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सेंसेक्स क्षेत्रीय दलों का
ख़ास किताब - भारतीय राजनीति में क्षेत्रीय दलों का उदय
रिपोर्टिंग इंडिया - पत्रकारिता और 70 साल का सफ़र
'रिपोर्टिंग इंडिया' भारतीय पत्रकारिता जगत् में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभानेवाले, प्रेम प्रकाश के जीवन और समय का एक रोचक वर्णन है। एक फोटोग्राफर, फिल्म कैमरामैन और स्तंभकार के रूप में प्रकाश ने अपने लंबे और शानदार कैरियर के दौरान देश-विदेश की प्रमुख घटनाओं को कवर किया और इस दौरान प्राकृतिक आपदाओं, युद्धों, सैन्य तख्तापलट और उग्रवाद के गवाह भी बने। यह पुस्तक प्रकाश जी के बेमिसाल काम की सराहना करती है, जिसमें उनके व्यक्तिगत और व्यावसायिक जीवन की विस्तृत जानकारी दी गई है। साथ ही उनकी ओर से कवर की गई सबसे प्रभावशाली खबरों की यादें भी ताजा करती है, जिनमें 1962 के भारत-चीन युद्ध से लेकर पाकिस्तान के खिलाफ 1965 और 1971 के युद्ध और आपातकाल से लेकर इंदिरा गांधी की हत्या तक शामिल हैं। साथ ही, लाल बहादुर शास्त्री की दुर्भाग्यपूर्ण ताशकंद यात्रा से लेकर बांग्लादेश की मुक्ति और जवाहरलाल नेहरू के निधन से लेकर नरेंद्र मोदी के उत्थान तक की खबरें शामिल हैं। पढ़ने में बेहद दिलचस्प यह पुस्तक भारतीय इतिहास के कुछ निर्णायक क्षणों को जीवंत बना देती है।
राग मक्कारी... अथ कैम्पस कथा
केशव पटेल ने उपन्यास राग मक्कारी... अथ कैम्पस कथा' बेहद चुटीले अंदाज़ में लिखा है, लेकिन उन्होंने इसमें जिन मुद्दों को उठाया है, वह सीधे-तौर पर हर किसी को प्रभावित करते हैं।
श्रेष्ठ बनने के मार्ग पर 7 डिवाइन लॉज़
जिस प्रकार भौतिक घटना विधानों से बँधी होती है, उसी प्रकार जीवन यात्रा को नियंत्रित करने के लिए आध्यात्मिक विधान होते हैं। उनकी जानकारी से हम समझ पाते हैं कि कुछ लोग इतनी आसानी से सफल कैसे हो जाते हैं, जबकि दूसरों के लिए सफलता एक संघर्ष बनी रहती है
अंतर्मन की ओर
यह पुस्तक हमें विचलित विचारों को शांत करने के लिए ध्यान का उपयोग कर वर्तमान में जीने, अपनी ऊर्जा को फिर से केंद्रित कर समस्याओं को दूर करने तथा उत्तरोत्तर आगे बढ़ने के साधन उपलब्ध कराती है
कुबेर की जीवन-गाथा के जरिए सामाजिक और आर्थिक विचार
कुबेर : लंका का पूर्व राजा
मनुष्यता और प्रेम की वैचारिक पृष्ठभूमि तैयार करती कविताएँ
आदमी बनने के क्रम में
'किताबें तब तक ही बची रहेंगी जब तक कि वे कागज़ पर लिखी जाएँगी' डॉ. अबरार मुल्तानी
डॉ. अबरार मुल्तानी एक बेस्टसेलर लेखक हैं, जिनकी किताबों के विषय विविध हैं। वे पेशे से चिकित्सक हैं। डॉ. मुल्तानी ने हिंदी और अंग्रेजी में कई सेल्फ हेल्प पुस्तकों की रचना की है, जिन्हें खूब पढ़ा जाता है। सोशल मीडिया पर भी वे काफी सक्रिय रहते हैं तथा उनके फोलॉवर्स की संख्या लाखों में है। दो साल पूर्व उन्होंने मैंड्रेक पब्लिकेशंस की शुरुआत की थी। इस प्रकाशन के जरिए क्लासिक कृतियों के साथ-साथ नए लेखकों को एक बहुत शानदार मंच मिला है। पिछले दिनों डॉ. अबरार मुल्तानी ने स्कूली शिक्षा पर एक खास किताब 'मत रहना स्कूल के भरोसे प्रकाशित की जिसमें उन्होंने शिक्षा, छात्र, अध्यापक आदि पर विस्तृत चर्चा की है। समय पत्रिका ने उनकी इस नई पुस्तक तथा प्रकाशन-लेखन से संबंधित कई विषयों पर चर्चा की, प्रस्तुत हैं बातचीत के मुख्य अंश :
कुछ अलग, कुछ ख़ास
सन्मति पब्लिशर्स ने तीन ख़ास किताबों को प्रकाशित किया जिन्हें पाठक खूब पसंद कर रहे हैं।
देखो हमरी काशी बनारस का शब्द - चित्र बनाती जीवन-यात्रा
यह पुस्तक संस्मरण विधा में एक नवोन्मेष है। यह संस्मरण काशी की संस्कृति और बनारसी जीवन का रंगमंच प्रतीत होता है। इसमें वर्णित व्यक्तियों के जरिए काशी की संस्कृति, परंपरा और जीवनधारा की खोज की गई है। जो सदियों से सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन के अपरिहार्य अंग रहे हैं। ऐसे लोगों को केंद्र में रखकर कथा बुनी गई है। इस पुस्तक के पात्र चाहे जो हों, वे सामाजिक जीवन में साधारण भले माने जाते हों, पर कथा में वे असाधारण हैं।
मनुष्य, पृथ्वी और अंतरिक्ष...
