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निवेशकों को पसंद आ रहा उत्तरप्रदेश
कोरोना काल के बाद जब निवेशक समाज बहुत सोचसमझकर और फूंक-फूंककर निवेश कर रहा है, तब उत्तर प्रदेश में 80 हजार करोड़ रुपये के निवेश का वादा हो चुका है।
... तो भारत भी बढ़ सकता है श्रीलंका एपीसोड की ओर
मानसून का आगमन हो चुका है। देश के कई राज्यों में बारिश और बाढ़ के प्रलयकारी दृश्य देखे जा रहे हैं।
कैसे सहेजा जाएगा बारिश का पानी?
कुछ वर्ष पहले नेचर कंजरवेंसी ने साढ़े सात लाख से अधिक जनसंख्या वाले दुनिया के 500 शहरों के जलगत ढांचे का अध्ययन कर एक निष्कर्ष निकाला था जिसमें राजधानी दिल्ली पानी की कमी से जूझ रहे विश्व के 20 शहरों में दूसरे स्थान पर रही जबकि जापान की राजधानी टोक्यो पहले पर थी।
माननीया द्रौपदी मुर्मू क्या भारतीयों की राष्ट्रपति बन रही है या सिर्फ 'आदिवासियों' की?
महामहिम 'द्रौपदी मुर्मू' के भारत की अगली राष्ट्रपति चुने जाने की संभावना को देखते हुए उन्हें हार्दिक अग्रिम बधाइयां।
कुछ राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का दर्जा देने से मुश्किलें और बढ़ जायेंगी
देश के किसी भी व्यक्ति को जाति, धर्म और भाषा के आधार पर अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक का दर्जा देना अपने आप में गलत है।
जी - 7 देशों के सम्मेलन में भी भारत का डंका
संवाद और मेल-मिलाप की अपनी ताकत होती है। मिल-बैठकर बड़ी से बड़ी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है और बड़े से बड़े तनाव पर शांति की मिट्टी डाली जा सकती है।
चिकित्सक सम्मान के सबसे बड़े हकदार
कोरोना महामारी के दौरान दुनियाभर में चिकित्सक अपनी जान की परवाह किए बिना करोड़ों लोगों के जीवन की रक्षा करते नजर आए।
बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं का हुआ खुलासा
प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं के वर्तमान हालातों के चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। सिर्फ भोपाल संभाग के जिलों में मौजूद हास्पिटल नर्सिंग होम के निरीक्षण संबंधी शीर्ष अधिकारी यानि अपर मुख्य सचिव (स्वास्थ्य) के आदेश पर किए गए निरीक्षण की जानकारी ली गई, वह बेहद चौंकाने वाली है, और सूबे की स्वास्थ्य सेवाओं के हालात बयान करती है।
महापुरुषों के दिखाए पथ पर चल रही हमारी सरकार : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल
छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा में हम लोग निकले हैं।
युवाओं के प्रेरणापुंज स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानंद युवाओं के प्रेरणास्रोत थे। ... और युगों-युगों तक रहेंगे।
देशहित में सामाजिक समरसता जरूरी
प्रधानमंत्री मोदी जब पहली बार संसद भवन में आये थे तो सबसे पहले उन्होंने दो जगह सिर झुकाया था पहले संसद भवन की सीढ़यिों पर, जिसे उन्होंने 'जनतंत्र का मंदिर' कहा था और फिर संसद में रखी देश के संविधान की प्रति पर। तब उन्होंने संविधान को जनतंत्र के 'पवित्र ग्रंथ' की संज्ञा दी थी। यह सही है कि हमारा संविधान उस अर्थ में 'पवित्र ग्रंथ' नहीं है जैसे कुरान, बाइबल या गुरु ग्रंथ साहब हैं। पवित्र ग्रंथ को ईश्वर की वाणी माना जाता है और इसीलिए उसमें कुछ जोड़ने - घटाने का अधिकार मनुष्य को नहीं है।
भारत की सबसे ताकतवर मिसाइल है ब्रह्मोस
