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ज्वार व बाजरे की फसल को कीड़ों से बचाएं
ज्वार और बाजरे में बीज जमाव के फौरन बाद खड़ी फसल और बालियां बनते समय कीड़ों का हमला होता है. ज्वार और बाजरे की फसल में एकजैसे ही कीड़े नुकसान पहुंचाते हैं. इन में प्ररोह मक्खी, तना बेधक, मिज मक्खी, पायरिला कीड़ा और भूरा भुंग खास कीड़े हैं.
स्ट्राबेरी की खेती से किसान मालामाल
उन्नतशील किसानों के लिए यह जरूरी है कि लाभदायक खेती की जाए, जिस से खेती में मुनाफा हो और किसान उसी पैसे का उपयोग कर के उन्नतशील खेती कर सकें. स्ट्राबेरी की खेती कैश क्रौप की तरह होती है. ऐसे में भारत में बड़ी तेजी से स्ट्राबेरी की खेती किसानों को लुभा रही है..
सब्जियों की खेती में जड़गांठ रोग पहचान और रोकथाम
भारत में बड़े पैमाने पर सब्जी की खेती की जाती है और दुनिया के कुल सब्जी उत्पादन का 14 फीसदी भारत में होता है, जबकि चीन 26 फीसदी सब्जियों का उत्पादन अकेले करता है.
फार्म एन फूड अवार्ड में किसानों ने लगाए स्टाल, मिला सम्मान
फार्म एन फूड अवार्ड में किसानों ने लगाए स्टाल, मिला सम्मान
पशुपालन में उन्नत तकनीकियां
'समय से पहले चेते किसान' यह कहावत काफी पुरानी है. वैसे तो पशुओं के लिए साफ सुथरी खुली जगह होनी चाहिए, लेकिन साथ ही पशुपालक संतुलित आहार और उचित देखभाल कर के अपने पशुओं को बीमार होने से बचा सकते हैं.
त्योहार की मिठाई गुझिया
गुझिया कम लागत में तैयार होने के चलते हर तबके के लोगों के लिए इसे बनाना आसान है. समय के साथ गुझिया का रूप बदल गया है. अब केवल खोया या मावा वाली गुझिया ही नहीं बनती, बल्कि तरहतरह के मेवा जैसे केसर, अंजीर, काजू, पिस्ता और बादाम को मावा के साथ मिला कर गुझिया तैयार होने लगी है.
खरीफ व जायद दोनों मौसम में करें - मूंग की बैज्ञानिक खेती
खरीफ व जायद दोनों मौसम में करें - मूंग की बैज्ञानिक खेती
अनार की आधुनिक खेती
कहावत है ‘एक अनार सौ बीमार'. इस कहावत का सीधा सा मतलब तो यही है कि किसी एक चीज के दावेदार कई लोग हैं. लेकिन अनार को बीमारी से जोड़ने का कोई न कोई मकसद तो जरूर रहा होगा.
वैज्ञानिक विधि से करें केले की खेती
दुनिया में केला सब से लोकप्रिय फल है. इस का नाम अरबी शब्द 'केला' से आया है, जिस का मतलब है उंगली.
राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पर दूध पैदावार बढ़ाने पर दिया जोर
नई दिल्ली : देशभर में 26 नवंबर को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन डा. वर्गीज कुरियन का जन्मदिन हुआ था , जो भारत में श्वेत क्रांति के जनक थे.
राम तिल यानी काला तिल खेती से कायम की मिसाल
राम तिल पहाड़ी इलाकों में होने वाली तिलहनी फसल है. इसे गाय, हिरन, जंगली सूअर वगैरह जानवर नहीं खाते हैं.
मेहंदी की खेती
भारत में पुराने जमाने से मेहंदी का इस्तेमाल प्रसाधन के रूप में होता आया है. मेहंदी का प्रयोग शादीविवाह, दीवाली, ईद, क्रिसमस और दूसरे तीजत्योहार वगैरह पर लड़कियां और सुहागिन औरतें करती हैं
नारियल खेती की बढ़ती मांग
बडे शहरों में नारियल का पानी बेचने वालों की तादाद लगातार बढ़ रही है. देश के दक्षिणी राज्यों में तो नारियल की खेती सदियों पुरानी है, लेकिन अब दूसरे नए इलाकों में भी इसे बढ़ावा देने की सरकारी कोशिशें तेजी से चल रही हैं.
गाजरघास की बनाएं खाद
गाजरघास, जिसे कांग्रेस घास, चटक चांदनी, कड़वी घास वगैरह नामों से भी जाना जाता है, न केवल किसानों के लिए, बल्कि इनसानों, पशुओं, आबोहवा व जैव विविधता के लिए एक बड़ा खतरा बनती जा रही है. इस को वैज्ञानिक भाषा में पार्थनियम हिस्टेरोफोरस कहते हैं.
खेती मे काम आने वाली ख़ास मशीने
फसल की कटाई का ज्यादातर काम हंसिए से किया जाता है. एक हेक्टेयर फसल की एक दिन में कटाई के लिए 20-25 मजदूरों की जरूरत पड़ती है.
