एक और महाभारत 2024 के चुनाव में लड़ा जा रहा है. लोकसभा की 543 सीटों में से आधी पर 7 मई तक मतदान हो चुका होगा. यह महाभारत खासकर तीन अंचलों में लड़ा जा रहा है - महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और बिहार. इन राज्यों में कुल मिलाकर भले लोकसभा की एक-चौथाई सीटें हों पर इनके नतीजे देश के भविष्य पर दूरगामी असर डालेंगे. मसलन, यह तय करेंगे कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) लगातार तीसरी बार बहुमत हासिल करेगी या हांफते-कांपते किसी तरह बहुमत की सीमारेखा छू पाएगी. यह उन इलाकाई क्षत्रपों के लिए भी जीवन-मरण का युद्ध है जो भाजपा के दबदबा कायम करने के रास्ते में दमदार चुनौती पेश कर रहे हैं. ये ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इतिहास में उनके अपना नाम दर्ज करने के बीच खड़े हैं. अगर ये क्षत्रप हारे तो बड़े आराम से इतिहास के कूड़ेदान में फेंके जा सकते हैं.
महाभारत की ही तरह इस करो या मरो की लड़ाई के सभी सेनापतियों का समूह राजनैतिक परिवारों और पार्टियों की पंचमेल खिचड़ी है. कुल 130 सीटों वाले इन तीन राज्यों में राजनैतिक वर्चस्व की जद्दोजहद में ये इधर से उधर पाला बदलते रहे हैं. उन्हें नेस्तोनाबूद करने के लिए उनकी प्रमुख प्रतिद्वंद्वी भाजपा ने चाणक्य नीति की कथित हर चाल साम, दाम, दंड, भेद को अपनाया है. उसी का नतीजा है कि 48 सीटों वाले महाराष्ट्र (80 सीटों वाले उत्तर प्रदेश के बाद सबसे बड़ा राज्य) में दिग्गज शरद पवार अपने भतीजे अजित पवार से उलझे हुए हैं. लड़ाई में तय होगा कि आखिर किसकी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) असली है. उनके परिजन भी आमने-सामने हैं. अजित की पत्नी सुनेत्रा शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के खिलाफ बारामती सीट पर मोर्चे पर हैं, जिसे पिता-पुत्री का गढ़ माना जाता रहा है. मोर्चे पर एक टुकड़ी की अगुआई उद्धव ठाकरे कर रहे हैं. दांव पर है उनके पिता बाल ठाकरे की विरासत, जिस पर कभी उन्हीं के सिपहसालार रहे एकनाथ शिंदे ने दावा ठोंक रखा है. बेशक भाजपा इसमें उनके पीछे रही है. दोनों शिवसेनाएं अब यह फैसला करने को आमने-सामने हैं कि असली शिवसेना कौन है.
Denne historien er fra May 15, 2024-utgaven av India Today Hindi.
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परदेस में परचम
भारतीय अकादमिकों और अन्य पेशेवरों का पश्चिम की ओर सतत पलायन अब अपने आठवें दशक में है. पहले की वे पीढ़ियां अमेरिकी सपना साकार होने भर से ही संतुष्ट हो ती थीं या समृद्ध यूरोप में थोड़े पांव जमाने का दावा करती थीं.
भारत का विशाल कला मंच
सांफ्ट पावर से लेकर हार्ड कैश, हाई डिजाइन से लेकर हाई फाइनेंस आदि के संदर्भ में बात करें तो दुनिया के अन्य हिस्सों की तरह भारत की शीर्ष स्तर की कला हस्तियां भी भौतिक सफलता और अपनी कल्पनाओं को परवान चढ़ाने के बीच एक द्वंद्व को जीती रहती हैं.
सपनों के सौदागर
हम ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां मनोरंजन से हौवा खड़ा हो है और उसी से राहत भी मिलती है.
पासा पलटने वाले महारथी
दरअसल, जिंदगी की तरह खेल में भी उतारचढ़ाव का दौर चलता रहता है.
गुरु और गाइड
अल्फाज, बुद्धिचातुर्य और हास्यबोध उनके धंधे के औजार हैं और सोशल मीडिया उनका विश्वव्यापी मंच.
निडर नवाचारी
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है.
अलहदा और असाधारण शख्सियतें
किसी सर्जन के चीरा लगाने वाली ब्लेड की सटीकता उसके पेशेवर कौशल की पहचान होती है.
अपने-अपने आसमान के ध्रुवतारे
महानता के दो रूप हैं. एक वे जो अपने पेशे के दिग्गजों के मुकाबले कहीं ज्यादा चमक और ताकत हासिल कर लेते हैं.
बोर्डरूम के बादशाह
ढर्रा-तोड़ो या फिर अपना ढर्रा तोड़े जाने के लिए तैयार रहो. यह आज के कारोबार में चौतरफा स्वीकृत सिद्धांत है. प्रतिस्पर्धा से प्रेरित होकर भारत के सबसे ताकतवर कारोबारी अगुआ अपने साम्राज्यों को मजबूत कर रहे हैं. इसके लिए वे नए मोर्चे तलाश रहे हैं, गति और पैमाने के लिए आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस सरीखे उथल-पुथल मचा देने वाले टूल्स का प्रयोग कर रहे हैं और प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए नवाचार बढ़ा रहे हैं.
देश के फौलादी कवच
लबे वक्त से माना जाता रहा है कि प्रतिष्ठित शख्सियतें बड़े बदलाव की बातें करते हुए सियासी मैदान में लंबे-लंबे डग भरती हैं, वहीं किसी का काम अगर टिकता है तो वह अफसरशाही है.