![हिंदी किताबों में हिंदी हिंदी किताबों में हिंदी](https://cdn.magzter.com/1718015421/1725267262/articles/hOdzbGEMi1725361379359/1725361611754.jpg)
किसी भी भाषा का साहित्य उसकी संस्कृति और उसके समकालीन इतिहास का भी एक दस्तावेज़ीकरण है। दुनियाभर के विद्वान इस बात पर सहमत है कि अगर कोई भाषा विलुप्त होती है या उसका प्रसार कम हो जाता है तो वह अपने साथ हज़ारों सालों की विरासत को क्षीण करती है या अंतत: उसका विलोप हो जाता है। इतिहास तो कुछ सभ्यताओं, मसलन सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में इसीलिए पूरी तरह पता नहीं चल पाया है क्योंकि उसकी लिपि नहीं पढ़ी जा सकी है। हालांकि पूरी दुनिया के विद्वान उस पर काम कर रहे हैं, लेकिन कल्पना कीजिए कि अगर वह लिपि और भाषा ही विलुप्त हो जाए तो वह एकमात्र खिड़की भी ख़त्म हो जाएगी जिसके माध्यम से उस पर ज़्यादा प्रकाश डाला जा सकता है।
ऐसे में आजकल इस पर उचित ही चर्चा और चिंता की जाती है कि हिंदी किताबों में कितनी हिंदी बची है और उसमें किस तरह से धीरे-धीरे अंग्रेज़ी के शब्दों की संख्या बढ़ती जा रही है। ख़ासकर किताबों के नाम इधर अंग्रेज़ी में रखने का चलन चिंताजनक रूप से बढ़ा है। उसके पक्ष में कई तरह के तर्क दिए जाते हैं जिसमें सारे तर्क औचित्य की कसौटी पर खरे नहीं उतरते।
कितनी अवांछनीय, कितनी अनिवार्य
किताबों के शीर्षक के संदर्भ में सबसे बड़ा तर्क उसके विक्रय और विपणन का है जिसमें विक्रय विभाग इस बात पर जोर देता है कि चूंकि अनूदित किताब पहले से अंग्रेज़ी में है तो उसका नाम पाठकों की ज़ुबान पर छाया रहता है और उसे देवनागरी में लिखकर हूबहू रखने से प्रचार और विक्रय में आसानी होती है। भारत या इस जैसे अन्य औपनिवेशिक दासता झेल चुके देश में यह बड़ी समस्या है जहां अनुवाद, साहित्य का एक बड़ा हिस्सा बन गया है। ज्ञान का प्रवाह, ख़ासकर कथेतर साहित्य में अंग्रेज़ी से हिंदी या अन्य भाषाओं की तरफ़ लगभग इकतरफ़ा होता है। ऐसे में किताबें अंग्रेज़ी में पहले आती हैं और सेल्स की टीम का दबाव होता है कि मूल नाम ही रखा जाए क्योंकि उसके प्रचार में बारंबारता का लाभ (रिकॉल वैल्यू) बरक़रार रहे।
この記事は Aha Zindagi の September 2024 版に掲載されています。
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![आलस्य आभूषण है आलस्य आभूषण है](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/zzbO7x8uO1738586780609/1738586965755.jpg)
आलस्य आभूषण है
जैसे फोन की सेटिंग में एनर्जी सेविंग मोड होता है, ऐसे ही आस-पास कुछ लोग भी अपनी ऊर्जा बचाकर रखते हैं। ऐसे लोगों को अमूमन आलसी क़रार कर दिया जाता है, मगर सच तो ये है कि समाज में ऐसे लोग ही सुविधाओं का आविष्कार करते हैं। आलस्य बुद्धिमानों का आभूषण है।
![अबूझ गह्वर जैसा कृष्ण विवर अबूझ गह्वर जैसा कृष्ण विवर](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/L7f6G0t_W1738588139109/1738588386951.jpg)
अबूझ गह्वर जैसा कृष्ण विवर
चांदनी रात में तारों को देखना कितना अलौकिक प्रतीत होता है ना, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ये तारे, ये आकाशगंगाएं और यह विशाल ब्रह्मांड किस गहरे रहस्य से बंधे हुए हैं? एक ऐसा रहस्य, जिसे हम देख नहीं सकते, लेकिन जो अपनी अदृश्य शक्ति से ब्रह्मांड की धड़कन को नियंत्रित करता है। यह रहस्य है- ब्लैक होल यानी कृष्ण विवर।
![खरे सोने-सा निवेश खरे सोने-सा निवेश](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/CKfSefwE51738586989311/1738587546289.jpg)
खरे सोने-सा निवेश
क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों सोना सदियों से एक विश्वसनीय निवेश विकल्प बना हुआ है?