लगभग हर चीज़ का संक्षिप्त इतिहास
'सोचा नहीं था कि पाँच किताबें कभी लिख पाऊँगा'
आमतौर पर ये कम ही देखा जाता है कि टेलीविजन के पत्रकार लगातार लिखते हैं फिर चाहे वो कॉलम हो या किताबें। भोपाल में रहने वाले और एबीपी न्यूज में लंबे समय से स्टेट ब्यूरो संभाल रहे ब्रजेश राजपूत इस मामले में अलग हैं। पिछले सात सालों में वे पाँच किताबें लिख चुके हैं। इनमें दो किताबें मध्यप्रदेश के पिछले विधानसभा चुनावों पर तो, दो किताबें टेलीविजन के पर्दे के पीछे की छिपी हुई कहानियों पर हैं। दो साल पहले एमपी में हुए सत्ता परिवर्तन पर भी उनकी रोचक किताब 'वो सत्रह दिन' प्रकाशित हुई थी जिसे बहुत दिलचस्पी से पढ़ा गया। ब्रजेश राजपूत अपनी नयी किताब 'ऑफ़ द कैमरा लेकर आये हैं जिसमें टीवी रिपोर्टिंग के किस्से हैं। ये वो किस्से हैं जिनको उन्होंने टीवी रिपोर्टिंग के दौरान देखा और बाद में विस्तार से इन पर लिखा। ये किस्से कोरोना काल की करुण कथाएँ हैं तो सत्ता परिवर्तन की उठापटक और बदलावों में कितना और क्या बदला ये बताते हैं। 'ऑफ द कैमरा' किताब के इन पैंसठ किस्सों को पढ़कर आपको घटनास्थल पर खड़े होने का अहसास तो होगा ही, किस्सों में समाये दर्द को भी पाठक महसूस कर पायेंगे। समय पत्रिका ने लेखक ब्रजेश राजपूत से बात की:
यूरोप का पहला सफ़रनामा
18 वीं शताब्दी मुग़ल साम्राज्य के पतन के साथ-साथ यूरोपीय शक्तियों विशेष रूप से अंग्रेज़ों के उत्थान की शताब्दी है।
गरिमा और करुणा का संसार
इस संग्रह की कहानियों में ऐसी स्मृतियाँ और अनभिव विन्यस्त हैं जिनमें खिले हुए रंगीन फूलों की खुशबू और उन्माद है तो खुले घाव से रिसते दर्द की कसक भी है।
क्लासरूम में चाणक्य - विद्यार्थियों के लिए चाणक्य नीति
"काम, क्रोध, लोभ, स्वाद, शृंगार (रति), कौतुक (मनोरंजन), अति निद्रा एवं अति सेवा- विद्या की अभिलाषा रखनेवाले को इन आठ बातों का त्याग कर देना चाहिए।” - चाणक्य
आवाज़ें काँपती रहीं - मानवीय सम्बन्धों का मार्मिक आख्यान रचती कहानियाँ
हिन्दी कहानी के लिए यह परम्परा और परिवर्तन के बीच का संक्रमण-काल है।
शैडो - भटकती आत्माओं का रहस्य
सम्मोहन क्रिया, तंत्र विद्या और मृत आत्माओं के बारे में काल्पनिक साहित्य में प्राचीन काल से बहुत कुछ लिखा गया है।
लक्खा सिंह - थोड़ा है थोड़े की ज़रूरत है
एक कोलियरी(कोयला खान) में फिटर के पद पर कार्यरत सरदार लक्खा सिंह के हवाले से कोयलांचल में सीसीएल, बीसीसीएल, एनसीएल, एसईसीएल या ईस्टर्न कोल्फील्ड्स जैसे बैनर्स के तले जीवन बसर कर रहे साधारण लोगों की ज़िंदगी का लेखक ने बड़ा ही बेबाक और रोचक वर्णन किया है।
रुको मत, आगे बढ़ो
स्वामी विवेकानंद व्यक्ति को जाति, धर्म के नजरिए से न देखकर उन्हें समान से देखते थे। देश की भूखी और अज्ञानी जनता में आत्मविश्वास उत्पन्न करने के लिए वे कहते थे कि उठो, जागो और तब तक मत रुको, जब तक तुम अपने लक्ष्य को न पा लो।
