चार दशकों से हैदराबाद ओवैसी परिवार और उनकी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआइएमआइएम) का गढ़ बना हुआ है. इस दौरान हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने के साथ पार्टी ने सात सीटें जीतकर विधानसभा में भी अच्छा प्रदर्शन किया है. खासकर पुराने शहर के मुस्लिम बहुल इलाकों में. इनमें से एक नामपल्ली तो हैदराबाद लोकसभा क्षेत्र से बाहर पड़ता है. हालांकि, इस लोकसभा क्षेत्र के भीतर गोशामहल विधानसभा सीट से पार्टी को हमेशा हार का सामना करना पड़ा है. भाजपा मुस्लिम विरोधी विवादास्पद नेता टी. राजा सिंह (जिनके खिलाफ करीब 105 आपराधिक मामले दर्ज हैं) ने गोशामहल सीट से 2014 में अपने चुनावी पदार्पण के बाद से तीन बार जीत दर्ज की है.
2014 के बाद से, तेलंगाना विधानसभा चुनाव में पार्टी का अपने पारंपरिक गढ़ में वोट शेयर कम हो गया है. नवंबर-दिसंबर 2023 के पिछले विधानसभा चुनाव में पार्टी अपनी दो तय सीटों नामपल्ली और याकूतपुरा में हारते-हारते बची. याकूतपुरा सीट तो वह बमुश्किल 878 वोटों से जीत सकी. तो क्या एआइएमआइएम पकड़ खो रही है? ऐसे वक्त में जब फायरब्रान्ड पार्टी प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी पार्टी को राष्ट्रीय स्तर पर ले जाने का ख्वाब देख रहे हैं, उसको लेकर मुसलमानों के बीच ही राय बंटी हुई है. भले ही विधानसभा चुनावों में एआइएमआइएम का वोट शेयर कम हुआ है, पर उसके सुप्रीमो ने 2014 और 2019 में 50 फीसद से अधिक वोट लेकर हैदराबाद लोकसभा सीट पर जीत दर्ज की. दोनों बार भाजपा के भगवंत राव उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी थे.
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