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मक्का में एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन (आईपीएम)
जनपद आजमगढ़ के किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए खरीफ में मक्का की खेती एक बेहतर विकल्प हो सकती है. उत्तर प्रदेश में खरीफ में धान के बाद मक्का खाद्यान्न की मुख्य फसल है, लेकिन विभिन्न कारणों से इस फसल से अच्छा उत्पादन नहीं मिल रहा है. मक्का का क्षेत्रफल और उत्पादन दोनों ही बढ़ाने की जरूरत है, साथ ही साथ उत्पादकता बढ़ाने पर भी विचार किया जाना चाहिए.
खाद्य प्रसंस्करण के क्षेत्र में संभावनाएं असीम लेकिन मंजिल है दूर
कृषि प्रधान भारत में आजादी के बाद सभी सरकारें खेतीबारी को अपेक्षित महत्त्व देती रही हैं. लेकिन कृषि उत्पादन बढ़ने के बाद भी किसानों का आर्थिक पक्ष वैसा मजबूत नहीं हो पाया, जो अपेक्षित था. इसी नाते समयसमय पर तमाम आंदोलन हुए. कृषि क्षेत्र की मजबूती के लिए कई उपाय विभिन्न मौकों पर तलाशे गए, जिस में खाद्य प्रसंस्करण सुविधाओं का विकास भी शामिल है.
मक्का फसल कीट, बीमारी और उन का प्रबंधन
पिछले अंक में आप ने मक्का की जैविक खेती के लिए खेत तैयार करने, बीज, खाद, उर्वरक, सिंचाई आदि के बारे में जाना. अब जानते हैं, मक्का की फसल में कीट व बीमारी की रोकथाम के बारे में.
सब्जी का उत्पादन बना आय का साधन
भदोही जनपद के विकासखंड डीध के शेरपुर पिंडरा गांव के निवासी संदीप कुमार गौड़, पिता स्वर्गीय नगेंद्र बहादुर गौड़, उम्र 42 वर्ष, गणित से परास्नातक हैं और कोचिंग चलाते हैं, लेकिन पिछले सालभर से ज्यादा समय से लौकडाउन होने के कारण कोचिंग बंद है, इसलिए घरपरिवार का खर्चा चलाना मुश्किल हो गया है.
धान की खेती और फसल का रोगों व कीटों से बचाव
हमारे देश की खरीफ की प्रमुख खाद्यान्न फसल धान है. धान की खेती असिंचित व सिंचित दोनों परिस्थितियों में की जाती है. धान की फसल में विभिन्न कीटों का प्रकोप होता है. कीट एवं रोग प्रबंधन का कोई एक तरीका समस्या समाधान नहीं बन सकता, इसलिए रोग व कीट प्रबंधन के उपलब्ध सभी उपायों को समेकित ढंग से अपनाया जाना चाहिए.
आम के फलों का रखें ध्यान
आम के फल इस समय छोटे से बड़े हो रहे हैं और परिपक्वता की ओर बढ़ रहे हैं. बागबानों की मेहनत का नतीजा है कि आम के बागों में काफी फल दिखाई दे रहे हैं. इस समय आम के फलों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. प्रोफैसर रवि प्रकाश मौर्य ने बताया कि इस समय आम के फलों में कोयलिया बीमारी, फल की आंतरिक सड़न, तने व डालियों से गोंद निकलने की समस्या पाई जा रही है.
देशी सब्जी कचरी
वैसे तो आप इस सब्जी का नाम सुनेंगे, तो मुंह में पानी आ जाएगा और गांव की यादें भी ताजा हो जाएंगी. जानें इस के औषधीय गुण कि कचरी के फल के साथ विभिन्न भाषाओं में अनेक मुहावरे जुड़े हुए हैं.
मक्का की जैविक खेती
अपने पोषण के लिए मक्का भूमि से बहुत ज्यादा तत्त्व लेती है. जैविक खेती के लिए खेत में जीवाणुओं के लिए खास हालात का होना बहुत जरूरी है. मुख्य फसल से पहले दाल वाली फसल या हरी खाद जैसे हैंचा, मूंग आदि लेनी चाहिए और बाद में इन फसलों को खेत में अच्छी तरह मिला दें.
ग्रीष्मकालीन मूंग की उन्नत खेती
दलहनी फसलों में मूंग की एक अहम जगह है. इस में तकरीबन 24 फीसदी प्रोटीन के साथसाथ रेशा व लौह तत्त्व भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं. मूंग जल्दी पकने वाली किस्मों व ऊंचे तापमान को सहन करने वाली प्रजातियों की उपलब्धता के कारण इस की खेती लाभकारी सिद्ध हो रही है.
