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सच्चा प्रेम दिवस कर रहा सबका जीवन खुशहाल
यह ईश्वर की अनुपम करुणा-कृपा है
स्वास्थ्य - रक्षा व शारीरिक सुडौलता दायक मोटे अनाज
मोटे अनाज अत्यंत पोषक, पचने में तथा उगाने में आसान होते हैं। ये कम पानी और कम उपजाऊ भूमि में भी उग जाते हैं। इनकी खेती में यूरिया और दूसरे रसायनों की भी जरूरत नहीं पड़ती इसलिए ये हमारे स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण की दृष्टि से भी अच्छे हैं। मोटे अनाज में ज्वार, बाजरा, रागी, मकई, कंगनी, कुटकी, कोदो, सावाँ आदि का समावेश होता है।
सूरज जब गर्मी करे तब बरसन की आस
योग में, भक्ति में प्रवेश करनेवाले साधकों को प्रारम्भ में किसीके जीवन-चरित्र द्वारा अथवा किसीके सत्संग के द्वारा, किसीकी मुलाकात के द्वारा अलौकिक कुछ-न-कुछ लाभ लाभ होने लगता है तो उनकी श्रद्धा बँधती है और जब श्रद्धा बँधती है और यात्रा करने लगते हैं तो बीच में विघ्न आ जाते हैं - यश के, मान के, अहंकार सजाने के।
शिव-तत्त्व की महिमा व उपासना की विधि
महाशिवरात्रि : १८ फरवरी
गणेशजी प्रथम पूजनीय क्यों ?
(मातृ-पितृ पूजन दिवस पर विशेष )
कैसी अहेतुकी करुणा-कृपा बरसाते हैं मेरे गुरुदेव !
पूज्य बापूजी के जीवन-प्रसंग
Messages From The Body Temple
Our physical, mental, emotional, and spiritual well-being depends on our ability to be in tune with our physical self, which is the vessel of our personal spirit and our connection to the Universe, says Rishi Rathod.
केन्द्रगत शनि से बना अद्भुत यशस्वी योग
हम बात कर रहे हैं शनि की ऐसी स्थिति की, जिसमें शनि विशेष प्रसिद्धि और राजयोग के साथ निरन्तर प्रगति पथ की ओर भी ले जा रहा है और वह स्थिति है, जब शनि केन्द्र (विशेषकर चतुर्थ एवं सप्तम भाव) में वृषभ राशि में स्थित हो। शनि वृषभ राशि में अकेला स्थित हो
महापर्व नवरात्र उपासना विधि
भगवान् राम को देवर्षि नारद जी ने रावण का वध करने और सीता को पुनः प्राप्त करने के लिए नवरात्र व्रत का उपदेश किया था। भगवान् राम तथा लक्ष्मण ने किष्किन्धा पर्वत पर आश्विन (शारदीय) नवरात्र में उपवासपूर्वक विधि-विधानपूर्वक पूजन किया।
भाग्य से जीत, भाग्य से हार
भाग्य से जीत और भाग्य से हार | यानि भाग्य के चाहने से ही व्यक्ति को उसके कर्मों का सुफल मिलता है न कि प्रयासों और पुरुषार्थ करने से
ज्योतिष में ग्रहों के बल का मापक षड्बल
जो ग्रह अधिक बलवान् होंगे, वह कुण्डली में जातक को अधिक फल देगा और जो बलहीन होगा। वह फल देने में कमजोर होगा अर्थात फल नहीं देगा।
भारत के युगदृष्टा स्वामी विवेकानन्द