ब्लैक वॉरंट तिहाड़ जेल के जेलर की इनसाइड स्टोरी
यह पुस्तक दरशाती है कि जेलरों को भी अपनी ही प्रणाली के हाथों कैद होना पड़ता है। अपर्याप्त वेतन और अधिक काम के बोझ से दबे वहाँ के कर्मचारी इतने अप्रशिक्षित एवं संसाधन-विहीन हैं कि वे कैदियों के सुधार को लागू कर पाने में पूर्णतया अक्षम हैं। उनमें से अधिकांश उत्पीड़ित लोग आगे चलकर स्वयं उत्पीड़क बन जाते हैं।
अंतर्मन की ओर - सांसारिक जीवन में ध्यान की आवश्यकता
खास किताब
यूपी चुनाव और राजनीति की तासीर
उत्तर प्रदेश चुनाव 2022
बच्चों को न सुनाने लायक बाल कथाए
माया ने घुमायो
पुलवामा अटैक
सच्ची घटनाओं पर आधारित उपन्यास
नर्मदा नदी की विलक्षण सांस्कृतिक कथा
यह उपन्यास नर्मदा के साथ हमें भारत की सनातनी संस्कृति के बारे में बहुत कुछ समझाने का प्रयास करता है।
कारगिल एक यात्री की जुबानी
शहीदों ने भी जब देश पर जान कुरबान की होगी तो उन्होंने सोचा ही होगा कि हमारे देशवासी हमारी स्मृति, हमारी सोच एवं हमारी वैभवपूर्ण विरासत को जीवित रखेंगे और यही सोच हमारी युवा पीढ़ी को देश की सेवा के लिए प्रेरित करती रहेगी।
अरब देशों के बारे में महात्मा गांधी की सोच
बीते कुछ दशकों में अरब देशों ने अतिवाद, हिंसा और आतंकवाद की सबसे घिनौनी और खौफनाक तसवीरों को देखा है, जिन्हें धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण करनेवाली सोच और तकरीरों से भड़काया व उकसाया जाता है। ऐसे विचारों और तकरीरों से नफरत व खून-खराबा को बढ़ावा दिया जाता है, जिससे समाज बँट जाता है और सभ्यता की बुनियाद ही खतरे में पड़ जाती है। अगर ऐसी सोच का इलाज नहीं होगा, तो उनका अंतिम परिणाम खतरनाक बौद्धिक भटकाव के रूप में दिखेगा, जो सारे अरब देशों को निराशा, हताशा, संकट एवं विघटन के गर्त में धकेल देगा। इन मुश्किल और निराशाजनक परिस्थितियों के बीच लेखक महात्मा गांधी की बौद्धिक विरासत को फिर से याद करते हैं और उनके मुख्य संदेशों पर विचार करते हैं। उनके जीवन के विभिन्न चरणों के माध्यम से लेखक उन विरोधाभासी परिस्थितियों पर रोशनी डालते हैं, जो पहले से मौजूद थीं और जिनके कारण मुसलमानों की राय भारत से अलग हो गई, चाहे खिलाफत का मुद्दा हो या फिर गांधी के कुछ विचारों के प्रति मुसलमानों की आशंका। 'गांधी और इस्लाम' इस्लाम और मुस्लिम देशों के सामने आई चुनौतियों से गांधीवादी तरीके से निपटने का एक प्रयास है।
अनेक रहस्यों से पर्दा उठाती है 'वॉल स्ट्रीट और बोल्शेविक क्रांति'
वॉल स्ट्रीट और बोल्शेविक क्रांति
'इन कविताओं में एक अस्फुट, आवेगमय पुकार छुपी है'
चिन्मयी त्रिपाठी और उनकी कविताएँ
ग़ज़ल के ग़ौरतलब इशारे और मुक्तकों की महफ़िल
सोच अमीक रहा हूँ कि कारपोरेट दुनिया की आपाधापी से जुड़े 'अमीक़'अपने कार्य और लेखनी से संजीदगी के साथ कैसे न्याय करते हैं।