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न उनकी हार नई है न अपनी जीत नई
प्रसिद्ध पाकिस्तानी शायर फैज अहमद फैज अपनी एक नज्म की वजह से पिछले दिनों चर्चा में रहे। समर्थन और विरोध, दोनों में लोग आ खड़े हुए, लेकिन सवाल है कि क्या इस पीढ़ी को फैज के रचनाकर्म की पर्याप्त जानकारी है? । फैज के रचनाकर्म और व्यक्तित्व को समग्रता में समझे बगैर उन पर ठीक ढंग से बात नहीं की जा सकती। लेखिका फैज साहब से हुई अपनी मुलाकातों के जरिये उन्हें याद कर रही हैं
कहीं ठंड न लग जाए दिल को
वैसे तो सर्दियों का मौसम सेहत के लिए अच्छा माना जाता है, पर दिल के रोगियों के लिए यह खतरे की संभावना बढ़ा देता है। तापमान कम होने से धमनियां सिकुड़ने लगती हैं, जिससे हृदय तक रक्त की पहुंच मुश्किल होने लगती है। स्मॉग भी समस्या बढ़ाने का काम करता है। ऐसे में बढ़ती हुई ठंड में दिल की खास देखभाल की जरूरत होती है
कुछ खटटी कुछ मीठी
जिंदगी जैसे यादों की बारात ही है। छोटी-छोटी घटनाएं जब जुडती हैं तो जाने कितनी कहानियां जीवंत हो उठती हैं। यादें ही हैं जो मुश्किल दिनों में बीते खूबसूरत लम्हों को ताजा करके ऊर्जा से भर देती हैं। लेखक याद कर रहे हैं गीत-संगीत की दुनिया के अपने पुराने दिन
जिमी और मैं
प्रेम को किसी सिद्धांत में नहीं बांधा जा सकता, जबकि जिमी अपने प्रेम को सिद्धांत में बांधने की कोशिश करता है । कम उम्र के दो प्रेमी प्रेमिका को किसी और से प्रेम हो जाता है और जिमी अपने सिद्धांतों के साथ दुखी । हालांकि प्रेमिका को जिमी का यह परिवर्तन भी आकर्षक लगता है
हर रंग जुदा-जुदा
होली एक ऐसा राष्ट्रीय पर्व है जो लोगों को आपस में जोड़ने का संदेश देता है। यही हमारे संविधान की मूल आत्मा है। आज जब समाज को तोड़ने की कोशिशें तेज हो रही हैं तब इसका महत्त्व और भी बढ़ जाता है। अनायास नहीं कि गंगा-जमुना के इलाके का यह त्योहार अब धीरे- धीरे अंतरराष्ट्रीय होता जा रहा है .
कहीं एक हारमोनियम बजता है
स्मृतियां सिर्फ व्यक्तियों की ही नहीं होतीं उनसे जुड़ी चीजों की भी होती हैं। जैसे लेखक के बचपन में पिता द्वारा बजाया जानेवाला हारमोनियम और उसके राग उनकी स्मृति के साथ ऐसे एकाकार हो गए कि भूलते नहीं
धीरे-धीरे मिट रही हैं दूरियां
विश्व साहित्य के नजरिये से देखें तो यह साल भी पिछले साल की तरह ही रहा और शायद अगले साल भी ऐसा ही हो, लेकिन एक बड़ा परिवर्तन इधर देखने में आ रहा है और वह है भारतीय साहित्य का विश्व स्तर पर प्रतिष्ठित होना । बेशक माध्यम अंग्रेजी ही है , लेकिन उससे क्या? समाज एक दूसरे के पास आ रहा है और भाषाएं भी
खतरनाक है अवसाद
यों तो हम सब कभी न कभी उदास होते हैं, लेकिन अगर यह उदासी लगातार बनी रहे, तो यह गंभीर अवसाद का रूप ले लेती है । अवसाद भी कई तरह का होता है । अगर इसकी समय से पहचान और इलाज न हो, तो यह खतरनाक हो सकता है और आदमी जीवन से ही मुंह मोड़ लेता है
राधा कृष्ण के प्रेम का साक्षी दोल उत्सव
हमारे यहां त्योहारों की एक खासियत है कि वे आमतौर पर स्थानीय रंगत लिए हुए होते हैं। होली को ही लीजिए तो बंगाल की होली बाकी जगहों से एक दिन पहले हो जाती है 'दोल उत्सव' के रूप में। यहां यह बसंत के स्वागत और राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक है
एक बार फिर पहले की तरह मिले-जुलें
कुछ करने के लिए की जरूरत होती है और जोश के लिए किसी मौके या बहाने की । ये बहाना कुछ भी हो सकता है । मूल बात यह है कि इस बहाने की सीढ़ियां चढ़कर ही कोई भी इनसान कुछ भी कर सकता है । नया साल बहुतों के लिए ऐसा ही बहाना है
एलोपैथी - ये गुर्दे हैं संभालकर रखिए
गुर्दो की बीमारी आजकल आम समस्या बन चुकी है और इसका बड़ा कारण हमारी जीवनशैली है। शुरुआत में इसके लक्षण स्पष्ट नहीं होते। आयुर्वेद में उवित आहार-विहार के साथ इसका सटीक इलाज है
जगर-मगर बाजार लेकिन...
