सेंगोल धर्मदण्ड, राजदण्ड और राज्याभिषेक
Jyotish Sagar|July 2023
'सेंगोल' चाँदी से निर्मित और सोने की परत चढ़ा हुआ पाँच फुट लम्बा एक राजदण्ड है। इसे जटिल डिजाइनों से सजाया गया है और शीर्ष पर नन्दी की नक्काशी की गई है।
अवनीश पाण्डेय 
सेंगोल धर्मदण्ड, राजदण्ड और राज्याभिषेक

28 मई, 2023 को 'सेंगोल' 28 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा ने लोकसभा के नए भवन में अध्यक्ष के पीठासन के समीप स्थापित किया गया। पूर्व में यह सेंगोल 14 अगस्त, 1947 को स्वतन्त्रता की प्राप्ति से कुछ समय पूर्व तिरुवदुथुराई मठ के प्रमुख, परम पावन श्री अंबावन बंडारा सन्नधा द्वारा भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. जवाहर लाल नेहरू को मन्त्रोच्चारण के साथ सौंपा था। 

बाद में यह इलाहाबाद संग्रहालय में रख दिया गया था। अब सरकार ने उस सेंगोल को पुन: अधीनम् मठ के सन्तों तथा पुजारियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंपकर नए संसद भवन में स्थापित किया गया है। मीडिया रिपोर्ट्स एवं सरकारी सूचना में दावा किया गया है कि वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने पं. जवाहरलाल नेहरू से सवाल किया था कि "ब्रिटिश से भारतीय हाथों में सत्ता के हस्तान्तरण के प्रतीक के रूप में किस परम्परा का पालन किया जाना चाहिए?”

इस प्रश्न पर नेहरू जी ने सी. राजगोपालाचारी (राजाजी) से परामर्श किया और यह तय किया गया कि चोलकालीन समारोह, जिसमें एक राजा से दूसरे राजा को सत्ता का हस्तान्तरण उच्च पुरोहितों की उपस्थिति में पवित्रता और आशीर्वाद के साथ पूरा किया जाता था, की परम्परा का पालन किया जाए तब राजाजी ने तमिलनाडु के तंजावुर जिले में शैव संप्रदाय के धार्मिक मठतिरुवावटुतुरै अधीनम् से संपर्क किया। अधीनम् के प्रधान ने तुरन्त पाँच फुट लम्बाई के 'सेंगोल' को तैयार करने के लिए चेन्नई में सुनार वुम्मिदी बंगारू चेट्टी को नियुक्त किया।

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