भारत का अचूक ब्रह्मास्त्र मानी जाने वाली 'ब्रह्मोस' सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल एक के बाद एक सफलता के नए-नए पड़ाव पार करते हुए अपनी क्षमताओं और ताकत से पूरी दुनिया को हतप्रभ कर रही है।
विकसित देश बनने की दिशा में अग्रसर भारत
भारत बीते दिनों अपने रिकॉर्ड निर्यात की स्थिति में पहुँच गया परन्तु यह हर्षित करने वाला अर्ध सत्य है।
सू.अ. अ. के आधार पर प्राप्त सफलताओं का विवरण
मेरे द्वारा इस एक्ट के उपयोग की शुरुआत लगभग 15 वर्ष पूर्व की गई थी । दैनिक जागरण भोपाल में वर्ष 2006-07 के दौरान बीएसएनल भोपाल में सर्किल तथा क्षेत्रीय कार्यालयों में इसके उपयोग से विभाग में जारी सिविल / इलेक्ट्रिकल्स के टेंडरों के दस्तावेज प्राप्त कर समाचार प्राप्त किए गए। उसके उपरांत नवभारत भोपाल, ईटीवी में सेवारत रहते हुए विभिन्न राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार के विभागों में आरटीआई के जरिए जानकारी प्राप्त कर इन विभागों में चल रही कुछ अनियमितताओं को उजागर किया गया।
सुनहरे भविष्य की ओर इशारा कर रही है आर्थिक प्रगति
31 मार्च 2022 को समाप्त वित्तीय वर्ष 2021-22 में अर्थ से सम्बंधित विभिन्न क्षेत्रों के निष्पादन सम्बंधी आंकड़े लगातार जारी किए जा रहे हैं।
न्यायालयों में राजस्व मामलों का बोझ
यदि नगर निगम, नगरपालिकाएं और ग्राम पंचायत ठीक से अपना काम करें तो नागरिक न्यायालय का रुख क्यों करेगा?
ज्ञानवापी मामले में नेता कूदेंगे तो बढ़ेगा तनाव
हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है, जब मुस्लिम जुटे तो दूसरे पक्ष से हर-हर महादेव का उद्घोष होने लगा।
जरूरी है जल संरक्षण
'पुराने तालाब, कुएं, बावड़ी, जोहड़, टांके या झील अपने अंतस में बरसात के पानी को तो सहेजते ही थे, उनमें संचित जल धीरे-धीरे धरती के अंदर जाकर भूगर्भीय जल के स्तर को बचाए रखने में भी मदद करता था। लेकिन दुर्भाग्य से विकास की आधुनिक अवधारणा ने इस सच को अनदेखा कर दिया और इन तालाबों की जमीनों को पाट दिया। गर्मी के मौसम के साथ ही देश के अलग-अलग हिस्सों से जल संकट की खबरें सामने आने लगती हैं। इस बार भी ऐसा ही हो रहा है। राजस्थान के कोटा शहर का उदाहरण ही लें। यह शहर चंबल नदी के किनारे बसा है। लेकिन इस शहर की अनेक बस्तियों में पानी की किल्लत हो गई है। स्थिति यह है कि कई बस्तियों में तो नलों से बूंद-बूंद टपकने वाले पानी के सहारे अपनी जरूरत पूरी करने के लिए लोगों को रात-रात भर जागना पड़ता है।
औषधि केंद्र से पूरे विश्व के लोगों को होगा लाभ
अब विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वैश्विक पारम्परिक औषधि केंद्र की स्थापना भारत के सहयोग से भारत में किया जाना (इस औषधि केन्द्र की स्थापना के लिये भारत 25 करोड़ अमेरिकी डॉलर का निवेश करेगा) अपने आप में आभास दिलाता है कि पूरा विश्व ही अब भारतीय पारम्परिक चिकित्सा प्रणाली पर एक तरह से भरोसा जता रहा है और भारत को यह जिम्मेदारी दिए जाने का प्रयास किया जा रहा है कि भारतीय पारम्परिक चिकित्सा प्रणाली को विश्व के नागरिकों तक पहुंचाने के उद्देश्य से इसे वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाया जाये। भारत पूरे विश्व के लिए फॉर्मेसी हब तो पहले से ही बन चुका है।
एशियाई चैम्पियनशिप में भारतीय पहलवानों का दिखा जलवा
पिछले दिनों मंगोलिया में आयोजित एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में भारतीय पहलवानों ने कुल 17 पदक जीते।
आखिर क्यों गहरा रहा है देश में बिजली का संकट?
