![अंतरिक्ष केंद्र सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र सतीश धवन](https://cdn.magzter.com/1718015421/1725267262/articles/gNn7LNXon1725363172766/1725363463423.jpg)
एक गणितज्ञ, रॉकेट वैज्ञानिक, भारत में प्रायोगिक तरल गतिकी के जनक, दशकों तक भारतीय विज्ञान संस्थान के निदेशक, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान के दिशा-निर्देशक, एक गंभीर व स्वप्नदर्शी चिंतक, साहित्यानुरागी और सबसे बढ़कर देश में वैज्ञानिकों की पीढ़ियां तैयार करने वाले अनुपम गुरु थे प्रो. सतीश धवन।
वे एक ऐसे शख़्स थे, जो देश के प्रधानमंत्री के आकर्षक प्रस्ताव को नकारने और अपनी शर्तें मनवाने की कुव्वत रखते थे।
जिनकी बदौलत हमारा देश अंतरिक्ष अनुसंधान के मामले में आज विश्व के अग्रणी देशों की क़तार में शान से खड़ा है, उन प्रो. सतीश धवन की कहानी, इस बार ज़िंदगी की किताब में।
आज़ाद भारत की आशा
अध्ययनशील सतीश धवन उन एक हज़ार प्रतिभाशाली विद्यार्थियों में चुने गए थे, जिनसे शीघ्र ही स्वतंत्र होने वाले देश को अपार आशाएं थीं।
गुरुता और ज्ञान के धवल ओज से निखरा स्वरूप। प्रसन्नवदन दृढ़ व्यक्तित्व। ऐसे ही रूपाकार में ढले भारत देश के एक महान सपूत थे प्रोफेसर सतीश धवन। भारत सरकार के वैज्ञानिक सलाहकार के पद को सुशोभित करते हुए वे कई वर्षों तक एक ही साथ देश के दो सर्वोच्च वैज्ञानिक संस्थानों, भारतीय विज्ञान संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस यानी IISC) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (इसरो) की अध्यक्षता करते रहे, लेकिन इसरो की अध्यक्षता के लिए प्रतीक स्वरूप वे सिर्फ़ एक रुपया प्रति माह का वेतन लेते थे। उन्होंने ग्रामीण शिक्षा, सुदूर संवेदन और उपग्रह संचार पर अग्रगामी प्रयोग किए। आइए, जानते हैं प्रो. सतीश धवन के जीवनवृत्त और कृतित्व के बारे में...
अखंड भारत के उत्तर से दक्षिण तक
सन् 1920 की 25 सितंबर की तारीख़ थी, जब श्रीनगर में प्रो. सतीश धवन का जन्म एक सरायकी हिंदू परिवार में हुआ था। उनके पिता थे, उच्च शिक्षित व प्रतिष्ठित रायबहादुर देवी दयाल धवन, जिन्होंने एमएससी और एलएलबी की शिक्षा ग्रहण की थी। वे डेरा इस्माइल खान शहर से थे। बाद में वे पंजाब सिविल सर्विस का हिस्सा बने और उसके बाद सेशन और जिला जज भी नियुक्त हुए सतीश का बचपन लाहौर और कश्मीर में व्यतीत हुआ था।
この記事は Aha Zindagi の September 2024 版に掲載されています。
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![आलस्य आभूषण है आलस्य आभूषण है](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/zzbO7x8uO1738586780609/1738586965755.jpg)
आलस्य आभूषण है
जैसे फोन की सेटिंग में एनर्जी सेविंग मोड होता है, ऐसे ही आस-पास कुछ लोग भी अपनी ऊर्जा बचाकर रखते हैं। ऐसे लोगों को अमूमन आलसी क़रार कर दिया जाता है, मगर सच तो ये है कि समाज में ऐसे लोग ही सुविधाओं का आविष्कार करते हैं। आलस्य बुद्धिमानों का आभूषण है।
![अबूझ गह्वर जैसा कृष्ण विवर अबूझ गह्वर जैसा कृष्ण विवर](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/L7f6G0t_W1738588139109/1738588386951.jpg)
अबूझ गह्वर जैसा कृष्ण विवर
चांदनी रात में तारों को देखना कितना अलौकिक प्रतीत होता है ना, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये तारे, ये आकाशगंगाएं और यह विशाल ब्रह्मांड किस गहरे रहस्य से बंधे हुए हैं? एक ऐसा रहस्य, जिसे हम देख नहीं सकते, लेकिन जो अपनी अदृश्य शक्ति से ब्रह्मांड की धड़कन को नियंत्रित करता है। यह रहस्य है- ब्लैक होल यानी कृष्ण विवर।
![खरे सोने-सा निवेश खरे सोने-सा निवेश](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/CKfSefwE51738586989311/1738587546289.jpg)
खरे सोने-सा निवेश
क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों सोना सदियों से एक विश्वसनीय निवेश विकल्प बना हुआ है?