अनाज भंडारण की वैज्ञानिक तकनीक
रबी फसलों की कटाई समाप्ति की ओर है. कटाईमड़ाई के बाद सब से जरूरी काम अनाज भंडारण का होता है. अनाज के सुरक्षित भंडारण के लिए वैज्ञानिक विधि अपनाने की जरूरत होती है, जिस से अनाज को लंबे समय तक चूहे, कीटों,नमी, फफूंद आदि से बचाया जा सके.
अदरक की खेती से किसानों को मिलेगा मुनाफा
बहुत समय से अदरक का इस्तेमाल मसाले के रूप में, सागभाजी, सलाद, चटनी और अचार व अलगअलग तरह की भोजन सामग्रियों के बनने के अलावा तमाम तरह तरह की औषधियों के बनाने में होता है. इसे सुखा कर सौंठ भी बनाई जाती है.
सेहत के लिए फायदेमंद काला नमक धान की खेती
ज्यादा पैदावार वाली काला नमक 101, काला नमक 102 व काला नमक 103 जैसी बौनी, खुशबूदार और ज्यादा उपज देने वाली प्रजातियां विकसित की गई हैं. इन की खेती कर के किसान ज्यादा मुनाफा ले सकते हैं.
फसल अवशेषों में आग मत लगाइए जमीन की उर्वराशक्ति बढ़ाइए
हमारे देश में फसलों के अवशेषों का उचित प्रबंध करने पर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है. या कहें कि इस का उपयोग मिट्टी में जीवांश पदार्थ अथवा नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ाने के लिए नहीं किया जा रहा है, बल्कि इन का अधिकतर भाग या तो दूसरे घरेलू उपयोग में किया जाता है, या फिर इन्हें नष्ट कर दिया जाता है जैसे कि गेहूं, गन्ने की हरी पत्तियां, आलू, मूली की पत्तियां वगैरह पशुओं को खिलाने में उपयोग की जाती हैं या फिर फेंक दी जाती हैं. कपास, सनई, अरहर आदि के तने, गन्ने की सूखी पत्तियां, धान का पुआल आदि सभी अधिकतर जलाने के काम में उपयोग कर लिए जाते हैं.
चना और जौ से बने सत्तू के फायदे
सत्तू में ऐसे कई तत्त्व होते हैं, जो डायबिटीज और मोटापे जैसी गंभीर बीमारियों को ही नहीं, बल्कि कई दूसरी बीमारियों को भी शरीर से दूर करते हैं. सत्तू खाने में स्वादिष्ठ ही नहीं, बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद होता है.
किचन गार्डन बनाए सब्जियां व फल उगाए
देश में जब भी खराब हालात रहे हैं, लोगों को कभी बंदी, कर्फ्यू या लौकडाउन का सामना करना पड़ा है. उस दौर में लोगों को सिर्फ एक ही चीज की ज्यादा जरूरत पड़ी है वह है, खानेपीने की वस्तुएं. कोरोना के चलते लगे लौकडाउन ने लोगों में इस चीज का एहसास ज्यादा कराया है कि खाने के लिए अनाज और सब्जियों का समय पर मिलना कितना जरूरी है.
हलदी खेती के फायदे अनेक
आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कुमारगंज, अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, सोहांव, बलिया के अध्यक्ष प्रो. रवि प्रकाश मौर्य ने हलदी की उपयोगिता और एक परिवार के लिए कम क्षेत्रफल में खेती करने की सलाह दी.
अप्रैल महीने के ख़ास काम
इस महीने गेहूं, सरसों, चना आदि फसल की कटाई व उन का सही तरीके से भंडारण करना भी जरूरी है. गेहूं में सब से ज्यादा खतरा घुन लगने का रहता है, जिसे बीटल कहा जाता है. यह अगर एक बार गेहूं में लग गया तो इस से छुटकारा पाना बड़ा ही मुश्किल है, इसलिए भंडारण से पहले ही हमें खास बातों पर ध्यान देना चाहिए.
फसल कटाई के बाद क्या है खास
फसल की कटाई के बाद खेत में फसल अवशेष भूल कर भी न जलाएं. इस से खेत के लाभदायक मित्रजीव नष्ट हो जाते हैं और फसल में शत्रुजीवों का प्रकोप बढ़ जाता है. फसल अवशेषों को पशु चारे के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है या उन की कंपोस्टिंग कर के उत्तम किस्म की खाद बनाई जा सकती है.
