रकोप कम पाया जाता है.
कम खेती में कैसे करें अधिक कमाई
अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए किसानों को अपनी मानसिकता में कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए बदलाव लाना होगा. खेती के अलावा किसानों को उद्यानिक फसलों की ओर भी ध्यान देना होगा.
खेत हो रहे बांझ इस का असल जिम्मेदार कौन?
अपने देश में पिछले 5 सालों में विभिन्न कारणों से किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं, पर आज हम न तो आंदोलनों की बात करेंगे और न ही किसी सरकार पर कोई आरोप लगाएंगे. हम यहां भारतीय खेती की वर्तमान दशा व दिशा का एक निष्पक्ष आकलन करने की कोशिश करेंगे.
बजट 2024 : किसानों के साथ एक बार फिर 'छलावा'
भारत की केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट 2024-25 खासतौर पर 2 माने में अभूतपूर्व रहा. पहला तो यह कि देश के इतिहास में पहली बार किसी वित्त मंत्री ने 7वीं बार बजट पेश किया है. हालांकि इस रिकौर्ड के बनने से देश का क्या भला होने वाला है, पर इकोनॉमी पर क्या प्रभाव पड़ना है, यह अभी भी शोधकर्ताओं के शोध का विषय है. दूसरा यह कि कृषि की वर्तमान आवश्यकता के मद्देनजर इस बजट में देश की खेती और किसानों के लिए ऐतिहासिक रूप से अपर्याप्त न्यूनतम राशि का प्रावधान किया गया है.
पद्धति बदली तो संजीव की होने लगी लाखों की कमाई
संजीव पहले धान की पारंपरिक खेती करते थे. जीतोड़ मेहनत के बावजूद उन्हें अपनी खेती से उतनी आमदनी नहीं हो पाती थी, जितनी वे उम्मीद रखते थे. ऊपर से यदि मानसून दगा दे जाए, तो उत्पादन और भी घट जाता है. संजीव ने फसल में बदलाव क्या किया, उन की जिंदगी ही बदल गई. प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना ने उन के जीवन में सुखद बदलाव लाने में अहम भूमिका निभाई है.
सभी पशु रोग जूनोटिक नहीं होते
जूनोसिस संक्रामक रोग है. इस का संक्रमण जानवरों से मनुष्यों में हो सकता है, जैसे रेबीज, एंथ्रेक्स, इन्फ्लुएंजा (एच 1, एन1 और एच5, एन1), निपाह, कोविड19, ब्रूसेलोसिस और तपेदिक, ये रोग बैक्टीरिया, वायरस, परजीवी और कवक फफूंद सहित विभिन्न रोगजनकों के कारण होते हैं.
छोटे और सीमांत किसानों के लिए नया कौम्पैक्ट ट्रैक्टर
भारत में 80 फीसदी से ज्यादा सीमांत और छोटे किसान हैं. उन में से एक बड़ी आबादी अभी भी बैलों से खेती करने पर निर्भर है, जिस में परिचालन लागत, रखरखाव और खराब रिटर्न एक चुनौती है. हालांकि पावर टिलर बैलों से चलने वाले हल की जगह ले रहे हैं, लेकिन उन्हें चलाना बोझिल है. वहीं दूसरी ओर ट्रैक्टर छोटे किसानों के लिए काफी महंगे हैं.
प्राकृतिक खेती करने वाले किसान को सब्सिडी
लखनऊ में प्राकृतिक खेती पर संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री के 'धरती को रसायनों से बचाने' के सपने को पूरा करते हुए हम कोशिश करेंगे कि आने वाले समय में किसान रसायनमुक्त खेती करें, ताकि आने वाली पीढ़ी स्वस्थ रहे.
'कृषि कथा' लौंच : सफलता की कहानियों को मिलेगा बढ़ावा
भारत के केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी 'कृषि कथा' लौंच की, जो भारतीय किसानों की आवाज को प्रदर्शित करने के लिए एक डिजिटल प्लेटफार्म के रूप में काम करने वाली एक ब्लौग साइट है, जो देशभर के किसानों के अनुभवों, अंतर्दृष्टियों और सफलता की कहानियों को बढ़ावा देगी.
फैरोमौन ट्रैप : जैविक तरीके से फसल सुरक्षा
फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए किसान उम्दा किस्म के खादबीज इस्तेमाल करता है और फ फसल की देखभाल करने में भी कोई कसर नहीं छोड़ता, लेकिन कई बार फसल में कीटों का हमला हो जाता है, जिस से फसल को बहुत अधिक नुकसान होता है.
कीड़ेमकोडों और रोगों की रोकथाम के लिए छोटे स्प्रेयर यंत्र
समयसमय पर देखने में आया है कि फसलों में तरह के अनेक स खरपतवार उग आते हैं, जो फसल को पनपने नहीं देते. इस के अलावा अनेक तरह के कीट व रोगों का प्रकोप भी खेतों में होता है, जिन से उपज पर खासा बुरा असर होता है.