![छत्रपति की कूटनीति छत्रपति की कूटनीति](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/qxtjQ6G7u1738585953921/1738586488566.jpg)
छत्रपति की कूटनीति
पन्हालगढ़ के क़िले में आषाढ़ का महीना आधा बीत चुका था। सिद्दी जौहर और मराठा सैनिकों के बीच घमासान युद्ध छिड़ा हुआ था। ऐसे में साम-दाम-दंड-भेद का प्रयोग करके भी बाहर निकलने का मार्ग नहीं सूझ रहा था। शिवाजी ने अपने सभी सलाहकारों को बुलाया और एक रणनीति रची, दुश्मनों को भेदकर निकल जाने की रणनीति ।
![एक अवसर है दुःख एक अवसर है दुःख](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/3mlDP1-4B1738584303808/1738584505229.jpg)
एक अवसर है दुःख
प्रकृति में कुछ भी अनुपयोगी नहीं है, फिर दु:ख कैसे हो सकता है जिसे महसूस करने के लिए शरीर में एक सुघड़ तंत्र है! अत: दु:ख से भागने के बजाय अगर इसके प्रति जागरूक रहा जाए तो भीतर कुछ अद्भुत भी घट सकता है!
![जोड़ता है जो जल जोड़ता है जो जल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/fhuHDvDDO1738584527654/1738585280079.jpg)
जोड़ता है जो जल
सारे संसार के सनातनी कुंभ में एकत्रित होते हैं। जो जन्मना है वह भी, जो सनातन के सूत्रों में आस्था रखता है वह भी। दुनियादारी के जंजाल में फंसा गृहस्थ भी और कंदरा में रहने वाला संन्यासी भी।
![अदाकार की खाल पर खर्च नहीं अदाकार की खाल पर खर्च नहीं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/Tnz5JrK8Q1738582558401/1738582772399.jpg)
अदाकार की खाल पर खर्च नहीं
डॉली को शिकायत है कि जो पोशाक अदाकार की खाल जैसी होती है, उसके किरदार को बिना एक शब्द कहे व्यक्त कर देती है, उसे समुचित महत्व नहीं दिया जाता।
![जब बीमारी पहेली बन जाए... जब बीमारी पहेली बन जाए...](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/Qc7xb4YAc1738588025693/1738588124342.jpg)
जब बीमारी पहेली बन जाए...
कई बार सुनने में आता है कि फलां को ऐसा रोग हो गया जिसका इलाज ढूंढे नहीं मिल रहा। जाने कैसी बीमारी है, कई क्लीनिक के चक्कर लगा लिए मगर रोग पकड़ में ही नहीं आया।' ऐसे में संभव है कि ये रोग दुर्लभ रोग' की श्रेणी में आता हो। इस दुर्लभ रोग दिवस 28 फरवरी) पर एक दृष्टि डालते हैं इन रोगों से जुड़े संघर्षों पर।
![AMBITION ET संकल्प के बाद AMBITION ET संकल्प के बाद](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/EpMe5uRUx1738582789094/1738583308689.jpg)
AMBITION ET संकल्प के बाद
नववर्ष पर छोटे-बड़े संकल्प लगभग सभी ने लिए होंगे।
![श्वास में शांति का वास श्वास में शांति का वास](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/9neGHffJn1738586618235/1738586767864.jpg)
श्वास में शांति का वास
आज जिससे भी पूछो वो कहेगा मुझे काम का, पढ़ाई का या पैसों का बहुत तनाव है। सही मायने में पूरी दुनिया ही तनाव से परेशान है। इस तनाव को रोका तो नहीं जा सकता मगर एक सहज उपाय है जिससे इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। -