सभी क्षेत्रीय पार्टियां खत्म हो रही हैं. जो नहीं हुई हैं, वे भी जल्द ही खत्म हो जाएंगी. रहेगी तो सिर्फ भाजपा. " 30 जुलाई, 2022 को बिहार की राजधानी पटना में जब भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने यह बात कही थी, तो उन्हें शायद ही अंदाजा रहा होगा कि 11-12 दिन बीतते-बीतते बिहार की तमाम क्षेत्रीय पार्टियां आपस में मिल जाएंगी और भाजपा को सत्ता से बेदखल कर देंगी. वे तो बस कार्यकर्ताओं को उत्साह भरने की कोशिश कर रहे थे. मगर अगस्त क्रांति दिवस के अगले रोज 9 अगस्त को जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भाजपा से संबंध खत्म करने की घोषणा कर दी और राज्यपाल फागू चौहान को अपने पक्ष के 164 विधायकों के समर्थन का पत्र सौंपा तो पता चला कि भाजपा के अलावा राज्य में जितनी पार्टियां थीं, वे सबकी सब नीतीश के साथ खड़ी हो गईं. उनमें राजद तो था ही, कांग्रेस, भाकपा-माले, भाकपा, माकपा के साथ-साथ जीतनराम मांझी की पार्टी 'हम' तक शामिल थी. ऐसा लगा कि क्षेत्रीय दलों ने भाजपा अध्यक्ष के इस बयान को कुछ अधिक गंभीरता से लिया और उन्हें अपनी ताकत दिखाना चाह रही हैं.
इन सबका देश के विपक्षी दलों और क्षेत्रीय पार्टियों के लिए अलग ही महत्व है. विपक्षी दल भाजपा की ताकत के आगे इस कदर धराशायी थे कि राष्ट्रपति और उप-राष्ट्रपति चुनाव के दौरान एक ढंग का उम्मीदवार तक नहीं खड़ा कर पाए और चुनाव से पहले मुकाबले से बाहर हो गए. मगर बिहार में जिस तरह से नीतीश कुमार और महागठबंधन की पार्टियों ने मिलकर भाजपा को सत्ता के खेल में मात दी, उन्हें लगने लगा कि उनके पास भाजपा के विजय रथ को रोकने की एक कुंजी मिल गई है. इस बहाने नीतीश कुमार की चर्चा एक बार फिर से साझा विपक्ष के प्रधानमंत्री उम्मीदवार के रूप में होने लगी और ये खबरें भी चलने लगी हैं कि उन्हें यूपीए का संयोजक बनाया जा सकता है.
Denne historien er fra August 24, 2022-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra August 24, 2022-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
मजबूत हाथों में भविष्य
भविष्य के बिजनेस लीडर्स को गढ़ने में बिजनेस स्कूलों की बेहद निर्णायक भूमिका है, ऐसा भविष्य जिसकी अगुआई टेक्नोलॉजी करेगी
कॉर्पोरेट के पारखी
आइआइएम कलकत्ता के छात्रों को महज बिजनेस दिग्गज बनने के लिए ही प्रशिक्षित नहीं किया जा रहा, वे पार्टनरशिप्स के जरिए राज्य की नौकरशाही को ऊर्जावान बनाने में भी मदद कर रहे
विरासत की बड़ी लड़ाई
बड़े दांव वाले शक्ति प्रदर्शन के लिए मैदान सज गया है, राजनैतिक दिग्गज और ताकतवर परिवार आदिवासी बहुल क्षेत्र पर कब्जे के लिए आ गए हैं आमने-सामने
कौन दमदार शिवसेना
महाराष्ट्र में किसका राज चलेगा, यह लोगों के वोट से तय होगा लेकिन साथ ही यह भी तय होगा कि कौन-सी शिवसेना असली है-ठाकरे की या शिंदे की
सीखने का सुखद माहौल
स्वास्थ्य प्रबंधन में एक नए पाठ्यक्रम से लेकर ब्लॉकचेन तकनीक पर केंद्रित कार्यक्रम तक, आइआइएम लखनऊ अपने नए ईकोसिस्टम के साथ अग्रणी भूमिका निभा रहा
ट्रंप की नजर में दुनिया
अमेरिका के लोगों ने दूसरी बार डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अपनी आस्था जताई है. ऐसे में भारत और बाकी दुनिया इस बात के लिए अपने को तैयार कर रही कि व्यापार और भू-राजनीतिक व्यवस्था के संदर्भ में 47वें राष्ट्रपति के अमेरिका-प्रथम के एजेंडे का आखिर क्या मायने होगा?
नवाचार की शानदार चमक
इस संस्थान में शिक्षा का मतलब ऐसे समाधान तैयार करना है जिनके केंद्र में देश की सामाजिक वास्तविकता मजबूती से जुड़ी हो
योगी बनाम अखिलेश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 26 अगस्त को आगरा में ताज महल पश्चिमी द्वार स्थित पुरानी मंडी चौराहे पर दुर्गादास राठौर मु की प्रतिमा का अनावरण करने पहुंचे थे.
लैब कॉर्पोरेट लीडरशिप की
सख्त एकेडमिक अनुशासन, रिसर्च पर फोकस और विश्वस्तरीय गुणवत्ता के जरिए आइआइएम-के बिजनेस एजुकेशन की नई परिभाषा गढ़ रहा
सत्ता पर दबदबे की नई होड़
इन दिनों धुंध की मोटी चादर में लिपटी कश्मीर घाटी में छह साल के इंतजार के बाद नई उम्मीद जगी है. केंद्र शासित प्रदेश की नवनिर्वाचित नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) की सरकार ने आते ही अपने इरादे साफ कर दिए - जम्मू-कश्मीर को फिर से राज्य का दर्जा दिलाना उनका पहला संकल्प है.