धान की फसल में कीट नियंत्रण
बरसात की प्रमुख फसल होने के नाते धान की फसल की सुरक्षा पर ध्यान देना जरूरी हो जाता है, क्योंकि इस समय फसल में कीटपंतगों का प्रकोप कुछ ज्यादा ही होता है. धान की फसल में सिंचित व असिंचित दशा में अलगअलग तरह के कीटों का प्रकोप होता है, जो फसल की अलगअलग अवस्थाओं में नुकसान पहुंचाते हैं, जिस से धान की फसल पूरी तरह बरबाद हो जाती है और फसल उत्पादन घट जाता है.
हरी खाद के लिए रोटावेटर
रोटावेटर खेती में काम आने वाला एक ऐसा यंत्र है, जिस का उपयोग खेत में जुताई, बोआई और खेत को तैयार करने के लिए किया जाता है.
ढैंचा की खेती से बढाएं मिट्टी की उर्वरता
हमारे देश की बढ़ती आबादी की खाद्यान्न जरूरतों को पूरा करने के लिए किसानों द्वारा अपने खेत में बोई गई फसल से अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए अंधाधुंध कैमिकल खादों व उर्वरकों का प्रयोग किया जा रहा है. इस की वजह से मिट्टी में जीवाश्म की मात्रा में दिनोंदिन कमी होती जा रही है और मिट्टी ऊसर होने के कगार पर पहुंचती जा रही है.
सोयाबीन प्रोसैसिंग यूनिट लगा कर करें कमाई
महिलाओं के लिए उन्नत कृषि यंत्र
सोचसमझ कर ही खरीदें धान का बीज
खरीफ का सीजन मुख्यतौर पर धान की खेती का होता है, इसलिए किसानों को धान के अच्छे बीज व उस के चयन को ले कर विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. किसानों द्वारा धान के बीज की खरीदारी को ले कर बरती जाने वाली जरूरी सावधानियों को ले कर संयुक्त कृषि निदेशक ब्यूरो, उत्तर प्रदेश, आशुतोष कुमार मिश्र से लंबी बातचीत हुई. पेश हैं, उसी बातचीत के खास अंश :
हलदी की वैज्ञानिक खेती
हलदी का उपयोग हमारे देश में अनेक रूपों में किया जाता है. इस की बाजार में मांग भी अधिक है. इस वजह से किसानों को इस के अच्छे दाम मिलने की संभावना होती है.
जुलाई महीने में करें खेती से जुड़े जरुरी काम
यह महीना खेती के नजरिए से किसानों के लिए खास होता है, क्योंकि इस महीने तक देश के ज्यादातर हिस्सों में मानसून आ चुका होता है, जिस से इस दौरान खरीफ सीजन में ली जाने वाली फसलों की बोआई और धान की रोपाई का काम शुरू हो जाता हैं. खेती के नजरिए से खरीफ की सब से अहम खेती धान की होती है. इसलिए धान की खेती पर खास ध्यान देना जरूरी है.
अनेक फसलों की करे गहाई मल्टीक्रौप थ्रैशर
फसल तैयार होने खासकर दानों वाली फसल से अनाज को अलग करना मुश्किल भरा काम होता है. इस तरह की अनेक फसलें हैं, जिन में गेहूं, धान, मक्का, दलहनी फसल अरहर, मूंग, चना या तिलहनी फसल सरसों, राई आदि शामिल हैं. इन सभी फसलों की गहाई के आज अनेक कंपनियों के मल्टीक्रौप थ्रैशर मौजूद हैं, जो कम समय में गुणवत्ता से काम करते हैं.
पशुओं के नवजातों में खीस का महत्त्व
खीस में जरूरी पोषक तत्त्व, विटामिन, खनिज और जैविक यौगिक होते हैं, जो नवजात के उत्तम विकास और वृद्धि के लिए जरूरी हैं.
मूंगफली : थ्रैशर से करें गहाई
मूंगफली की फसल पकने के बाद उस की खुदाई कर ली जाती है. बाद में मूंगफली को पौधों की जड़ों से अलग करने के लिए उन्हें हाथ से तोड़ा जाता है या मूंगफली थ्रैशर के द्वारा अलग की जाती है. हाथ से तोड़ने के अलावा मूंगफली को अलग करने के लिए कुछ दूसरे तरीके भी अपनाए जाते हैं.
खरपतवारों की रोकथाम के लिए स्प्रे तकनीक प्रबंधन
हमारे देश में फसलों के उत्पादन में खरपतवारनाशियों का खासा महत्त्व है, क्योंकि खरपतवार फसलों की पैदावार को 15 से ले कर 90 फीसदी तक कम कर सकते हैं, वहीं खरपतवारनाशक कृषि रसायनों की मात्रा फसल की अवस्था, क्षेत्रफल एवं खरपतवार की अवस्था पर निर्भर करती है और मात्रा की संस्तुति करते समय यह भी सुनिश्चित किया जाता है कि खरपतवारनाशी अवशेषों का अगली फसल पर कोई बुरा असर न पड़े और खरपतवारों का पूरी तरह से सफाया हो जाए.
घर में तैयार करें जीवनरक्षक घोल (ओआरएस)
ओआरएस का पूरा नाम ओरल रिहाइड्रेशन सौल्यूशन होता है. शरीर में पानी की कमी होने पर इलैक्ट्रोलाइट का लैवल बिगड़ जाता है.