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जीरो बजट प्राकृतिक खेती : कृषि की दशा और दिशा बदलने का एक प्रयास
प्राकृतिक खेती का मुख्य आधार देसी गाय है। प्राकृतिक खेती ( natural farming) कृषि की प्राचीन पद्धति है। यह भूमि के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखती है। प्राकृतिक खेती में रासायनिक कीटनाशक का उपयोग नहीं किया जाता है। इस प्रकार की खेती में जो तत्व प्रकृति में पाए जाते हैं, उन्हीं को खेती में कीटनाशक के रूप में काम में लिया जाता है।
अरुणाचल में मिली मधुमक्खी की नई प्रजाति सेराटिना तवांगेंसिस
मधुमक्खियों को आमतौर पर छोटी बढ़ई मधुमक्खियों के रूप में जाना जाता है, उनके बहन समूह के विपरीत, बड़ी बढ़ई मधुमक्खियों या जाइलोकोपा एसपीपी, जिन्हें बोलचाल की भाषा में भामरा कहा जाता है।
खादों से होने वाला कार्बन निकास कम करने की आवश्यकता
नाइट्रोजन युक्त उर्वरकों का पूरी दुनिया में उत्पादन और उपयोग किया जाता है जो वैश्विक खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हैं। लेकिन साथ ही इन उर्वरकों का बेतहाशा बढ़ता उपयोग पर्यावरण और जैवविविधता को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ ग्लोबल वार्मिंग की भी वजह बन रहा है।
रोगाणुरोधी दवाओं का पशुओं में बढ़ रहा उपयोग
एक अध्ययन में पाया गया है कि भारत में जिस तीव्र गति से भोजन के रूप में उपयोग किए जाने वाले पशुओं में रोगाणुरोधी दवाओं का उपयोग हो रहा है, वह दुनिया भर के औसत से बहुत अधिक है। इस दशक के अंत तक इसके इसी तरह बने रहने के आसार है।
2022 - 23 में बंपर उत्पादन होने का अनुमान
कृषि वर्ष 2022-23 में प्रमुख खाद्यान्न फसलों में बंपर उत्पादन का अनुमान है।
कृषि वैज्ञानिकों ने लंबे शोध के बाद गेहूं की चार किस्में की विकसित
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के इंदौर स्थित क्षेत्रीय गेहूं अनुसंधान केंद्र में गेहूं की चार प्रजातियों को विकसित किया गया है। इसमें पूसा ओजस्वी व पूसा हर्षा शरबती और पूसा पौष्टिक व पूसा कीर्ति कठिया की किस्में हैं।
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए किसानों को सतत मूल्य श्रृंखलाओं की जरूरत
कृषि और भोजन की मजबूत मूल्य श्रंखलाएं नियमित व्यापारिक संबंध और अच्छी कृषि आय सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
पहली बार देसी नस्ल की 4 गायों की हुई जीनोम सिक्वेंसिंग
भारत में देसी गाय पालन का चलन बढ़ता जा रहा है। प्राकृतिक खेती से लेकर दूध उत्पादन तक देसी गाय को काफी प्रमोट किया जा रहा है।
आवश्यक तेलों का निष्कर्षण: सफेदा का तेल
मानव जाति उपचार के लिए हजारों वर्षों से पौधों और पेड़ों का उपयोग कर रही है और यह वही प्रक्रिया है कि हम औषधीय घटक के लिए इस आवश्यक तेलों का उपयोग करते हैं।
मल्चिंग और ड्रिप के इस्तेमाल से खरपतवार का प्रबंधन
कृषि की शुरुआत से ही, किसानों ने अपने खेतों में खरपतवारों के प्रबंधन के लिए संघर्ष किया है।
लंपी त्वचा रोग: लक्षण एवं बचाव
लंपी त्वचा रोग घरेलू मवेशियों और एशियाई भैंसों का एक वेक्टर जनित चेचक रोग है और त्वचा की गांठें इसकी विशेषता है।
अरंडी की खेती - किस्में, देखभाल और पैदावार
अरंडी वानस्पतिक तेल प्रदान करने वाली खरीफ की एक मुख्य व्यवसायिक फसल है।
शीतलहर (सर्दी) से पशुओं को बचाने के लिए पशुपालकों को सलाह
शीत ऋतु में पशुओं को राशन में बाजरा कम मात्रा में खिलाना चाहिए क्योंकि सर्दी की ऋतु में बाजरे का पाचन कम होता है। इसलिए बाजरा किसी भी संतुलित आहार में 20% से अधिक नहीं होना चाहिए। रात के समय में पशुओं को सूखा चारा आहार के रूप में उपलब्ध कराएं।
गन्ने के अपशिष्ट से चीनी का विकल्प तैयार करने की नई तकनीक
आईआईटी गुवाहाटी के शोधकर्ताओं ने दो दृष्टिकोणों का उपयोग किया है। सबसे पहले, उन्होंने गन्ने की खोई, गन्ने से रस निकालने के बाद उत्पन्न होने वाले अपशिष्ट रेशेदार पदार्थ, को कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल किया। यह 'जाइलिटोल' संश्लेषण की वर्तमान विधियों की लागत को कम करने में मददगार है और अपशिष्ट उत्पाद को पुनः उपयोग करने की एक विधि प्रदान करता है।
टमाटर और बैंगन लगेंगे एक ही पौधे पर