भीषण गर्मी के बीच बिजली की तेजी से बढ़ती मांग के कारण देश के कई राज्यों में बिजली की कमी का संकट गहरा रहा है।
हिट रहने के लिये फिट रहना जरूरी
स्वास्थ्य ही धन है, स्वस्थ माहौल स्वस्थ लोगों को बनाता है, अगर हिट रहना है तो फिट रहना होगा, योग से करो खुद को निरोग, जब रखोगे शरीर का ध्यान तभी कर सकोगे सारे काम, देश में नागरिक स्वास्थ्य हैं तो देश स्वास्थ्य इत्यादि अनेक वाक्यांश या कहावतें हमने अपने पूर्वजों, बड़े बुजुर्गों, बुद्धिजीवियों से सुने होंगे परंतु इन विचारों पर चलकर अपना शरीर स्वस्थ रखकर मंजिल को पाना अपेक्षाकृत कम लोग करते हैं।
संघर्ष एवं संकल्प के पर्याय थे संत राजनेता लक्ष्मी नारायण गुप्ता नन्ना जी
श्रीलक्ष्मी नारायण जी गुप्ता का जन्म 6 जून 1918 को ईसागढ़ जिला अशोकनगर नामक स्थान पर हुआ।
मुख्यमंत्री ने तेलघानी नाके के समीप रेलवे अंडरब्रिज का किया लोकार्पण
राष्ट्रीय और साहित्यिक चेतना विकसित करने में पंडित माधवराव सप्रे का अमूल्य योगदानः श्री बघेल
जागिए सरकार इससे पहले कि चेन्नई जैसे हालात बनें
कोई माने या ना माने प्रदेश का सरकार महकमा अपनी जिम्मेदारी निभाने में सौ फीसदी तो छोड़िये, सत्तर फीसदी तक भी नहीं आता है। ये हालात सभी सरकारी विभागों के हो सकते हैं, मगर देश की सबसे बड़ी समस्या पानी से ताल्लुक रखने वाले महकमों के काम धरातल पर कम ही हो रहे हैं और जो भी हो रहे हैं कागज की नाव पर चल रहे हैं। ये दावा 'ओपन आई न्यूज' हवा में नहीं कर रही है बल्कि सारे दस्तावेजी सबूत के साथ कर रही है।
संसाधनों की आत्मनिर्भरता में ही है समाधान
मुद्रास्फीति कह लो या महंगाई। कोरोना संत्रास से अपेक्षाकृत मुक्ति के बाद यह वही निरंतर पीड़ा है, जिसने आम आदमी ही नहीं, देश के हर छोटे कामगार, छोटी जोत के किसान और सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग के निवेशक के बखिये उधेड़ कर रख दिये हैं। प्रश्न केवल यह नहीं है कि पिछले दस महीनों में हमारा थोक मूल्य सूचकांक दस प्रतिशत से ऊपर और अब लगभग सोलह प्रतिशत को स्पर्श कर गया। यह भी नहीं कि खुदरा मूल्य सूचकांक 7.8 पर चला गया। असल आर्थिक अव्यवस्था तो इसके साथ पैदा कमी और चोरबाजारी के मनोविज्ञान से पैदा हुई है। बाजार की गतिविधियों से पैदा हुई है। महंगाई का जमाना है, चुनिन्दा लोगों के हाथ में अधिक कमाई आ रही है। धन शोधन की प्रवृत्ति बढ़ी है।
देशहित में गांधी जी का सम्मान जरूरी