प्रेरक प्रसंग - एक बार एक ईसाई पादरी ने गीता को सबसे नीचे रखकर उस पर बाइबिल, कुरान आदि धर्मग्रन्थों को रखकर स्वामी विवेकानन्द से कहा, “देखो स्वामी, तुम्हारा ग्रन्थ तो सबसे नीचे है। बाइबिल आदि अन्य धर्मों की पुस्तकें सबसे ऊपर हैं।\" हैं इस पर स्वामी विवेकानन्द ने उत्तर दिया, \"आपने ठीक कहा है, गीता ही सब धर्मग्रन्थों का मूल अर्थात् आधार है। हिन्दू धर्म के सिद्धान्त ही सब धर्मों का सार है।\" पादरी विवेकानन्द का तर्कसंगत उत्तर सुनकर चुप हो गया।
भारतीय मूर्तिशिल्प में भगवान् सूर्य
मानव समाज में था। सूर्य के साक्षात् देव होने पर ही उनके मन्दिर देश के विभिन्न स्थानों पर निर्मित प्राप्त होते हैं। सूर्य नारायण प्रत्यक्ष भगवान् हैं और हमें उनके प्रत्यक्ष दर्शन प्राप्त होता है।
विश्वकप विजेता लियोनेल मेसी
18 दिसम्बर, 2022 दोहा के स्टेडियम में लगभग 89 हजार दर्शकों के साथ करोड़ों टीवी दर्शकों की साँसें फीफा वर्ल्डकप मैच की गति के साथ-साथ ऊपरनीचे हो रही थीं।
ओज और प्रगति का पर्व मकर संक्रान्ति
भारत पर्वों और त्योहारों का देश है। यहाँ वर्षभर का कोई भी ऐसा माह नहीं होता, जिसमें कोई न कोई त्योहार नहीं पड़ता हो। इसलिए यहाँ यह उक्ति प्रसिद्ध है : 'सदा दीपावाली सालभर, सातों वार त्योहार ।' इन्हीं त्योहारों में से एक त्योहार है 'मकर संक्रान्ति', जिसकी अपनी विशेषता है।
मन्त्र जप जीवन को व्यस्थित करता है
हम सबके जीवन में मन्त्र का प्रबल प्रभाव होता है। अपनी उन्नति इस बात पर निर्भर करती है कि हमने किन मन्त्रों का जप किया है? मन्त्र जप अपनी कुण्डली के अनुसार करें, जिससे आपको पूर्णतः लाभ मिल सके।
मकर संक्रान्ति एवं सूर्योपासना
अपार ऊर्जा का सृजन होता है। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार सूर्य ब्रह्मस्वरूप हैं। नवग्रहों में प्रमुख ग्रह हैं। सूर्य का वर्ण लाल है। सूर्य के रथ में एक ही चक्र है, जो 'संवत्सर' कहलाता है। इस रथ में 12 आरे हैं, जो बारह मास के प्रतीक हैं। चक्र, शक्ति, पाश और अंकुश इनके मुख्य शस्त्र हैं।
कुम्भ लग्न के अष्टम भाव में स्थित चन्द्रमा के फल
कैसे करें सटीक फलादेश (भाग-186)
मकर संक्रान्ति का आध्यात्मिक रहस्य
मनुष्य के संस्कारों में आसुरियता की मिलावट हो चुकी है, अर्थात् उसके संस्कार खिचड़ी हो चुके हैं, जिन्हें परिवर्तन करके अब दिव्य संस्कार धारण करने हैं। इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक मनुष्य को ईर्ष्या-द्वेष आदि संस्कारों को छोड़कर संस्कारों का मिलन इस प्रकार करना है, जिस प्रकार खिचड़ी मिलकर एक हो जाती है।
देवी सरस्वती के साम्य स्वरूप मिनर्वा और म्युजेज