ग्राफ्टिंग विधि के जरिए एक नए तरह के पौधे का आविष्कार किया गया है, जिसे ब्रिमेटो नाम दिया है। इस पौधे में एक साथ टमाटर और बैंगन पैदा होंगे। ये कारनामा यहां के वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉ. अनंत बहादुर ने ग्राफ्टिंग विधि द्वारा किया। खास बात ये है कि पौधा एक ही होगा, लेकिन इसकी शाखाओं में टमाटर और बैंगन एक साथ लगेंगे।
ग्रामीण जनसंख्या को कृषि उद्यम के द्वारा शक्ति प्रदान करना
भारतीय कृषि को पुनः सुरजीत करने एवं इसको और आकर्षक एवं लाभदायक उद्यम बनाने के लिए कृषि को कृषि व्यवसाय में बदलना महत्वपूर्ण है। कृषि उद्यम देश में आमदनी एवं रोजगार के मौके पैदा करने, गरीबी घटाने एवं सेहत, पोषण एवं संपूर्ण भोजन सुरक्षा में सुधारों समेत अलग-अलग तरह के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में हिस्सा डालने की और ज्यादा संभावना रखता है। यह ग्रामीण क्षेत्रों में शानदार उद्यमी मौके प्रदान करता है।
बटन मशरूम के उत्पादन से संबंधित मुख्य समस्याएँ और उनका उचित प्रबंधन
बागवानी में विविधीकरण के लिए मशरूम एक ऐसा व्यवसाय है जो बहुत कम पूंजी से शुरू किया जा सकता है।
चने की फसल में कीट प्रबंधन
चना रबी में उगाई जाने वाली एक दलहनी फसल है।
कैसे करें गेहूं की फसल में खरपतवार नियंत्रण
गेहूं भारत की मुख्य अनाज की फसल है जिसका उत्पादन लगभग 30.37 मिलियन हैक्टेयर में होता है और 29.9 क्विंटल/हैक्टेयर की औसत उत्पादकता की दर से 90.78 मिलियन टन अनाज की पैदावार होती है।
जहर मुक्त गेहूँ-सरसों में कीटों का बहुआयामी प्रबंध
किसान भाई आमतौर पर यह सोचते हैं कि कीट फसलों का नुक्सान करते हैं और इनको मार कर ही फसल को बचाया जा सकता है। यद्यपि पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना, कृषि विज्ञान केन्द्रों एवं कृषि व संबंधित विभागों की ओर से किसानों को जानकारी दी जाती है कि कीटनाशकों का स्प्रे खेतों का सर्वेक्षण करने के बाद जरूरत पड़ने पर ही करना चाहिए परन्तु अक्सर किसान भय के कारण स्प्रे कर देते हैं।
मुर्गी पालन-सीमांत किसानों के लिए वरदान
उत्तरप्रदेश- सहायक व्यवसाय
मृदा प्रदूषण की रोकथाम सुनहरे भविष्य की है पहचान
मृदा के भौतिक, रासायनिक या जैविक गुणों में से किसी एक में भी नकारात्मक परिवर्तन जो पर्यावरण, जीवों और पौधों के लिए हानिकारक हो उसे मृदा प्रदूषण, कहा जाता है। यह मानव जीवन, जीवजंतुओं, फसल उत्पादन, मृदा की गुणवत्ता और उपयोगिता पर विपरीत प्रभाव डालता है।
सूरजमुखी की खेती कैसे करें
सूरजमुखी की खेती खरीफ, रबी एवं जायद तीनों ही मौसमों में की जा सकती है। परन्तु खरीफ में सूरजमुखी पर अनेक रोग कीटों का प्रकोप होता है, फूल छोटे होते हैं। तथा उनमें दाना भी कम पड़ता है। जायद में सूरजमुखी की खेती से अच्छी उपज प्राप्त की जा सकती है।
अनुवांशिक फसलों की अनुमति देश को संकट में डालेगी
मध्यप्रदेश - जीएम फसलें
खरपतवार विज्ञानी डॉ. माइकल विडरिक
डॉ. माइकल विडरिक की खोज खरपतवारों के खात्मे के भिन्न-भिन्न ढंगों से संबंधित है। वह कहते हैं कि एक गैर रासायनिक नियंत्रण, औषधीय पौधों से जंगली बूटी के खतरे को खत्म करने में सहायक साबित होता है।
जैविक टीकाकरण गन्ने की खेती में करेगा सुधार
दो महत्वपूर्ण वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चला है कि जैविक टीकाकरण के उपयोग से गन्ने के खेतों के प्रदर्शन में सुधार हुआ है और 50% नेमाटोड का नियंत्रण प्रदान किया है।
भूमि का अंधाधुंध उपयोग जैव विविधता के लिए हानिकारक
भूमि का अंधाधुंध उपयोग न केवल जैव विविधता के लिए हानिकारक है, बल्कि यह जमीन के नीचे रहने वाले जीवों को भी भारी नुकसान पहुंचा रही है।
परागण में कमी के कारण हो सकती है उत्पादन में कमी
परागण की कमी के चलते फल, सब्जियों, बादाम और अखरोट जैसे कड़े छिलके वाले फलों के उत्पादन में पांच प्रतिशत तक की गिरावट आ रही है।
केंद्र सरकार की ओर से कृषि को पुनर्योजी योजना कितनी सार्थक
1960 के दशक की हरित क्रांति ने भारत को भूखमरी के कगार से वापस खींचकर इसे एक आत्मनिर्भर और एक बड़े खाद्य निर्यातक देश में बदल दिया। लेकिन इस क्रांति के कारण भारत दुनिया का सबसे बड़ा भूजल उत्सर्जक देश भी बन गया।
पराली प्रदूषण से लोगों की जान को खतरा
भारत में वायु प्रदूषण एक बड़ी समस्या है जिसके लिए अनेक कारण जिम्मेवार हैं। इनमें से एक कारण पराली भी है। पता चला है कि देश में फसलों के बचे अवशेषों को जलाने से न केवल वायु गुणवत्ता खराब हो रही है, साथ थी इसकी कीमत इंसानी जीवन के रुप में भी चुकानी पड़ रही है।