भिंडी की फसल को रोगों व कीड़ों से बचाएं
भिंडी एक वार्षिक उगाई जाने वाली सब्जियों में आती है, जिस को बड़े चाव से खाया जाता है. सब्जी के अलावा हरी कोमल फलियों से करी व सूप बनाया जाता है, जबकि इन की जड़ों व तने से बनाए जाने वाले गुड़ की गंदगी साफ करने में काम आता है.
गेहूं की कटान: वायु प्रदूषण व समाधान
हर साल रबी की प्रमुख फसल गेहूं की कटाई के दौरान वायु में प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा बढ़ जाता है.
वसंतकालीन- अरवी की खेती ज्यादा लाभकारी
अरवी को घुइयां के नाम से भी जाना जाता है. इस की खेती मुख्यतः खरीफ मौसम में की जाती है, लेकिन सिंचाई सुविधा होने पर वसंतकालीन में भी की जाती है. इस की सब्जी आलू की तरह बनाई जाती है और पत्तियों की भाजी और पकौड़े बनाए जाते हैं.
आम के प्रमुख कीट और उन का प्रबंधन
हमारे देश में फलोत्पादन में सब से पहले अगर किसी फल का नाम आता है तो वह है फलों का राजा आम'. इस का प्रमुख कारण इस में पाए जाने वाले पोषकीय तत्त्वों, स्वाद, सुगंध व स्वास्थ्यवर्धक गुणों के साथसाथ विटामिन 'ए' की प्रचुर मात्रा में पाया जाना है.
किसानों को लुभा नहीं सकी 'आंकडों की खेती'
हमारे देश में बड़े कोरोना संकट के दौरान जिन करोड़ों किसानों ने रातदिन मेहनत कर के अन्न भंडारों को भर दिया था, उन को मोदी सरकार के इस बार के आम बजट ने बेहद निराश किया. संसद में भी इसे ले कर काफी चर्चा हुई और किसानों में भी.
अजोला की खेती और दुधारा जानवरों का चारा
अब तक अजोला का इस्तेमाल खासकर धान में हरी खाद के रूप में किया जाता था, लेकिन अब इस में छोटे किसानों के पशुपालन के लिए चारे की बढ़ती मांग को पूरा करने की जबरदस्त क्षमता दिखती है.
शामली में किया काले चावल का उत्पादन
भारत के नौर्थईस्ट राज्य में विख्यात औषधीय गुण वाले काले चावल यानी ब्लैक राइस का उत्पादन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के शामली जिले में पहली बार किया गया. अपने औषधीय गुणों, स्वाद और कीमत के आधार पर यह काला चावल आम चावल की अपेक्षा बाजार में अपनी अलग पहचान रखता है, जो किसानों को परंपरागत खेती से ऊपर उठ कर कृषि विविधीकरण की ओर ले जाता है.
चूहा प्रबंधन घर से खेत तक कैसे करें
हमारे यहां ग्रामीण क्षेत्रों में चूहे को विभिन्न नामों से जाना जाता है. कहीं चुहिया, कहीं मूस, तो कहीं मूसी कहते हैं. चूहा घर व खेतखलिहान तक हानि पहुंचाता है.
उन्नत तकनीकी अपनाने से उत्पादन लागत करे कम
गांव में आज भी कृषि ही आजीविका का मुख्य साधन है. लगातार हो रहे अनुसंधान और नई किस्मों के आने से कृषि के स्तर में विकास हुआ है, लेकिन अब किसानों को खाद, बीज, दवाओं, कृषि औजारों, पानी, बिजली आदि पर अधिक खर्च करना पड़ रहा है.
कौट्रैक्ट फार्मिंग के नाम पर किसानों से ठगी
कृषि सुधार कानून में गड़बड़झाला
सेब के पौष्टिक उत्पाद खाएं भी कमाएं भी
अम्लीय फल सेब पोषक तत्त्वों से भरपूर है. इस के सेवन से केवल ऊर्जा ही नहीं मिलती, बल्कि विभिन्न मैटाबौलिक क्रियाओं के पूरे विकास में भी बहुत मदद मिलती है.
आज के जमाने में केले की खासीयत
आज के खाद्य वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में केले को बहुत ज्यादा उपयोगी पाया है. जरमनी के गोली जन विश्वविद्यालय के प्रोफैसर फूडल ने अपनी रिसर्च के आधार पर सलाह दी है कि डिप्रैशन के शिकार आदमी को केले का सेवन करना चाहिए. प्रोफैसर फूडल के मुताबिक, केले में सेरोटोनिन नामक तत्त्व पाया जाता है. इस से मानसिक परेशानियों से छुटकारा मिलता है.