26 जनवरी, 2025 को मिथुन लग्न एवं मीन नवांश में भारतीय गणतंत्र 76वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। वर्ष कुण्डली में लग्न में षष्ठेश - आयेश मंगल की उपस्थिति है तथा वर्ष लग्नेश बुध अष्टम भाव में सूर्य के साथ युति बनाकर स्थित है। यह स्थिति शुभ नहीं कही जा सकती। मुंथा लग्न में स्थित है, जो कि शुभ नहीं है। मुंथेश की भी अष्टम भावगत स्थिति शुभ नहीं कही जा सकती। वर्षेश शनि है, जो चन्द्रमा, मंगल एवं गुरु के स्नेहा दृष्टि के प्रभाव में है और शुक्र से युत है। वर्षेश की नवम भावगत स्थिति शुभ कही जा सकती है।
जहाँ तक नवांश का प्रश्न है, तो वर्ष लग्न नवांशेश गुरु चतुर्थ नवांश में मंगल एवं शुक्र के साथ स्थित है और लग्न नवांश को देख रहा है। वर्ष लग्नेश वर्गोत्तम है और नवांश में एकादश भाव में स्थित होकर तुलनात्मक रूप से शुभ बना हुआ है। मंगल भी वर्गोत्तमी होकर शुभफलदायक बन जाता है।
उक्त ग्रहस्थिति की पृष्ठभूमि में इस वर्ष दशाएँ भी बहुत अनुकूल नहीं कही जा सकती। वर्ष पर्यन्त गुरु में महादशा में राहु की अन्तर्दशा रहेगी। गणतन्त्र निर्माण की कुण्डली में राहु लग्नस्थ है। नैसर्गिक रूप से भी गुरु राहु की अन्तर्दशा शुभ नहीं जाती। इस अन्तर्दशा में 2025 में 05 जून तक राहु की प्रत्यन्तर्दशा, तदुपरान्त 29 सितम्बर तक गुरु की प्रत्यन्तर्दशा और उसके बाद वर्ष पर्यन्त शनि की प्रत्यन्तर्दशा रहेगी। ये तीनों ही प्रत्यन्तर्दशाएँ शुभ नहीं कही जा सकती।
जहाँ तक गोचर का प्रश्न है, तो मार्च में शनि का गोचर गणतन्त्र निर्माण कालिक चन्द्रमा से द्वादश भाव में होने के कारण साढ़ेसाती का प्रभाव उत्पन्न करेगा। बृहस्पति का गोचर जो अभी तक शुभ बना हुआ है, वह मई, 2025 में तीसरे भाव में होगा, जो कि शुभ नहीं माना जाता। राहु का गोचर मई, 2025 तक प्रतिकूल बना हुआ है, उसके बाद एकादश भाव में होगा, जो कि अपेक्षाकृत शुभ है। उक्त पृष्ठभूमि में भारतीय गणतंत्र के विभिन्न पहलुओं की अब विवेचना करते हैं।
राष्ट्रपति
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भाग्यचक्र बिगाड़ता चला गया सारे जीवन का क्रम
आलेख के आरम्भ में हम ज्ञान, विद्या और कर्म के आकलन पर विचार कर लेते हैं। जब मनुष्य आयु में बड़ा होने लगता है, जब वह बूढ़ा अर्थात् बुजुर्ग हो जाता है, क्या तब वह ज्ञानी हो जाता है? क्या बड़ी डिग्रियाँ लेकर ज्ञानी हुआ जा सकता है? मैं ज्ञानवृद्ध होने की बात कर रहा हूँ। यानी तन से वृद्ध नहीं, जो ज्ञान से वृद्ध हो, उसकी बात कर रहा है।
मकर संक्रान्ति एक लोकोत्सव
सूर्य के उत्तरायण में आने से खरमास समाप्त हो जाता है और शुभ कार्य प्रारम्भ हो जाते हैं। इस प्रकार मकर संक्रान्ति का पर्व भारतीय संस्कृति का ऊर्जा प्रदायक धार्मिक पर्व है।
महाकुम्भ प्रयागराज
[13 जनवरी, 2025 से 26 फरवरी, 2025 तक]
रथारूढ़ सूर्य मूर्ति फलक
राजपूताना के कई राजवंश एवं शासक सूर्यभक्त थे और उन्होंने कई देवालयों का निर्माण भी करवाया। इन्हीं के शासनकाल में निर्मित मूर्तियाँ वर्तमान में भी राजस्थान के कई संग्रहालयों में संरक्षित हैं।
अस्त ग्रहों की आध्यात्मिक विवेचना
जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महद्युतिम्। तमोऽरि सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ।।
सूर्य और उनका रत्न माणिक्य
आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च ।। हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्॥
नागाओं का अचानक यूँ चले जाना!
नागा साधु किसी समय समाज और संस्कृति की रक्षा के लिए ही जीते थे, अपने लिए कतई नहीं। महाकुम्भ पर्व के अवसर पर नागा साधुओं को न किसी ने आते हुए देखा और न ही जाते हुए।
नागा साधुओं के श्रृंगार हैं अद्भुत
नागाओं की एक अलग ही रहस्यमय दुनिया होती है। चाहे नागा बनने की प्रक्रिया हो अथवा उनका रहन-सहन, सब-कुछ रहस्यमय होता है। नागा साधुओं को वस्त्र धारण करने की भी अनुमति नहीं होती।
इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ
सितासिते सरिते यत्र संगते तत्राप्लुतासो दिवमुत्पतन्ति। ये वे तन्वं विसृजति धीरास्ते जनासो अमृतत्वं भजन्ते ।।
कैसा रहेगा भारतीय गणतन्त्र के लिए 76वाँ वर्ष?
26 जनवरी, 2025 को भारतीय गणतन्त्र 75 वर्ष पूर्ण कर 76वें वर्ष में प्रवेश करेगा। यह 75वाँ वर्ष भारतीय गणतन्त्र के लिए कैसा रहेगा? आइए ज्योतिषीय आधार पर इसकी चर्चा करते हैं।