![छत्रपति की कूटनीति छत्रपति की कूटनीति](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/qxtjQ6G7u1738585953921/1738586488566.jpg)
छत्रपति की कूटनीति
पन्हालगढ़ के क़िले में आषाढ़ का महीना आधा बीत चुका था। सिद्दी जौहर और मराठा सैनिकों के बीच घमासान युद्ध छिड़ा हुआ था। ऐसे में साम-दाम-दंड-भेद का प्रयोग करके भी बाहर निकलने का मार्ग नहीं सूझ रहा था। शिवाजी ने अपने सभी सलाहकारों को बुलाया और एक रणनीति रची, दुश्मनों को भेदकर निकल जाने की रणनीति ।
![एक अवसर है दुःख एक अवसर है दुःख](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/3mlDP1-4B1738584303808/1738584505229.jpg)
एक अवसर है दुःख
प्रकृति में कुछ भी अनुपयोगी नहीं है, फिर दु:ख कैसे हो सकता है जिसे महसूस करने के लिए शरीर में एक सुघड़ तंत्र है! अत: दु:ख से भागने के बजाय अगर इसके प्रति जागरूक रहा जाए तो भीतर कुछ अद्भुत भी घट सकता है!
![जोड़ता है जो जल जोड़ता है जो जल](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/fhuHDvDDO1738584527654/1738585280079.jpg)
जोड़ता है जो जल
सारे संसार के सनातनी कुंभ में एकत्रित होते हैं। जो जन्मना है वह भी, जो सनातन के सूत्रों में आस्था रखता है वह भी। दुनियादारी के जंजाल में फंसा गृहस्थ भी और कंदरा में रहने वाला संन्यासी भी।
![अदाकार की खाल पर खर्च नहीं अदाकार की खाल पर खर्च नहीं](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/Tnz5JrK8Q1738582558401/1738582772399.jpg)
अदाकार की खाल पर खर्च नहीं
डॉली को शिकायत है कि जो पोशाक अदाकार की खाल जैसी होती है, उसके किरदार को बिना एक शब्द कहे व्यक्त कर देती है, उसे समुचित महत्व नहीं दिया जाता।
![जब बीमारी पहेली बन जाए... जब बीमारी पहेली बन जाए...](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/Qc7xb4YAc1738588025693/1738588124342.jpg)
जब बीमारी पहेली बन जाए...
कई बार सुनने में आता है कि फलां को ऐसा रोग हो गया जिसका इलाज ढूंढे नहीं मिल रहा। जाने कैसी बीमारी है, कई क्लीनिक के चक्कर लगा लिए मगर रोग पकड़ में ही नहीं आया।' ऐसे में संभव है कि ये रोग दुर्लभ रोग' की श्रेणी में आता हो। इस दुर्लभ रोग दिवस 28 फरवरी) पर एक दृष्टि डालते हैं इन रोगों से जुड़े संघर्षों पर।
![AMBITION ET संकल्प के बाद AMBITION ET संकल्प के बाद](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/EpMe5uRUx1738582789094/1738583308689.jpg)
AMBITION ET संकल्प के बाद
नववर्ष पर छोटे-बड़े संकल्प लगभग सभी ने लिए होंगे।
![श्वास में शांति का वास श्वास में शांति का वास](https://reseuro.magzter.com/100x125/articles/30707/1980342/9neGHffJn1738586618235/1738586767864.jpg)
श्वास में शांति का वास
आज जिससे भी पूछो वो कहेगा मुझे काम का, पढ़ाई का या पैसों का बहुत तनाव है। सही मायने में पूरी दुनिया ही तनाव से परेशान है। इस तनाव को रोका तो नहीं जा सकता मगर एक सहज उपाय है जिससे इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है। -