आँखों की सुन्दरता अथवा कुरूपता ग्रहों की देन होती है। आँखें कुरूप नहीं होतीं, अपितु उसमें प्रदर्शित होने वाले भाव अथवा दृष्टि ही उन्हें सुन्दरता या कुरूपता का दर्जा सामने वाले से दिलाते हैं। प्रस्तुत आलेख में हम विभिन्न राशि के व्यक्तियों की आँखों की चर्चा करेंगे और इनके माध्यम से यह बताने का प्रयास करेंगे कि ग्रह आपकी आँखों के माध्यम से क्या कह रहे हैं?
मेष राशि और आँखें
मेष राशि का स्वामी मंगल होता है और इस राशि के व्यक्ति की आँखों में सेनापति की पकड़ मजबूती से बनी होती है अर्थात् ये सामने वाले के भाव और चेहरे को बखूबी पढ़ लेते हैं और केवल इनकी दृष्टि ही शत्रु को परास्त करने में सफल होती है। तल्ख दृष्टि, रौबदार आँखें पर्याप्त हैं किसी को यह अहसास कराने के लिए कि तुम्हारी फलाँ-फलाँ बात से न तो हम सहमत हैं और न ही हमें पसन्द आयी है। इसलिए प्रतिक्रिया भी तीव्र आती है और पर्याप्त होती है किसी की एक विशेष गतिविधि को रोकने के लिए। सम्भव है कि यदि मेरी दृष्टि से देखा जाए, तो यह सुन्दरता है कि अनुशासन बना रहे, परन्तु सामने वाले की दृष्टि में यही एक कुरूपता का रूप ले ले और मेरे विषय में यह प्रचलित हो जाए कि आँखें कितनी भयानक हैं। मंगल की अग्नि मेरे स्वभाव में है और आँखों के माध्यम से व्यक्त भी हो रही है, अतः हमें यह बात ध्यान में रखनी होगी कि सौन्दर्य इसमें नहीं कि हम उसे किस दृष्टि से देख रहे हैं, अपितु सौन्दर्य वह है जो सामने वाला हमारे प्रति महसूस कर रहा है या जो सच है।
वृषभ राशि और आँखें
एक ठोस व्यक्तित्व के साथ धीर-गम्भीर स्वभाव और वही आँखों से टपकता हुआ दिखाई देता है। जो स्नेह दे। उसके लिए अपना जीवन निकालकर दे दो। इसके लिए जुबान की आवश्यकता नहीं होती है, बल्कि आँखों से वृषभ राशि वाले अहसास करा देते हैं। इसके विपरीत यदि करुणा अथवा स्नेह का भाव खत्म हो, तो यही आँखें कठोरता की प्रतिमूर्ति बन जाती हैं। यह अनुमान लगाना कठिन हो जाता है कि किस पल ये आँखें क्या कह जाएँगी? क्या इनसे सौन्दर्य छलकेगा अथवा वह कठोरता छलकेगी, जो अड़ियल रवैये को अपनाकर अपनी बात मनवा लेगी और कठोरता का परिचय अनकहे ही दे जाएगी।
मिथुन राशि और आँखें
This story is from the November 2022 edition of Jyotish Sagar.
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भाग्यचक्र बिगाड़ता चला गया सारे जीवन का क्रम
आलेख के आरम्भ में हम ज्ञान, विद्या और कर्म के आकलन पर विचार कर लेते हैं। जब मनुष्य आयु में बड़ा होने लगता है, जब वह बूढ़ा अर्थात् बुजुर्ग हो जाता है, क्या तब वह ज्ञानी हो जाता है? क्या बड़ी डिग्रियाँ लेकर ज्ञानी हुआ जा सकता है? मैं ज्ञानवृद्ध होने की बात कर रहा हूँ। यानी तन से वृद्ध नहीं, जो ज्ञान से वृद्ध हो, उसकी बात कर रहा है।
मकर संक्रान्ति एक लोकोत्सव
सूर्य के उत्तरायण में आने से खरमास समाप्त हो जाता है और शुभ कार्य प्रारम्भ हो जाते हैं। इस प्रकार मकर संक्रान्ति का पर्व भारतीय संस्कृति का ऊर्जा प्रदायक धार्मिक पर्व है।
महाकुम्भ प्रयागराज
[13 जनवरी, 2025 से 26 फरवरी, 2025 तक]
रथारूढ़ सूर्य मूर्ति फलक
राजपूताना के कई राजवंश एवं शासक सूर्यभक्त थे और उन्होंने कई देवालयों का निर्माण भी करवाया। इन्हीं के शासनकाल में निर्मित मूर्तियाँ वर्तमान में भी राजस्थान के कई संग्रहालयों में संरक्षित हैं।
अस्त ग्रहों की आध्यात्मिक विवेचना
जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महद्युतिम्। तमोऽरि सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ।।
सूर्य और उनका रत्न माणिक्य
आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च ।। हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्॥
नागाओं का अचानक यूँ चले जाना!
नागा साधु किसी समय समाज और संस्कृति की रक्षा के लिए ही जीते थे, अपने लिए कतई नहीं। महाकुम्भ पर्व के अवसर पर नागा साधुओं को न किसी ने आते हुए देखा और न ही जाते हुए।
नागा साधुओं के श्रृंगार हैं अद्भुत
नागाओं की एक अलग ही रहस्यमय दुनिया होती है। चाहे नागा बनने की प्रक्रिया हो अथवा उनका रहन-सहन, सब-कुछ रहस्यमय होता है। नागा साधुओं को वस्त्र धारण करने की भी अनुमति नहीं होती।
इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ
सितासिते सरिते यत्र संगते तत्राप्लुतासो दिवमुत्पतन्ति। ये वे तन्वं विसृजति धीरास्ते जनासो अमृतत्वं भजन्ते ।।
कैसा रहेगा भारतीय गणतन्त्र के लिए 76वाँ वर्ष?
26 जनवरी, 2025 को भारतीय गणतन्त्र 75 वर्ष पूर्ण कर 76वें वर्ष में प्रवेश करेगा। यह 75वाँ वर्ष भारतीय गणतन्त्र के लिए कैसा रहेगा? आइए ज्योतिषीय आधार पर इसकी चर्चा करते हैं।