राजधानी के संसद मार्ग पर बनी रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) बिल्डिंग के बाहर लगी यक्ष और यक्षिणी की मूर्तियों के पास खड़े होकर बैंक के कुछ मुलाजिम बात कर रहे हैं कि अगर उनके बैंक ने कुछ करेंसी नोटों पर गांधी जी के जल चित्रों के अलावा किसी अन्य महापुरुष के चित्रों को भी जगह देनी शुरू कर दी तो क्या होगा ? दरअसल रिजर्व बैंक के मुंबई, दिल्ली, कानपुर आदि के दफ्तरों में आजकल इस तरह की चर्चाएं चल रही हैं। इसकी वजह यह है कि रिजर्व बैंक में शीर्ष स्तर पर विचार हो रहा है कि कुछ नोटों पर कुछ अन्य महापुरुषों के जल चित्र भी शामिल कर लिए जाएं। यानी गांधी जी के साथ कुछ करेंसी नोटो में कुछ अन्य महापुरुषों को भी जगह मिल जाए। अगर यह होता है तो फिर तमाम दूसरी हस्तियों के जल चित्र भी आरबीआई की तरफ से जारी होने वाले नोटों पर शामिल करने की मांग होने लगेगी। यह निश्चित है, इसलिए भारत के करेंसी नोटों पर बापू के ही जल चित्र बनें रहें तो सही होगा। यह बात समझ से परे है कि हमारे नोटों में गांधी जी को अपदस्थ करने की कोशिशें क्यों होने लगी हैं। इसकी जरूरत ही क्या है? क्या इस तरह की किसी ने मांग की है ?
दबंग होती चीन से निबटने की रणनीति
टोक्यो में मई 23-24 को संपन्न हुए क्वाड शिखर सम्मेलन में कुछ दूरगामी नीति निर्णय लिए गए जिससे कइयों को हैरानी हुई।
ग्राउंड वाटर के बचाव और संरक्षण की कवायद - सिर्फ कागजों पर
'विश्व जल दिवस 2022 के लिए थीम बनी है 'ग्राउंड वाटर: मेकिंग द इनविजिबल विजिबल' यानी भूजल अदृश्य को दृढयमान बनाना। इस वर्ष 2022 में 'वर्ल्ड वाटर डे' का उद्देश्य ग्राउंड वाटर की खोज संरक्षण और उपयोग करना है। परंतु हकीकत जो सामने आ चुकी है और आ रही है उससे लगता है कि ग्राउंड वाटर के प्रबंधन बचाव और संरक्षण की कवायद सिर्फ कागजों पर ही चल रही है। इस प्रबंधन को देखने वाले सरकारी विभागों यानी प्रदूषण नियंत्रण मंडल, केंद्रीय भूजल अथार्टी एवं स्थानीय प्रशासन के बारे में ग्राउंड वाटर पर बनी 'एक्सपर्ट कमेटी ने जुलाई 2019 की रिपोर्ट में कहा है कि इन तीनों विभागों के बीच कोई समन्वय नहीं है। ग्राउंड वाटर प्रबंधन की कवायद एक दूसरे को कागजों में भेजकर पूरी हो रही है। नतीजा, भारत ने 122 से 199 बिलियन मीटर क्यूब भूजल घट चुका है। मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में भूजल की भयावह स्थिति की पुष्टि अधिकारिक तौर पर भी हो चुकी है।'
सहभागिता से होगा गांवों का कायाकल्प
लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण के लिए ग्राम पंचायतों का सक्रिय, कार्यकुशल और प्रभावशाली होना अत्यावश्यक है। पंचायतें प्राचीन काल से ही अस्तित्व में रही हैं।