27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव में जब लेने के देने पड़ गए तब उसे इलहाम हुआ कि कुछ भी सुरक्षित मानकर नहीं चला जा सकता. खासकर जब आंधी-तूफान की दिशा तय हो न रफ्तार. इस झटके के एक दिन बाद भी मुल्क की यह सबसे पुरानी पार्टी जैसे ट्रॉमा वार्ड में कराहते हुए उत्तर भारत की अपनी इकलौती राज्य सरकार को बचाने के जोड़-जतन कर रही थी. इलाज का कोई 'घरेलू नुस्खा' कारगर हो, इसकी कोई संभावना ही नहीं बची थी क्योंकि घर में बगावत से ही तो संकट उपजा था. सो, कर्नाटक के ताकतवर क्षत्रप डी. के. शिवकुमार और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा सरीखे दूसरे राज्यों के वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं को मैदान में उतारना पड़ा. मकसद यही कि समझाकर, थोड़ा अनुशासन लाकर और हर किसी से बात करके वे ही कोई रास्ता निकालें.
28 फरवरी को देर रात तक कशमकश के बीच चली लंबी वार्ताओं के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पद पर बने रहने को लेकर लग रही अटकलों पर विराम लगा लिया. पर बागी भी बंदूकें ताने हुए थे. राज्य के पीडब्ल्यूडी मंत्री और पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह ने पद से इस्तीफा दे दिया था, जिसे अगले दिन वापस ले लिया. सीएम सुक्खू ने सबसे ज्यादा राहत उस वक्त महसूस की जब 29 फरवरी को दोपहर बाद पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक शिवकुमार और हुड्डा ने कहा, "सुक्खू सीएम बने रहेंगे. सरकार पांच साल चलेगी. विधायकों के सभी छोटे-मोटे मतभेद दूर कर लिए गए हैं. छह सदस्यों की समन्वय समिति बनाई गई है जो पार्टी और सरकार के बीच समन्वय का काम देखेगी और मतभेदों को दूर करेगी. "हुड्डा ने कहा कि पार्टी को राज्यसभा सीट खोने का अफसोस है. इस पर भी बैठक में चर्चा हुई.
इससे पहले जवाबी हमले के तहत प्रदेश सरकार ने 15 भाजपा विधायकों को अनुचित व्यवहार के आरोप में सस्पेंड करते हुए बजट पास करा लिया. जिन कांग्रेस विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर पार्टी प्रत्याशी अभिषेक मनु सिंघवी को हरवाया उन्हें भी निलंबित करने के साथ अयोग्य घोषित कर दिया गया.
Denne historien er fra March 13, 2024-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent ? Logg på
Denne historien er fra March 13, 2024-utgaven av India Today Hindi.
Start din 7-dagers gratis prøveperiode på Magzter GOLD for å få tilgang til tusenvis av utvalgte premiumhistorier og 9000+ magasiner og aviser.
Allerede abonnent? Logg på
शब्द हैं तो सब है
शब्द और साहित्य की जादुई दुनिया का जश्न मनाते लेखक-राजनेता शशि थरूर अपने निबंधों की किताब के साथ हाजिर
अब बड़ी भूमिका के लिए बेताब
दूरदराज की मंचीय प्रतिभाओं को निखारने का बड़ा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा एमपीएसडी. नई सोच वाले निदेशक के साथ अब वह एक नई राह पर. लेकिन क्या वह एनएसडी जैसा मुकाम बना पाएगा?
डिजिटल डकैतों पर सख्त कार्रवाई
नया-नवेला जिला डीग तेजी से देश में ऑनलाइन ठगी का केंद्र बनता जा रहा था. राज्य सरकार और पुलिस की निरंतर कार्रवाई की वजह से राजस्थान के इस नए जिले में पिछले छह महीने के दौरान साइबर अपराध की गतिविधियों में आई काफी कमी
सनसनीखेज सफलता
पल में मजाकिया, पल में खौफनाक. हिंदी सिनेमा में हॉरर कॉमेडी फिल्मों का आया नया जमाना. चौंकने-डरने को बेताब दर्शकों के कंधों पर सवार होकर भूतों ने धूमधाम से की बॉक्स ऑफिस पर वापसी
ममता के लिए मुश्किल घड़ी
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी सरकार खिन्न और प्रदर्शन करते राज्य के लोगों का भरोसा के लिए अंधाधुंध कदम उठा रही है
ठोकने की यह कैसी नीति
सुल्तानपुर में जेवर की दुकान में डकैती के आरोपी मंगेश यादव को मुठभेड़ में मार डालने के बाद विपक्षी दलों के निशाने पर योगी सरकार. फर्जी मुठभेड़ एक बार फिर बनी मुद्दा
अग्निपरीक्षा की तेज आंच
अदाणी जांच में हितों के टकराव के आरोपों में घिरीं और अपने ही स्टाफ में उभरते विद्रोह से सेबी की मुखिया से ढेरों जवाब और खुलासों की दरकार
अराजकता के गर्त में वापसी
केंद्र और राज्य के निकम्मेपन से मणिपुर में नए सिरे से उठीं लपटें, अबकी बार नफरत की दरारें और गहरी तथा चौड़ी लगने लगीं, अमन बहाली की संभावनाएं असंभव-सी दिखने लगीं
अब आई मगरमच्छों की बारी
राजस्थान में 29 जुलाई, 2024 की दोपहर विधानसभा में राजस्थान लोकसेवा आयोग (आरपीएससी) परीक्षा में पेपर लीक को लेकर सियासत गरमाई हुई थी. प्रतिपक्ष के नेता टीकाराम जूली ने पेपर लीक के मामलों को लेकर भजनलाल शर्मा सरकार पर यह आरोप जड़ दिया कि अभी तक सरकार ने छोटी-छोटी मछलियां पकड़ी हैं, मगरमच्छ तो अभी भी खुले घूम रहे हैं. इस हमले का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा, \"आप बेफिक्र रहिए जल्द ही हम उन मगरमच्छों को भी पकड़ेंगे जो बाहर घूम रहे हैं.\"
नहरें: थीं तो बेशक ये पानी के ही लिए
सीवान शहर के पास जुड़कन गांव के कृष्ण कुमार अपने गांव में खुदी पतली-सी नहर की पुलिया पर बैठे मिले. ऐन नहर के किनारे उनका पंपसेट लगा था, जिससे वे अपने खेत की सिंचाई कर रहे थे. वे नहर के बारे में पूछते ही उखड़ गए और कहने लगे, \"50 साल पहले नहर की खुदाई हुई थी. हमारे बाप-दादा ने भी इसके लिए अपनी जमीन दी. हमारा दस कट्ठा जमीन इसमें गया. जमीन का पैसा मिल गया था. मगर इस नहर में एक बूंद पानी नहीं आया. सब जीरो हो गया, जीरो पानी आता तो क्या हमको पंपसेट में डीजल फूंकना पड़ता.\"