काजू बनी बेल और फंदे पर लटक गए किसान
मध्य प्रदेश में आदिवासी बहुल बैतूल के यों तो अलगअलग नाम हैं, लेकिन ज्यादातर नाम उस के भौगोलिक पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए दिए गए हैं. बैतूल का मतलब कपासरहित इलाका, लेकिन अंगरेजी वर्णमाला के 5 अक्षरों से बने बैतूल शब्द यानी नाम को एक अलग ही पहचान दी गई है.
लीक की खेती
हरा प्याज की एक किस्म लीक को कंदीय फसल भी कहा जाता है . लेकिन इस की जड़ या कंद छोटा होता है . इसे अलग कर के प्रयोग में नहीं लाते हैं इसलिए यह फसल गैरकंदीय और द्विवार्षिक है .
हाइड्रोजैल के उपयोग : जल प्रबंधनऔर अधिक उपज
बढ़ती आबादी के साथसाथ कृषि , उद्योग और शहरी आबादी के बीच पानी की कमी होना अब चिता की बात है . इस समस्या से कैसे निबटा जाए , इस के लिए हर रोज नए प्रयोग भी हो रहे हैं .
सांप हमारे मित्र भी हैं
सांपों की दुनिया बहुत ही रोमांचक और गोपनीय है . आज भी आम आदमी इन के नाम से खौफ खाता है . यूरोपियन कथाओं में भारत को सांपों का देश कहा जाता है. आइए जानते हैं सांपों के व्यवहार के बारे में ...
वैज्ञानिक तरीके से गेंहू की खेती
यह समय गेहूं की बोआई के लिए माकूल है . इन दिनों किसान अपने खेतों की तैयारी में जुटे हैं . पूरे राजस्थान में गेहूं की खेती की जाती है . यदि उन्नत विधि से खेती की जाए तो औसतन पैदावार 30 से 60 फीसदी तक बढ़ाई जा सकती है .
रबी फसल: खाद प्रबंधक और देखभाल
खाद्यान्न आपूर्ति में रबी फसलों का अच्छा खासा योगदान है , क्योंकि वे कुल सालाना खाद्यान्न मा 40 फीसदी योगदान करती हैं . उस में गेहूं व सरसों की खास भागीदारी होती है .
बड़े काम की खेती की मशीने
पशु ताकत का इस्तेमाल कामों में दिनोंदिन कम हो रहा है , जिस के चलते इंजन , ट्रैक्टर , पावर टिलर व मोटरों का इस्तेमाल बढ़ रहा है , लेकिन ऐसा कहना ठीक होगा कि देश में सभी पावर साधनों का इस्तेमाल होता रहेगा .
फसल को पाले से बचाएं
सर्दियों में पाले का असर पौधों पर सब से ज्यादा होता है . यही वजह है कि सर्दी में उगाई जाने वाली फसलों को आमतौर पर 80 फीसदी तक का नुकसान हो जाता है , इसलिए समय रहते फसलों का पाले से बचाव करना बेहद जरूरी हो जाता है .
दिसंबर महीने के जरूरी काम
अब तक उत्तर भारत में सर्दियां हद पर होती हैं . वहां के खेतों में गेहूं उगा दिए गए होते हैं . अगर गेहूं की बोआई किए हुए 20-25 दिन हो गए हैं , तो पहली सिंचाई कर दें . फसल के साथ उगे खरपतवारों को खत्म करें .
जंगल की आग पलाश
पलाश को हिंदी में ढाक , बंगाली में पलाश , मराठी में पलस , गुजराती में खाखरो , तेलुगु में मोदुगा , तमिल में परस , कन्नड़ में मुलुगा , मलयालम में पलास और वैज्ञानिक भाषा में ब्यटिया मोनोस्पर्मा कहते हैं .
इसबगोल की जैविक खेती
इसबगोल एक महत्वपूर्ण नकदी व औषधीय फसल है . इसबगोल को स्थानीय भाषा में घोड़ा जीरा भी कहते हैं .
हरे चारे की खेती
पशुओं के भोजन में हरे चारे की एक खास भूमिका होती है. यह दुधारू पशुओं के लिए फायदेमंद भी होता है. हरे चारे के रूप में किसान अनेक फसलों को इस्तेमाल करते हैं. लेकिन ऐसी होती हैं, जो फसलें कुछ लंबे समय तक नहीं चल पाती हैं. यहां कुछ खास फसलों के बारे में जानकारी दी गई है, जो सेहतमंद होने के साथसाथ लंबे समय तक हरा चारा मुहैया कराती हैं.
बिजली के इस्तेमाल में न बरतें लापरवाही
तारों में दौड़ती बिजली जहां रोशनी देती है, जिंदगी देती है, वहीं जरा सी लापरवाही बरतने से जिंदगी देने वाली बिजली जिंदगी लील कर घर की रोशनी को अंधेरे में बदल देती है
सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल से करें बोआई
सीड कम फर्टिलाइजर कृषि यंत्र से एक ही बार में खाद व बीज खेत में डाला जाता है. इस यंत्र के इस्तेमाल से खाद व बीज का सही इस्तेमाल होता है और भरपूर फसल पैदावार भी मिलती है.
शतावर खूबियों का खजाना
शतावर का पौधा 3-5 फुट ऊंचा होता है और यह लता के समान बढ़ता है. इस की शाखाएं पतली होती हैं. पत्तियां बारीक सूई के समान होती हैं, जो 1.0-2.5 सैंटीमीटर तक लंबी होती हैं.