हाल के दिनों में साहित्य की दुनिया में एक नई चीज हुई है और वह है बाजार और पूंजी का वर्चस्व । पहले ऐसा नहीं था । साहित्यकार जब आपस में मिलते थे तो देश और दुनिया की चिंता ज्यादा करते थे । अब बाजार ने वहां विचारों का दखल कम किया है
किला
राजकुमार अपने किले की खिड़की से रोज एक लड़की को देखता है और उस पर मुग्ध हो जाता है। लड़की के बारे में वह कुछ नहीं जानता। बतौर राजकुमार वह खुद उसके सामने जा नहीं सकता। अपने सेवक से वह उसके बारे में पता करने को कहता है। सेवक बताता है कि वह उसकी प्रेमिका है। फिर....
रंग से रंग लगाना...
मन में जब उदासी और उमंग के भाव एक साथ आने लगें तो समझो वसंत आ गया है। सुनने में बड़ा अजीब लगेगा कि मन में उदासी और उमंग एक साथ कैसे हो सकते हैं?
एक तारीख तो बताओ
1जनवरी कोई खास तारीख है? मानो तो है, वरना नहीं। किसी के लिए हर महीने आनेवाली एक तारीख-जैसी ही है। किसी के लिए साल का पहला दिन। नया साल, नई शुरुआत। नए इरादों के साथ कुछ नया करने का जज्बा। कुछ तो है ऐसा, जो इस तारीख को खास बनाता है
उस शहर की परछाइयां
शहरों की भी अपनी स्मृति होती है और उससे जुड़े लोगों की भी अपनी। कुछ शहर आपको इतने अपने लगने लगते हैं कि आपके जेहन में बस जाते हैं। चाहे आप उन्हें छोड़कर कहीं और ही बस जाएं वे आपकी यादों से नहीं जाते। तुर्की के इस्तांबुल शहर की यह स्मृति भी कुछ ऐसी ही है
घटश्राद्ध
कन्नड़ के ख्यातिलब्ध रचनाकार यू. आर. अनंतमूर्ति की यह चर्चित कहानी है । एक विधवा स्त्री को केंद्र में रखकर परंपरा के नाम पर समाज में व्याप्त विसंगतियों और पाखंड पर यह तीखा प्रहार करती है । लेखक के जन्म-दिवस के मौके पर इस लंबी कहानी का संपादित रूप
काव्य
एक कवि के यहां काम करने वाली नंजम्मा अपने साथ गांव से एक लड़की पुट्टगौरी को लाई, जिसे शहर में किसी से प्रेम हो गया। मार-पीट कर उसे गांव भेजा गया जहां उसकी शादी हो गई। ससुरालवाले उसे परेशान करते तो कवि के समझाने पर वह पति के साथ अलग रहने लगी। प्रसव हुआ तो दिक्कत बढ़ गई फिर...
रंग लगाने गया था लेकिन...
होली उसी के साथ खेली जाती है जिससे मजाक का रिश्ता हो। चाहे नेता हो, चाहे पुलिस या न्यायपालिका या फिर बैंक ही क्यों न हों, आजकल सब जनता से ही मजाक कर रहे हैं। जनता इन्हें रंग भी लगाना चाहे, तो ये उसे चूना लगा देते हैं
उस दिन को बनाएं खास
कोई भी खास दिन और भी खास हो आपके परिवार है, जब आपका पूरा जाता साथ हो । कुछ ऐसा ही होता है, नए साल के पहले दिन । इस दिन परिवार के साथ की गई मौज मस्ती और बिताया समय पूरे साल एनर्जी देता है । बता रही हैं प्रसिद्ध फिल्म अभिनेत्री
उस रोशनी की तलाश में
रोशनी का असली महत्व "कादम्बिनी" के जरिए
गल्प या पल्प !
