प्रचलित कथा के अनुसार, एक बार श्रीराधा जी ने भगवान् श्रीकृष्ण से कहा, “कोई भी गोपी तुम्हें मेरे समान प्रेम नहीं कर सकती।” तब श्रीकृष्ण समझ गए कि राधा जी उनके प्रेम में अपने वास्तविक स्वरूप को ही भूल गयी हैं। श्रीकृष्ण ने राधा जी से कहा कि सभी गोपियाँ मुझे तुम्हारे समान ही प्रेम करती हैं। यह सुनकर राधा जी को क्रोध आ गया। उन्होंने श्रीकृष्ण को चुनौती दे डाली। उन्होंने कृष्ण जी के चारों तरफ एक रेखा खींचकर कहा कि “तुम मुरली बजाओ और मुरली की आवाज सुनकर जो भी गोपी तुम्हें मेरे समान प्रेम करती होगी, केवल वही इस रेखा के अन्दर आ सकेगी, नहीं तो इस रेखा को छूते ही वह भस्म हो जाएगी।”
श्रीकृष्ण जी ने कहा, "ठीक है!” उन्होंने मुरली बजाना शुरू किया। उनके मुरली बजाते ही सभी गोपियाँ अपना काम छोड़कर उनकी ओर खिंची चली आयीं। सभी गोपियाँ उस रेखा के पास पहुँची। श्री राधिका जी ने देखा कि सभी गोपियाँ उस रेखा के अन्दर आ गयीं और किसी को भी कुछ नहीं हुआ। सभी गोपियाँ भगवान् को प्रेम से एकटक देख रही थीं। उन्हें अपने शरीर की सुध-बुध ही नहीं थी।
This story is from the September 2023 edition of Jyotish Sagar.
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भाग्यचक्र बिगाड़ता चला गया सारे जीवन का क्रम
आलेख के आरम्भ में हम ज्ञान, विद्या और कर्म के आकलन पर विचार कर लेते हैं। जब मनुष्य आयु में बड़ा होने लगता है, जब वह बूढ़ा अर्थात् बुजुर्ग हो जाता है, क्या तब वह ज्ञानी हो जाता है? क्या बड़ी डिग्रियाँ लेकर ज्ञानी हुआ जा सकता है? मैं ज्ञानवृद्ध होने की बात कर रहा हूँ। यानी तन से वृद्ध नहीं, जो ज्ञान से वृद्ध हो, उसकी बात कर रहा है।
मकर संक्रान्ति एक लोकोत्सव
सूर्य के उत्तरायण में आने से खरमास समाप्त हो जाता है और शुभ कार्य प्रारम्भ हो जाते हैं। इस प्रकार मकर संक्रान्ति का पर्व भारतीय संस्कृति का ऊर्जा प्रदायक धार्मिक पर्व है।
महाकुम्भ प्रयागराज
[13 जनवरी, 2025 से 26 फरवरी, 2025 तक]
रथारूढ़ सूर्य मूर्ति फलक
राजपूताना के कई राजवंश एवं शासक सूर्यभक्त थे और उन्होंने कई देवालयों का निर्माण भी करवाया। इन्हीं के शासनकाल में निर्मित मूर्तियाँ वर्तमान में भी राजस्थान के कई संग्रहालयों में संरक्षित हैं।
अस्त ग्रहों की आध्यात्मिक विवेचना
जपाकुसुमसंकाशं काश्यपेयं महद्युतिम्। तमोऽरि सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ।।
सूर्य और उनका रत्न माणिक्य
आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च ।। हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्॥
नागाओं का अचानक यूँ चले जाना!
नागा साधु किसी समय समाज और संस्कृति की रक्षा के लिए ही जीते थे, अपने लिए कतई नहीं। महाकुम्भ पर्व के अवसर पर नागा साधुओं को न किसी ने आते हुए देखा और न ही जाते हुए।
नागा साधुओं के श्रृंगार हैं अद्भुत
नागाओं की एक अलग ही रहस्यमय दुनिया होती है। चाहे नागा बनने की प्रक्रिया हो अथवा उनका रहन-सहन, सब-कुछ रहस्यमय होता है। नागा साधुओं को वस्त्र धारण करने की भी अनुमति नहीं होती।
इतिहास के झरोखे से प्रयागराज महाकुम्भ
सितासिते सरिते यत्र संगते तत्राप्लुतासो दिवमुत्पतन्ति। ये वे तन्वं विसृजति धीरास्ते जनासो अमृतत्वं भजन्ते ।।
कैसा रहेगा भारतीय गणतन्त्र के लिए 76वाँ वर्ष?
26 जनवरी, 2025 को भारतीय गणतन्त्र 75 वर्ष पूर्ण कर 76वें वर्ष में प्रवेश करेगा। यह 75वाँ वर्ष भारतीय गणतन्त्र के लिए कैसा रहेगा? आइए ज्योतिषीय आधार पर इसकी चर्चा करते हैं।