भारतीय धर्म परिवेश में विद्या की देवी सरस्वती के समान ही मिनर्वा (रोमन देवी) और म्युजेज (ग्रीक) विद्या एवं कला की देवी के रूप में पावन एवं पूज्य स्थान रखती हैं।
माँ सरस्वती का प्राकट्य दिवस है बसन्त पंचमी
माँ! तुम ज्ञान देने वाली हो, जब चारों ओर संशय है, तो फिर हम कहाँ जाएँ? तुम्हारी छवि का ध्यान ही हमारी अज्ञानता को दूर कर देता है। शारदे ! हम एक दीप जलाते हैं और बस, इतना जानते हैं कि कहीं कोई लयबद्ध सितार बज रहा हो, तो वह भी आपकी ही उपासना है।
पेट सम्बन्धी बीमारियों से छुटकारा दिलाता है भुजंगासन
भुजंग एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है 'सर्प'। इस आसन में हमारे शरीर की आकृति फन उठाये सर्प की तरह होती है, अतः इस आसन को 'भुजंगासन' कहते हैं।
ऋषि-मुनियों की तपोस्थली है ऋषिकेश
भारतीय संस्कृति की गौरवगाथा कहती पतित पावनी गंगा हिमालय की गोद से उतरकर, जिस स्थान से मैदानों की ओर बढ़ती है, उसी का नाम ‘ऋषिकेश' है। ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रही इस पवित्र आध्यात्मिक तीर्थनगरी में चित्त को अपूर्व शान्ति मिलती है। नाम के अनुरूप ऋषिकेश आज भी हमारी गौरवशाली धार्मिक परम्पराओं और सांस्कृतिक पहचान को सहेजकर रखे हुए है।
सम्पाति ने की वानरों की सहायता
गंगातट पर चल रही रामकथा के 23वें दिन किष्किंधाकाण्ड के प्रसंगों का श्रोतागण आनन्द ले रहे हैं। स्वामी जी कथा को रोचक बनाते हुए श्रोतागणों को भक्तिरस का पान करवा रहे हैं। स्वयंप्रभा से विदा लेकर वानरगण हनूमान जी, अंगद, जाम्बवन्त आदि के साथ समुद्र तट पर खड़े हुए हैं। अब कथा में आगे .......
नवरात्र रहस्य
शाक्त-दर्शन के अनुसार आदिशक्ति पराम्बा की उपासना इसलिए की जाती है, कि वे परब्रह्म से सर्वथा अभिन्न हैं।
*சிற்பமும் சிறப்பும்*
வெளிப்புறத் தோற்றுறத்தில் வெகு எளிமையாகக் காட்சியளிக்கும் இந்தக் கோயிலை காண்பவர், மற்றுமொரு சாதாரண கோயி லாகவே எளிதில் கடந்து சென்றுவிட வாய்ப்புக்கள் அதிகம்.
முன்னுதாரணமாகத் திகழவேண்டியவர்தான் ஞானி
ஸ்ரீ கிருஷ்ண அமுதம் - 39 (பகவத் கீதை உரை)
ஆப்பம் திருடிய அழகர்
ஆப்பத்தை எடுத்துக் கொண்டு, கள்ளழகர் ஓடி மறைந்து நின்ற திருப்பேர் நகரில், சயனக் கோலத் தில் அப்பக்குடத்தானாக விளங்குவதைக் கண்டு பிடித்து மங்களாசாசனம் செய்தார் நம்மாழ்வார்.
பெயர் சூட்டிய பெம்மான்
தசமுகனாகிய இலங்கேஸ் வரன் கோள்கள் அனைத்தும் வென்றவனாகத் திகழ்ந் திருந்தபோது, ஒரு சமயம் கயிலைமலையை ஒட்டி தன் புட்பகத் தேரைச் செலுத்தி வந்தான்.
மேலூரில் வளரும் கம்பீர மாருதி
திருச்சியை அடுத்த ஸ்ரீரங்கத்தில் இருந்து சுமார் 4.கி.மீ., 'தொலைவில் இருக்கும் அழகிய ஊர் மேலூர். இங்கு, 37அடி உயரத்தில் மிகபெரிய ஆஞ்சநேயர் சுவாமி நிறுவப்பட்டுள்ளது.