यों तो गल्प हमारी साहित्यिक परंपरा का अभिन्न हिस्सा है । लेकिन यह एक नया कथा समय है जहां हाशिये की आवाजें मुखर हैं । देहवादी कहानियों का दौर बीत चुका है , लेकिन स्त्री , दलित और आदिवासी समाज का दर्द और त्रासदी नए रूप में लिखी जा रही है , जिसे रेखांकित किया जाना चाहिए
एक-दूसरे का ध्यान रखना ही प्यार
सोनम कपूर आज बॉलीवुड सेलिब्रिटी हैं। आनंद से जब उन्हें प्रेम हुआ तब उसका उन्हें पता भी नहीं चला। वे तो अपनी सहेली से उनकी डेटिंग की योजना बना रही थीं, लेकिन होनी कुछ और ही थी! आनंद, सोनम का इतना खयाल रखने लगे कि उन्हें उन्हीं से प्रेम हो गया
इंतजार
एक ही लड़की थी । बड़े अरमानों से पाला, पर बड़ी हुई तो अपनी मर्जी की मालिक हो गई । अपने मन से शादी की और कनाडा चली गई । अंतर्मन की पीड़ा सहते गुजरते वक्त के साथ नायिका के पति प्रकाश बीमारी का शिकार हो इस दुनिया से चले गए । ऐसे में नायिका को किरायेदार लड़की मोहिनी के रूप में उम्मीद की एक नई किरण मिली, लेकिन एक दिन वह आया कि.....
इंटरनेट के दौर में याद
ताजा शोध बताते हैं कि आज तकनीकी और इंटरनेट के दौर में हम भीषण स्मृतिलोप का शिकार हो रहे हैं। हमारी एकाग्रता भंग हो रही है और हम बिना तथ्यों को जांचे पूरी तरह इंटरनेट पर निर्भर होते जा रहे हैं जहां सच को झूठ और झूठ को सच बनाने का कारोबार बड़े पैमाने पर चल रहा है
खुल रही हैं अलग-अलग राहें
किताबों की दुनिया इस साल काफी समृद्ध रही , लगभग सभी विधाओं में । अच्छी बात यह रही कि अब बड़े और छोटे प्रकाशकों का भेद मिट रहा है और साहित्येतर विधाओं में , खासकर ज्ञान - विज्ञान के क्षेत्र में भी प्रकाशकों की रुचि बढ़ी है । यह हिंदी की अपनी जनतांत्रिक परंपरा है , जो निरंतर विकसित हो रही है
एक सूर्यास्त का ब्योरा
सड़क के अंधेरे आईने में अंतिम ट्राम गायब हो रही थी। ऊपर बिजली के तारों का जालथा, जिसमें से कभी-कभी तिड़कने की आवाज के साथ चिनगारियां निकलती थीं। दूर से वे किसी नीले सितारे जैसी लगती थीं।
रंग और समाज
होली भी अब दिखावे की हो गई है। लोग रंग लगा रहे हैं तो लगा लो, हंस रहे हैं तो हंस लो, भले ही आपको रंग और हंसी बिल्कुल पसंद नहीं। कई कवियों की कविताएं तो रंग और बसंत से सराबोर रहती हैं, लेकिन जीवन में नरंग होता है न बसंत
अपने-अपने सपने
नया साल अपने साथ बहुत कुछ लेकर आता है । इन्हीं कुछ में से एक होता है-हमारे सपने । इनमें से कुछ पिछले वर्षों के हैं तो कुछ नए साल के। कुछ उम्मीदभरे, तो कुछ इन उम्मीदों को पूरा करने का जज्बा लिए । हर आंख के अपने सपने हैं । अपने रंग हैं ।... और इन्हें पूरा करने का अपना हौसला है
अपनी वाचिक परंपरा वाह।
हमारे तमाम महान ग्रंथ श्रुति और स्मृति परंपरा से ही जनमे। आमतौर पर स्मृति बीती हुई चीज़े की होती है लकिन जब स्मृति के साथ प्रज्ञा भी जुड़ जाती है तब भबिस्य ज्ञान होता है।